Saturday, December 28, 2013

सुचना का अधिकार कानून कांग्रेस उपलब्धी?

जिस सुचना का अधिकार कानून को दोगली कांग्रेस अपनी उपलब्धी बताती है .. उसे सुप्रीमकोर्ट में दो साल चले केस के बाद कांग्रेस ने मजबूरी में पास किया था ... और ये सुचना का अधिकार बिल बिना बीजेपी के सहयोग से पास नही हो सकता था | सुचना का अधिकार बिल को बीजेपी ने पूरा समर्थन दिया था क्योकि राजसभा में सपा, बसपा, एनसीपी इसके विरोध में थे और बीजेपी ने इसे पास करवाया था | सुप्रीमकोर्ट में इस विधेयक के खिलाफ केंद्र सरकार के तरफ से अटर्नी जनरल ने कहा था की यदि जनता को सुचना का अधिका दे दिया जायेगा तो फिर भारत में अराजकता फ़ैल जाएगी और सरकारी काम नही हो पाएंगे .. लोग सरकारी कर्मचारीयो के पीछे पड़ जायेंगे .. केंद्र सरकार की ये भी दलील थी की इससे सम्विधान के द्वारा प्रद्दत गोपनीयता का भी भंग होगा | लेकिन सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र की कांग्रेस सरकार की सभी दलीलों को ख़ारिज करते हुए सुचना का अधिकार लागु करने का आदेश दिया | केंद्र सरकार ने सुप्रीमकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ संसद में आर्डिनेश लाने के लिए सर्वदलीय बैठक की बुलाई थी .. लेकिन बीजेपी सहित चार पार्टियों ने कहा था की वो संसद में आर्डिनेंस पास नही होने देंगे | फिर मजबूरी ने केंद्र की कांग्रेस सरकार को सुचना का अधिकार देना पड़ा | और आज दोगले राहुल गाँधी और दोगले कांग्रेसी हर वक्त कहते है की उन्होंने देश को सुचना का अधिकार दिया

Friday, December 27, 2013

महिला जासूसी पर जाँच आयोग

किसी भी मीडिया ने ये नही बताया की राजस्थान की बीजेपी सरकार ने जैसे ही राबर्ट बढेरा के जमीन लुट के खिलाफ चार केस दर्ज किये और गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीवाल के कब्जे से आठ सौ करोड़ की बेशकीमती जमीन मुक्त करवाई .. उसके ठीक अगले ही दिन केंद्र ने महिला जासूसी पर जाँच आयोग बना दिया |

इसके पहले कांग्रेस सरकार ने दिनशा पटेल ने द्वारा मोदी को कई बार ये संदेश दिलवाया था की वो वशुन्धरा राजे पर इस बात का दबाव डाले की राबर्ट बढेरा जमीन एलाट केस की फ़ाइल न खोली जाये लेकिन मोदी ने मना कर दिया .. इशारो में केंद्र ने मोदी को ये भी कहा था की हमारे पास आपको फंसाने के लिए महिला जासूसी वाला मामला भी है .. लेकिन मोदी जी ने कहा था की आप जो भी करना है करो ..झूठ और सच सामने आ ही जायेगा | फिर वशुन्धरा राजे ने राबर्ट बढेरा के खिलाफ चार केस दर्ज किये .. उसके बाद तो मैडम तिलमिला उठी और मोदी को ब्लैकमेल करने के इरादे से महिला जासूसी पर जाँच आयोग बना दिया ?

Wednesday, December 25, 2013

कपिल सिब्बल ने एक बड़ी बात कही

कल कपिल सिब्बल ने एक बड़ी बात कही .. पता नही क्यों मीडिया ने उनकी बात को उनके द्वारा कहते नही दिखाया .. जबकि भारत का हर एक चैनेल वहाँ मौजूद था .. सिर्फ इंडिया न्यूज़ और सहारा ने ही दिखाया |||

आकाश टैब के मामले पर कपिल सिब्बल प्रेस कांफ्रेस कर रहे थे .. उसी समय इंडिया न्यूज़ का पत्रकार ने उनसे पूछा की बीजेपी का प्रभाव बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है क्या इसे लेकर कांग्रेस चिंतित है ??

इस पर अपने चेहरे पर हमेशा की तरह मक्कारी और धूर्तता भरी कुटिल मुस्कुराहट के साथ कपिल सिब्बल ने जो कहा वो सोचने पर मजबूर कर देगा ..

"दिल्ली में बीजेपी ३२ सीटे जीतकर भी सिर्फ 4 सीटो का जुगाड़ नही कर सकी .. और हमने सिर्फ 8 सीटे जीतकर 28 सीटो का इंतजाम कर लिया .. अब आप बताइए की बीजेपी बड़ी है या हम ??सरकार बनाने और चलाने का जितना अनुभव हमारे पास है क्या उतना अनुभव बीजेपी के पास है ??

Tuesday, December 24, 2013

राहुल गांधी ने क्या जवाब दिया अरविन्द केजरीवाल की चिट्ठी का?

Bakwas News
==============================
कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने क्या जवाब दिया अरविन्द केजरीवाल की चिट्ठी का जिसमें आम आदमी पार्टी ने 18 शर्तें रखी थी दिल्ली में सरकार बनाने के लिये, जानने के लिये पढें आगे:
-----------------------------------------------------
श्री टोपी वाले अंकल जी,
संयोजक, आम आदमी पार्टी
नयी दिल्ली

केजरीवाल जी, सबसे पहली बात तो ये है की हमें 18 शर्तें कुछ ज्यादा लग रही हैं। ये तो हमारे जीते हुए कैन्डीडेटों के दुगुने से भी ज्यादा है। खैर, आपने पत्र में लिखा है कि "कांग्रेस आपको बिना मांगे समर्थन क्यों दे रही है, हमने तो आपसे माँगा नहीं" तो आप ये बतायें की "आपने हमको ये पत्र क्यों लिखा, क्या हमनें आपसे मांगा था?"........ ये पत्र पढ़ कर मेरी और देश की मम्मी बहुत रोई.

फोकट में तो आजकल फेसबुक पर लाईक नहीं मिलते......, आपको तो हम समर्थन दे रहें है, यकीन नहीं आता तो अपने ..................गहलोत जी और उनके लाइक करने वाले इस्तानबुल के लोगों से पूछ लीजिये.......।

खैर आपके सवालों का जवाब देने की कोशिश करता हूं।

मुद्दा 1: दिल्ली मे वी आई पी कल्चर बंद करो।

बिल्कुल मंजूर है, हमारे जो आठ कांग्रेसी जीते हैं वो तो पहले ही ये सोचकर खुश हैं कि अब एक ही आटो शेयर करके .............सारे एक साथ विधानसभा भवन जा सकेंगे। अब आटो पर लाल बत्ती तो लगायेंगे नही...!!!!!

मुद्दा 2: जनलोकपाल बिल।

हाँ, हम जनलोकपाल बिल लायेंगे ......."एस्केप वेलोसिटी" की रफ़्तार से

मुद्दा 3: दिल्ली में स्वराज।

सुषमा आंटी हमारी नेता नही है! अब ये तो भई......... भाजपा से ही पुछो...

मुद्दा 4: दिल्ली को राज्य का दर्जा।

अबे दर्जे से याद आया............., हमें तो दर्जी के पास जाना है नया कुर्ता पायजामा सिलवाने। जल्दी जल्दी बाकि के प्वाइंट देख लेता हूं।

मुद्दा 5,6: बिजली कम्पनीयों का आडिट, तेज चलते मीटर।

अब एसे तो आटो वालों के मीटर भी तेज चलते हैं,............ उनकी भी आडिट करवाओ।

मुद्दा 7: मुफ्त पानी।

नतीजे आने के बाद हमें तो खुद को .......चुल्लु भर पानी नहीं मिल रहा।

मुद्दा 8,9,13: कालोनीयां, झुग्गी बस्ती, गांव देहात और भू माफिया।

इसका जवाब तो ................रोबर्ट जीजू से बात करने के बाद ही दे पाउंगा।

मुद्दा 10,11,12: व्यापार, एफ डी आई, रिश्वतखोरी।

अब इनके बारे में तो हमें उतना ही ज्ञान है जीतना रोडीज कन्टेस्टेन्ट को इस देश के बारे में हैं।

मुद्दा 14: शिक्षा।

हम तो सब शिक्षित हैं...... अंकल, हमारे मनीष तिवारी तो ऐसी अंग्रेज़ी बोलते हैं की उनके अलावा कोई दूसरा तो समझ भी नही पाता।

मुद्दा 15: स्वास्थ्य।

बिलकुल, मैं रोज.............. सलमान अंकल की तरह रिवाइटल खाता हूँ

मुद्दा 16,17: महिला सुरक्षा और न्याय व्यवस्था।

ये काम तो ..................सावधान इन्डिया वाले कर ही रहें है!

मुद्दा 18: केन्द्र सरकार से मदद।

मनमोहन अंकल ने कहा है.......... “ठीक है”।

टाटा!
राहुल बाबा, (देश का अगला प्रधानमंत्री )..................

आप और कांग्रेस का गटबंधन .. ऐसा पहले भी हो चूका है

आप और कांग्रेस का गटबंधन .. ऐसा पहले भी हो चूका है
----------------------------------------------------------
मित्रो आंध्रा प्रदेश कि 2009 का जीता जागता एक उदाहरण (केजरीवाल) दे रहे हे जो आपको सोचने को मजबूर कर देगा :-

आंद्र प्रदेश में 2009 के चुनाव से पहले कांग्रेस कि हालत एकदम पतली हो गई थी किसी को भी जितना तो दूर पार्टी को आंद्र प्रदेश में बचाना भी मुश्किल लग रहा था लेकिन उसी समय पुरे आंध्रा प्रदेश कि राजनीति में एक नया अध्याय आया, साउथ के जाने माने फ़िल्मी नायक चिरंजवी ने एक नयी पार्टी बनाई नाम था प्रजाराज्यम पार्टी, ये नायक महाशय ठीक उसी प्रकार कांग्रेस और और तेलगु देशम पार्टी को गालिया देते थे जेसे केजरीवाल जी बीजेपी और कांग्रेस को देती हे आप को पता होगा कि आंध्रा प्रदेश में तेलगू देशम पार्टी और कांग्रेस मुख्य दल हे, 2009 के चुनावो से पहले सभी को ये अंदेशा था कि तेलगू देशम पार्टी पूर्ण बहुमत से सरकार में आएगी लेकिन ठीक चुनावो से पहले चिरंजीवी चुनावो में कूद गए नयी ईमानदार पार्टी लेकर खूब गालिया दी कांग्रेस को और तेलगू देशम पार्टी को कि सत्ता पक्ष भी सही से काम नहीं कर रहा और विपक्ष भी उनसे मिला हुआ हे, फिर चुनाव हुए और जो हुआ उसका विवरण करता हु, 294 सीटो में से चिरंजीवी कि पार्टी कुल 18 सीटो पे विजयी हुआ और तेलगु देशम पार्टी जीती 92 और कांग्रेस जीती 156 और फिर से कांग्रेस कि सरकार आ गई !!

अब हम आपको वापस चुनावो से पहले लेकर चलते हे जो चिरंजीवी कि पार्टी थी प्रजाराज्यम पार्टी उसका हैम आपको मेनिफेस्टो आसान शब्दो में बताते हे

1. पीआरपी के चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार पार्टी सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण में कांग्रेस सरकार द्वारा भ्रष्टाचार की उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश द्वारा जांच कराएगी.

2. घोषणापत्र प्रत्येक गरीब परिवार को प्रति माह रसोई गैस सिलेंडर और 200 रुपए की किराने की वस्तुओं, गरीबों में भूमि वितरण और चरणों में सम्पूर्ण नशाबंदी का वादा करता है.
3. घोषणा पत्र में, चिरंजीवी ने कहा कि सत्ता में आने पर उनकी पार्टी द्वारा हस्ताक्षरित पहली फ़ाइल हर गरीब परिवार के लिए प्रति माह 100 रुपये की किराने की वस्तुओं और 100 रुपए के लिए रसोई गैस सिलेंडर की आपूर्ति संबंधी होगी. और भी कुछ वादे किये थे !!!

अब सब कुछ चल रहा था वापस कांग्रेस सरकार में आ गई उसके बाद मामला ठंडा पड़ गया और उसके बाद जो हुआ, वो आपको आज जो दिल्ही में राजनीति हो रही हे उससे कुछ सिख मिल सकती हे, फरवरी 2011 में अचानक चिरंजीवी ने कहा कि सोनिया गांधी जी से बात चित करने के बाद में अपनी पार्टी को कांग्रेस में विलय कर रहा हु और उसी समय पूरी कि पूरी पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया, और चिरंजीवी को इसका इनाम भी मिला 28 October 2012 में राज्यसभा सदस्य बनाया गया और तत्काल उनको मंत्री पद भी मिल गया !!!

उसी प्रकार गुजरात में भी कोशिश हुई केशु भाई को आगे करके पार्टी का निर्माण कराया हालांकि वोट तो उन्होंने बीजेपी के बहुत काटे लेकिन अछि खासी सफलता नहीं मिली !

उसी प्रकार महा. में ये योजना सफल रही (शिवसेना से अलग होकर राज ठाकरे ने नयी पार्टी को जन्म दिया) !

में आगे कुछ नहीं बोलूंगा आगे समजना आपकी जिम्मेदारी हे और इस लेख को जन जन तक पहुचाने कि भी आपकी जिम्मेदारी बनती हे !!!
शेयर करिये


- आर्यावर्त भरतखण्ड संस्कृति

इसमें नया क्या है ?

इसमें नया क्या है ??????

१. जिस कांग्रेस ने बिहार को गर्त में पहुँचाया था,लालू ने उसी कांग्रेस का हाथ बिहार में थाम लिया था .बिहार की जनता आज तक लालू जी के साथ कांग्रेस की गलबहियां देखती आ रही है. इसमें नया क्या है??

२.जिस दलितों को आज तक कभी विकास नाम की झलक तक नहीं दिखाई गयी, उनही दलितों के महानेता राम बिलास पासवान कांग्रेस के गोद में जाकर बैठ गए...उन्होंने ये भी नहीं सोचा की कांग्रेस की सोच विनाश के अलावा केवल और केवल लूट तक सिमित है तो इसमें नया क्या है ??

