Saturday, June 29, 2013

मनहूसियत की दुकान

ये मनहूसियत की दुकान दुनिया में जहाँ कहीं भी जाएगी जाकर बस समस्या ही पैदा करेगी..








उतराखंड की तबाही - एक कांग्रेसी षड़यंत्र



आप सभी जानते है केदारनाथ धाम से ऊपर जो पहाड़ियाँ है वो पथरीली है चाहे कितने भी बादल फटे वो टूटती नही है.केदार नाथ की उपरी पहाड़ियों को विस्फोट से तोडा गया है,सैटेलाईट से ये बात तो साफ़ कर चूका है मौसम विभाग कि वहा को भी बादल नही फाटा है।

Thursday, June 27, 2013

राहुल के लिए खाली कराया जवानों का कैंप

शर्मनाक: राहुल के लिए खाली कराया जवानों का कैंप
Updated on: Thu, 27 Jun 2013 08:19 PM (IST)




शर्मनाक: राहुल के लिए खाली कराया जवानों का कैंप





नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी का बाढ़ से तबाह उत्तराखंड का दौरा शुरू से ही विवादों में रहा है। इस क्रम में एक और खुलासा करते हुए आईटीबीपी के डीजी अजय चढ्डा ने गुरुवार को खुलासा किया कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के दौरान राहुल के रुकने के लिए राहत कार्य में लगे जवानों के कैंप को खाली कराया गया था।


आपदा प्रभावित क्षेत्र में राहुल गांधी सहित कांग्रेस के प्रमुख नेता को जाने की अनुमति देना तथा दूसरी तरफ भाजपा नेता नरेंद्र मोदी को यह कह कर वहां जाने से रोक देना कि इससे राहत और बचाव कार्य प्रभावित होगा शुरू से ही विवादों में है।

इसी बीच खबर आ रही है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को राहत सामग्री से भरे जिन एक सौ ट्रकों को उत्तराखंड के लिए भेजा गया था उन सब का डीजल खत्म हो गया है। वे सब पिछले दो-तीन दिनों से रास्ते में हैं। ट्रकों के ड्राइवरों के पास खाने के लिए कुछ नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही उन्हें साधन मुहैया नहीं कराया गया तो वे राहत सामग्री बेचने को मजूबर हो जाएंगे।

इससे पहले बुधवार को भी आपदा राहत और बचाव कार्य का श्रेय लेने के चक्कर में कांग्रेस और टीडीपी के नेताओं ने आपस में गाली-गलौच तथा मारपीट की। जौलीग्रांट हवाई अड्डे के बाहर उस वक्त माहौल बिगड़ गया जब कांग्रेस व तेलुगु देसम पार्टी के नेताओं के बीच तीखी झड़प हो गई। शाम करीब साढे़ पांच बजे आंध्र के कुछ तीर्थयात्री एक वाहन में सवार हुए।

वाहन में जगह न होने के कारण कुछ बाहर रह गए। बाहर रह गए तीर्थयात्रियों ने यह कहते हुए हंगामा काटना शुरू कर दिया कि तेलुगु देसम पार्टी के नेताजी अपने ही लोगों को वाहन में बैठा रहे हैं। इसी दौरान तेलुगु देसम पार्टी के नेता रमेश राव और कांग्रेस नेता हनुमंत राव के बीच झड़प और धक्का-मुक्की हुई। नेताओं को भिड़ता देखकर दोनों पार्टियों के लोगों के बीच भी धक्का-मुक्की होने लगी। इससे वहां पर जाम लग गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह दोनों पक्षों को शांत कराया।

Tuesday, June 25, 2013

राहत का सामान उतरवा खुद उड़ गए हरक सिंह

शर्मनाक: राहत का सामान उतरवा खुद उड़ गए हरक सिंह

Updated on: Tue, 25 Jun 2013 03:06 AM (IST)
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शर्मनाक: राहत का सामान उतरवा खुद उड़ गए हरक सिंह
देहरादून, [सुमन सेमवाल]। नेताजी ये क्या, केदारघाटी में कुदरत के कहर से कराह रहे लोगों के लिए जा रही राहत सामग्री उतरवाकर खुद हेलीकॉप्टर से सैर पर निकल पड़े। जनाब यह भी भूल गए कि इस वक्त पीड़ितों को उनकी हवाई नेतागीरी से ज्यादा राहत की जरूरत है। सोमवार को उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने ऐसी ही नेतागीरी का नमूना पेश किया। उनसे पहले एक कैबिनेट मंत्री और विधायक भी ऐसा कर चुके हैं।
राहत उपायों में लापरवाही को लेकर बदनामी झेल रही उत्तराखंड सरकार के माथे पर सरकार के एक और मंत्री ने काला टीका लगाया है। सोमवार को केदारघाटी में फंसे लोगों के लिए राहत सामग्री ले जाने के लिए मौसम में सुधार का इंतजार किया जा रहा था। सुबह से राहत सामग्री लेकर सहस्त्रधारा हेलीपैड पर तैयार खड़े हेलीकॉप्टर को शाम करीब पौने चार बजे उड़ाने की हल्की सी संभावना नजर आई। पायलट ने पीड़ित लोगों की जरूरत देखकर खतरा उठाने का जज्बा दिखाया। लेकिन तभी वहां पहुंचे मंत्री हरक सिंह की नेतागीरी चमकाने की उत्कंठा जाग उठी। उन्होंने आव न देखा ताव। उन्होंने आपदा राहत का पूरा सामान नीचे उतरवाया और हेलीकॉप्टर में खुद सवार होकर निकल पड़े। इसकी वजह से देहरादून से केदारघाटी में राहत जा ही नहीं पाई। रावत के साथ विधायक सुबोध उनियाल भी गए हैं। इसका पता तब चला जब शाम को पानी बरसने लगा और दोनों नेता केदारनाथ में ही फंस गए। रात में दोनों के वहीं पर रहने की सूचना है।
काबिलगौर है कि जनप्रतिनिधियों का इस तरह का रवैया पहले भी सामने आ चुका है। एक रोज पहले प्रदेश के परिवहन मंत्री सुरेंद्र राकेश अपने निजी सहायक के साथ हेलीकॉप्टर में चल पड़े थे। इसके एक दिन पहले केदारनाथ की विधायक शैलारानी रावत ने देहरादून से केदारनाथ के लिए उड़ान भरी, लेकिन रास्ते में उन्हें याद आया कि उनका बैग हेलीपैड पर छूट गया है। विधायक ने इस बैग को लाने के लिए हेलीकॉप्टर आधे रास्ते से वापस देहरादून के लिए मोड़ा गया। ऐसे मौके पर जबकि आपदा पीड़ित पल-पल मौत से लड़ रहे हैं, नेताओं का इस तरह का रवैया सवाल खडे़ कर रहा है।
पीड़ितों के परिजनों से मिले बिना निकल गए अजीत पवार
प्रियंका देशपांडे (मिड डे), मुंबई। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड जाना और गुजरात के तीर्थयात्रियों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित कराने की चर्चा हर राजनीतिक मंच पर हुई। उत्तराखंड में बाढ़ में विभिन्न जगहों पर फंसे महाराष्ट्र के तीर्थयात्रियों को बचाने के लिए कोई ठोस कदम उठाने के मुद्दे पर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार एक नए विवाद में फंस गए हैं। छह घंटे से उनसे मिलने का इंतजार कर रहे उत्तराखंड में फंसे लोगों के परिजनों से वह मिले बिना चले गए।
पवार उनकी शिकायत सुनने के बजाय उनकी ओर देखे बिना जब सरकारी भवन से निकल गए तो 27 लापता तीर्थयात्रियों के परिजनों ने वहां राकांपा के कार्यकताओं का घेराव कर दिया। हंगामा होने के बाद अजीत पवार उनसे पांच मिनट मिलने को तैयार हुए लेकिन वहां नहीं बल्कि वहां से पांच किलोमीटर दूर किसी दूसरी जगह पर। वैसे महाराष्ट्र सरकार ने उत्तराखंड के पीड़ितों के लिए दस करोड़ रुपये की सहायता की घोषणा की है।

क्या कांग्रेस की सरकार --उत्तराखंड में भी वैसा ही करेगी



एतराज इस बात पर कि ..सरकार ने जनता से जो रुपया "दान" या "सहायता" के रूप में, किसी ख़ास "आपदा" के लिए लिया ... वो धनराशी --उस ही कार्य में खर्च क्यों नहीं होती है। 

बस ये ही एक "मासूम सा' -भोला सा -- सवाल है .... क्या कांग्रेस की सरकार --उत्तराखंड में भी वैसा ही करेगी ..जैसा की दिग्विजय नाम के .... दोग्विजय ने किया था --जब वो MP का मुख्यमंत्री था।

Monday, June 24, 2013

सब आदेश-निर्देश अचानक कैसे बदल दिए गए.?

गाँव उजड़ लिया, मेला बिछड़ लिया...
वोटों के बड़े वाले भिखारी अब पहुंचे हैं.!!

विदेश में जन्मदिन मनाकर एक सप्ताह बाद लौटे पप्पू से ज्यादा लाशों पर राजनीति करने वाला कौन होगा.?? कल तक उत्तराखंड सरकार राहत सामग्री लेना बंद कर नगदी मांग रही थी, पप्पू के आते ही सब आदेश-निर्देश अचानक कैसे बदल दिए गए.?

जनता भले ही भूल जाती हो, मगर मुझे याद है पिछली साल यूपी में पप्पू ने खुद को ब्राह्मण बताया था... लगता है उसी 'ब्राह्मण'.?? को विजय बहुगुणा ने कर्मकांड के लिए बुलाया है.!!

यूँ ही चलता रहा तो एक दिन पप्पू कांग्रेस का अंतिम संस्कार करवाकर ही मानेगा.!!

2014 में हर देशभक्त को कांग्रेस के कर्मकांड का इन्तजार है.!!

गाँव उजड़ लिया, मेला बिछड़ लिया...
वोटों के बड़े वाले भिखारी अब पहुंचे हैं.!!

विदेश में जन्मदिन मनाकर एक सप्ताह बाद लौटे पप्पू से ज्यादा लाशों पर राजनीति करने वाला कौन होगा.?? कल तक उत्तराखंड सरकार राहत सामग्री लेना बंद कर नगदी मांग रही थी, पप्पू के आते ही सब आदेश-निर्देश अचानक कैसे बदल दिए गए.?

जनता भले ही भूल जाती हो, मगर मुझे याद है पिछली साल यूपी में पप्पू ने खुद को ब्राह्मण बताया था... लगता है उसी 'ब्राह्मण'.?? को विजय बहुगुणा ने कर्मकांड के लिए बुलाया है.!!
#pappureturns

यूँ ही चलता रहा तो एक दिन पप्पू कांग्रेस का अंतिम संस्कार करवाकर ही मानेगा.!!

2014 में हर देशभक्त को कांग्रेस के कर्मकांड का इन्तजार है.!!

Sunday, June 23, 2013

इनकी नियत सेवाभाव की नहीं है

अब पता चला की मोदी ने इन भ्रस्तो को सिर्फ दो करोड़ ही क्यों दिए ?? क्योकि इनकी नियत सेवाभाव की नहीं है ..

जाने दिग्विजय सिंह जी के बारे में

आज जिसको देखो वो परमपूज्य श्री दिग्विजय जी पर व्यंग कसता फिरता हैं | इन मूर्खो को परम प्रतापी दिग्गी राजा जी की बहुमुखी प्रतिभा का ज्ञान नहीं इसलिए | आइये जाने दिग्विजय सिंह जी के बारे में

# जब इनका जन्म हुआ तो इंसानों के अलावे शहर भर के आवारा कुत्तो में बेशुमार जश्न का माहौल था |
# इनके जन्म पर विश्व भर के किन्नरों ने बधाई दी थी |
# बहुमुखी प्रतिभावान दिग्विजय जी में इंसानों के अलावे कुत्ते, सूअर व चिम्पैंजियों के भी DNA मौजूद हैं |
# विश्व भर में सिर्फ दो ही चीज़े बड़ी लम्बी हैं , कानून के हाथ व दिग्विजय जी की जुबान |
# दिग्विजय जी बिना रुके नॉन स्टॉप 24 घंटे अपनी जुबान चला सकते हैं |
# ये अपनी जुबान से प्रति मिनट 10 मेगावाट बिजली पैदा कर सकते हैं |
# आरएसएस जिसे कोई नहीं जानता था उसे दिग्विजय जी ने पहचान दिलाई |
# अपने बातो में आरएसएस का जिक्र करके उन्होंने लोगो में संघ के प्रति जागरूकता पैदा की |
# इन्ही की बदौलत बड़ी संख्या में लोग आरएसएस से जुड़े |
# इनका जन्म का मुख्या उद्देश्य कांग्रेस का सफाया हैं और ये कई राज्यों में इसका प्रमाण भी दे चुके हैं |
# जन जन तक मोदी का प्रचार दिग्विजय जी ने अपने भाषणों से किया |
# इनकी बाते इंसानों की समझ से परे हैं क्यूंकि इनका दिमाग हाई-टेक क्वालिटी का हैं |
# आज राहुल गाँधी की जो भी छवि हैं वो इन्ही की बदौलत हैं |
# इनके दिमाग की कीमत विश्व में सबसे ज्यादा रखी गयी हैं क्यूंकि उसका आज तक इस्तेमाल नहीं किया गया |
# बिखरती भाजपा को बीच बीच में टोनिक देने का काम दिग्विजय जी ने किया |
# एमपी की जनता को एक अच्छा मुख्यमंत्री सिर्फ दिग्विजय जी के कारण हुआ , आज इन्ही के महान कार्यो की बदौलत एमपी में कांग्रेस को कोई नहीं चुनता |
# राहुल बाबा ने मोहनदास गाँधी के अधूरे सपने (कांग्रेस का खात्मा ) को पूरा करने का बीड़ा उठाया हैं और उन्हें इस जिम्मेदारी का एहसास दिग्विजय सिंह जी ने दिलवाया |
# आज फेसबुक पर लगभग सभी राजनैतिक हास्य व व्यंग पर आधारित पेज इन्ही की बदौलत चलते हैं |
# जो लोग कभी नहीं हँसते थे उनके चहरे पर दिग्विजय सिंह ने अपनी बेबाक बातो से हंसी लायी |
# चुतिया , बकलोल , पागल जैसे शब्दों को उदाहरण की जरुरत थी , आज इन शब्दों का प्रयोग दिग्विजय सिंह के लिए होता |
# दिग्विजय सिंह जी के घर हर अमावश्य को अखंड चुतियापा का पाठ होता हैं |
# जहाँ लोग एक पिता नहीं एफोर्ड कर पाते इन्होने कई पिताओं को अपने जीवन में जगह दी |
# बुरे लोगो से भी अच्छे तरीके से बात करना दिग्विजय सिंह जी ने सिखलाया ( ओसामा जी ) |

अंग्रेजो की कूटनीति और भारत का विभाजन

अंग्रेजो की कूटनीति और भारत का विभाजन :-----

भारत के साथ सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि इसका इतिहास जो आज विद्यालयों में पढ़ाया जा रहा है वह इसका वास्तविक इतिहास नही है। यह इतिहास विदेशियों के द्वारा हम पर लादा गया एक जबर्दस्ती का सौदा है और उन विदेशी लेखकों व शासकों के द्वारा लिखा अथवा लिखवाया गया है जो बलात हम पर शासन करते रहे और शताब्दियों तक इस राष्ट्र का शोषण करते रहे।भारत के अतीत को खोजिये तो आप पाएंगे कि आज का बांग्लादेश, पाकिस्तान, बर्मा, नेपाल, तिब्बत, भूटान, श्रीलंका, मालद्वीप, ईरान और अफगानिस्तान सहित एशिया में कितने ही देश, इस देश के अतीत के अंग बने हुए थे। ये सब मिलकर भारत का निर्माण करते थे अथवा यह कहें कि इन सबसे मिलकर भारत बनता था। कभी मगध के अधीन तिब्बत और नेपाल भी रहे थे। त्रिविष्टप तो तिब्बत का प्राचीन नाम है जहां से उतरकर आर्य लोग शेष भारत में फैले थे। यह प्रदेश ही प्राचीन काल में मानव सृष्टि का उदगम स्थल माना गया है। ईरान कभी आर्यन प्रदेश था तो अफगानिस्तान उपगण-स्थान के नाम से जाना जाता था।

ईरान के राजा तो अपने नाम के साथ सदा आर्य मेहर (सूर्यवंशी आर्य) शब्द का प्रयोग करते रहे हैं। वहां की हवाई उड़ानों का नाम आर्यन ही है। वहां आज तक हमें यही पढ़ाया जाता है कि आर्य लोग भारत से यहां आये। जबकि भारत में इसका विपरीत पढ़ाया जाता है। इस उल्टे को यहां सीधा नही किया जा सकता। क्योंकि कुछ लोगों की आपत्ति होती है कि ऐसा करने से भारत के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को खतरा उत्पन्न हो जाएगा। यह प्राचीन भारत अपने स्वरूप में सन 1876 ई तक लगभग ज्यों का त्यों बना रहा। उस समय तक अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्री लंका, बर्मा, नेपाल, तिब्बत, भूटान, बांग्लादेश इत्यादि देशों का कोई अस्तित्व नही था। ये सारा भूभाग भारत कहा जाता था। अंग्रेजों ने 26 मई सन 1876 ई को रूस की साम्राज्यवादी नीति से बचने के लिए भारत को प्रथम बार विभाजित किया और अफगानिस्तान नाम के एक बफर स्टेट की स्थापना कर उसे स्वतंत्र देश की मान्यता दी। तब भारत के देशी नरेश इतने दुर्बल और राष्ट्र भक्ति से हीन हो चुके थे कि उन्होंने इस विभाजन को विभाजन ही नही माना बल्कि बड़े सहज भाव से इस पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी।

इतिहास में इस घटना को विभाजन के रूप में दर्शित नही किया गया। आज तक हम वही पढ़ रहे हैं जो अंग्रेजों ने इस विषय में लिख दिया था। इसके पश्चात सन 1904 ई में नेपाल को तथा सन 1906 ई में भूटान और सिक्किम को भारत से अलग किया गया। बाद में सिक्किम ने सन 1976 ई में भारत में अपना विलय कर लिया, जबकि नेपाल के विलय प्रस्ताव को रूस के समर्थन के बाद भी नेहरू जी ने सन 1955 ई में अस्वीकार कर दिया। अंग्रेज शासक अपने साम्राज्य की सुरक्षार्थ निहित स्वार्थों में देश को बांटता गया और नये नये देश इसके मानचित्र में स्थापित करता गया और हमने कुछ नही किया। सन 1914 ई में अंग्रेजों व चीन के मध्य एक समझौता हुआ जिसके अनुसार तिब्बत को एक बफर स्टेट की मान्यता दी गयी। मैकमोहन रेखा खींचकर हिमालय को विभाजित करने का अतार्किक प्रयास किया गया, जो भूगोल के नियमों के विरूद्घ था।

सन 1911 ई में अंग्रेजों ने श्रीलंका और सन 1935 ई में बर्मा को अलग देश की मान्यता दे दी। अंग्रेज शासक राष्ट्र की एकता और अखण्डता को निर्ममता से रौंदता रहा और हम असहाय होकर उसे देखते रहे। इनसे दर्दनाक और मर्मान्तक स्थिति और क्या हो सकती है? कांग्रेस इस सारे घटनाक्रम से आंखें मूंदे रही। उसकी उदासीनता सचमुच लज्जाजनक है। बर्मा, रंगून और माण्डले की जेलें हमारे देशभक्तों को सजा देने के काम आती रहीं। कोई वह विदेश की जेलें नही थी, अपितु वह अपने ही देश की जेलें थी, जहां अंग्रेज हमारे देशभक्तों को ले जाया करते थे। उन पर तत्कालीन कांग्रेसी नेतृत्व ने जरा भी विचार नही किया। ऐसा लगता है कि यथाशीघ्र सत्ता मिल जाना और इस देश पर शासन करना ही कांग्रेसी नेताओं की परंपरा थी। इसलिए जब अंग्रेज यहां से गया तो उसने मालदीव को भी अलग देश का स्तर दे दिया और इस देश के तीन टुकड़े कर गया। पिछली सदी की भयानक त्रासदी थी-भारत विभाजन जिसमें लाखों लोग जनसंख्या की अदला बदली में मारे गये थे।

आज देश में अराजकता की स्थिति है। भगीरथ को अपने साठ हजार पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए गंगा को हिमालय से धरती पर लाना पड़ा था, लेकिन हम अपनी आजादी के समय लगभग दस लाख लोगों के मरने को शहादत तो दूर उसे मरना भी नही मानते। हमने उनकी आत्मा की शांति के लिए कुछ भी तो नही किया। उनकी याद को यूं भुला दिया गया जैसे कुछ हुआ ही नही, यानि ये वो लोग रहे जिनके लिए न तो दीप जले और न पुष्प चढ़े। कांग्रेसी नेतृत्व ने इस ओर भी ध्यान नही दिया कि भारत में मुस्लिमों की जनसंख्या में हो रहे अचानक जनसांख्यिकीय परिवर्तन के क्या परिणाम होंगे? इसलिए उसने पूर्व के विभाजनों की भांति इस विभाजन को भी सहज रूप में मान लिया। एक षडयंत्र के अंतर्गत हम आज तक वही पढ़ते आ रहे हैं जो अंग्रेजों ने हमारे विषय में लिख दिया है। यह केवल भारत ही है जहां अपने गौरवपूर्ण अतीत की बातें करना भी साम्प्रदायिकता माना जाता है।

लगता है कि हमने अपने अतीत के कडवे अनुभवों से कोई शिक्षा नही ली है। पाकिस्तान का अस्तित्व भारत का सातवां और बांग्लादेश आठवां टुकड़ा है। क्या अनुसंधान कर्ता इस ओर ध्यान देंगे?

Friday, June 21, 2013

आखिर हमारा टैक्स किस काम का ?