३.जिन वामपंथियों ने देश में सामाजिक विषमताओ को जनम देने में कोर कसर नहीं छोडी थी.जिन वामपंथियों ने समाज के गरीब गुरबों को हक़ दिलाने के लिए कांग्रेस के खिलाफ लडाई लड़ने का नाटक किया, वो वामपंथ भी कांग्रेस के खिलौने बन गए थे तो इसमें नया क्या है????

४.मुलायम और मायावती की मौकापरस्ती तो जगजाहिर है ही.वो अपने निजी स्वार्थवश तो कहीं भी बिन पेंदी की लोटे की तरह लुढ़क जाते हैं.अगर आज वो कई सालों से कांग्रेस के हाथों जनता को बेच रहे हैं तो इसमें नया क्या है ???

५.जिस नितीश कुमार ने कांग्रेस के खिलाफ भाजपा गठबंधन के साथ विकास की राह चुनी, उसी ने कांग्रेस के बहकावे में और चलावे में आकर इतनी साल पुराणी दोस्ती तोड़ डाला सिर्फ मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए.आज उनकी सरकार कांग्रेस के सहयोग से चल रही है तो इसमें नया क्या है?

६.तेदेपा के चन्द्र बाबू नायडू को आन्ध्र प्रदेश में सत्ता में आने से रोकने के लिए मत विभाजन के लिए चिरंजीवी की पार्टी प्रजा राज्यं को खड़ा किया और फिर उसको सरकार में शामिल कर फिर कांग्रेस में मिलते हुए मलाईदार मंत्री बनाया तो इसमें नया क्या है ?

७.शिवसेना के राज ठाकरे को बहका कर अलग पार्टी बनवा कर महाराष्ट्र में कांग्रेस ने सरकार बना ली तो इसमें नया क्या है ?

८.आज अगर देश के दुश्मन वेटिकन और फोर्ड के एजेंट आम आदमी पार्टी को कांग्रेस सहयोग दे रही है और सरकार दिल्ली में बन रही है तो ये भी तो जगजाहिर था. ये पुराना खेल तो हम शुरू से ही बताते आये हैं आप लोगों को . इसमें नया क्या है ??????

क्यूकी ये कांग्रेस है, जो देश का आज तक नहीं हो पाई है,.....लेकिन इसमें भी नया क्या है.

जोश-जोश में हमारे कुछ स्वयंसेवक और राष्ट्रवादियो मित्रों ने भी अरविन्द का साथ इसलिए थामा की उनको ये भरोसा हो गया था की "अरविन्द मर जायेगा , परन्तु कांग्रेस के साथ नहीं जायेगा". हम उनको कहते थे की ये होके रहेगा तो वो हमसे लड़ने को तैयार हो जाते थे, कई शर्त लगाने को भी तैयार हो जाते थे.मैं मुस्कुरा कर कहता आने वाले वक़्त का इंतज़ार कीजिये. अरविन्द में भी वही गुणसूत्र दिखेगा जो ऊपर लिखे तमाम इमानदार कहलाने वाले नेतावों में दिखा है लोगों को,फिर भी वो बाज़ी लगते हुए कहते न जी, बहुत बिश्वास है हम लोगो को अरविन्द पे.अब आज सुबह से मुझे कई एइसे दोस्तों के फोन आने लगे हैं और वो पानी पि पीकर अरविन्द को कोस रहे हैं की अरविन्द भी कांग्रेस का ही सहयोगी निकला.अब आप भी तो कहिये बन्धुवों, इसमें नया क्या है. ????

Sunday, December 22, 2013

कांग्रेस की डिवाइड & रूल पोलिसी

कांग्रेस की डिवाइड & रूल पोलिसी



1. 2008 के महारास्त्र के इलेक्शन में राज ठाकरे को अपने मीडिया पॉवर से हीरो बनाया। कांग्रेस विरोधी वोट शिव सेना + बीजेपी vs मनस (MNS) में बट गए। सरकार कांग्रेस की बनी। कांग्रेस ने डिवाइड और रूल अपनाया क्योकि 2008 के मुंबई हमलो के बाद कांग्रेस की अपने बलबूते जीतने की सम्भावन बहुत कम थी।

2. 2012 के गुजरात के इलेक्शन में केशु भाई पटेल को अपनी मीडिया पॉवर से हीरो बनाया। कांग्रेस विरोधी वोट बीजेपी और गुजरात विकास पार्टी के बीच बट गए। कांग्रेस को 2 सीट ज्यादा मिले, बीजेपी को 2 सीते कम और कांग्रेस को नेट फायदा हुआ लेकिन सरकार कांग्रेस की नहीं बन पाई। कांग्रेस ने डिवाइड और रूल अपनाया क्योकि नरेन्द्र मोदी के विकास कार्यो के कारन गुजरात में कांग्रेस के जीतने की संभावना बहुत कम थी।

3. 2014 के लोकसभा इलेक्शन के लिए अरविन्द केजरीवाल को अपनी मीडिया पॉवर से हीरो बनाया। कांग्रेस विरोधी वोट बट रही है "बीजेपी" और "आम आदमी पार्टी" के बीच। कांग्रेस को बहुत ज्यादा फायदा होने की उम्मीद बताई जा रही है। अरविन्द केजरीवाल के सहयोग से 2014 में कांग्रेस की सरकार बंनने के बहुत ज्यादा संभावना है। कांग्रेस फिर से डिवाइड और रुल अपना रही है क्योकि कांग्रेस पार्टी के घोटालो, महंगाई, अत्याचारों इत्यादि के कारन कांग्रेस के जीतने की सम्भावना बहुत कम दिख रही है।

दिल्ली मे चल रहे रायशुमारी के इस तमाशे को देखकर खुश होने वाले लोग शायद ये नहीं जानते कि रायशुमारी का यही नाटक एक दिन कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और अटक से लेकर कटक तक कितने ही अलगाववादियों के हाथों का औज़ार बन हमें ही लहुलुहान करेगा और तब आम आदमी पार्टी की इस नौटंकी को सर पर चढा चुका ये देश ये कहने की स्थिति में भी नहीं होगा कि नहीं, हम ऐसे जनमत संग्रहों को किसी कीमत पर नहीं मानते| यकीन जानिये, दिल्ली की नौटंकी तो धुर भारतविरोधी ताकतों के लिये केवल एक टेस्टिंग ग्राउंड है, इनका असल खेल तो उन जगहों पर खेला जाएगा, जहाँ देश का सत्तातंत्र कमजोर और समानान्तर सत्तातंत्र मजबूत है| तब बहुत कुछ ऐसा होगा जो शायद उनमें से भी बहुतों को पसन्द नही आयेगा जो आज इस नौटंकी को बढ़चढ़ कर समर्थन दे रहे हैं पर तब ये लोग कुछ करने की स्थिति में ही नही होंगे| पर हां, इस तरह के किसी भी सम्भावित कुचक्रों के लिये जिम्मेदार आप ही होंगे| आप यानी केवल दिल्ली में नौटंकी कर रहे 'आप' नही बल्कि आप भी जिन्होने इन भारतविरोधी ताकतों को अपना मसीहा समझ कर देश का दिल ही सौंप दिया|

कामरेड केजरीवाल सरकार बनाएँ या नहीं, इससे उनक बारे में मेरे आकलन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा - उनका सबसे पहला उद्देश्य है 2014 में मोदी को रोकना.

सरकार बनाने में उनकी दुविधा क्या है?
- अगर सरकार नहीं बनाते तो लोग उन्हें एक विकल्प के रूप में सीरियसली देखना बन्द कर देंगे.
और अगर दिल्ली का मुख्यमंत्री बन कर रह जाते हैं, तो 2014 में मोदी को रोकने के अपने अभियान के लिए ज्यादा समय नहीं निकाल पाएँगे. और उनकी लुच्चा विधायक मंडली के दो-चार घोटाले भी निकल आएँगे.
ज्यादा संभावना है, AAP सरकार बनाएगी, पर मुख्यमंत्री कोई और बनेगा.. और केजरीवाल पूरे देश में निकल पड़ेंगे अपने मोदी विरोध के अभियान पर.साथ ही मीडिया उनके त्याग के किस्से हमें बेचेगी, जैसे एक समय सोनिया के किस्से बेचा करती थी. आखिर किसी ने कामरेड केजरीवाल पर अरबों उन्हें सिर्फ दिल्ली का CM बनाने के लिए नहीं invest किए हैं...

कांग्रेसी मीडिया के दिखावे पर मत जाओ, अपनी अकल लगाओ!

Thursday, December 12, 2013

कांग्रेस कि अध्य्क्ष इस फैसले का बिरोध

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक संबंधों को अपराध ठहराने वाली कानून की धारा 377 को बहाल क्या किया, पूरे देश में इसका विरोध शुरू हो गया.एक तरफ बीजेपी के नेता समलैगिक रिस्तो को गलत बताते हुए कोर्ट के फैसले स्वागत करते है और दूसरी तरफ कांग्रेस कि अध्य्क्ष इस फैसले का बिरोध.



जानते है क्यों???



भ्रष्टाचार, कानून व्यवस्था, बलात्कार, सेना के जवानों कि मौत, कश्मीर में पाकिस्तान कि घुसपैठ, जैसे मुद्दों पर मौन रहने वाले और मिडिया से दुरी बनाई रखने वाले गांधी परिवार के शहजादे ने अभी समलैंगिक वाले मुद्दे पर मिडिया से बात कि, अब तो देश कि जनता को समझ ही लेना चाहिए कोंग्रेस के लिए मुख्य मुद्दा महंगाई, गरीबी, भ्रष्टाचार नहीं समलैंगिक है.


Wednesday, December 11, 2013

भारत का आउटसोर्स्ड प्रधानमंत्री और उसकी निर्लाजता

भारत का आउटसोर्स्ड प्रधानमंत्री और उसकी निर्लाजता

सवर्प्रथम बड़े आदर और सम्मान के साथ मैं आदरनिये प्रधानमंत्री सरदार श्री मनमोहनसिंह जी से उनकी देश को विगत में की गई सेवा और उनकी अद्व्भुत कार्यशैली के लिए साधुवाद देना चाहूँगा।

श्री मनमोहन सिंह जी बड़े विन्रम, सौम्य, सरल, निष्ठावान, कुशाग्र, विद्वान, वफादार (किस के पता नही), इमानदार, स्पष्ट, नेक, साफ़ छवि वाले, बेदाग, समर्पित, अध्ययनशील, विकास उन्मुखी, प्रगतिशील, आधुनिक, खुले विचारो के, धार्मिक, अराजनैतिक वियक्ति है। बस पिछले १० - १२ सालो में मैंने इतना ही इस महान शक्सियत के बारे में सुना है। कभी नही सुना की देशभक्त भी है की नही, कभी नही सुना की जिस आम आदमी का कचूमर निकाल दिया उसके प्रति भी कुछ सोच है की नही।

बस बड़े ही डरावने तरीके से कही परदे के पीछे से एक हाथ हिलाते हुए आते है और पता नही फ़िर कहाँ आझोल हो जाते है। यह उस लोकतान्त्रिक और आधुनिक युग की बात कर रहा हूँ जब की आपको यह भी पता होगा की अमिताभ के पोते का नाम क्या होगा या धोनी की गिर्ल्फ्रैंड कौन है परन्तु है कोई माई का लाल जो बता दे की १२० करोड़ लोगो के देश के प्रधानमंत्री के घर के कौन सदस्य है। खैर मेरा आज का मुद्दा यह है ही नही। यह तो इस शख्स की रहस्यमय और अबूझ शक्सियत के बारे में हमारी उत्कंठा है।

ऐसे कई मुद्दे है जो मनमोहन सिंह जी के वियाक्तित्व को सुलझा सकते है जैसे की एक मुद्दा परमाणु समझोते से सम्बंधित है आप याद करे की श्री मनमोहन सिंह जी ने समझौता करते हुए एक बार भी यह तर्क नही दिया की देश के हित में है की नही बहुत से तर्क दिए कोमुनिस्ट को रूडीवादी और अंधी अमरीकी विरोध के बारे में, यह भी बताया गया की अब भारत अंधेरे से मुक्त हो जाएगा, यह भी की अब हम प्रगति करेंगे परन्तु हौले से भी यह नही बताया गया की किस कीमत पर। क्या भारत कोई राष्ट्र है भी की नही या अन्धो की जमात भर ही है जिनको परमाणु समझोते के बल्बों की सुर्ख रौशनी से अपनी आंखे चौन्ध्वानी भर है। नही बताया गया की प्रधानमंत्री की राष्ट्र की निष्ठां से कोई सरोकार है भी की नही। परन्तु प्रधानमंत्री की घोर वियाक्तिवादी और एकपक्षीय (अमरीकी) सोच इस ५००० साल के भारत राष्ट्र की प्रतिब्द्ताओ पर भारी पड़ने की निर्लाजता तो की ही है।
आज तक सरदार मनमोहन सिंह यह नही बता पाए की रौशनी के लट्टू इस समझोते से चलने के आलावा भारत की प्रतिष्ट के कितने लट्टू फियूज किए है। हमे बताया जाए की मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री है या अमेरिका के हिंदुस्तान में लट्टू मंत्री?
दूसरा हमे मनमोहन सिंह जी ये बताये की पाकिस्तान सम्बन्धी नीति पर फन्ने खा बनने का फितूर कहाँ सवार हुआ? न तो पाकिस्तान पर निर्णय करने की आपकी नैतिकता है, न आप हिंदुस्तान के चुने हुए सांसद है (लोगो द्वारा) , न आप बहुमत के प्रधान मंत्री है, न आपका कोई जनाधार है , न आप कोई राजनैतिक व्यक्ति है, आप तो एक परिवार विशेष द्वारा चुने हुए एक मनोनीत व्यक्ति मात्र है। फ़िर किस इकबाल पर आप और किस नैतिकता पर आप पाकिस्तान जैसे गंभीर विषय पर अपने अल्प ज्ञान का परचम लहराए। मैं फ़िर कहेता हु की आप व्यक्ति बहुत अच्छे हो सकते हो परन्तु प्रधानमन्त्री के नाते तो आप बुहुत ही कुरूप और निकृष्ट हो।