जुलाई अगस्त 2010 पकिस्तान में बाढ़ आई थी हमारे मनमोहन सिंह जी ने पकिस्तान को अपनी तरफ से मदद की पेशकश की थी | अपनी तनख्वाह के नहीं हमारी मेहनत के . मंदिरों के , टैक्स के पैसा 5 मिलयन डॉलर पकिस्तान को देदिए | उसके बाद 20 मिलियन डॉलर की और पेशकश की |

अगर हज करने गए हाजीओं के साथ कोई दुर्घटना हुई होती, तो ये सरकार और कुत्ते कांग्रेसी और सेकुलरवादी कुत्ते अरबों खरबों की सहायता दे चुके होते, और पचास लाख प्रति मृतक को मुआवजा घोषित कर दिया होता, अब क्यूंकि उत्तराखंड में सिर्फ हिन्दू-सिख मरे हैं इस लिए सरकार मस्त और त्रस्त है … 

मई 2013 अफगानिस्तान में प्रणब मुखर्जी ने 2 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त सहायता राशि की घोषणा की सिर्फ अफगानिस्तान की सडको , बिजली और मेडिकल के लिए..

ये सिर्फ कुछ उदाहरण हैं बांग्लादेश, ईरान और न जाने कितने छोटे बड़े देश गिनती में हैं | और वही सरकार जो पकिस्तान , यूरो जोन , अफगानिस्तान , ईराक , बंगाल को पैसे बाँट रही है अपने देश में आई आपदा पे भिखारी हो जाती है |

हमारे मनमोहन जी जो विदेशों में मिलियन डालर बाँट रहे देश में सिर्फ 1000 करोड़ , मृतको को २ लाख रुपये जैसी बात कर रहें है..

1000 करोड़ का दान तो भारत के लोगरोज भिकारियो को दे दिया करते हैं|
जहाँ 20000 से अधिक लोग मारे गए हैं और २ लाख लोगों तक कोई सहायता पहुँच ही नहीं पायी है वहां हमारे देश में सिर्फ 145 करोड़ रुपये ही तत्काल जारी किये गए हैं |

आखिर हमारा टैक्स किस काम का ?

क्या कांग्रेसी इतने निर्दयी और निष्ठुर हो सकते है ??

क्या कांग्रेसी इतने निर्दयी और निष्ठुर हो सकते है ??

एक तरफ जहाँ पूरा देश उत्तराखंड की तबाही पर शोकमग्न है वही दूसरी तरफ शीला दीछित राहुल गाँधी के जन्मदिन को मनाने के लिए एक बड़ी पार्टी रखी थी ... 
आखिर अब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्यों खामोश है ?? सिर्फ इन्डियन एक्प्रेस ने ही शीला के इस दोगलेपन को उजागर किया 
http://www.indianexpress.com/picture-gallery/today-in-pics-congress-workers-celebrate-rahul-gandhis-43rd-birthday/2926-3.html

"माना की देश में अँधेरा घना है ..
लेकिन किसी कांग्रेसी को जुतियाना कहा मना है "




Thursday, June 20, 2013

दोगली कांग्रेस



एक तरफ दोगली कांग्रेस की केंद्र सरकार उत्तराखंड के पीडितो के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष बनाकर भीख मांग रही है .. हर चैनेल पर कहा जा रहा है की कृपया उत्तराखंड बाढ़ पीड़ित राहत कोष में दान दे ....

दूसरी तरफ बैशाखी चोर विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद ईराक में जाकर इराक को दो करोड़ डालर देने, २०० बसे, पचास रेल इंजन, दो हास्पिटल खोलने का एलान करता है ..

अरे दोगलो ... भारत के लोगो के लिए तुम राहत के लिए हमसे भीख मांग रहे हो और ईराक के जाकर खजाना खोल रहे हो ? क्या ये तुम्हारे बाप का पैसा है ??

कांग्रेस सरकार घोर हिंदू- विरोधी

मुख्यमंत्री असंवेदनशीलता दिखाते हुए बीवी के साथ स्वीट्जरलैण्ड के लिए निकल जाएंगे। 

लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा खुद बाढ़ में फंसे हजारों लोगों को भगवान भरोसे छोड़कर विदेश दौरे पर जाने जाने की प्लानिंग कर रहे हैं। बहुगुणा जब गुरूवार को राहत कार्यो का जायजा लेने जोशीमठ पहुंचे तो नाराज लोगों ने उन्हें घेर लिया। लोगों ने बहुगुणा के खिलाफ नारेबाजी की। 

उत्तराखण्ड के सीएम को लोगों ने घेरा 
उत्तराखण्ड भयंकर विभीषिका से जूझ रहा है। बादल फटने के बाद आई बाढ़ से सैंकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों के मारे जाने की आशंका जताई जा रही है।

इसे उत्तराखण्ड के इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी बताया जा रहा है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार की ओर से उन्हें कोई राहत नहीं मिली है। मुख्यमंत्री अपनी पत्नी और कुछ अधिकारियों के साथ अगले हफ्ते स्विट्जरलैण्ड विदेश दौरे के लिए मुख्यमंत्री ने विदेश मंत्रालय से अनुमति मांगी है।

विदेश मंत्रालय उम्मीद कर रहा था कि बाढ़ से हुई तबाही के कारण मुख्यमंत्री अपना दौरा रद्द कर लेंगे लेकिन जब मुख्यमंत्री की ओर से इस तरह का कोई अनुरोध नहीं आया तो बुधवार को विदेश मंत्रालय ने दौरे को अनुमति दे दी।
http://patrika.com/news.aspx?id=1068684

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सोनिया गाँधी सिर्फ ९ पास है .. कल जेट प्लेन से सर्वे के नाम पर हिन्दुओ को मरते देखने का असीम आनन्द लिया .. फिर जौली ग्रांट एयरपोर्ट पर उतरते ही कहा की १२ सौ करोड़ का नुकसान हुआ है ...

अरे वाह ... इतना जल्दी इस्टीमेट तो आईआईटी या एमआईटी का कोई सिविल इंजिनियर भी नही निकाल सकता !!!


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इस बड़ी विपदा के लिये केन्द्र सरकार केवल 1000 करोड़ रुपये दे रही है और वादाफ़ोन जैसे विदेशी क्म्पनी को 4000 करोड़ से जादा टॅक्स माफी दे रही है बेशर्म मनमोहन और सोनिया की सरकार!
हो रहा भारत निर्माण

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एक तरफ दोगली कांग्रेस की केंद्र सरकार उत्तराखंड के पीडितो के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष बनाकर भीख मांग रही है .. हर चैनेल पर कहा जा रहा है की कृपया उत्तराखंड बाढ़ पीड़ित राहत कोष में दान दे ....

दूसरी तरफ बैशाखी चोर विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद ईराक में जाकर इराक को दो करोड़ डालर देने, २०० बसे, पचास रेल इंजन, दो हास्पिटल खोलने का एलान करता है ..

अरे दोगलो ... भारत के लोगो के लिए तुम राहत के लिए हमसे भीख मांग रहे हो और ईराक के जाकर खजाना खोल रहे हो ? क्या ये तुम्हारे बाप का पैसा है ??

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चाहे आसमान गिर जाए या धरती फट जाए, कोई भी मुस्लिम संघठन कभी आगे नहीं आता बचाव कार्य के लिए... मुसलमानों का जमावड़ा सिर्फ होता है आरक्षण की मांग के लिए, दंगे करने के लिए या फिर हिंसा फैलाने के लिए. उधर दूसरी तरफ, RSS को बदनाम करने कभी जा के ये नहीं देखतीं कि RSS बिना मीडिया में किसी भी तरह का प्रचार करते हुए कितना बेहतरीन कार्य करता है .

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मित्रों ये कांग्रेस सरकार घोर हिंदू- विरोधी है, केदरनाथ में हिंदू मर रहे हैं और सारे कांग्रेसी दलाल दिल्ली में बैठ कर जाम से जाम टकरा रहे हैं, और दूसरी तरफ विदेशी बार बाला सोनिया का लल्ला विदेशों में मजे ले रहा है, 

कोई बात नहीं कांग्रेसिओं लगा लो तुम अपना पूरा जोर जिस एक समुदाय विशेष की वजह से तुम लोग 85% हिंदुओं को नजरंदाज कर रहे हो, उसी समुदाय को तुम पकड कर रखो 2014 तक, और चुनावों में इस समुदाय से दो- दो बार भी वोट करवा लेना, दिखा देना फिर भी सत्ता में आकार.. 

अगर हिंदू तुमको सत्ता में ला सकते हैं तो तुम को सत्ता से लात मारकर धुल भी चटा सकते हैं..

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मौसम विभाग के निदेशक ने कहा है की हमारी दिल्ली ऑफिस और देहरादून ऑफिस ने कई बार उत्तराखंड सरकार को भारी बारिश की चेतावनी दी थी ..लेकिन राज्य सरकार ने हमारी चेतावनी को अनदेखा किया ...

मित्रो, असल में ये विजय बहुगुणा अपनी गद्दी बचाने के चक्कर में ही रहा ... जबसे इसने उत्तराखंड की कुर्शी सम्भाली तब से इसने सिर्फ और सिर्फ नदियों के किनारे की बेशकीमती जमीन को बेचने का ही काम किया .. इसका बेटा आज उत्तराखंड का सबसे बड़ा जमीन दलाल है ... 
जिस राजाजी पार्क में कभी गाड़ी लेकर जाना प्रतिबंधित था उसके अंदर भी इसने गाड़ी लेकर जाने की अनुमति दे दी है .. 

ये विजय बहुगुणा का उत्तराखंड से सिर्फ इतना ही नाता है की इसके पुरखे टिहरी के निवासी थे .इसका परदादा इलाहबाद में आकर बस गया ..

मजे की बात ये की इसके पिताजी हेमवती नन्दन बहुगुणा घोर कांग्रेस विरोधी थे .. बेचारे बड़े नेता और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री होते हुए भी इलाहबाद से अमिताभ बच्चन से बुरी तरह हार गये थे जिसके दुःख से उनकी जान चली गयी थी ..

इसकी बहन रीता बहुगुणा जो आज दिन में हजार बार सोनिया जी राहुल जी करती है ..एक जमाने में सपा में थी और सपा की महिला विंग की प्रमुख थी और राहुल और सोनिया को देश का कलंक बताती थी |

इतना ही नही विजय बहुगुणा के उपर इलाहबाद और मुंबई हाईकोर्ट के जज रहने के दौरान भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे जिसके कारण उनको जज से इस्थिपा देना पड़ा .. और उन्होंने इस्थिपा तब दिया जब सुप्रीमकोर्ट ने उनके सामने महाभियोग लगाने का आदेश दे दिया था ..

उत्तराखंड के चुनाव में हरीश रावत ने अपना खून पसीना बहाकर कड़ाके की ठंड में मेहनत किया था ..बीजेपी से सिर्फ एक सिट ज्यादा आने के कारण उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनी ..सबको लगता था की जो उत्तराखंड में रहता है और जिसने चुनावो में मेहनत की है वही हरीश रावत मुख्यमंत्री बनेगा .. लेकिन हरीश रावत बेचारे नही समझ पाए की कांग्रेस में सोनिया के दरबार में मुख्यमंत्री पद की बोली लगती है ..जो सबसे ज्यादा हप्ता देने और राष्ट्रिय दामाद को जमीन की लुट करने की लिखित गारंटी देता है वही मुख्यमंत्री बनता है |

फिर अचानक इलाहबाद में रहने वाले विजय बहुगुणा को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बना दिया गया ... और चूँकि कांग्रेसियो के मन में न कोई जमीर नाम की चीज बची है और न ही स्वाभिमान नाम की कोई चीज ..सब के सब अपने आपको गाँधी खानदान का गुलाम मानते है इसलिए बेचारे हरीश रावत भी चुपचाप हाईकमांड के फैसले को मान लिए |

राहुल गाँधी विदेश में मौजमस्ती

जब जब देश में आफत और विपत्ति आती है तब तब ये निष्ठुर और हिन्दुओ से घृणा करने वाला राहुल गाँधी विदेश में मौजमस्ती करने चला जाता है

जब यूपी के मुस्लिम डीएसपी जिया उल हक की हत्या हुई तब ये उनके घर आँखों में ग्लिसरीन लगाकर गया था ..जब यूपी में एक मुस्लिम लडकी के उपर तेजाब फेका गया था तब ये उसको देखने गया था और उसे अमेरिका भेजा ... हमे इस पर कोई विरोध नही है .. किसी की बेटी के उपर तेजाब फेका जाए तो उसका इलाज करवाना सरकार का फर्ज है और राहुल गाँधी गये ये अच्छी बात है |

लेकिन यही राहुल गाँधी मुंबई एसिड अटैक की शिकार बेटी प्रीटी राठी को देखने तो दूर फोन करके भी उसका हालचाल नही लिया ... विदेश इलाज करने भेजने की तो दूर की बात है बेचारी तीन महीनों तक अस्पताल में पल पल तडप तडप कर मरती रही उसको देखने महाराष्ट्र का एक मंत्री तक नही गया |

असल में मित्रो ये नकली गाँधी खानदान हिन्दुओ से घोर नफरत करता है .. राजबाला कई महीनों तक पुलिस की लाठियो से घायल होकर दिल्ली में जीवन और मौत से संघर्ष करती रही अंत में बेचारी स्वर्गवासी हो गयी उसका हालचाल लेने कोई मंत्री तो दूर कोई कांग्रेसी भी नही गया था |

यही राहुल गाँधी चार साल पहले सबरीमाला मन्दिर में हुए भगदड़ जिसमे ३०० लोग मारे गये थे उस समय ये सबरीमाला मन्दिर से सिर्फ ४० किमी दूर एक रिजोर्ट में थे | राजीव गाँधी और सोनिया गाँधी के सहायक और राजीव गाँधी मेमोरियल ट्रस्ट के प्रमुख सुमन दुबे की बेटी का विवाह में शामिल होने के लिए राहुल गाँधी सबरीमाला मन्दिर के पास में ही एक रिजोर्ट में थे लेकिन राहुल गाँधी न तो सबरीमाला मन्दिर गये और न ही अस्पताल में जाकर घायलों का हालचाल लिया था |

बाद में जब केरल के अखबारों और मलयाली चैनेलो ने राहुल गाँधी की इस निष्ठुरता को उजागर किया तब राहुल गाँधी के ऑफिस ने सफाई दिया की राहुल गाँधी जाना चाहते थे लेकिन खराब मौसम की वजह से नही जा सके ... हद है दोगलेपन और नीचता की |

मित्रो, क्या आपने कभी देखा है की किसी हिन्दू समारोह में राहुल गाँधी शामिल होते हो ?? या किसी भी ऐसे ट्रेजिडी में जिसमे हिन्दू मरे हो वहाँ क्या किसी ने ग्लिसरीन लगाकर भी क्या आंसू बहाते राहुल गाँधी को देखा है ??

सोचिये, एक तरफ उत्तराखंड में हजारो हिन्दू श्रद्धालु मारे गये अरबो रूपये का नुकसान हुआ लेकिन राहुल गाँधी अपने जीजा के निजी जेट में यूरोप में अपने जन्मदिन मनाने का मजा लुट रहे है |

क्या ऐसा नीच और दोगला इन्सान को भारत का प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब भी देखना चाहिए ?? शर्म करो हिन्दुओ जो कांग्रेस के द्वारा इतना लतियाने और अपमानित करने के बाद भी कांग्रेस को वोट देते हो


Wednesday, June 19, 2013

यदि राजा पापी हो

इसको अनदेखा नही किया जा सकता :-

हिमाचल में वर्षा जल से जन जीवन प्रभावित :- सरकार कांग्रेस |
उत्तराखंड में वर्षा जल से भीषण तबाही :- सरकार कांग्रेस |
हरियाणा में वर्षा जल से बड़ा नुक्सान :- सरकार कांग्रेस |
महाराष्ट्र में वर्षा जल से नुक्सान :- सरकार कांग्रेस |
दिल्ली में यमुना का जल स्थर बढ़ने से खतरा :- सरकार कांग्रेस |
उत्तर प्रदेश में कई जगह बाढ़ का खतरा : सरकार सपा , सहयोगी कांग्रेस |

गुजरात में वर्षा जल से सुखा प्रभावित इलाकों में ख़ुशी की लहर दौड़ी , हालत सामान्य ||

यदि राजा पापी हो , कुकर्मी हो तो उसके द्वारा किये गए दुष्कर्मों से प्रजा भी संकट में आ जाती है .... विदुर ||

इन सब के लिए कौन जिम्मेदार है?



इन सब के लिए कौन जिम्मेदार है?

(1) राउरकेला और जमशेदपुर में 1964 के सांप्रदायिक दंगों में मुसलमानों ने 2000 हिंदुओ को मार डाला .

सत्तारूढ़ पार्टी- कांग्रेस


(2) बंगाल 1947 में सांप्रदायिक दंगों में मुसलमानों ने 5000 हिंदुओ मार डाला –
सत्तारूढ़ पार्टी -कांग्रेस


(3) 1967 अगस्त रांची में सांप्रदायिक दंगों में मुसलमानों ने 200 हिंदुओ फिर मारा गया – सत्तारूढ़ पार्टी -कांग्रेस-कांग्रेस


(4) 1969 अहमदाबाद में सांप्रदायिक दंगों में मुसलमानों ने 512 से अधिक हिंदुओ को मार डाला सत्तारूढ़ पार्टी – कांग्रेस


(5) 1970 महाराष्ट्र में भिवंडी सांप्रदायिक दंगों में मुसलमानों ने लगभग 80 हिंदु मारे गए – सत्तारूढ़ पार्टी -कांग्रेस
(6) 1979 में मुसलमानों ने जमशेदपुर में साम्प्रदायिक दंगों,में 126 हिंदुओ मार डाला, पश्चिम बंगाल 125 से अधिक हिंदु मारे गए – सत्तारूढ़ पार्टी -CPIM


(7) 1980 मुरादाबाद साम्प्रदायिक दंगों में लगभग मुसलमानों ने 2000 हिंदुओ को मार डाला – सत्तारूढ़
पार्टी – कांग्रेस


(8)1984 भिवंडी में साम्प्रदायिक दंगों में मुसलमानों ने 146 हिंदुओ को मार डाला, – सत्तारूढ़ पार्टी -कांग्रेस, पाटिल मुख्यमंत्री – Vasandada


(9)1984 दिल्ली में साम्प्रदायिक दंगों में मुसलमानों ने 2733हिंदुओ को मार डाला – सत्तारूढ़ कांग्रेस -पार्टी


(10)1985 में मुसलमानों ने अहमदाबाद में सांप्रदायिक दंगों में 300 हिंदुओ को मारा गया | – सत्तारूढ़ कांग्रेस -
पार्टी


(11) 1986 में मुसलमानों ने अहमदाबाद में सांप्रदायिक हिंसा 59 हिंदुओको मार डाला | – सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस


(12) 1987 - 81 हिंदु मारे गए सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस मेरठ में साम्प्रदायिक उत्तर प्रदेश, हिंसा |


(13) 1983 फ़रवरी 2000 हिंदु को मार डाला | | Nallie, असम में सांप्रदायिक हिंसा प्रधानमंत्री – इंदिरा गांधी.

(14) कश्मीर हिन्दुओ से खाली हो गया उस का जिम्मेदार कौन है, कांग्रेस सत्ता में और इस का अलावा बहुत कांड है जो कांग्रेस ने किये है, इन को मीडिया क्यों नहीं रोता क्यों सिर्फ गुजरात दीखता है, गोधरा क्यों नहीं दीखता हैं ??

जागो हिन्दुओ जागो !!
आखिर कब तक सोते रहोगे??
आखिर कब तक ??

Sunday, June 16, 2013

कांग्रेसी मुखिया ने पीने के लिए शराब की सस्ती

खाने के लिए रोटी नहीं और कांग्रेसी मुखिया ने पीने के लिए शराब की सस्ती .... 

उत्तराखंड विधानसभा मे प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने नया आबकारी बिल पेश किया और उसे सर्वसम्मति से पास भी कराया है जिसमे नयी आबकारी नीति के तहत शराब के दामों मे बेइन्तेहा गिराबट लायी ... जहाँ प्रदेश मे कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने रसोई गैस और पेट्रोल पर सब्सिडी बढ़ाई और शराब पर कम की इससे अंदाजा तो यही लगाया जा सकता है कि बहुगुणा अपने कांग्रेसी दिगाज नेहरु के पदचिन्हों पर पूर्ण रूप से चल रहे हैं , जब से उत्तराखंड मे कांग्रेस कि सरकार आई है तब से इतनी महंगाई हो गयी है कि केंद्र की कांग्रेस सरकार ने भी इतनी महंगाई नहीं बढ़ाई है .. उत्तराखंड मे महंगाई की दोहरी मार दे रही है कांग्रेस और वहीँ अपनी जेबें भरने से फुर्सत नहीं मिल रही है इस सरकार को .... !!!

आज प्रदेश का प्रत्येक वो व्यक्ति पछता रहा है इस सरकार से जिसने कांग्रेस को वोट नहीं दिया और वो सिर्फ उन लोगो की वजाह से जिन्होंने कांग्रेस को वोट दिया है ... कुछ कांग्रेसी भी इस मुख्यमंत्री से परेशान हैं ... !!!

भारत माता की जय 

कांग्रेसी नेता की अश्लील CD

एक से बढ़कर एक विकी डोनर.
हिमाचल प्रदेश में बंट रही है एक बड़े कांग्रेसी नेता की अश्लील CD ....!!!