मैं आज आप को एक कहानी भी सुनाता हु, जरा ध्यान से सुनना फ़िर जाकर अइना देखना की खड़े कहाँ है। टीवी चैनलों के सिंह इस किंग वाले गाने से आप मत भरमा जाना। नही तो आपमें और बारहा मन की धोबन देखने वाले मेलो के बच्चो में कोई अन्तर मुझे नही दीखता है।


राजा विक्रमादित्य के समय में एक द्वारपाल था। एक दिन महाराज के पास आकर राजा को बताता ही की राजा आप कल शिकार पर अकेले मत जाना नहीं तो वहा पर आपको विश्राम करते समय वृक्ष के नीच एक बहुत विषैला सर्प दंस मार देगा जिस से आपकी मृत्यु हो जायेगी। राजा कहेते है ठीक है एसा नहीं होगा में अपने साथ तुम्हारे कहेने से कुछ सैनिक भी लेता जाऊंगा. परन्तु उस जंगल में पिछले कई वर्षो से जाता हूँ। मुझे नहीं लगता की वहा पर किसी विषेले सर्प का वास है. अगले दिन राजा जंगल जाता है. उसको आराम करने की आवश्यकता होती है. परन्तु अपने सैनिको को पेहेरेदार की बात याद कर अपनी सुरक्षा के जिम्मेदारी छोड़ कर सो जाता है. फिर स्वपन के हिसाब से सर्प आता है परन्तु जैसे ही फन फैलाकर राजा को डसता है तभी चौकस सैनिक उसको मार गिराते है. राजा की जान बच जाती है. राजा तुंरत महल वापस आकार उस पेहेरेदार को बुलावा भेजता है. और उस से पूछा की आप तो बिलकुल सही थे परन्तु आप बताये की आपको पता कैसे चला इस घटना का. तो पेहेरेदार राजा को बताता है की जिस समय मेरा रात के पहेरा होता है मुझे उस समय नींद आती है और उस समय में मैं जो स्वपन देखता हूँ वो निश्चित रूप से सच होते है. राजा सुन कर उसे कल दरबार में आने के लिए कहेता है. पेहेरेदार सोचता है अब राजा को मेरी कीमत का पता चला है. अगले दिन वो राजदरबार में पहुचता है राजा उसे इनाम देता है और अपनी नौकरी से इस्तीफा देने के लिए कहेता है. सभी लोग यह सुन कर आश्चर्यचकित होजाते है. तभी राजा कहेता है हे पेहेरेदार तुमने हमारी जान बचाई इस के लिए हम तुम्हारे आभारी है उसके लिए हमने आपको अपने व्यक्तिगत कोष में से इनाम देदिया है परन्तु आप ने अपनी नौकरी के वक्त अपने कर्त्तव्य का पालन न कर कर सोकर दंड का कार्य किया है. इसलिए आपको पद मुक्त किया जाता है. आपका जो काम रात को राज्य की रक्षा करना था वो आप करने में असमर्थ रहे और किसी भी वक्त दुर्घटना के समय आपका सोते रहेना राज्ये पर आक्रमण के समय हार का कारण बन सकता है. हो सकता है आप व्यक्तिगत रूप से मुझे अच्छे लगते हो और मेरी जान भी बचाई है परन्तु आपने अपनी पहरेदारी की पात्रता से अन्याय किया है इसलिय उस से आपका पदमुक्त होना ही शासन के लिए सही होगा.


तो मित्रो इस कहानी के जरिए मीडिया में बैठे भोपूओ को मैं बता देना चाहता हूँ की हो सकता है मैं सरदार मनमोहन सिंह के व्यक्तिगत गुणों से प्रभावित हु और वो अच्छे भी हो परन्तु जरुरी नहीं की उनके यह गुण उनकी प्रधानमंत्री की पात्रता के उपयुक्त ही हो. इसलिए जो आपने प्रधानमंत्री काल के दौरान अपने कार्य के नमूने दिए है उनसे आपकी प्रधानमंत्री की पात्रता पर गंभीर प्रशनचिंह लगते है. उचित होगा आप आपने कार्य से इस्तीफा देकर आपने अध्भुत गुणों से कोई रिलेशनशिप फर्म चलाये प्रधानमंत्री कार्यालय नहीं. परन्तु आप न राजा हरिश्चंद्र है जो स्वम सिंहासन छोडेंगे और न वो कांग्रेसी विशेष परिवार राजा विक्रमादित्य है जो आपको पदमुक्त करेगा. और न हम ही मगध की प्रजा जो लोकतंत्र की ताकत को समझ सके.

चलिए अब बात करते है आपके तथकथित गुणों के बारे में एक एक करके सब से पहेले प्रशन आता है आपके अर्थशास्त्री होने के लाभ का. तो बता दू वो दावा भी एक दम झूठा है. हमे आपके अर्थशास्त्री होने का एक भी लाभ नहीं मिला। क्योंकि यदि कांग्रेस दावा करती है की नरेगा उसकी देन है तो कतई भी आप उसको लागु करने के पक्ष में नहीं थे. दूसरा आज जो महंगाई है वो आपके गुणों की चाट है जिसको आपका आम आदमी अपनी खाली उंगलियों से चटखारे ले ले कर चाट रहा है. संसेक्स आप के प्रधानमंत्री काल में पाताल में चला गया है. होम लोन मिल नहीं रहे है.

प्रगतिशील भी आप कभी नहीं थे और न आप चाहते होना। आप ढोंगी है और दम्बी है जिसने अटल सरकार की स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क निर्माण को ही ठेंगा दिखादिया। उसी सरकार की देन गावों को शहरो से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री सड़क योजना का आपने गला घोंट दिया। इसलिए न तो आप हमारी प्रगति ही चाहते और न ही आप प्रगतिशील है.

तीसरा आप सभ्य और सोम्य भी नहीं है यदि होते तो रूस में पीछे राष्ट्रपति जरदारी से मिलते वक्त शिष्टता बरतते. आपने व्यक्तिगत संबंधो के प्रोटोकाल को तोडा बड़ी ही असभ्यता से व्यक्तिगत बातो को आपने मीडिया को बड़े उचे स्वर में कहा जिसको कोई भी सोम्य और सभ्य नहीं कहेगा. इसलिए यह दावा भी आपके बारे में खोखला है.

चोथा लोग आपको वफादार कहेते है जोकि बिलकुल ही गलत है. आप सबसे पहेल प्रणव मुखर्जी के निचे काम करते थे. आज आप उनसे चिड़ते है. फिर नार्सिम्म्हा राव ने गुमनामी के अँधेरे से निकाल कर वितमंत्री बनाया. वो बेचारा जिन्दा रहेते आपके सहयोग से महरूम रहा. मरने के बाद उसके नाम से एक स्मारक दिल्ली में नहीं बन सका. उसके बच्चे आप से मिलने को आज भी तड़फते है. पर मजाल है जो आप कभी उनसे मिलने का समय दिया हो. तो इसकी क्या गारंटी है की कल अमरीका की गोद में बैठ कर आप सोनिया गाँधी और कांग्रेस को उसकी औकात नहीं दिखा देंगे. अरे औकात तो आपने साढे चार साल आपकी पालकी ढोने वाले कोमुनिस्ट को भी दिखा दी. तो सहभ आप इस्तिमाल करो और फैंको की नीति के दक्ष खिलाडी है. इसलिए ये गुण भी आपका परचित मात्र एक ढकोसला भर है।

अब आता है आपके विनम्रता के भावः की बात तो मैं बता दू वो भी एक दम गलत है. आप न कभी विनम्र थे और न है। आप को याद दिला दूँ की आपकी पहेली बार सरकार बनाने के तुंरत बाद आपने अपने संसद भवन के कमरे में प्रतिनिधि मंडल लाये अडवाणी जी के मुहं पर सरे आम कागज फैंके थे. और अभी हाल फिलाल आपने चुनावो के समय अडवाणी जी पर आरोप लगाते हुए अपनी असभ्यता का परिचय दिया था. जब अडवाणी जी ने शिष्टाचार वश हाथ जोड़े थे और आपने उनका अभिवादन भी स्वीकार नहीं किया था. इसलिए आप की विनम्रता का वो असली और नंगा सच था.

रही बात आपके स्पष्ट व्यक्ति होने की बात तो संसद में अभी चलते आपके बयान से पता चल जाती है की आप कितने स्पष्ट है। आप की घोर अस्पष्टता के कारण ही आपकी कांग्रेस पार्टी, आपके संरक्षक गाँधीपरिवार, भारतीये संसद, विदेशमंत्रालय और विपक्ष में अनिश्चता का माहोल है. तो आप ही बता दे की आप कितने स्पष्ट है. और फिर इस घोर अनिश्चिता का कारण आपकी स्पष्टता की ही विफलता नहीं है.

खैर अब बात आती है आपकी विद्वता की तो आपने जो साँझा बयान पाकिस्तान के साथ अभी दिया है और उस लिखित बयान में जो त्रुटी जिसका की आपके शंकर मेनन जी दावा करते है। तो अपने समझ के बहार है की एक घोषित रूप से हिंदुस्तान का विद्वान जो की उसके प्रधानमंत्री की पात्रता का मुख्य स्तम्भ है और जो रिजर्व बैंक का गवर्नर रहा है और सयुंक्त राष्ट्र की मोटी पेंशन लेता है. उसकी ड्राफ्टिंग में भी त्रुटी है वो भी अंग्रेजी में. तो भाई इसका मतलब आपने इंग्लॅण्ड की ऑक्सफोर्ड पर भी कालक मल दी. जब आप क्लर्की का काम भी नहीं कर पा रहे हो तो कहाँ की विद्वता. और जिसके पीछे हिंदुस्तान संसारभर में हंसी का पात्र बने उस की विद्वता पर फिर हम क्यों खिल्ली उडवाय.

हाँ इन सब गुणों में आप खुले विचारो के तो है वो मैंने स्वीकार कर लिया। आप की ही सरकार में सेम्लेगिकता का विचार इस भारत को मिला है जिस से पता चलता है. की वाकई इस गुण की पात्रता तो आप में है ही. जिस से मैं तो कम से कम सहमत हूँ ही.

अब में कुछ आपके चाटुकारों पर भी आता हूँ जो आपके सिख होने की वजह से काफी दम भरते है। जो सिख भाई है उनको बता दू की हिन्दुओ के रक्षक परम पूजनिय प्रात समरनीय आदरनिये श्री गुरु गोबिंद सिंह जी जिनकी एक सिंह दहाड़ से मुसलमानों के अंतडियो में पानी सूख जाता था. या वो महाराजा रंजित सिंह जो पंजाब का शेर था. क्या सिख भाई देखते है की श्री मनमोहन सिंह जी उस परम्परा के वाहक है. यह में उन ही पर छोड़ता हु. मुझे कोई शक शुबहा नहीं की वो भी रंजित सिंह जैसा ही हिंद शासक पसंद करेंगे।

अंत में प्रधानमंत्री जी अनुरोध करूँगा की आपकी नोबल पुरस्कार की चाहत पर इस ५००० वर्ष के राष्ट्र को बलि न चढाया जाय. और कांग्रेस से अनुरोध करूँगा की भारत सुपर पावर बनेगा जब चीन के नेताओ से राष्ट्र प्रतिबधता सीखोगे. किसी राष्ट्र पर रीड विहीन राष्ट्राध्यक्ष थोप कर और उसकी कलाबजिया देखकर नहीं. निर्णय आपका है तब तक सिंह (परन्तु जंगल का नहीं) इस किंग.

क्या कोंग्रेस कि केंद्र में दस साल सरकार अन्तराष्ट्रिय साजिश है

क्या कोंग्रेस कि केंद्र में दस साल सरकार अन्तराष्ट्रिय साजिश है!!!!!

लोगो को शुबहा था सन्देह था और विश्वाश नहीं था कि कोंग्रेस सरकार २ ० ० ४ में कैसे बन सकती है .  पर सबूत नहीं थे वैसे सबूत मिल भी नहीं सकते। परन्तु घटनाक्रम पर गौर  करे और तथ्यो को जोड़ते चले तो कोई शुबहा रहे भी नहीं जाता।

जिस दिन वाजपयी सरकार ने परमाणु का पोखरण विस्फोट किया था उसी दिन यह मालूम हो जाना था कि यह सरकार अब नहीं रह पायगी परन्तु फिर भी येन केन प्रकण भाजपा कि सरकार १ ९ ९ ९ में बनी परन्तु उतनी टिकाऊ नहीं थी जितनी उमीद थी. कारण कुछ भी हो क्यूंकि कहने वाले तो यह भी कहते है कि १९९९ में भाजपा हिंदुत्व मुद्दे पर कम राष्ट्रवाद मुद्दे पर ज्यादा लड़ी इसीलिए उसकी उम्मीद के मुताबिक परिणाम भी नहीं आये और वो राजग के एजेंडे से बंध गई उसकी परणिति यह थी कि सरकार हिचकोले खा कर चली और हिंदुत्व जो कि भाजपा कि कोर रणनीति का हिस्सा था से पूर्णरूप से भटक गई. भटकाव न केवल राजग कि सरकार में रहा बल्कि नरेंद्र मोदी कि प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने तक भी रहा और कुछ उत्तेजित सज्जन तो अभी भी भाजपा कि राष्ट्रवाद पर लोकसभा और पांच राज्ये के विधानसभा रणनीति पर भी संशित दिख रहे है खैर परिणाम पांच राजयो के आने में कुछ ही दिन है वो भी पता चल जायेगा। अंतरराष्ट्रीय हाथ दो स्तर पर दीखता है एक राजग के अंदर और दूसरा भाजपा के विरोध गठजोड़ में.

कोई कारण नहीं जो राजग कि बैठी बिठाई सरकार को "कंधार अपहरण " काण्ड में फंसाया गया. जिस तत्परता और राष्ट्रवादी तत्व को अक्षुण रखते इसका हल निकाला जाना था वो नहीं निकला और भाजपा कि छवि ध्वस्त हो गयी बाकी बची सरकार ने तो कार्यकाल पूरा किया. उस के बाद राम मंदिर पर सरकार का रुख एक दम विपरीत था और उसको एक अंधेर युग में धकेलने के लिए काफी था. अब जो राजग के अंदर भाजपा कि विरुद्ध साजिश कि बात है उसे कंधार काण्ड के प्रकरण पर अंदरूनी विचार विमर्श से समझा जा सकता है जो कि विश्वसनीयता से अभी बहार नहीं आया. खैर आज जो भाजपा है वो शिव सेना और अकाली दल के साथ है तो वो साजिश वाले तत्व तो अभी बहार ही है.