हिमाचल प्रदेश के मंडी उपचुनाव से करीब एक सप्ताह पहले केंद्रीय मंत्री रह चुके कांग्रेस के एक बुजुर्ग नेता की आपत्तिजनक अवस्था में एक महिला के साथ बनाई गई अश्लील सीडी सामने आने से हिमाचल की राजनीति में भूचाल आ गया है। इस सीडी को विशेषकर नेताजी के होमटाउन मंडी में गोपनीय तरीके से बांटा गया है, जहां लोकसभा सीट के उपचुनाव में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह कांग्रेस की तरफ से मैदान में हैं। उनके खिलाफ बीजेपी से जयराम ठाकुर मैदान में हैं।

अचानक सामने आई इस सीडी से परेशान हिमाचल सरकार ने मामले की जांच राज्य सीआईडी को सौंप दी है। सीआईडी फिलहाल पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस सीडी को जारी करने के पीछे कौन है। शिमला स्थित सीआईडी थाने में आईटी ऐक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई है। साथ ही इसमें महिला को भद्दे और अश्लील ढंग से प्रदर्शित किए जाने, मानहानि और अश्लील सामग्री के वितरण से जुड़े कानून के तहत भी अज्ञात आरोपियों को आरोपित किया गया है।

बताया जाता है कि इस सीडी को काफी पहले हिमाचल के बाहर किसी जगह पर बंद कमरे या शायद होटेल के रूम में फिल्माया गया है। सीडी में मंडी के प्रभावशाली नेता के साथ दिखाई देने वाली महिला अधेड़ उम्र की हैं और अनुमान है कि वह हिमाचल से बाहर की हैं। सीडी में कांग्रेस को जो नेता दिखाई दे रहे हैं, वह एक घोटाले में फंस चुके हैं और फिलहाल बेल पर बाहर हैं। वह कांग्रेस उम्मीदवार प्रतिभा सिंह का जोर-शोर से समर्थन और प्रचार कर रहे हैं। करीब आधे घंटे की इस सीडी में महिला और नेता के अश्लील दृश्यों की कई क्लिपिंग्स हैं।

समाचार साभार ....NBT

आईपीएल कमिश्नर राजीव शुक्ला की भूमिका

राजीव शुक्ला की पत्नी अनुराधा प्रसाद की पांच कंपनियों में...
डायरेक्टर है दिल्ली पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार की बेटी अंकिता कुमार

आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी के सनसनीखेज खुलासों के बाद से ही सभी लोगों के दिमाग में सिर्फ एक ही सवाल कौंध रहा है कि इस पूरे प्रकरण में आईपीएल कमिश्नर राजीव शुक्ला की क्या भूमिका रही होगी? क्या दिल्ली पुलिस राजीव शुक्ला की भूमिका की भी जांच करेगी? अगर दिल्ली पुलिस ने राजीव शुक्ला की तरफ से आंखें मीच रखीं हैं तो उसके क्या कारण हैं? दबी जुबान से इन कारणों का ज़िक्र भी सभी लोग करते हैं, आशंका, संभावना और कयास भी लगाते हैं लेकिन आज तक खुल कर कह पाने की हिम्मत किसी में नहीं हुई है।
पहली बार एक अंग्रेज़ी अखबार ने बड़े हौले से राजीव शुक्ला की इस दुखती रग पर हाथ रखा है। दरअसल, यह दुखती रग राजीव शुक्ला की कम और दिल्ली पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार की ज्यादा है। संभवतः अपने मुखिया की इसी दुखती रग की वज़ह से दिल्ली पुलिस ने अभी तक राजीव शुक्ला पर हाथ डालना तो दूर, निगाह घुमा कर भी नहीं देखा है।
टाइम्स ऑफ इण्डिया ग्रुप के दिल्ली से प्रकाशित अखबार इकोनॉमिक्स टाइम्स ने 'राजीव शुक्ला- मीट द मैन हू इज़ द मिनिस्टर, नेटवर्कर, बीसीसीआई मैनड्रेन एंड बिजनेसमैन' शीर्षक से रिपोर्ट को एक खास डिफेंसिव एंगल से छापा है। शुरू से लेकर आखिरी पैरा तक लगता है कि अखबार आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी में राजीव शुक्ला की संलिप्तता की ओर इशारा कर रहा है। राजीव शुक्ला के रसूख और व्यवहार कुशलता की भी डींगें इसमें शामिल है। साथ ही राजीव शुक्ला की पत्नी अनुराधा प्रसाद की कम्पनियों में अम्बानीज़, शाहरुख खान तथा कुछ अन्य लोगों के सक्रिय वित्तीय निवेश का भी खुलासा किया गया है।
सबसे बड़ा खुलासा रिपोर्ट के अंतिम से पांचवें पैरा में किया गया। इसमें लिखा गया है कि 'दिल्ली पुलिस का क्रिकेट में स्पॉट फिक्सिंग-सट्टेबाजी पर इनवेस्टीगेशन और आईपीएल के तीन क्रिकेटरों की गिरफ्तारी, और इन गिरफ्तारियों से आईपीएल टूर्नामेंट पर विवादों के बादल और ये खबर मीडिया की हार्ड कोर सुर्खियां उस समय बन रही हैं जब राजीव शुक्ला के सम्बंध दिल्ली पुलिस के एक अति उच्चस्तरीय अधिकारी से हैं।
दिल्ली के पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार उनके पारिवारिक मित्र हैं और नीरज कुमार की उनतीस वर्षीया बेटी अंकिता कुमार, अनुराधा प्रसाद (राजीव शुक्ला की पत्नी) की पांच कम्पनियों की डायरेक्टर हैं। ये कम्पनियां हैं- बीएजी बिजनेस वेंचर, ई24 ग्लैमर, एपरोच फिल्म्स, न्यूज 24 ब्रॉडकास्ट और धमाल 24 रेडियो नेटवर्क। हालांकि राजीव शुक्ला का कहना है कि वो बीएजी ग्रुप की किसी भी कम्पनी के शेयर होलडर या डायरेक्टर नहीं हैं, किंतु अनुराधा प्रसाद ने इस बारे में जानकारी के लिए किए गए आग्रह पर कोई प्रति उत्तर नहीं दिया।'
मीडिया के पंडित लोग इकोनॉमिक्स टाइम्स में छपी रिपोर्ट के इस खास पैरा के दो आश्य लगा रहे हैं- पहला यह कि आईपीएल में सट्टेबाजी-स्पॉट फिक्सिंग और श्रीसंत सहित तीन क्रिकेटरों की गिरफ्तारी के पीछे सिर्फ और सिर्फ राजीव शुक्ला का हाथ है और दूसरा आशय यह है कि आईपीएल की आड़ में चल रहे इस गोरख धंधे के खुलासे के बाद भी दिल्ली पुलिस ने राजीव शुक्ला पर हाथ सिर्फ इसलिए ही नहीं डाला क्योंकि पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार से राजीव शुक्ला के घनिष्ठ सम्बंध हैं

Sunday, June 9, 2013

आप सीताराम केसरी वाला प्रकरण भूल गयी क्या ?

भा . ज. पा में बुजुर्गो को ही बेइज्जत किया जा रहा हे ,ये तो ट्रेलर हे पूरा सिनेमा अभी बाकी हे :- रेणुका चोधरी

विशेष योग्यता प्राप्त रेणुका काकी जी कांग्रेस में बुजुर्गो का कितना सम्मान किया जाता हे

उस पर तो कई एवरग्रीन मूवीज बनी हुई हे @ आप सीताराम केसरी वाला प्रकरण भूल गयी क्या ?

१३ मार्च १९९८ को चाचा केसरी को हटाने के लिए जितेंद्र प्रसाद ने कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों के लिए भोज आयोजित किया। इस भोज में कार्यसमिति के २० में से १३ सदस्य उपस्थित हुए जिसमें प्रणव मुखर्जी ने दो प्रस्तावों का प्रारूप लिखा। पहला प्रस्ताव था कि केसरी ने इस्तीपेâ की पेशकश कर कांग्रेस पार्टी को नेतृत्वविहीन कर दिया है सो उन्हें पहले पार्टी को अनिश्चय से उबारने के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक आहुत करनी चाहिए और दूसरा प्रस्ताव था कि केसरी को मार्ग प्रशस्त कर सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनने देना चाहिए। दूसरे दिन २४, अकबर रोड में जब कार्यसमिति की बैठक में सीताराम केसरी पहुंचे तो उनके स्वागत में तारिक अनवर के अलावा कोई खड़ा तक नहीं हुआ। बैठक में आने के पहले अधिकांश सदस्य प्रणव मुखर्जी के घर जाकर नए अध्यक्ष के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर चुके थे। जैसे ही केसरी बैठे प्रणव मुखर्जी ने कांग्रेस के संविधान की धारा १९ (जे) के तहत उनकी सेवाओं के लिए आभार प्रदर्शन का प्रस्ताव पढ़ना शुरू कर दिया। केसरी ने इस कदम को असंवैधानिक करार दिया तो सबने उन्हें डांट कर चुप करा दिया। वे तैश में उठ कर खड़े हुए तो किसी ने उनकी धोती खींच दी। वह बाहर आए तो पाया कि उनकी केबिन से उनका नामपट हटाया जा चुका था और वहां सोनिया गांधी का नामपट लग चुका था। जिन लोगों को चाचा केसरी अपना समझ रहे थे उनमें केवल तारिक अनवर बाहर तक उनके साथ आए। नाराज केसरी पुराना किला स्थित अपने निवास लौट आए। सोनिया गांधी के जीवनीकार राशिद किदवई के अनुसार उस दिन जब केसरी अपना गुस्सा किसी और पर नहीं उतार पाए थे तो घर में उनका नित्य पूंछ हिलाकर जीभ निकाल कर स्वागत करने वाली अपनी प्रिय पामेरियन कुतिया रुचि को तो उन्होंने लातो से पीटा था।

Friday, June 7, 2013

नेहरु हिंदू थे या मुस्लिम:एक खोज

नेहरु हिंदू थे या मुस्लिम:एक खोज


आपने नेहरु के बारे में बहुत कुछ पढ़ा सुना होगा. मेरा लेख पढ़िए प्रमाण के
साथ....
नेहरु हिंदू थे या मुस्लिम:एक खोज
भाग-१
(इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार जो अधिकांश लोग जानते है)
• गियासुद्दीन गाजी उर्फ गंगाधर नेहरु- पिता मोतीलाल नेहरु
• मोतीलाल नेहरु- पिता जवाहर लाल नेहरु,
• जवाहर लाल नेहरु- पिता मोतीलाल नेहरु/मुबारक अली
• मैमून बेगम उर्फ इंदिरा गाँधी- पिता जवाहर लाल नेहरु
• राजीव खान गाँधी- पिता फिरोज खान वल्द जहाँगीर नवाब खान, माता मैमून बेगम
उर्फ इंदिरा गाँधी. राजीव खान गाँधी ने ईसाई धर्म अपनाकर अपना नाम रोबर्टो
रखकर अंतोनियो मैनो उर्फ सोनिया कैथोलिक ईसाई से शादी की
• संजय खान गाँधी- पिता मोहम्मद युनुस खान, माता मैमून बेगम उर्फ इंदिरा गाँधी
• राउल विन्ची उर्फ राहुल गाँधी- पिता राजीव खान गाँधी उर्फ रोबर्टो (कैथोलिक
ईसाई)
• बियांका उर्फ प्रियंका गाँधी- पिता राजीव खान गाँधी उर्फ रोबर्टो (कैथोलिक
ईसाई), पति रोबर्ट वढेरा, कैथोलिक ईसाई


भाग-२ (हमारी खोज)
1. संलग्न तस्वीर में बायीं तरफ उपर नेहरु के दादा जी का तस्वीर है जो आनंद
भवन में लगा है और जिसपर लिखा है “जवाहर लाल नेहरु के दादा गंगाधर नेहरु”. ये
१८५७ के विप्लव के पूर्व दिल्ली के कोतवाल थे. नेहरु ने अपने जीवनी में इनके
बारे में लिखा है,
“My grandfather, Ganga Dhar Nehru, was Kotwal of Delhi for some time before
the great revolt of 1857.” (pg.2)
मुगल रिकॉर्ड से पता चलता है की १८५७ के विप्लव के समय और उससे पहले कोई भी
हिंदू दिल्ली का कोतवाल नही था. उस समय दिल्ली का कोतवाल था गयासुद्दीन गाजी.
यह दिल्ली में मुगलों का अंतिम कोतवाल था. तत्कालीन इतिहास से जानकारी मिलती
है की अंग्रेज सैनिक इसे ढूढ रहे थे और यह अपनी जान बचाने के लिए सपरिवार आगरा
की ओर भाग गया था.
नेहरु ने अपनी जीवनी में लिखा है, “The Revolt of 1857 put an end to our
family’s connection with Delhi…The family, having lost nearly all it
possessed, joined the numerous fugitives who were leaving the old imperial
city and went to Agra. He (Gangadhar) died at the early age of 34 in 1861”
(pg.2)
उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट है की गियासुद्दीन गाजी और गंगाधर नेहरु दोनों एक
ही व्यक्ति था. १८५७ में विप्लव के समय जब अंग्रेज सैनिक इन्हें ढूंड रहे थे
तो अपनी जान बचाने के लिए आगरा की ओर भाग गए साथ ही अपना पहचान छुपाने के लिए
अपना नाम भी बदल लिए और पहचान भी क्योंकि बाद में इनके परिवार का और कोई भी
सदस्य गियासुद्दीन के जैसा लिवास पहने नहीं दीखता है. यह वैसा ही है जैसे की
१९८४ के सिक्ख दंगे के समय अल्पसंख्यक क्षेत्रों मं8 सिक्खों ने अपने बाल
मुंडवा लिए और पगड़ी बांधना छोड़ दिए थे. परन्तु देखनेवाली बात यह है की
गियासुद्दीन ने छद्म नाम गंगाधर हिन्दुवाला तो रख लिया परन्तु सर नेम किसी
हिंदू का नही रखा शायद इसलिए की सर नेम खानदान को व्यक्त करता है. इसलिए एक
नया सर नेम ‘नेहरु’ रख लिया ताकि जरुरत पड़ने पर यथापरिस्थिति लोगों को संशय
में डाल सके और अपनी वास्तविक पहचान छुपा सकें. नेहरु सर नेम की उत्पति पर
नेहरु ने अपनी जीवनी में लिखा है, “A jagir with a house situated on the
banks of canal had been granted …and, from the fact of this residence,
‘Nehru’ (from nahar, a canal) came to be attached to his name.” (pg.1)
2. नेहरु ने अपने पिता मोतीलाल नेहरु के शिक्षा के बारे में लिखा है, “His
early education was confined entirely to Persian and Arabic and he only
began learning English in his early teens.” (pg.3)
प्रश्न उठता है की जब नेहरु पंडित थे तो उन्हें संस्कृत की शिक्षा तो अवश्य दी
जानी चाहिए थी भले ही उन्हें अरबी फारसी भी पढाया जाता. परन्तु उन्हें संस्कृत
की शिक्षा ही नही दी गयी. इतना ही नही नेहरु ने अपने जीवनी में कई ऐसे घटनाओं
का उल्लेख किया है जो दर्शाता है की पिता मोतीलाल या उनके चाचा और चचेरे भाईओं
के दिल में हिंदू धर्म, हिंदुओं के भगवान और हिंदू कर्मकांड में कोई दिलचस्पी
नही थी. इससे स्पष्ट होता है की ‘नेहरु’ पंडित तो क्या हिंदू भी नही थे. एक
स्थान पर नेहरु लिखते है, “Of religion I had very hazy notions. It seemed to
be a woman’s affair. Father and my older cousins treated the religious
question humorously and refused to take it seriously.”

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३. नेहरु ने अपने जीवनी में लिखा है मेरा जन्म १४ नवम्बर, १८८९ को इलाहाबाद
में हुआ, पर उन्होंने यह नही बताया की इलाहबाद में किस जगह हुआ था. मैं जब
इलाहबाद में था तो हिंदुस्तान दैनिक में एक लेख छपा था और उससे पता चला की
नेहरु का जन्म इलाहबाद के मीरगंज इलाके में हुआ था. लेख में उनके घर की तस्वीर
भी दी हुई थी जो एक सामान्य सा दो मंजिला घर था. मुझे लगा मुझे यहाँ से कुछ
बेहतर जानकारी मिल सकती है इसलिए मैं वहाँ जाने को उत्सुक हुआ, पर यह जानकर
हैरान रह गया की मीरगंज इलाका रेड लाईट एरिया था. मुझे आश्चर्य हुआ की इतने
बड़े व्यक्ति का जन्मस्थान वेश्यालय कैसे बन गया, परन्तु जब मैंने इस बाबत
जानकारी इकट्ठी करनी शुरू की तो पता चला की वो बहुत पहले से रेड लाईट एरिया था
और मोतीलाल रेड लाईट एरिया में ही रहते थे.
इसी दौरान मुझे एक नई जानकारी मिली की जवाहर लाल नेहरु के असली पिता मुबारक
अली था. मेरे पास इस बात के कोई साबुत नही है और हो भी नही सकता है, परन्तु
मैं निम्नलिखित कारणों से इस बात से इतिफाक रखता हु:
• मुबारक अली एक व्यापारी था और वह मोतीलाल के घर आया करता था.
• १८५७ के विप्लव में सबकुछ गंवाने के बाद नेहरु परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत
खराब हो चुकी थी, शायद इसीलिए वे रेड लाईट एरिया में भी रह रहे थे.
• मुबारक अली एक अय्याश किस्म का व्यक्ति था. मोतीलाल का रेड लाईट एरिया में
रहना और खराब आर्थिक स्थिति में कुछ भी असम्भव नही है.
• मोतीलाल को ‘इशरत मंजिल’ मुबारक अली से मिला था जिसका नाम मोतीलाल ने ‘आनंद
भवन’ रखा था
• नेहरु लिखते है की जब वे दशवें वर्ष में थे तो वे पुराने मकान से नए मकान
‘आनंद भवन’ में आये थे. मुबारक अली से नेहरु आनंद भवन आने से पूर्व परिचित थे
और मुबारक अली आनंद भवन आता जाता रहता था और नेहरु को बेटे जैसा प्यार करता था.
• नेहरु ने मुबारक अली के बारे में अपने जीवनी में लिखा है, “He came from a
well-to-do family of Badaun….and for me he was a sure haven of refuge
whenever I was unhappy or in trouble. I used to snuggle up to him and
listen, wide-eyed, by the hour to his innumerable stories……and the memory
of him still remains with me as a dear and precious possession.”
• नेहरु ने खुद स्वीकार किया है की उनका हिंदु होना महज एक दुर्घटना है और
उनके संस्कार मुस्लिम के हैं.
• जवाहर अरबी शब्द है जो एक कीमती पत्थर को व्यक्त करता है. कोई हिंदू और वो
भी पंडित अपने पुत्र का नाम अरबी क्यों रखेगा.
४. हिंदू धर्म और हिंदू संस्कृति के विषय में नेहरु के विचार कितने निम्न स्तर
के थे और हिंदू धर्म के प्रति उनके दिल में कितना विद्वेष था यह उनके
निम्नलिखित कथन से झलकता है:
“Hindu culture would injure India’s interests. By education I am an
Englishman, by views an internationalist, by culture a Muslim, and I am a
Hindu only by accident of birth. The ideology of Hindu Dharma is completely
out of tune with the present times and if it took root in India, it would
smash the country to pieces. [Source:Violation of Hindu HR-Need for a Hindu
nation-III by V Sunderam (Retd. IAS Officer), originally in “Reminiscences
of the Nehru Age” by M.O. Mathai]
भारतीय सभ्यता, संस्कृति और सनातन धर्म जो विश्व की प्राचीनतम और महानतम
सभ्यता, संस्कृति और धर्मों में से एक है, जो जियो और जीने दो, वसुधैव
कुटुम्बकम और सत्यमेव जयते जैसे आदर्शों पर आधारित है, के विषय में कोई हिंदू
तो क्या इसे समझने वाला कोई भी इस प्रकार की सोच नही रख सकता है. इन्हें इस
बात का डर था की यदि हिंदू धर्म ने अपनी जड़े जमा ली तो देश के टुकड़े हो
जायेंगे. ये ठीक वैसा ही जैसे आज राहुल गाँधी कहता है की भारत को लश्कर ऐ
तोइबा से ज्यादा हिंदू कट्टरवाद से खतरा है. सवाल है देश के टुकड़े होने से
उनका तात्पर्य क्या था? मेरा मानना है, उन्हें लगता था की यदि हिंदू धर्म अपनी
जड़ें मजबूती से जमा लेती है तो भारत अखंड मुस्लिम राज्य नही बन सकेगा और
हिंदू अपने लिए हिंदुस्तान ले लेगा और भारत के टुकड़े हो जायेंगे. शायद आपको
मेरी सोच पर तरस आ रही होगी, लेकिन मेरे इस सोच का पर्याप्त आधार है और आप भी
देख लीजिए....
५. नेहरु का कहना है की उनका खानदान फर्रुखशियर का कृपा प्राप्त कर उसी के समय
(१७१६ ईस्वी) कश्मीर छोडकर मुगलों की सेवा के लिए दिल्ली आ बसे थे. वे अपनी
जीवनी में खुद को कश्मीरी पंडित साबित करने के लिए नाना प्रकार के अनर्गल
प्रलाप किये है जो की महत्वहीन और असम्बद्ध भी है, परन्तु उन्होंने कहीं भी
कश्मीर के उस भू-भाग का जिक्र नही किया है जहाँ के वे खुद को खानदानी बताते
है. परन्तु विडम्बना देखिये, खुद को कश्मीर पंडित साबित करने के लिए अनर्गल
प्रलाप करनेवाला नेहरु की राय कश्मीरी पंडितों के सम्बन्ध में कितना घिनौना और
निम्नस्तरीय है. नेहरु ने अपनी पुस्तक Glimses of World history में लिखा है:
“The treatment of men was sometimes worse than that of animals (some of the
animals like cows were actually revered because they were Gods).

Lower caste Hindus had a miserable life. Other historians have commented
that the treatment of women was even worse, specially women of lower
castes, they were considered the property of the upper caste Hindus, to be
molested and/or raped at will.

In many cases the new bride had to stay a night with the village Brahman
before she was married off. Kashmir converted to Islam during this time
period. It was cruelty like this that led to the whole sale conversion to
Islam. The new religion offered them equality and saved them from the
Brahmans.”