कंधार काण्ड पहला ऐसा काण्ड था जिस पर अंतराष्ट्रीय शक्तिओ का हाथ स्पष्ट दीखता है. पहले तो इस काण्ड को करने का कोई उद्देश्य स्पष्ट नहीं था अब मान भी लिया जाये कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार थी इसलिए यह हुआ परन्तु भाजपा नीत इस सरकार ने तो कोई भी कृत्ये इस्लामिक शक्तियो को उत्तेजित करने वाला कोई किया था नहीं फिर भी इस साजिश कि रचना हुई, साजिश इतनी गहरी थी कि अपहरण काठमांडू नेपाल से कराया गया जिस से नेपाल भारत के रिश्तो को प्रभावित किया जाये जो हुए भी फिर उन्ही को कुछ कुछ आधार बना कर नेपाल से कोंग्रेस - वाम यूपीए सरकार में पहले राजशाही ख़तम कि गई और फिर नेपाल हिन्दू राष्ट्र को झुनझुना लोकतंत्र बनायागया जो कि इस्लामिक और क्रिश्चन शक्तिओ कि हाथो कि कटपुतली बन सके. कंधार काण्ड को भाजपा के विरुद्ध पहले रचा गया, फिर उसको भाजपा कि घोषित नीति के अनुरूप हल नहीं होने दिया, टीवी और अन्य मीडिया के माध्यमो से सरकार पर गैर जरुरी दबाव बनाया गया, विदेशी सरकारो ने जानबूझ का भाजपा सरकार को सहयोग नहीं किया। और फिर सरकार के भारतीय नागरिको कि जान बचाने के बावजूद उसको मीडिया में सरकार के नकारेपन के रूप में प्रचारित कर उस समये के विपक्ष को प्रोत्साहित करने में किया गया. विदेशी शक्तिया और देश द्रोही शक्तिया भाजपा के देश को परमाणु विस्फोट के प्रतिक्रिया वश लगाये गए अंतराष्ट्रीय प्रतिबंधितो के बावजूद सुचारु रूप से आर्थिक स्थिति मजबूत करने को हतोउत्साहित किया गया और भाजपा कि सरकार को परेशान करने का कोई अवसर नहीं छोड़ा। और यह दुरभिसंधि देशद्रोही शक्तिओ और अंतराष्ट्रीय शक्तिओ के बीच थी. जिसकी झलक भाजपा सरकार के विरुद्ध झूठे स्टिग ओप्रशन किये गए जिसमे एक भाजपा अध्यक्ष को फ़साने के लिए भी था. सरकार को मीडिया कि डर्टी ट्रिक्स से विपक्ष को तर्क के हथियार दिए गए जिस से विपक्ष विशेष रूप से कोंग्रेस और वामदल सरकार को देश कि जनता के बीच बदनाम कर सके और यह २००४ तक मुसलसल चलता रहा. यह ही वो मीडिया था जिसका आज गोआ के सेक्स काण्ड में कच्चा चिटठा खुला है. यह ही वो लोग है जिनका राडिआ टेप में जिक्र किया गया है, यह ही वो मीडिया और प्रबुद्ध वर्ग है जिसका अमेरिका में पाकिस्तानी एजेंट सैयद गुलाम नबी फाई के मेजबान बन बिरियानी उड़ाने वालो में नाम थे. इसी देश द्रोही तत्वो और अंतराष्ट्रीय दुरभिसंधि के जनक मीडिया , तथाकथित प्रबुद्ध वर्ग (जो टीवी चैनल पर भाजपा और संघ के विरुद्ध प्रवचन करता था ) देशी नेताओ, बिके हुए टीवी पत्रकार और मीडिया हाउस ने संघ और भाजपा के  विरुद्ध विषवमन किया। राजग के वो तत्व भी इसमें सहयक रहे जिनको राष्ट्रवादी और हिन्दू विरोधी प्रोत्साहन का पारितोषिक मिलता रहा उनको भी मीडिया से विशेष दुलार और सम्मान मिलता रहा है.
दूसरा ट्विस्ट जब आया जब नेपाल को हिन्दू राष्ट्र से पदचालित करना था. इसी वाम - कोंग्रेसी - संघ विरोधी जमात ने इस्लामिक और ईसाई घनघोरवादिओं से मिलकर नेपाल और भारत के सम्बन्धो में खटास डाल डाल कर झूठी धर्मनिरपेक्षता का लड्डू थमाया। जिस का नेपाली जनता आज तक हजम नहीं कर पाई. वैसे यह उपहार भारत सरकार ने चीन को दिया था. ऐसा क्या कारण है कि २००४ में दो धुर विरोधी पार्टियो को एक प्लेटफार्म पर लाकर सरकार ही बना दी वो चुम्बक बिना विदेश हस्तक्षेप के नहीं बनायीं जा सकती थी तो यूपीए कि प्रथम सरकार ने नेपाल इनको गिफ्ट सरूप दिया और श्री लंका को भी लगभग  इनकी प्लेट में सजा कर दिया यह दूसरा सबूत है देश्द्रोहिओं और विदेशी शक्तियो के सम्बन्धो का वैसे टेढ़ी नजर तो भूटान और बांग्लादेश पर भी थी पर भला हो कुछ विशषेज्ञ लोगो का जिनको भारतपरस्ती कि बीमारी थी जिनकी वजह से यह सम्भव हो न सका.

२००४ के बाद जब भाजपा विपक्ष में आई तो इस दुरभिसंधि ने यह निर्णय किया कि कम से कम अगले २० साल तो भाजपा का इस देश में कोई नामलेवा न ही रहे वो तो भला हो नरेंद्र भाई मोदी और बाबा राम देव का  जिनके कुछ एक साहसिक कारनामो से देश प्रेमी लोगो ने देश हित में कुछ बाबुओ, मीडिया वालो को संघटित करने का कार्ये किया अन्यथा सोनिए गांधी और टीम तो जवाबदेहि कि किसी भी जिम्मेदारी में है ही नहीं थी बस चार पांच महीने के अंतराल पर सोनिए गांधी मीडिया को एक दो टुकड़े फैंक देती और बेचारे कथित मीडिया के ढोल दिन रात उसी को बजाते और विश्लेषण करते रहते थे. आज जो मीडिया नरेंदर मोदी कि एक एक तथ्यो कि धज्जिया उड़ाती है, उनके देशी भाषा प्रेम का मजाक उड़ाती है, उनके हिज्जों के ऊपर टिपण्णी करती है, वो मीडिया के भेड़िए तो सोनिए गांधी के पल्लू और साडी पर सम्पादकीय लिख देते थे बेचारो को आज घी नहीं हजम हो रहा है.

फिर मीडिया ने बजरंग दल और अन्य हिन्दू संघटनो कि सीडी बना बना कर लोगो का न्यूज़ चैनल पर पुरे पांच साल मनोरंजन किया। आज मीडिया के भाडू और कोंग्रेसी मोदी के मात्र हाथ के पंजे को खूनी पंजा कहने पर मरोड़ो कि शिकायत कर रहे है और धार्मिक - सामाजिक भावना भड़काने का दोषी बता रहे है इन्ही मीडिया वालो ने २००९ के चुनाव में कोंग्रेस को मुस्लिमो का एक मुश्त वोट डलवाने के लिए वरुण गांधी कि "हाथ काटने " कि कथित और झूठी सीडी चुनाव भर चलाई जब तक कि कोंग्रेस कि मतपेटिआ भर नहीं गई. यह है इनका दोहरा चरित्र।

यह अमूमन माना जाता है कि मीडिया सरकार कि खिचाई करती है परन्तु भारत देश कि बिकी मीडिया इस नीति को नहीं मानती वो तो बेचारी और असह्य पड़ी भाजपा के पीछे ही पड़ी रही उसने राहुल गांधी के अमेठी काण्ड पर कोई रूचि नहीं ली जबकि उसपर कोंग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने अमेरिका में ऍफ़ आई आर तक तर्ज करा दी थी परन्तु भारत कि द्रोही मीडिया ने संज्ञान लेना या एक लाइन लिखनी भी उचित नहीं समझी और आज नरेंदर मोदी कि सीडी कि खोज कर रही है. वो समय राहुल महाजन बनाम राहुल गांधी बहुत चलाया। एक बेचारे असह्य महाजन परिवार कि इज्जत को सड़क पर तब तक तार तार नहीं करना छोड़ा तब तक वो मरणसन्न न हो गई. इस मीडिया ने कभी राज दीप सरदेसाई से नहीं पूछा कि क्यूँ तो आपने संसद घूस काण्ड का स्टिंग किया और क्यूँ जनता को आज तक भी सच नहीं बताया। जो मीडिया तहलका कि वाह वहा करता रहा और लोकतंत्र कि दुहाई देता रहा उस से कभी नहीं पूछा कि जब लोकतंत्र देश का दाव पर था तब यह मीडिया के सुरमा देश को सच क्यूँ नहीं बता और दिखा पाये। जो संजय जोशी और नरेंद्र मोदी कि सीडी में रूचि लेते रहे उसने अमर सिंह कि सीडी में रूचि क्यूँ नहीं ली। मैं तो वारा जाऊ मीडिया कि इस सेलेक्टिविटी पर. तब हमें दिखाते रहे यह आरुषि हत्याकांड, देश के लोकतंत्र का हत्याकांड क्यूँ नहीं दिखाया तब।  क्यूंकि तब भी देश द्रोही और विदेशी शक्तिओ में यह ही समझदारी थी कि नुक्लियर समझोता करने तक भाजपा को इतना कमजोर कर दो और लोगो कि नजरो में इतना गिरा दो कि उसका विरोध भी हास्यप्रद लगे और ठीक यह ही इन शक्तिओ ने मिलकर किया। और फिर इनाम के तौर पर "सिंह इस किंग " २००९ में बन कर आये श्री मनमोहन सिंह जी जिनको ५ साल देश पर राज करने पर भी यह विश्वास नहीं था कि ५५२ लोकसभा में से किसी एक पर भी खड़े हो कर जीत सके और फिर दोबारा राजयसभा के पिछले दरवाजे से ही देश के प्रधानमंत्री बने नहीं मनोनीत होये।  यह है इन देशी और विदेशी शक्तिओ का सच जिस ने भाजपा कि मेहनत, भारतीयो के विश्वास और पूर्व राष्ट्रपति कलाम के २०२० के सपने को चूर चूर किया।

कहाँ तो देश २००० में २०२० तक सुपर पवार बन रहा था और कहाँ अब देश पिछड़े देशो कि जमात में धक्के खा रहा है।  इन दस सालो में देशद्रोही शक्तिया और विदेशी ताकत जो आज भारत को कंगाल बनाने में सफल हुई है इन्होने बिना किसी लोगो के ताकत के केवल हिन्दुओ / भारत कि जनता को बांटकर ईस्ट इंडिया कंपनी का कृत्य ही दोहराया है। क्या आज भारत महशक्तिओ के आँखों में आँखे डाल कर बात कर सकता है जैसे कि वो पोखरण विस्फोट के बाद करता था।

देश को याद  है कि कुछ एक न्याय के पुजारी भी देश को झटका देने में कामयाब रहे जिन्होंने राहुल गांधी कि एक जनहित याचिका दायर करने पर अमेठी काण्ड कि सच्चाई पर से पर्दा उठाने के लिए याचिका कर्ता  पर ५० लाख का हर्जाना लगा दिया। मारेंगे भी और रोने भी नहीं देंगे।

धर्मनिरपेक्षता के आवरण में जो भी पाप किये उनका तरुण तेजपाल, बरखा दत्त, प्रभु चावला, राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकारो को कम से कम सच तो जनता को बताना ही पड़ेगा। इस धर्मनिरपेक्षता के आवरण में राजेंदर यादव जैसे के पाप भी सड़क पर फूटे वो अलग बात है कि वो दुनिया से विदा हो गए पर सच तो मुहं बाय जनता के सामने खड़ा है जो मीर जाफर और जय चंद को तलाश रहा है।

राजनैतिक लोगो का विभ्याचार का जवाब चाहिए वो कोई जज हो, आंध्र भवन को रंगरालिओ का अड्डा बनाने वाले हो, सुप्रीम कोर्ट के चेंबर में मनु सिंघवी हो को जवाब तो  देना होगा, क्या यह लोग निर्भय काण्ड वाले प्रदर्शनो का इन्तजार कर रहे है या विपक्ष कि सीडी ढूंढ कर  अपने  रंग में पोत कर पाकसाफ होने कि कलाबाजी करते रहेंगे।
 
क्या लोग ईस्ट इंडिया कंपनी के इतिहास को भूल गए राजा - महाराजा राज दरबारिओ, जमींदारो और उचे रसूख के लोगो के चारित्रिक दोषो से क्या नहीं पाया उस कंपनी ने जो आज विदेशी शक्तिअ नहीं पा रही है।   दुरभिसंधि का यह पाप आज भी किया जा रहा है फर्क सिर्फ इतना है कि कलाकार बदल गए और "आप" इस राजनेतिक मैदान में कूद गए।  मित्रो देश इसी ईमानदार शख्सियत के पापो का भुगतान कर रहा है आखिर कब तक व्यक्तिगत ढकोसला देश पर भारी पड़ता रहेगा। देश आज राष्ट्रवादी गुजरात के मख्यमंत्री कि बात नहीं मानता तो निश्चित रूप से कुछ एक दशक कोई भी देश को बचाने का साहस नहीं करेगा और मानवता का यह पालना केवल बाकी देशो कि विकसित होने कि गाथा का दर्शक भर बना रहेगा। और हिन्दू कुंठित हो कर एक युग का इन्तजार करेगा शायद भगवान् कल्कि का।

तो क्या अब इस दुरभिसंधि टूटने का वक्त आ गया या अभी और इन्तजार करना पड़ेगा ?????????

उत्तराखंड सेक्स कांड में नप गईं कांग्रेस की नेता

उत्तराखंड सेक्स कांड में नप गईं कांग्रेस की नेता
-------------------------------------------------


गरमाता जा रहा है युवती से यौन शोषण का मामला


देहरादून, देहरादून: प्रदेश युवक कांग्रेस ने सैक्स स्कैंडल में नाम आने के बाद सोमवार को पार्टी महासचिव रितु कंडियाल को पद से हटा दिया है।

इसके अलावा अनुशासनहीनता के आरोप में नैनीताल लोकसभा क्षेत्र के उपाध्यक्ष संजय बिष्ट को भी पार्टी से तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। वहीं मामले में पूछताछ के लिये पुलिस उनसे संपर्क करने का प्रयास कर रही है।

जारी किए गए एक बयान में प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष भुवन कापड़ी ने कहा, ‘उत्तराखंड के चर्चित सेक्स प्रकरण में युवा कांग्रेस महासचिव रितु कंडियाल की संलिप्तता की बात सामने आने से संगठन की भावनाओं को ठेस पहुंची है।’ उन्होंने बताया, ‘इसलिये राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव शाटव की संस्तुति के आधार पर रितु कंडियाल को तत्काल प्रभाव से पद से हटाया जाता है।’ हालांकि उन्होंने कहा कि यदि वह बाद में बेकसूर पायी जाती हैं तो उनके विषय में दोबारा विचार किया जायेगा।

गौरतलब है कि युवती द्वारा निलंबित अपर सचिव जोशी के खिलाफ नौकरी का झांसा देकर कथित रूप से दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराये जाने के बाद आरोपी अधिकारी ने भी युवती तथा उसके साथियों के खिलाफ ब्लैकमेलिंग और धमकी देने का मामला दर्ज कराया था। प्रकरण में जोशी को गिरफ्तार करने के बाद उनके द्वारा दर्ज कराये गये मामले की जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि युवती ने अपने साथियों के साथ मिलकर स्वयं कथित दुष्कर्म की घटना की सीडी बनायी और बाद में उसका उपयोग आरोपी अपर सचिव को ब्लैकमेल करने और धन ऐंठने के प्रयास के लिये किया।

जांच के दौरान यह बात भी सामने आयी कि युवती तथा उसके साथियों ने जोशी से कहा कि इस मामले को निपटाने के लिये रकम का खुलासा कांग्रेस नेता रितु कंडियाल करेंगी। जांच के अनुसार, कंडियाल ने जोशी को फोन कर बताया कि युवती तथा उसके साथी इस मामले को निपटाने के लिये तीन करोड़ रुपये मांग रहे हैं। पुलिस को दिये अपने बयान में जोशी भी कह चुके हैं कि उनसे रितु ने संपर्क कर युवती तथा उसके साथियों की ओर से तीन करोड़ रुपये की मांग की थी।

युवती द्वारा दिल्ली में इस साल 22 नवंबर को मामला दर्ज किये जाने से तीन दिन पहले रितु दुबई चली गयीं। इस बीच, रितु के दुबई से भारत लौटने की चर्चाओं के बीच उससे पूछताछ करने के लिये उससे संपर्क करने का प्रयास कर रही है। इस बाबत पूछे जाने पर पुलिस महानिरीक्षक (कानून और व्यवस्था) रामसिंह मीणा ने कहा कि जांच दल रितु से संपर्क करने का प्रयास कर रहा है। हालांकि उसके सभी फोन ‘स्विच ऑफ’ आ रहे हैं।

पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि रितु से संपर्क होने होने के बाद पुलिस उससे मामले में पूछताछ करेगी। गौरतलब है कि पुलिस ने युवती तथा उसके एक अन्य साथी नीरज चौहान को ब्लैकमेलिंग और धमकी देने के आरोप में गत शुक्रवार को गिरफ्तार किया था। हालांकि युवती के ट्रांजिट जमानत पर होने के कारण उसे छोड़ दिया गया।

-----------------------------------------------------------------------------------------------------



उत्तराखंड यूथ कांग्रेस की महासचिव रितु कंडीयाल जिसे नेताओ और अधिकारियो को लड़की सप्लाई करने के आरोप में केस दर्ज हुआ और जो दुबई फरार हो गयी वो राहुल गाँधी से साथ कमरे से बाहर निकलते हुए

Monday, December 9, 2013

इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू



इस नालायक सरकार ने इंदिरा गाँधी को एक बहुत ही जिम्मेदार , ताकतवर और राष्ट्रभक्त महिला बताया हैं , चलिए इसकी कुछ कडवी हकीकत से मैं भी आज आपको रूबरू करवाता हूँ !!!

 इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू राजवंश में अनैतिकता को नयी ऊँचाई पर पहुचाया. बौद्धिक इंदिरा को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था लेकिन वहाँ से जल्दी ही पढाई में खराब प्रदर्शन के कारण बाहर निकाल दी गयी. उसके बाद उनको शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन गुरु देव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें उसके दुराचरण के लिए बाहर कर दिया. शान्तिनिकेतन से बहार निकाल जाने के बाद इंदिरा अकेली हो गयी. राजनीतिज्ञ के रूप में पिता राजनीति के साथ व्यस्त था और मां तपेदिक के स्विट्जरलैंड में मर रही थी. उनके इस अकेलेपन का फायदा फ़िरोज़ खान नाम के व्यापारी ने उठाया.

फ़िरोज़ खान मोतीलाल नेहरु के घर पे मेहेंगी विदेशी शराब की आपूर्ति किया करता था. फ़िरोज़ खान और इंदिरा के बीच प्रेम सम्बन्ध स्थापित हो गए. महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल डा. श्री प्रकाश नेहरू ने चेतावनी दी, कि फिरोज खान के साथ अवैध संबंध बना रहा था. फिरोज खान इंग्लैंड में तो था और इंदिरा के प्रति उसकी बहुत सहानुभूति थी. जल्द ही वह अपने धर्म का त्याग कर,एक मुस्लिम महिला बनीं और लंदन केएक मस्जिद में फिरोज खान से उसकी शादी हो गयी. इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू ने नया नाम मैमुना बेगम रख लिया. उनकी मां कमला नेहरू इस शादी से काफी नाराज़ थी जिसके कारण उनकी तबियत और ज्यादा बिगड़ गयी. नेहरू भी इस धर्म रूपांतरण से खुश नहीं थे क्युकी इससे इंदिरा के प्रधानमंत्री बन्ने की सम्भावना खतरे में आ गयी. तो, नेहरू ने युवा फिरोज खान से कहा कि अपना उपनाम खान से गांधी कर लो. परन्तु इसका इस्लाम से हिंदू धर्म में परिवर्तन के साथ कोई लेना - देना नहीं था. यह सिर्फ एक शपथ पत्र द्वारा नाम परिवर्तन का एक मामला था. और फिरोज खान फिरोज गांधी बन गया है, हालांकि यह बिस्मिल्लाह शर्मा की तरह एक असंगत नाम है. दोनों ने ही भारत की जनता को मूर्ख बनाने के लिए नाम बदला था. जब वे भारत लौटे, एक नकली वैदिक विवाह जनता के उपभोग के लिए स्थापित किया गया था. इस प्रकार, इंदिरा और उसके वंश को काल्पनिक नाम गांधी मिला. नेहरू और गांधी दोनों फैंसी नाम हैं. जैसे एक गिरगिट अपना रंग बदलती है, वैसे ही इन लोगो ने अपनीअसली पहचान छुपाने के लिए नाम बदले. . के.एन. राव की पुस्तक "नेहरू राजवंश" (10:8186092005 ISBN) में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है संजय गांधी फ़िरोज़ गांधी का पुत्र नहीं था, जिसकी पुष्टि के लिए उस पुस्तक में अनेक तथ्यों कोसामने रखा गया है. उसमे यह साफ़ तौर पे लिखा हुआ है की संजय गाँधी एक और मुस्लिम मोहम्मद यूनुस नामक सज्जन का बेटा था. दिलचस्प बात यह है की एक सिख लड़की मेनका का विवाह भी संजय गाँधी के साथ मोहम्मद यूनुस के घरमें ही हुआ था. मोहम्मद यूनुस ही वह व्यक्ति था जो संजय गाँधी की विमान दुर्घटना के बाद सबसे ज्यादा रोया था. 'यूनुस की पुस्तक "व्यक्ति जुनून और राजनीति" (persons passions and politics )(ISBN-10: 0706910176) में साफ़ लिखा हुआ है की संजय गाँधी के जन्म के बाद उनका खतना पूरे मुस्लिम रीति रिवाज़ के साथ किया गया था. कैथरीन फ्रैंक की पुस्तक "the life of Indira Nehru Gandhi (ISBN: 9780007259304) में इंदिरा गांधी के अन्य प्रेम संबंधों के कुछ पर प्रकाश डाला है. यह लिखा है कि इंदिरा का पहला प्यार शान्तिनिकेतन में जर्मन शिक्षक के साथ था. बाद में वह एमओ मथाई, (पिता के सचिव) धीरेंद्र ब्रह्मचारी (उनके योग शिक्षक) के साथ और दिनेश सिंह (विदेश मंत्री) के साथ भी अपने प्रेम संबंधो के लिए प्रसिद्द हुई.पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने इंदिरा गांधी के मुगलों के लिए संबंध के बारे में एक दिलचस्परहस्योद्घाटन किया अपनी पुस्तक "profiles and letters " (ISBN: 8129102358) में किया. यह कहा गया है कि 1968 में इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री के रूप में अफगानिस्तान की सरकारी यात्रा पर गयी थी . नटवरसिंह एक आईएफएस अधिकारी के रूप में इस दौरे पे गए थे. दिन भर के कार्यक्रमों के होने के बाद इंदिरा गांधी को शाम में सैर के लिए बाहर जाना था . कार में एक लंबी दूरी जाने के बाद,इंदिरा गांधी बाबर की कब्रगाह के दर्शन करना चाहती थी, हालांकि यह इस यात्रा कार्यक्रम में शामिल नहींकिया गया. अफगान सुरक्षा अधिकारियों ने उनकी इस इच्छा पर आपत्ति जताई पर इंदिरा अपनी जिद पर अड़ी रही . अंत में वह उस कब्रगाह पर गयी . यह एक सुनसान जगहथी. वह बाबर की कब्र पर सर झुका कर आँखें बंद करके कड़ी रही और नटवर सिंह उसके पीछे खड़े थे . जब इंदिरा ने उसकी प्रार्थना समाप्तकर ली तब वह मुड़कर नटवर से बोली "आज मैंने अपने इतिहास को ताज़ा कर लिया (Today we have had our brush with history ". यहाँ आपको यह बता दे की

बाबर मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक था, और नेहरु खानदान इसी मुग़ल साम्राज्य से उत्पन्न हुआ. इतने सालो से भारतीय जनता इसी धोखे मेंहै की नेहरु एक कश्मीरी पंडित था....जो की सरासर गलत तथ्य है..... इस तरह इन नीचो ने भारत में अपनी जड़े जमाई जो आज एक बहुत बड़े वृक्ष में तब्दील हो गया हैं , जिसकी महत्वाकांक्षी शाखाओ ने माँ भारती को आज बहुत जख्मी कर दिया हैं ,,यह मेरा एक प्रयास हैं आज ,,कि आज इस सोशल मीडिया के माध्यम से ही सही मगर हकीकत से रूबरू करवा सकू !!! ,,,बाकी देश के प्रति यदि आपकी भी कुछ जिम्मेदारी बनती हो , तो अबआप लोग '' निःशब्द '' ना बनियेगा ,, इसे फैला दीजिए हर घर में !!!!




वन्दे मातरम।

Sunday, December 8, 2013

दक्षिण भारत में ईसाईकरण



दक्षिण भारत में ईसाईकरण ।
मिशनरी खुले आम इस तरह के पोस्टर लगते हैं सड़कों पर या किसी के घर की दीवार पर लिख देते हैं की - "जीसस से बढ़ा कोई देवता नहीं , वह सारे देवताओं से ज्यादा महान हैं "।

क्या हम इटली , फ्रांस या किसी अन्य इसाई देश में जाकर ऐसा किसी दीवार पर लिखकर हमारे धर्म का प्रचार कर सकते हैं ??
Christianity exposed - ईसाईयत का भांडाफोड़

Sunday, December 1, 2013

मुख्यमंत्री मायावती पर बलात्कार



आज बड़ा ताजुब्ब हुआ ये जानकर
की रीता बहुगुणा जोशी महिला है और
महिलाओ की इज्जत और सम्मान
की चिंता भी करती है |
क्योकि इसी रीता बहुगुणा जोशी ने
यूपी की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती पर
बलात्कार करने पर मुवावजा देने का एलान
किया था .. और ये बेशर्म महिला जेल
भी गयी थी ... लोगो ने इसका घर तक आग के
हवाले कर दिया था 



------------------------------------
http://en.wikipedia.org/wiki/Rita_Bahuguna

Arrest[edit]

On 16 July 2009, she was detained for allegedly making derogatory remarks about Uttar Pradesh Chief Minister Mayawati.[2] She was later sent to the Moradabad jail on 14 days' judicial custody.[3]

Joshi's speech was about the law and order situation in Uttar Pradesh and the increasing number of rapes in the state. She cited a few cases in which some women were paid 25,000 rupees compensation after being raped. She remarked that simply compensating the women with money was not enough. Women who are raped should "throw the money at Mayawati's face and tell her 'you should also be raped and I will give you 10 million rupees" she said in the speech.

Saturday, November 16, 2013

ध्यान से सुनो अमेरिकी एजेंट मनमोहन कि कहानी

ध्यान से सुनो अमेरिकी एजेंट मनमोहन कि कहानी !!!!
________________________________________
ऐसे ऐसे समझोते किये globalization के नाम पर कि आप चोंक जाये गये !
एक समझोते के कहानी सुने बाकि विडियो में है !
एक देश उसका नाम है होललैंड वहां के सुअरों का गोबर (टट्टी) वो भी 1 करोड़ टन भारत लाया जायेगा ! और डंप किया जायेगा !

जब मनमोहन सिंह को पूछ गया के यह समझोता क्यूँ किया ????
तब मनमोहन सिंह ने कहा होललैंड के सुअरों का गोबर (टट्टी) quality में बहुत बढ़िया है !