जरा तीसरे पैरा पर ध्यान दीजिए. नेहरु का मानना है की कश्मीर की सामाजिक
धार्मिक स्थिति बहुत ही खराब थी और वे ब्राह्मणों के अत्याचार से त्रस्त थे.
और इन्ही अत्याचार के परिस्थितियों में कश्मीर के लोगों ने सामूहिक रूप से
इस्लाम धर्म कबूल कर लिया. कश्मीर के इतिहास लेखक कल्हण, विल्हण या अन्य किसी
ने भी इसप्रकार की बातें नही लिखी है. दूसरी बात कश्मीर १४ वीं शताब्दी के
उत्तरार्ध से ही मुस्लिम अत्याचार से त्रस्त था. (मैं कश्मीर के इतिहास पर
जाना नही चाहता हूँ, पर मैं बता दूँ की नेहरु को भारतीय इतिहास की वास्तविक
जानकारी बिलकुल नही थी.) शायद नेहरु को यह पता नही था की सिकन्दर शाह जैसे
मुस्लिम शासकों ने कश्मीरी पंडितों के लिए तीन ही विकल्प दिए थे-इस्लाम कबूल
करो, घाटी छोड़ो या मरो और उसने लाखों की संख्या में ब्राह्मणों का कत्ल
करवाया था और यह की १८४६ में जब कश्मीर के महाराज गुलाब सिंह हुए तो १८४८ में
हजारों की संख्या में धर्मान्तरित मुस्लिम उनके दरबार में उपस्थित हुए थे और
अपने उपर मुस्लिम अत्याचार और जबरन धर्मान्तरण का हवाला देकर वापस हिंदू धर्म
में शामिल करने की प्रार्थना की थी. गुलाब सिंह इसके लिए आश्वाशन भी दिए थे पर
उनके पुरोहित की धर्मान्धता के कारण यह शुभ कार्य पूरा नही हो सका (My Frozen
Turbulence of Kashmir- by Jagmohan).
यह उस कश्मीरी पंडित का विचार है जो खुद को कश्मीरी कहते नही अघाता है और खुद
को कश्मीरी पंडित साबित करने के लिए मरता दिखाई देता है. कोई भी कश्मीरी पंडित
इस प्रकार की सोच नही रख सकता है. इससे स्पष्ट होता है की नेहरु पंडित तो क्या
हिंदू भी नही थे बल्कि कट्टर मुस्लिम थे. और यह उनके अगले वाक्य से स्पष्ट
होता है की ‘नए धर्म ने उन्हें समानता का अवसर दिया और उन्हें ब्राह्मणों से
बचाया.’ सवाल है यदि इस्लाम उसे इतना ही महान जान पडता था तो वे फिर खुद को
कश्मीरी पंडित साबित करने के लिए क्यों मरे जा रहे थे? वे मुसलमान क्यों नही
हो गये? और यदि कश्मीरी पंडितों का कश्मीर में उतना ही धाक था तो वो छोड़कर
मुगलों के तलुवे चाटने क्यों आ गए थे?
उपर्युक्त से स्पष्ट है की नेहरु के लिए हिंदुओं और हिंदू धर्म के लिए वैसे ही
घृणा थी जैसे एक कट्टर मुस्लिम में होता था और उसके नजर में दार-उल-इस्लाम और
इस्लाम में धर्मान्तरण ही हिंदुओं के अत्याचार से मुक्ति का मार्ग था. कश्मीर
दार-उल-इस्लाम के मार्ग पर अग्रसर था जबकि हिंदू धर्म की मजबूत जड़ें शेष भारत
में इस मार्ग की बाधाएं थी और जिसके कारण उन्हें भारत के टुकड़े होने का खतरा
दिखाई पडता था.
६. नेहरु के उपर्युक्त निष्कर्ष कांग्रेस-वामपंथी इतिहास लेखकों की प्रेरणा
स्रोत बन गयी है और ये भडूवे इतिहासकार अपने आका को खुश करने के लिए हर जगह
हिंदुओं और हिंदू संस्कृति को बदनाम करने के लिए ऐसे ही निष्कर्षों का सहारा
लेते है. वास्तविकता यह है की ये बुराइयां मध्यकालीन मुस्लिम अत्याचार और
भोगवाद को व्यक्त करती है जो कालांतर में उन्ही से प्रेरित होकर कुछ हिंदू
रजवाड़े और जमींदार तक पहुच गए थे.
७. किसी भी सभ्यता संकृति और धर्म को नष्ट करना हो तो सबसे पहले वहाँ की
शिक्षा व्यवस्था को विकृत कर देना चाहिए ये नेहरु ने अंग्रेजों से अच्छी तरह
सीख लिया था. प्रधानमंत्री बनने के बाद उसने अबुल कलाम आजाद को शिक्षा मंत्री
बनाकर अपने इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु लगा दिया. इसमें हिंदुओं के गौरवशाली
इतिहास को विकृत और घृणित रूप में पेश किया गया और आक्रमणकारी मुस्लिमों का
महिमा मंडन किया गया जिसे पढकर लोगों में हीन भावना उत्पन्न होती है और यही
उसका उद्देश्य भी था. विश्व में एकमात्र भारत ऐसा देश है जहाँ की इतिहास में
आक्रमणकारियों को हीरो और अपने देश, अपनी सभ्यता और संस्कृति, धर्म और मर्यादा
की रक्षा हेतू लड़नेवाले वीरों को विलेन के रूप में पेश किया गया है.
कांग्रेस-वामपंथी इतिहासकार हमे यह पढ़ने और मानने के लिए विवश करते है की
मुस्लिमों के भारत आने के पहले भारत की आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, प्रशासनिक
स्थिति बहुत ही खराब थी और उसमे व्यापक सुधार और विकास मुस्लिमों के आगमन
पश्चात ही हुआ है जबकि सच्चाई ठीक इसके विपरीत है. इन बातों से भी स्पष्ट है
की नेहरु वास्तव में मुसलमान थे.
८. जिन्ना और मुस्लिम लीग ने जब हिंदुओं के विरुद्ध प्रत्यक्ष कार्यवाही की
घोषण की और हिंदुओं की हत्या, लूट और हिंदू स्त्रियों के बलात्कार होने लगे उस
समय नेहरु भारत के अंतरिम प्रधानमंत्री थे, पर उन्होंने इसे रोकने का कोई
प्रयत्न नही किया, परन्तु बिहार में जैसे ही कोलकाता में मारे गए लोगों के
परिजनों ने इसके विरोध में प्रतिक्रिया व्यक्त की इन्होने तत्काल सेना भेजकर
उन्हें गोलियों से भुनवा दिया.
९. शेख अब्दुल्ला १९३१ से ही घाटी में उत्पात मचा रहा था, महाराजा हरिसिंह के
विरुद्ध आन्दोलन चला रहा था और हिंदुओं का खुले आम कत्ल और लूटमार कर रहा था,
पर जब महाराजा ने शेखअब्दुल्ला को नजरबंद कर शांति स्थापना का प्रयास किया तो
नेहरु शेख अब्दुल्ला के समर्थन में कश्मीर में दंगे फ़ैलाने पहुँच गए. नेहरु
ने शेख अब्दुल्ला को शेर-ए-कश्मीर एवं लोगो का प्रिय हीरो बताते हुए अपने भाषण
में कहा, “यह बड़े दुःख की बात है की कश्मीर प्रशासन अपने ही आदमियों का खून
बहां रही है. मैं कहूँगा की उसका यह कृत्य प्रशासन को कलंकित कर रही है और अब
यह ज्यादा दिन तक नही टिक सकती. मै कहता हू की कश्मीर की जनता को अब और अपनी
आजादी पर हमला एक पल भी बर्दाश्त नही करना चाहिए. यदि हम अपने शासक पर काबू
पाना चाहते है तो हमे पूरी शक्ति के साथ उसका विरोध करना चाहिए. (Sardar
Patel’s Correspondence-by Durga Sinh)
ज्ञातव्य है की एक तरफ हरिसिंह जब अपने अल्पसंख्यक हिंदुओं, बौधों और सिक्खों
को बचाने का प्रयास कर रहे थे उसी समय हैदराबाद में निजाम हिंदुओं पर भयानक
अत्याचार कर रहे थे ताकि हैदराबाद से हिंदू पलायन कर जाये और हैदराबाद मुस्लिम
बहुल हो जाये ताकि वह भारत में विलय करने को बाध्य न हो, पर नेहरु ने उस क्रूर
निजाम को कुछ भी नही कहा जबकि हरिसिंह के पीछे पडकर शेख अब्दुल को गद्दी पर
बिठाकर उन्हें राज्य से भी बाहर कर दिया. ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि वे
न केवल संस्कार से मुस्लिम थे बल्कि विचार से भी मुस्लिम ही थे और हम सहमत है
की उनका हिंदू होना महज एक दुर्घटना मात्र था.

१०. जब महाराज हरिसिंह ने जम्मू-कश्मीर का विलय भारत में कर दिया तो नेहरु ने
उसे अस्थायी घोषित कर प्लेबीसाईट के माध्यम से अंतिम निर्णय की घोषणा की.
जम्मू-कश्मीर के सर्वेक्षण करनेवाले शिवन लाल सक्सेना ने अपने रिपोर्ट में
बताया की ‘७८% मुस्लिम आबादी वाला जम्मू-कश्मीर में प्लेबीसाईट का परिणाम भारत
के पक्ष में होने की उम्मीद करना महा पागलपन है’. पर नेहरु ने उनकी बातों पर
ध्यान नही दिया. इतना ही नही शेख अब्दुल्ला के साथ मिलकर गुपचुप धारा ३७०
तैयार कर लिया और संसद में दबाव डालकर पास भी करवा लिया जो आजतक भारत की गले
की हड्डी बनी हुई है. कश्मीरी आतंकवाद और भारत में मुस्लिम आतंकवाद की जड़
नेहरु की यही तुष्टिकरण नीति थी. (कश्मीर समस्या पर विशेष जानकारी के लिए मेरा
लेख “अखंडता पर सवाल: धारा ३७०” पढ़ें)
११. जब हमारी सेना जीत के करीब पहुँच गयी थी तब इन्होने अकारण एक तरफा युद्ध
विराम की घोषणा कर दी जिसके कारण आज भी जम्मू-कश्मीर का बहुत बड़ा हिस्सा
पाकिस्तान के पास है.
१२. जब पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला कर दिया और हमारी सेना उससे लोहा ले रही
थी उस समय पाकिस्तान को ५५ करोड़ रूपया देने में गाँधी के साथ इनका भी हाथ था.
१३. नेहरु को राष्ट्रवाद से घृणा था. वह उसे ‘बू’ कहते थे (भारत गाँधी नेहरु
की छाया में- लेखक गुरु दत्त) पर वास्तविकता यह थी की उसकी नजर में राष्ट्रवाद
का मतलब हिंदू राष्ट्रवाद से था और वे तो हिंदुओं से घृणा करते थे. हिंदू और
हिंदुत्व की बात करनेवाले उनके नजर में देशद्रोही था (भारत गाँधी नेहरु की
छाया में).
१४. जब धर्म के आधार पर भारत का विभाजन हुआ तो कायदे से इस्लाम के सभी अनुयायी
को पाकिस्तान और बंगलादेश में चले जाना चाहिए था और हिन्द सभ्यता और संस्कृति
के समर्थक को भारत आ जाना चाहिए था परन्तु गाँधी और नेहरु के कारण यह नही हो
सका जिसका परिणाम यह हुआ है की नेहरु गाँधी के छलावे में फंसकर बंगलादेश और
पाकिस्तान में रह जानेवाले लाखों करोड़ों गैर मुस्लिम आज महज कुछ हजारों में
सिमट गए है और मौत से भी बत्तर जिंदगी जीने को बाध्य है. वे आज भी लूट, हिंसा,
बलात्कार और धर्मान्तरण के शिकार हो रहे है और अपना अस्तित्व बचाने के लिए
भारत से शरण की मांग कर रहे है. इतना ही नही हिंदुस्तान के हिंदुओं के सीने पर
आज भी मुसलमान मुंग दल रहे है तथा कट्टरवादी मुस्लिमों और नेहरु गाँधी के उपज
छद्मधर्मनिरपेक्षवादी राजनेताओं के षड्यंत्र से हिंदुस्तान की अखंडता एकबार
फिर संकट में पड़ती जान पर रही है.
१५. नेहरु खुद को नास्तिक कहते थे. पर वास्तविकता यह है की वे राजनितिक कारणों
से खुद को मुस्लिम या इस्लाम समर्थक नही कह पाते थे और इसीलिए वे नास्तिकता का
चोला ओढ़े रहते थे और इस नास्तिकता की आड़ में हिंदुओं और हिंदू धर्म के
विरुद्ध अपने मुस्लिम संस्कार, विचार और कार्यों को संरक्षण दे रहे थे.
१६. नेहरु ने धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मुस्लिम तुष्टिकरण को संगठित रूप दिया
जिसका दुष्परिणाम पूरा देश भुगत रहा है.
१७. नेहरु खुद तो यह स्वीकार करते ही थे की उनके संस्कार मुस्लिम के है,
उपर्युक्त तथ्यों और उनके कार्यों के आधार पर मेरा मानना है की वे अपने विचार
और कार्य से भी मुस्लिम ही थे. उनके साथ जुड़ा हिंदू शब्द उनके लिए कष्टकारी
था जिसकी अभिव्यक्ति वे यदा कदा और हिंदू होने को महज एक दुर्घटना कहकर व्यक्त
करते थे. उनका नास्तिक होना ठीक वैसे ही था जैसे आज रोमन कैथोलिक ईसाई सोनिया
और उसकी संताने जनता को धोखा देने के लिए हर जगह अपना धर्म ‘Religious
Humanity’ लिखते है.