फिर पूछा गया कि बताये quality में कैसे बढ़िया है ???

तो मनमोहन सिंह ने कहा कि होललैंड के सूअर सोयाबीन खाते है इस लिए बढ़िया है !!

जैसे भारत में हम लोग गाय को पालते है ऐसे ही हालेंड के लोग सूअर पालते
है वहां बड़े बड़े रेंच होते है सुअरों कि लिए !!!

फिर पूछा ये सोयाबीन जाता कहाँ से है ???
तो पता चला भारत से जाता है !! मध्यपरदेश से जाता है !!!

पूरी दुनिया के वैज्ञानिक कहते अगर किसी खेत में 10 साल सोयाबीन उगाओ तो 11 वे साल आप वहां कुछ नहीं उगा सकते


अब दिखिए इस मनमोहन सिंह ने क्या किया !???
होललैंड के सुअरों को सोयाबीन खिलाने के लिए पहले मध्यप्रदेश में सोयाबीन कि खेती करवा सैंकड़ो एकड़ जमीन बंजर कर दी !

और अब होललैंड के सूअर सोयाबीन खाकर जो गोबर (टट्टी) करेगे वो भारत में लाई जाएगी !
वो भी एक करोड़ टन सुअरों का गोबर(टट्टी )

और ये समझोता एक ऐसा आदमी करता है जिसको इस देश में best finance minster का आवार्ड दिया जाता है !!
और लोग उसे बहुत भारी अर्थशास्त्री मानते है !!
शायद मनमोहन सिंह के दिमाग में भी यही गोबर भरा है !!

एक कमेटी ऐसी नहीं है भारत में जो इस बात कि जांच करती ho क्या समझोता हुआ है और उसके क्या परिणाम होने वाला है !! एक कमेटी ऐसी नहीं है!

और सुनो दोस्तो इस मनमोहन सिहं नो गौ माता का मांस निर्यात करने वाले देशो मे भारत को 3 नमबर का देश बना दिया है ।

कितनी शर्म की बात है रोज हमारे देश कत्लखानो मे 50 हजार गाय काट दी जाती है ।

गौ माता को काट कर निर्यात किया जा रहा है और सुअर का गौबर भारत मे लाने के समझोते किये जा राहे है ।

और एक खास बात दोस्तो ।
आपके घर मे अगर दादा -दादी हो तो उनसे पुछे ।
क्या उन्होने अपने बचपन मे कभी सोयाबीन खाया या अपने घर में बनाया ? ? 100% उनका जवाब होगा नही ।

कारण क्या ? ?

कारण यही है भारत सोयबीन की खेती 25,30 साल पहले शुरु की और इसका बीज विदेशो से मंगवाया गया । क्यों बाहर के देशो को सोयाबीन अपने देश में पैदा कर अपनी जमीन को खराब नही करना था । इसलिये उन्होने भारत सरकार समझोता किया । और एज़ेंट मनमोहन सिहं ने इसकी खेती भारत मे करवानी शुरु ।
ताकि अपनी जमीन खराब कर उनके सुअरो के लिये सोयाबीन भेजा जाये और उनको खाकर उनके सुअर जो गोबर (ट्टी) करे उसके भारत लाया जाये ।

और हम मूर्ख लोग बिना कुछ जाने समझे इधर उधर की बाते सुनकर इसको बहुत भारी अर्थशास्त्री कहें ।

सोयबीन में जो फ़ैट है वो इतना भारी और खतरनाक है एक बार शरीर के अंदर जाये अंदर ही जमा हो जाता है । और बीमारिया पैदा करता है । सिर्फ़ इसकी खेती भारत में शुरु करवाने के लिये झुठा प्रचार किया गया । कि सोयाबीन में य़े है वो है और पता नही क्या क्या है ।

सोयबीन का तेल कितना खतरनाक है जानने के लिये यहां click करे ।
http://www.youtube.com/watch?v=sQPOAjKpLdM&feature=plcp

मनमोहन सिन्ह के दिमाग मे सुअर का गौबर भरा है जानने के लिये यहां click करे ।
http://www.youtube.com/watch?v=lZOHx8hRJM4

Tuesday, November 12, 2013

नेहरू की भयंकर भूलें

नेहरू की भयंकर भूलें

जब षड्यंत्रों से बातनहीं बनी तो पाकिस्तान ने बल प्रयोगद्वारा कश्मीर को हथियाने की कोशिशकी तथा २२ अक्तूबर, १९४७को सेना के साथ कबाइलियों नेमुजफ्फराबाद की ओर कूच किया। लेकिनकश्मीर के नए प्रधानमंत्री मेहरचन्द्रमहाजन के बार-बार सहायता के अनुरोधपर भी भारत सरकार उदासीन रही।भारत सरकार के गुप्तचर विभाग नेभी इस सन्दर्भ में कोई पूर्वजानकारी नहीं दी। कश्मीर केब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह नेबिना वर्दी के २५० जवानों के साथपाकिस्तान की सेना को रोकनेकी कोशिश की तथा वेसभी वीरगति को प्राप्त हुए। आखिर२४ अक्तूबर को माउन्टबेटन ने"सुरक्षा कमेटी" की बैठक की। परन्तुबैठक में महाराजा को किसी भी प्रकारकी सहायता देने का निर्णयनहीं किया गया।२६ अक्तूबर को पुन:कमेटी की बैठक हुई। अध्यक्ष माउन्टबेटनअब भी महाराजा के हस्ताक्षर सहितविलय प्राप्त न होने तककिसी सहायता के पक्ष में नहीं थे।आखिरकार २६ अक्तूबर को सरदार पटेलने अपने सचिव वी.पी. मेननको महाराजा के हस्ताक्षर युक्त विलयदस्तावेज लाने को कहा। सरदार पटेलस्वयं वापसी में वी.पी. मेनन से मिलनेहवाई अड्डे पहुंचे। विलय पत्र मिलने केबाद २७ अक्तूबर को हवाई जहाजद्वारा श्रीनगर में भारतीयसेना भेजी गई।'दूसरे, जब भारत की विजय-वाहिनी सेनाएं कबाइलियों को खदेड़ रही थीं।सात नवम्बर को बारहमूला कबाइलियों सेखाली करा लिया गया था परन्तु पं. नेहरूने शेख अब्दुल्ला की सलाह पर तुरन्त युद्धविराम कर दिया। परिणामस्वरूपकश्मीर का एक तिहाई भाग जिसमेंमुजफ्फराबाद, पुंछ, मीरपुर, गिलागितआदि क्षेत्र आते हैं, पाकिस्तान के पास रहगए, जो आज भी "आजाद कश्मीर" के नामसे पुकारे जाते हैं।तीसरे, माउन्टबेटन की सलाह पर पं. नेहरूएक जनवरी, १९४८ को कश्मीरका मामला संयुक्त राष्ट्र संघकी सुरक्षा परिषद् में ले गए। सम्भवत:इसके द्वारा वे विश्व के सामनेअपनी ईमानदारी छवि का प्रदर्शनकरना चाहते थे तथा विश्वव्यापी प्रतिष्ठा प्राप्त करना चाहते थे। परयह प्रश्न विश्व पंचायत में युद्धका मुद्दा बन गया।चौथी भयंकर भूल पं. नेहरू ने तबकी जबकि देश के अनेक नेताआें के विरोध केबाद भी, शेख अब्दुल्ला की सलाह परभारतीय संविधान में धारा ३७० जुड़गई। न्यायाधीश डी.डी. बसु ने इसधारा को असंवैधानिक तथा राजनीति सेप्रेरित बतलाया। डा. भीमराव अम्बेडकरने इसका विरोध किया तथा स्वयं इसधारा को जोड़ने से मना कर दिया। इसपर प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने रियासतराज्यमंत्री गोपाल स्वामी आयंगरद्वारा १७ अक्तूबर, १९४९ को यहप्रस्ताव रखवाया। इसमें कश्मीर के लिएअलग संविधान को स्वीकृति दी गई जिसमेंभारत का कोई भी कानूनयहां की विधानसभा द्वारा पारित होनेतक लागू नहीं होगा। दूसरे शब्दों मेंदो संविधान, दो प्रधान तथा दो निशानको मान्यता दी गई। कश्मीर जाने के लिएपरमिट की अनिवार्यता की गई। शेखअब्दुल्ला कश्मीर के प्रधानमंत्री बने।वस्तुत: इस धारा के जोड़ने से बढ़करदूसरी कोई भयंकरगलती हो नहीं सकती थी।पांचवीं भयंकर भूल शेखअब्दुल्ला को कश्मीर का "प्रधानमंत्री"बनाकर की। उसी काल में देश के महानराजनेता डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी नेदो विधान,, दो प्रधान, दो निशान केविरुद्ध देशव्यापी आन्दोलन किया। वेपरमिट व्यवस्था को तोड़कर श्रीनगर गएजहां जेल में उनकी हत्या कर दी गई। पं.नेहरू को अपनी गलती का अहसास हुआ, परबहुत देर से। शेख अब्दुल्ला को कारागार मेंडाल दिया गया लेकिन पं. नेहरू नेअपनी मृत्यु से पूर्व अप्रैल, १९६४ मेंउन्हें पुन: रिहा कर दिया।आओ मेरे देशवासियों मिल कर हमगाँधी और नेहरु के द्वारा की गए उनभूलों को सुधारें....आओ कांग्रेस को देश से लात मार करभगाएं...

आखिर क्यों गांधी ने सरदार पटेल को नहीं बनने दिया था देश का प्रधानमंत्री?

आखिर क्यों गांधी ने सरदार पटेल को नहीं बनने दिया था देश का प्रधानमंत्री?

भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री और लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल, आजादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन वे नहीं बन सके। सरदार पटेल यहां असफल नहीं हुए थे बल्कि गांधी जी की इच्छा के लिए उन्होंने खुद ही अपना नाम वापस ले लिया था।

उस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष को ही यह पद दिया जाना था और छः साल के अंतराल के बाद अध्यक्ष का चुनाव होने जा रहा था। इतिहास में दर्ज है कि कांग्रेस की जिन 15 समितियों द्वारा अध्यक्ष का चुनाव किया जाना था, उनमें से 12 सरदार पटेल के पक्ष में थीं और नेहरू जी के पक्ष में एक भी नहीं। फिर ऐसा क्या हुआ कि सरदार पटेल को अपना नाम वापस लेना पड़ गया,

१९४६: भारत के पहले प्रधानमंत्री का चुनाव किया जाना था और यह भी तय था कांग्रेस अध्यक्ष को ही प्रधानमंत्री बनाना था। चूंकि दूसरे विश्व युद्ध के कारण छः साल तक यह चुनाव नहीं हए और मौलाना आजाद उस वक़्त कांग्रेस के अध्यक्ष थे।

अब कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए तीन नाम सबसे बड़े दावेदार था। सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना आज़ाद और पं. जवाहर लाल नेहरू।

कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए नामांकन दाखिल हुए। उस समय कांग्रेस की 15 समितियों के प्रमुखों द्वारा अध्यक्ष का चुनाव होना था। महात्मा गांधी ने पं. नेहरू की ओर अपना झुकाव दिखाया।
उस दौरान 15 में से 12 समितियां सरदार पटेल के पक्ष में थीं, जबकि नेहरू जी के पक्ष में कोई भी नहीं। 15 में से 3 समितियां जो सरदार पटेल के पक्ष में नहीं थीं, उन्हें भी नेहरू जी स्वीकार नहीं थे।

गांधी जी जिद पर अड़ गए कि नेहरू जी को अध्यक्ष बनाया जाए। इसके लिए उन्होंने जेबी कृपलानी से संपर्क किया और कहा कि वे नेहरू जी के पक्ष में माहौल बनाएं। अब यहां नेहरू जी के पक्ष में उन नेताओं के हस्ताक्षर जुटाए गए, जिनकी अध्यक्ष के चुनाव में कोई भूमिका नहीं थी।

हालांकि, अध्यक्ष का चुनाव 15 समितियों के प्रमुखों को करना था, लेकिन गांधी जी के कारण नेहरू के समर्थन में हुए उन हस्ताक्षरों के खिलाफ किसी ने आवाज नहीं उठाई। इसके बाद गांधी जी के कहने पर सरदार पटेल ने अपना नामांकन वापस ले लिया।

सरदार पटेल द्वारा अपना नामांकन वापस लेने के बाद गांधी जी ने यह बात पं. नेहरू को बताई, लेकिन उन्होंने इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मौलाना आजाद ने जब यह देखा कि गांधी जी की इच्छा नेहरू जी को अध्यक्ष बनाने की है तो वे भी पीछे हट गए।

इतिहास के अनुसार इस पूरे मामले पर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की नाराजगी साफ तौर से देखी जा सकती थी। वे इसलिए नाराज नहीं थे कि पं. नेहरू को रेस में सबसे आगे किया जा रहा था, बल्कि वे इसलिए नाराज थे कि सरदार पटेल को जबरदस्ती अपना नामांकन वापस लेना पड़ा।

सरदार पटेल के पास पूर्ण बहुमत था और वे देश के पहले प्रधानमंत्री होते, लेकिन उन्होंने अपना नामांकन वापस लिया तो सिर्फ इसलिए कि वे गांधी जी की इच्छाओं का सम्मान करते थे। वे यह भी नहीं चाहते थे कि देश की एकता टूट जाए और जिन्ना अपने मकसद में कामयाब हो जाएं।

सरदार पटेल के विचार:
"शत्रु का लोहा भले ही गर्म हो जाए, पर हथौडा तो ठंडा रहकर ही काम दे सकता है।"

"आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आंखों को क्रोध से लाल होने दीजिए और अन्याय का मजबूत हाथों से सामना कीजिए।"

http://www.bhaskar.com/article-hf/CEL-why-could-not-become-prime-minister-sardar-patel-4420593-PHO.html?seq=1

हम कांग्रेस का विरोध क्यों न करे?

हम कांग्रेस का विरोध क्यों न करे????कांग्रेस एक साजिस के तहत भारत में पढ़े लिखे महत्वकांक्षी युवाओं की बेरोजगार फ़ौज खडी कर रही है जिससे भारत में हताशा, निराशा और छिना-झपटी का माहौल बनाकर “सिविल वार” की स्थिति उत्पन्न किया जा सके और कार्यवाही के बहाने भारत से हिन्दुओ को ख़तम किया जा सके. जबकि भारत में 20,000 लाख करोड़ की भूसंपदा के सही और न्यायपूर्ण दोहन से 30 करोड़ लोगो को नया रोजगार दिया जा सकता है.१- कांग्रेस ने मैक्समूलर , हिन्दू विरोधी कम्यूनिस्टो, अन्य अंग्रेजो तथा भारत विरोधियो द्वारा लिखे गए इतिहास को हमें पढ़वाया और हमारे पूर्वजो को नीचा दिखाकर हमारे स्वाभिमान को ही खतम किया, पूरे समाज में कड़वाहट घोली, हमारे वास्तविक सपूतो का इतिहास में सही तरीके पेश नहीं किया....युवाओं को सही जानकारी नहीं दिया. ,२- कांग्रेस ने जातिवाद को बढ़ावा दिया और जातिवाद की एक परंपरा हर जगह कायम करवाई, हिंदुत्व का विनाश किया, हिंदुत्व के गौअरव शाली इतिहास को छुपाया, धर्मं परिवर्तन को बढ़ावा दिया.३-कांग्रेस ने अंग्रेजो द्वारा बनायीं गयी उन व्यवस्थाओ को हमारे महान देश में लागु किया जो की हमारी इस हमारी सांस्कृतिक धरोहर को रोज के रोज विकृत कराती जा रही है,४-कांग्रेस ने उस देश को गाय का मांस निर्यातक देश बना दिया, जहा पर की गाय हत्या पाप है और गाय को पूज्य माता का दर्जा दिया जाता है, और 5000 विदेशी कंपनियों से भारत को बाज़ार बनाकर लुटवा रहे हैं , यहाँ पर हर प्रकार का उत्पादन इकाई लगाना रोक रखा है.५-कांग्रेस ने हिन्दुओ को क्रिस्चियन बनाने के लिए धर्म परिवर्तन की व्यवस्थाओ को बढ़ावा दिया और उनको पोसा खासकर जब से सोनिया मैनो के हाथ में सत्ता की ताकत आयी है,६- कांग्रेस के ज़माने में नए नए गाय काटने के केंद्र बनाये जा रहे है, जो एकदम अस्वीकार्य है, हम तो गोवध पर पाबंदी की माग कर रहे है.७-कांग्रेस ने भ्रष्टाचार को को राजनैतिक विशेषाधिकार बना दिया और सभी भारतीयों को भ्रष्टाचार से त्रस्त कर दिया है, लोग अपना सही काम कराने के लिए घूस देने के लिए मजबूर किये जाते हैं. जिसके 1000/- व् 500/- की नोट भी छपाया.८-कांग्रेस ने जानबूझ कर महगाई को बढाया है ताकि जनता का ध्यान परेशानी से बाहर आकर कांग्रेस के भ्रष्टाचार पर न टिक जाये, लोग घर देखे की देश के बारे में सोचे..९- कांग्रेस ने हिन्दुओ को आतंकवादियों की कतार में खड़ा कर दिया जब की हिंदुत्व टिका ही है अहिंसा के सिद्धांत पर, जब हिन्दुओ के मेधावी बच्चे आतंकवादी हो जायेंगे समझो उसी दिन से दुनिया अपने आप समाप्त हो जाएगी.१०- कांग्रेस ने आयुर्वेद को कुचला और अंग्रेजी दवाओ को आगे बढाया. पतंजलि आयुर्वेद केंद्र को बंद कराने की हर कोशिश किया.११- कांग्रेस ने हमेशा ही हिन्दू और मुसलमानों को आपस में लड़ाया जो की खून से वास्तव में सगे भाई ही है, और इस आड़ में अंग्रेजो के धर्म ईसाई धर्म को खूब छुट देकर पाला पोसा और हर जगह विदेशी पैसो से मिशनरी खुलवा दिया. भारत के 3 राज्य इसाई बहुल बन चुके हैं.१२- एक तरफ तो कांग्रेस भारतीय हिन्दू संतानो के चढ़ावे के पैसो को सरकार का पैसा बताती है और अपने पास रख लेती है तो दूसरी तरफ इसाइयों को विदेश से पैसा दिलवाती है, भारत में हर कानून सिर्फ हिन्दुओ के लिए बनाया.१३-भारत की जनता की गाढ़ी कमायी को विदेश में काले धन के रूप में जमा किया है उस पर पिछले ६५ साल में कोई कार्यवाही नहीं किया, क्या सरकार के बिना जानकारी के इतना पैसा विदेश में जमा किया जा सकता है, कांग्रेस ने विदेशी सौदों में कमीशन को जायज बनाया और हद तो तब हो गयी जब खुद प्रधानमंत्री कमीशन लेने लगे.१४- कांग्रेस के ज़माने में मिडिया सिर्फ सरकार और ईसाई धर्म के लिए काम करती है, जनता और देश हित से उसका कोई सरोकार नहीं है, नीरा राडिया जो एक विदेशी है, उसने क्या किया सरकार क्यों नहीं आम जन को बताती है. मीडिया को हिंदुत्व के दुष्प्रचार के लिए लगा रखा है.१५-कांग्रेस इन्टरनेट से सारी जानकारी जो की कांग्रेस के विरोध में है, हटवा रही है और कांग्रेस विरोधियो का ईमेल आई दी ब्लाक करवा रही है, यही सोसल मिडिया ही सही जानकारी युवाओं को दे पा रही बाकि भांड मिडिया क्रिकेट के परचार और हिंदुत्व को नीचा दिखने में व्यस्त है.१६-कांग्रेस हमेशा से हिन्दुओ को मुसलमानों के खिलाफ एक हौव्वा के रूप में खड़ा किया, जब की सत्य तो यह है की जो लोग ज्यादा धार्मिक होते है, वह जायदा अच्छे इंसान होते है, जो अपने धर्म को समझता है वह दुसरे धर्म की भी इज्जत करता है, कांग्रेस ने हमेशा ही मुसंमानो को सिर्फ वोट समझा, भारतीय नहीं,१७-कांग्रेस का इतिहास रहा है, जब जब उस पर ख़राब समाया आया है, भारत में हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए है और सरकार ने खूब बयानबाजी की है,१८- कांग्रेस ने कभी किसी राष्ट्रवादी विचारधारा को पनपने ही नहीं दिया, जिसने राष्ट्रवाद का नारा दिया, वह पृष्ठभूमि से ही गायब होता चला गया,१९- भारत में कोई भी व्यक्ति आतंकवादी नहीं है, बम फोड़ना आतंकवाद नहीं है, हमारी सेना तो रोज हजारो बम फोड़ती है, आतंकवाद किसे के हक़ को जबरिया दबाने पर निकला हुआ प्रतिकार है, यदि भ्रष्टाचार पूरी तरह से समाप्त हो जाय तो जितने गलतवाद है, सब समाप्त हो जायेंगे, यह तो गारंटी है,२०-कांग्रेस ने सदा ही हमारी पुरातन सामाजिक मान्यताओ को ह्रास किया है और सब चीजो को पूँजीवाद से जोड़ दिया,२१- इटली और स्विट्जर्लैंड के १२ बैंको को भारत में क्यों खुलवाया गया है, इसमे किसका पैसा जमा होता, मिडिया में यह समाचार क्यों नहीं आता है.२२- कत्रोच्ची के बेटे को अंदमान द्वीप पर तेल की खुदाई का ठेका २००५ में किसने दिया जब की कत्रोच्ची इस महान भारत देश का विदेशी अपराधी है,इसे ही अग्रेषित करते रहे.जय भारत

Monday, November 11, 2013

कितने दोगले होते है ये कांग्रेसी

आखिर कितने दोगले होते है ये कांग्रेसी ... एक तरफ कांग्रेस ने अन्धविश्वास निवारण बिल पास किया जिसमे पूजा पाठ आदि को अन्धविश्वास माना गया है |

दुसरे तरफ कर्नाटक का मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी कुर्सी को नीबू से टच करता है फिर अपने ऑफिस में नजर उतारने वाले तन्त्रमन्त्र करता है फिर कुर्सी पर बैठता है ||

अरे कांग्रेसियो अंधविश्वास निवारण कानून के तहत सबसे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को जेल भेजो

ये कैसा सिकुलारिस्म ???

Sunday, November 10, 2013

"राजनैतिक हत्याओं में माहिr

पटना में हुए बम ब्लास्ट महज संयोग अथवा आतंकवादी घटना नहीं थी... 
लगता है कि "राजनैतिक हत्याओं में माहिर" हो चुकी काँग्रेस, अब नरेन्द्र मोदी को खत्म करके ही दम लेगी... 

लगता है कि अब नरेन्द्र मोदी से जीतने का और कोई उपाय नहीं बचा काँग्रेस के पास... गोवा में सम्पन्न एक कांफ्रेंस में तालिबान के संस्थापक मुल्ला जईफ के साथ चिदम्बरम की मुलाक़ात बहुत कुछ कहती है... 

==============
हो सकता है कि सरकार ये कह दे कि उसे पता ही नहीं कि मुल्ला जईफ गोवा कैसे पहुँचा??? खैर... जो सरकार सौ-पचास फाईलें ही ठीक से नहीं संभाल सकती, उसकी औकात भी क्या है...

प्रमोद क्रिस्चियन……. (प्रमोद कृष्नन) अभिषेक मनु सिंघवी के करिबि…।

प्रमोद क्रिस्चियन……. (प्रमोद कृष्नन) अभिषेक मनु सिंघवी के करिबि…। 
देखने में हिन्दू साधु…….

आसाराम बापू के पीछे हाथ धोके पड़ा है…… 

मगर आजकल TV चेनलो में आनंद प्रमोद करता नजर आता है…।
देखने में हिन्दू साधु……. आसाराम बापू के पीछे हाथ धोके पड़ा है……

मगर आजकल TV चेनलो में आनंद प्रमोद करता नजर आता है…।







प्रमोद क्रिश्चियन ने कैसी गालिया बकी....? सुननेके लिए वीडियो (१ मिनट) मे देखे.... --- by-विश्व गुरु भारत

https://www.facebook.com/photo.php?v=474264496009924&set=vb.100002791327420&type=3&theater

पूरी ११ गालिया दी... इसने संत श्री आसारामजी बापुके किसी समर्थक को.... बिना किसी वजह...
गालियो की सूची:
1. लुच्चे...... .
2. लफंगे......
3. जेब कतरे.....
4. दो पैसे की औकात नहीं......
5. राक्षस.....
6. क्षुद्र.......
7. अपने बाप् की औलाद नहीं...
8. हरामखोर...
9. जलील ब्राह्मण नहीं है तू......
10. बलात्कारी है तू......
11. नालायक......

अब आप प्रमोद क्रिश्चियन के बारे में क्या कहना पसंद करेगे .... ???

Sunday, November 3, 2013

कौन है असली ज़िम्मेदार?

18 लाख साल पहले भारत में एसी तकनीक थी जब समुद्र पर पुल और मन कि गति से चलने वाले पुष्पक विमान हम बना सकते है। स्त्रोत- रामायण(राम सेतु पुल)
------------------------------------------------
5000 साल पहले हमारे पास एसी तकनिक होती है कि न्यूक्लिय विस्फ़ोट हम तीर के माध्यम से कर सकते है और - स्त्रोत महाभारत युद्ध, प्रमाणित
------------------------------------------------
1000 साल पहले आर्य भट्ट नौ ग्रह, सात दिन , पृथ्वी कि गति, धुरी , दिन रात और अंतरिक्ष विज्ञान कि खोज करते है। भष्कराचार्य, लीलावति पूरे विश्व को गणित से अवगत कराते है।
-------------------------------------------------
100 से 200 साल पहले विवेकानंद जी भारत को विश्वगुरू साबित करते है और पूरी दुनीया भारत को फ़ौलो करती है।
-------------------------------------------------
महज 50 साल में कोंग्रेस के देश में आते ही देश भ्रष्टाचारी, आतंक का घर, गरीब, कमजोर, विदेशीकरण को अपनाने वाला अपनी सभ्यता को गाली देने वाला, और धर्म जो परम विज्ञान है उसे पाखंड बताने वाला बन जाता है।

कौन है असली ज़िम्मेदार?