भाग-३
इंदिरा गाँधी के जीवन और कार्य भी इस ओर संकेत करता है की नेहरु मुस्लिम थे:
• मैमून बेगम उर्फ इंदिरा गाँधी फिरोज खान वल्द जहाँगीर नवाब खान से निकाह की
थी.
• मैमून बेगम उर्फ इंदिरा गाँधी के दोनों पुत्र राजीव खान गाँधी और संजय खान
गाँधी के पिता मुस्लिम ही थे.
• इंटरनेट से प्राप्त जानकारी के अनुसार इनके दोनों पुत्रों का आवश्यक मुस्लिम
संस्कार भी हुआ था.
• फिरोज खान का मकबरा इस बात का प्रमाण है की इंदिरा गाँधी अपने मुस्लिम
संस्कारों को नही त्यागी थी.
• १९७१ की लड़ाई में ९२ हजार से उपर पाकिस्तानी सैनिक बंदी बनाये गए थे जिसे
इंदिरा गाँधी ने बिना शर्त छोड़ दिया. वे चाहते तो इसके बदले पाक अधिकृत
कश्मीर का सौदा कर सकती थी. कुछ नही तो बदले में पाकिस्तान द्वारा बंदी बनाये
गए भारतीय सैनिकों को तो रिहा करवा ही सकती थी पर उन्होंने ऐसा कुछ नही किया.
• जनसंख्या नियंत्रण की नीति के तहत इनके द्वारा चलाये गए नशबंदी अभियान के
बारे में तत्कालीन इतिहासकार लिखते है, “हिंदुओं को उनके घरों, दुकानों यहाँ
तक की मंदिरों से भी खिंच खिंच कर नशबंदी किया जाने लगा, परन्तु इस सरकार की
कभी हिम्मत नही हुई की वे एक मस्जिद से किसी मुसलमान को खिंच ले या एक ईसाई को
किसी गिरजाघर से खिंच लें.” इस घटना का जिक्र होने पर बचपन में मेरी बुआ बताई
थी की इंदिरा गाँधी हिंदू और मुसलमान की जनसंख्या बराबर करना चाहती थी.
• इंदिरा गाँधी अफगानिस्तान बाबर के मजार पर सिजदा करने गयी थी
• अरब के प्रिंस ने इंदिरा गाँधी को मक्का आने का निमंत्रण दिया था जहाँ गैर
मुस्लिमों को जाना वर्जित है

कांग्रेस को करोड़ों का चूना लगा चुके हैं दिग्विजय

कांग्रेस को करोड़ों का चूना लगा चुके हैं दिग्विजय
कांग्रेस का सबसे वफादार सिपाही और सोनिया गाँधी का सबसे बड़ा खास बनने वाले दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस को भी नहीं बक्शा,,,प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष और इसके बाद मुख्यमंत्री रहने के दौरान दिग्गी ने कांग्रेस को लाखों का चूना लगाया ,,दिग्गी की यह पोल मध्य प्रदेश कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष आरएम भटनागर ने खुद खोली है। श्री भटनागर 1978 से 1993 तक पार्टी में बने रहे। वे राजीव गांधी के भी काफी निकट थे। इनके कार्यकाल में अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री रहे। । श्री भटनागर ने दिग्विजय सिंह पर जो भी आरोप लगाये हैं, वह उन्होंने शपथ पूर्वक बताये हैं। जिनकी पुष्टि, अखबारों, विधानसभा के रिकार्ड और प्रमाणिक गुप्त दस्तावेजों से होती है। श्री भटनागर ने इसकी सूचना गोपनीय पत्र द्वारा दिनांक 9 अगस्त 1998 और दिनांक 29 सितम्बर 2001 को सोनिया गांधी को दे दी थी। यह खबर इंदौर से छपने
वाले एक साप्ताहिक पत्रिका ने अपने अंकों में छापी थी।
दिग्विजय सिंह ने पहला घोटाला कांग्रेस की सम्पति हड़पने का किया था। सन 2006 से पूर्व मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी का मुख्य कार्यालय लोक निर्माण विभाग के एक शेड में था। बाद में प्रदेश कांग्रेस कमिटी को अपना भवन बनाने हेतु मध्यप्रदेश आवास और पर्यावरण विभाग ने आदेश संख्या- 3308/4239, दिनांक 30/11/74 और पुनस्र्थापित आदेश दिनांक 30 अगस्त 1980 तथा आदेश दिनांक 20 /11 81 द्वारा रोशनपुरा भोपाल के नजूल शीट क्रमांक-3 प्लाट-7 में 5140 वर्ग फुट जमीन बिना प्रीमियम के एक रुपया वार्षिक भूभाट लेकर स्थायी पट्टे पर आवंटित कर दिया था, और उस भूखंड का विधिवत कब्जा कांग्रस कमेटी को नजूल से लेकर 23/11/81 को सौप दिया। भवन निर्माण हेतु सदस्यों और किरायेदारों से जो रुपए जमा हुए उस से तीन मंजिली ईमारत बनायी गयी, जिसमें दो बड़े हॉल और साथ में 59 दुकानें भी थीं। इस भवन का नाम जवाहर भवन शॉपिंग कॉम्प्लेक्स रखा गया। इस भवन की भूमि पूजा तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने 16 अगस्त 1984 को की थी और उद्घाटन राजीव गांधी ने किया था। निर्माण हेतु सदस्यों के चंदे से 29.84 लाख रुपए और किराये से 66.78 लाख रुपए जमा हुए थे और किराए की राशि से पार्टी का खर्च चलने
की बात कही गयी थी।
बाद में दिग्विजय सिंह ने 19/12/85 को एक फर्जी ट्रस्ट बनाकर उस भवन पर कब्जा कर लिया। यद्यपि उस ट्रस्ट का नाम कांग्रेस कमेटी ट्रस्ट था लेकिन उसका कांग्रेस से कोई सम्बन्ध नहीं था। दिग्विजय ने अनुभागीय अधिकारी (तहसीलदार) के समक्ष शपथपत्र देकर कहा की यह ट्रस्ट पुण्यार्थ है, और जवाहर भवन की सारी चल अचल सम्पति इसी ट्रस्ट की है। इस तरह कांग्रेस पार्टी दिग्विजय की किरायेदार बन (देशबंधु दिनांक 6 दिसंबर 1998) गई। दिग्विजय सिंह ने खुद को उस ट्रस्ट का अध्यक्ष बना लिया। उक्त ट्रस्ट में निम्न पदाधिकारी थे: 1. अध्यक्ष -दिग्विजय सिंह पुत्र बलभद्र सिंह 2. मोतीलाल वोरा ट्रस्टी 3. जगत पाल सिंह मैनेजिंग ट्रस्टी।
इस ट्रस्ट के विरुद्ध न्यायालय अनुभागीय अधिकारी तहसील हुजुर भोपाल में एक जनहित याचिका भी दर्ज की गयी थी, जो प्रकरण संख्या 04 बी-113 /85-86 दिनांक 12 जुलाई 88 में दर्ज हुआ था। बाद में यह मामला श्री आर.एम. भटनागर ने विधान सभा में भी उठवाया। मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रश्न संख्या 9 (क्रमांक 579) दिनांक 23 फरवरी 96 को उक्त ट्रस्ट के बारे में करण सिंह ने यह सवाल किया था, ‘क्या रा'यमंत्री धार्मिक न्यास यह बताने का कष्ट करेंगे की इस ट्रस्ट के पंजीयन के समय तक कितनी बार ट्रस्टियों के नाम बदले गए हैं? जैसा की भटनागर ने 24 दिसंबर 98 को प्रश्न किया था। और पंजीयक से शिकायत की थी?’
इस पर विधान सभा में धार्मिक न्यास राज्यमंत्री धनेन्द्र साहू ने उत्तर दिया था कि अब तक उक्त ट्रस्ट के ट्रस्टी चार बार बदले गए हैं और ट्रस्ट के भवन की दुकानें पट्टे पर नहीं बल्कि किराये पर दी गयी हैं और इसकी अनुमति भी नहीं ली गयी थी। यही नहीं उक्त ट्रस्ट कि ऑडिट रिपोर्ट भी 31 मार्च 2000 तक नहीं दी गयी। इसके बाद दिग्विजय सिंह ने दुकानों से प्राप्त किराया पार्टी को न देकर अपने निजी काम में लगाना शुरूकर दिया। जिसकी खबर इंदौर से प्रकाशित ‘फ्री प्रेस जरनल’ ने दिनांक 5 नवम्बर 1986 को इस हेडिंग ‘दिग्विजय ऐक्यूज्ड ऑफ मिसयूजिंग पार्टी फंड्स’ से प्रकाशित की थी। श्री भटनागर ने बताया कि जवाहर भवन की 59 दुकानों से मिलाने वाले किराये से प्रति माह दो तीन लाख रुपये की जगह सिर्फ 65000/- ही जमा होते थे। इस प्रकार अकेले 10 साल में करोड़ों का घपला किया गया है। उक्त ट्रस्ट का खाता पंजाब नैशनल बैंक के भोपाल टी.टी. नगर ब्रांच में था, जिसका खाता नम्बर 19371 है। खाते से पता चला कि 1 अप्रैल 2001 से 26 मार्च 2003 तक ट्रस्ट से 1 करोड़, 21 लाख,1,649 रुपऐ निकले गए थे। जिसमें सेल्फ के नाम से 162739/- दिग्विजय ने निकला था। बैंक का लॉकर भी था। जिसमें कई मूल्यवान वस्तुएं भी थीं जो भेंट में मिली थीं। इसके अलावा नकद राशि भी थी। भटनागर ने बताया कि उस समय खाते में ग्यारह करोड़ रुपए थेे। लॉकर की दो चाभियां थीं। एक जगतपाल सिह के पास, और दूसरी दिग्विजय सिंह के पास थी। जब जगतपाल की मौत के बाद लॉकर खोला गया तो उसमें से कीमती चीजें गायब पाई गई थीं और खाते से 9 करोड़ रुपए का कोई हिसाब नहीं मिला (इंदौर से प्रकाशित स्पुतनिक दिनांक 31 जनवरी 2005)