जिस सरकार का कीमत पर जोर नहीं;उसको देश चलानेका अधिकार नहीं -श्रीमती इंदिरा गाँधी 1980 में



.जिस सरकार का कीमत पर जोर नहीं;उसको देश चलानेका अधिकार नहीं -श्रीमती इंदिरा गाँधी 1980 में।अब आपका क्या कहना है राहुल जी। आपअपनी दादी के कहे अनुसार देश की सत्ता छोड़ क्यों नहीं देते।

Wednesday, October 30, 2013

Reaction of Nehru

Reaction of Nehru in 1954 during congress meet after some party member didnt agree with his view

Tuesday, October 29, 2013

कांग्रेस वोटों के लिए कुछ भी कर सकती है

मित्रो, कांग्रेस वोटों के लिए कुछ भी कर सकती है ! भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की ताशकंद (रूस) में दुखद मृत्यु या हत्या के बाद (हत्या इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि शास्त्री जी का पार्थिक शारीर, जब भारत लाया गया तो उनके शारीर पर नीले व् सफ़ेद धब्बे थे, उनकी आँखें व् नाखून नीले पड गये थे ! जो अक्सर जहर के असर के कारण होता है ! शास्त्री जी को जहर देकर उनकी हत्या की गई है, यह आशंका उनकी धर्मपत्नी, श्रीमती ललिता शास्त्री जी ने तत्काल, उनका पार्थिक शरीर देखने के बाद जाता दी थी, और पोस्टमार्टम करवाने की मांग की थी ! यह दुनियां का पहला ऐसा मामला है, जिसमे कि किसी राष्ट के राष्ट्राध्यक्ष की मृत्यु विदेश में हुई हो, और उसका पोस्टमार्टम उस देश में नहीं किया गया हो ! यहाँ तक कि अपने ही देश, भारत में भी, शास्त्री जी की धर्मपत्नी की मांग के बावजूद, उनका पोस्टमार्टम नहीं किया/करवाया गया ! शास्त्री जी की मृत्यु के समय, श्रीमती इन्दिरा गाँधी शास्त्री जी की कैविनेट में विदेश मन्त्री थी ; और उनकी मृत्यु के उपरान्त भारत की प्रधानमंत्री बनी ! इसलिए देशवाशियों का सारा शक इन्दिरा गाँधी पर ही था ! ) जब 1967 में इन्दिरा गाँधी के नेत्रित्व में कांग्रेस चुनाव में उतरी, तो पूरा माहौल कांग्रेस व् इन्दिरा गाँधी के खिलाफ था, कांग्रेस लगभग चुनाव हार चुकी थी, कि अचानक उड़ीसा की एक जनसभा में जाते हुए, कार से उतरते ही, एक पत्थर इन्दिरा गाँधी के नाक पर लगा ! पत्थर मारने वाले व्यक्ति का कुछ पता नहीं चला, और न ही वो पकड़ा गया, और न ही उसे कोई सजा हुई ! अगले दिन सुबह सात बजे, देश के कोने-कोने में, कश्मीर से कन्याकुमारी तक इन्दिरा गाँधी के नाक पर हाथ रखी हुई तस्वीर वाले, बड़े-बड़े पोस्टर और कट-आउट लगे थे ! सहानुभूति की लहर उठी और इन्दिरा गाँधी व् कांग्रेस चुनाव जीत गई ! यहाँ पर एक मूल प्रश्न यह है कि कब और कैसे, ये तस्वीर दिल्ली पहुंची, कब ये पोस्टर डिजाईन हुए और कब लाखों पोस्टर देश के कोने-कोने में पहुँच भी गये ! उस ज़माने में न तो इन्टरनेट था, न मोबाइल फोन थे, न ही SMS या MMS से तस्वीरें भेजी जा सकती थी ! कंप्यूटर प्रिंटिंग भी नहीं थी और न ही सुपरफास्ट राजधानी व् शताब्दी जैसी ट्रेने थी ! इसलिए इस सारे कार्य को पूरा करने में कम से कम एक सप्ताह लगना चाहिए था ! तो फिर अगले ही दिन वो भी सुबह-सुबह, सब जगह ये पोस्टर व् कट-आउट कैसे पहुंचे ! इन पोस्टरों पर दिल्ली के प्रिंटिंग प्रेस का नाम छपा था ! राहुल गाँधी बार-बार अपने पिता, अपनी दादी पर हुए हमले की बात करता है, और साथ ही साथ यह भी कहता है कि मुझ पर भी हमला हो सकता है, कोई मुझे भी मार सकता है ! जो इस बात की तरफ इशारा करता है, कि हो न हो, इन्दिरा गाँधी की नाक टूटने वाली घटना एक बार फिर दोहराई जा सकती है ! हो सकता है सहानुभूति से वोट बटोरने के लिए, कोई विश्वसनीय कांग्रेसी, राहुल पर झूठ-मूठ का हमला करे, और इसको इन्दिरा प्रकरण की तरह, सब जगह प्रचारित कर दिया जाए ! पर मित्रो, काठ की हांडी एक ही बार चढ़ती है और उसको इन्दिरा गाँधी पहले ही चढा चुकी है ! फिर भी सावधान व् जागरूक रहने की जरुरत है, क्योंकि कांग्रेसियों के आचार-व्यव्हार व् कायर्कलाप में ऐसे ही कुछ लक्षण दिख रहे हैं, और कांग्रेस का इतिहास काला है ! यह जानकारी अन्य मित्रों तक पहुँचाने के लिए लाइक, शेयर या कमेंट जरुर करें ! जय हिन्द, वन्देमातरम

पप्पू पूरी जिन्दगी लर्निग लाइसेस लेकर ही घूमेगा.



Saturday, October 26, 2013

सेकुलर लोग अल-कांग्रेस के किन कामो पर गर्व करते है

सेकुलर लोग अल-कांग्रेस के किन कामो पर गर्व करते है :-

1- जवाहर लाल नेहरू के कपड़े विदेश में धूल कर आते थे, इस बात पर (भले ही उस समय देश की आधी जनता अर्द्धनंगी घूम रही थी) |

2- मोहनदास करमचंद गांधी के ब्रह्मचार्य के अनूठे प्रयोग की तरकीब पर |

3- जिस तरह से मोहन दास करमचंद गांधी ने अपने रास्ते के रोड़े भगत सिंह , राजगुरु, सुखदेव, चन्द्रशेखर आज़ाद को हटाया उस तरकीब पर |

4- जिस तरह से देश का बंटवारा करवाया गया और 4.5 लाख हिन्दू और 2.6 लाख मुसलमानो को मरवाया गया उस तरकीब पर |

5- मोहनदास करमचंद गांधी के वध के बाद मात्र 28 घंटों में 6200 महाराष्ट्रियन ब्रह्मणों की निर्मम हत्या पर |

6- जिस तरह से इंदिरा गाँधी ने अपने रास्ते के रोड़े लाल बहादुर शास्त्री जी और संजीव उर्फ़ संजय गाँधी को हटाया उस तरकीब पर ||

7- जिस तरह से इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद 11 हज़ार 750 सिखों को बेरहमी से मारा गया , लुटा गया , बलात्कार किया गया उस तरकीब पर |

8- भोपाल गैस काण्ड के बाद 22 हज़ार सरकारी और 35 हज़ार गैरसरकारी मौतों के जिम्मेदार पीटर एंडरसन को जिस तरह से अपने व्यक्तिगत हावाई जाहज से देश से बहार भेजा गया उस तरकीब पर |

9- देश में हुए पहले सेना जीप घोटाले से लेकर वर्तमान में कोयला और थोरियम घोटाले पर |

10- एक विदेश औरत के इशारों पर किस तरह नाचा जाता है इस तरकीब पर |

11- एक 5वि कक्षा के बच्चे के सामन्य ज्ञान के समकक्ष वाले 45 वर्षीय बुजुर्ग को युवा बता कर उसको प्रधानमंत्री पद का दावेदार और मोदी जैसे राजनीति के प्रोद्धा को टक्कर देने वाली बेवकूफी भरी बातों पर ||

अब जिसको ये सच जानकार भी अल-कांग्रेस को वोट देना है वो अपने घरों में अपनी कब्र खोद ले क्योकि मुग्लिस्तान की नीव पाकिस्तान की जनक अल-कांग्रेस के द्वारा डाली जा चुकी है ||

हिन्दुओं के दमन हेतु साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निवारण बिल 2011 शीघ्र आ रहा है ||

जागो सेकुलरों क्योकि मुल्लों और अल-कांग्रेसियों के लिए तुम हिन्दू ही हो......

जय जय सियाराम,, जय जय महाकाल ,, जय जय माँ भारती ,, जय जय माँ भारती के लाल ||

Thursday, October 24, 2013

2. हिंदुद्रोही ‘सांप्रदायिक और लक्ष्यित हिंसा अधिनियम, २०११’ का विरोध करे !

क्या हिंदूओ अब भी तुम किसी चमत्कार की उम्मीद करोगे या शिवाजी की की राह पर चलने को तैयार होगे ?

धर्मनिरपेक्ष शासनकी ओरसे ‘सांप्रदायिक और लक्ष्यित हिंसा (न्याय तक पहुंच और क्षतिपूर्ती) अधिनियम, २०११’ इस हिंदूद्वेषी कानूनका प्रारूप सिद्ध !

हिंदूओ, इस हिंदूद्रोही प्रारूपकी गंभीरता पहचानें ! आपका मानसिक छल करनेवाला, आपका धर्माभिमान जागृत न हो, आपके शरीरमें राष्ट्र तथा धर्माभिमानका रक्त न खौले, आपपर किसी भी प्रकारका अन्याय, अत्याचार हुआ, तो वो आपको चुपचाप सहना ही होगा, यदि आपने अन्यायके विरुद्ध कोई भी कानूनी प्रतिकार किया, तो आपको अधिक गंभीर सजा होगी और आपका जीवन उद्धवस्त होगा,  इस प्रकार नियोजनबद्ध हिंदूओंका दमन करनेवाले इस हिंदूद्रोही कानूनका तथा हिंदूद्रोही निधर्मी शासनका सर्व स्तरोंपर तीव्र निषेध करें ! - संपादक
हिंदूओ, जागो ! यह कानुनके विषयमे आपकी राय/मत लिखके उसे wgcvb@nac.nic.in यह ईमेलपे भेज दीजिये । समितिके जालास्थानके कमेंट्स सुविधाका उपयोग करके आप आपकी राय तुरंत शासनको भेज सकते है । उस लिए कृपया यह क्लिक करे !

गुजरात-दंगोंके उपरांत नाममात्र धर्मनिरपेक्षतावादियों द्वारा दिए समर्थनके कारण हिंदूद्रोही केंद्रशासन आज सहिष्णु हिंदूओंपर घोर अन्याय करनेवाला तथा दंगा करनेवाले शैतानोंकी चापलूसी करनेवाला नया महाभयंकर कानून ला रहा है । क्या शासनद्वारा हिंदूओंको आजतक दिए कष्ट अल्प थे कि उसने  ‘सांप्रदायिक और लक्ष्यित हिंसा (न्याय तक पहुंच और क्षतिपूर्र्ति) अधिनियम, २०११’, नामक अंग्रेजोंको भी लज्जा आए, ऐसे भयानक कानूनका प्रारूप सिद्ध किया  ?

अत्यंत अल्प समयमें यह विधेयक बनाया गया है । इस विधेयककी प्रारूपण समितिमें तिस्ता सेटलवाड, फराह नकवी, हर्ष मंदेर, नजमी वजीरी, माजा दारुवाला, गोपाल सुब्रमण्यम जैसे लोग  है । इससे क्या और वैâसा कानून बनेगा, यह हम समझ सकते हैं । इस कानूनकी सलाहकार समितिमें भूतपूर्व न्यायमूर्ती सुरेश होस्पेट, अबुसालेह शरीफ, असगर अली इंजिनिअर, जॉन दयाल, कमाल फारुकी, मौलाना नियाज फारुकी, राम पुनियानी, शबनम हाशमी, सिस्टर मारिया स्कारिया, सय्यद शहाबुद्दीन, रूपरेखा वर्मा, गगन सेठी जैसे लोग हैं ।

इस प्रारूपकी कुछ आसुरी धाराओंकी सूचना तथा उसकी गंभीरताकी ओर ध्यान दिलानेके लिए कोष्ठकमें उसके गंभीर परिणामोंका संक्षिप्त विश्लेषण दिया है -
१. यह कानून केवल धार्मिक या भाषिक दृष्टिसे अल्पसंख्यक अथवा अनुसूचित जाति तथा जनजातिके ‘गुट’पर बहुसंख्यकोंकी ओरसे होनेवाले अत्याचारपर कार्रवाई करने हेतु है, ऐसा दिखाई देता है । (अल्पसंख्यक ही बहाना बनाकर दंगा करें तो क्या उन्हें कानून द्वारा सजा होगी ?)
२. इस कानूनके अनुसार उपरोक्त गुटपर अत्याचार करनेवाले अपराधी ही है, क्या यह मान लिया जाएगा ? नाममात्र अपराधियोद्वारा उनका निर्दोषत्व सिद्ध करनेपर ही उनका छुटकारा होगा, यह इस प्रारूपसे दिखाई देता है ।
३. इस कानूनकी धारा ८, १८ और अन्य धाराएं बहुसंख्यकोंकी अभिव्यक्ति स्वतंत्रतापर सीधा संकट लानेवाली हैं । इस कानूनके अनुसार अल्पसंख्यकोंके विरुद्ध वक्तव्य करना ‘विद्वेषी प्रचार’ (हेट प्रपोगंडा) नामसे जाना जाएगा । (इसलिए अल्पसंख्यकोंकी चापलूसीके विषयमें  हिंदुत्ववादियों द्वारा बोलना अपराध माना जाएगा ।)
४. जब दंगा न हो रहा हो, उस वातावरणमें भी इस कानूनका डंडा हिंदूओंके लिए घातक है । (इस कानूनके कारण शांतिकालमें भी बोलनेसे दंगोंके लिए पोषक वातावरण निर्माण हुआ है, ऐसा कहा जा सकता है और राय व्यक्त करनेवालोंपर कार्रवाई की जा सकती है । )
५. इस कानूनके अपराध संज्ञेय एवं गैर-जमानती हैं । (भारतीय दंड विधानमें इसमेंसे कुछ अपराध असंज्ञेय एवं जमानती स्वरूपमें हैं ।)
६. स्वयं कार्रवाई करनेमें टालमटोल करने अथवा कनिष्ठ अधिकारियोंद्वारा किए अपराध अथवा टालमटोलकी सजा वरिष्ठों अधिकारियोंकी ही है । उसी प्रकार ज्येष्ठ अधिकारियोंके आदेश मानकर कुछ कृत्य किया, तो कनिष्ठ अधिकारी द्वारा किया गया वह कृत्य अपराध समझा जाएगा । ऐसे आदेशकी पूर्तता कानूनके अनुसार अपराध माना जाएगा ।(इसलिए स्वयंकी खाल बचानेके उद्देश्यसे दंगाफसाद जैसी स्थितिमें पुलिस दल बडी मात्रामें सद्सद् विवेकबुद्धिसे आचरण न कर इस कानूनकी धाराओंसे डरकर अल्पसंख्यकोंके पक्षमें झुकनेकी अधिक संभावना है ।)
७. सांप्रदायिक शांति, न्याय तथा क्षतिपूर्तिके लिए एक राष्ट्रीय आयोग इस कानून द्वारा निर्माण किया जाएगा । इस आयोगके पास अनेक बडे अधिकार होंगे । सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकार यह है कि आयोगद्वारा दी सूचनाएं केंद्र एवं राज्य शासन, पुलिसको बंधनकारक होंगी । (शासन, लोकसभा तथा राज्यसभाके अधिकार आयोगको दिए गए हैं, ऐसा दिखाई देता है ।) आयोगद्वारा सूचना देनेपर निश्चित कालावधिमें सूचनाएं कार्यांवित की गई, ऐसा ब्योरा आयोगको देना इन सबके लिए बंधनकारक है ।
८. आयोग स्वयं ही जांच-पडताल कर सकता है । इसके लिए आयोगको दीवानी न्यायालयका स्तर दिया गया है । ऐसी अनेक धाराएं इस कानूनमें हैं ।