Saturday, November 16, 2013

ध्यान से सुनो अमेरिकी एजेंट मनमोहन कि कहानी

ध्यान से सुनो अमेरिकी एजेंट मनमोहन कि कहानी !!!!
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ऐसे ऐसे समझोते किये globalization के नाम पर कि आप चोंक जाये गये !
एक समझोते के कहानी सुने बाकि विडियो में है !
एक देश उसका नाम है होललैंड वहां के सुअरों का गोबर (टट्टी) वो भी 1 करोड़ टन भारत लाया जायेगा ! और डंप किया जायेगा !

जब मनमोहन सिंह को पूछ गया के यह समझोता क्यूँ किया ????
तब मनमोहन सिंह ने कहा होललैंड के सुअरों का गोबर (टट्टी) quality में बहुत बढ़िया है !

फिर पूछा गया कि बताये quality में कैसे बढ़िया है ???

तो मनमोहन सिंह ने कहा कि होललैंड के सूअर सोयाबीन खाते है इस लिए बढ़िया है !!

जैसे भारत में हम लोग गाय को पालते है ऐसे ही हालेंड के लोग सूअर पालते
है वहां बड़े बड़े रेंच होते है सुअरों कि लिए !!!

फिर पूछा ये सोयाबीन जाता कहाँ से है ???
तो पता चला भारत से जाता है !! मध्यपरदेश से जाता है !!!

पूरी दुनिया के वैज्ञानिक कहते अगर किसी खेत में 10 साल सोयाबीन उगाओ तो 11 वे साल आप वहां कुछ नहीं उगा सकते


अब दिखिए इस मनमोहन सिंह ने क्या किया !???
होललैंड के सुअरों को सोयाबीन खिलाने के लिए पहले मध्यप्रदेश में सोयाबीन कि खेती करवा सैंकड़ो एकड़ जमीन बंजर कर दी !

और अब होललैंड के सूअर सोयाबीन खाकर जो गोबर (टट्टी) करेगे वो भारत में लाई जाएगी !
वो भी एक करोड़ टन सुअरों का गोबर(टट्टी )

और ये समझोता एक ऐसा आदमी करता है जिसको इस देश में best finance minster का आवार्ड दिया जाता है !!
और लोग उसे बहुत भारी अर्थशास्त्री मानते है !!
शायद मनमोहन सिंह के दिमाग में भी यही गोबर भरा है !!

एक कमेटी ऐसी नहीं है भारत में जो इस बात कि जांच करती ho क्या समझोता हुआ है और उसके क्या परिणाम होने वाला है !! एक कमेटी ऐसी नहीं है!

और सुनो दोस्तो इस मनमोहन सिहं नो गौ माता का मांस निर्यात करने वाले देशो मे भारत को 3 नमबर का देश बना दिया है ।

कितनी शर्म की बात है रोज हमारे देश कत्लखानो मे 50 हजार गाय काट दी जाती है ।

गौ माता को काट कर निर्यात किया जा रहा है और सुअर का गौबर भारत मे लाने के समझोते किये जा राहे है ।

और एक खास बात दोस्तो ।
आपके घर मे अगर दादा -दादी हो तो उनसे पुछे ।
क्या उन्होने अपने बचपन मे कभी सोयाबीन खाया या अपने घर में बनाया ? ? 100% उनका जवाब होगा नही ।

कारण क्या ? ?

कारण यही है भारत सोयबीन की खेती 25,30 साल पहले शुरु की और इसका बीज विदेशो से मंगवाया गया । क्यों बाहर के देशो को सोयाबीन अपने देश में पैदा कर अपनी जमीन को खराब नही करना था । इसलिये उन्होने भारत सरकार समझोता किया । और एज़ेंट मनमोहन सिहं ने इसकी खेती भारत मे करवानी शुरु ।
ताकि अपनी जमीन खराब कर उनके सुअरो के लिये सोयाबीन भेजा जाये और उनको खाकर उनके सुअर जो गोबर (ट्टी) करे उसके भारत लाया जाये ।

और हम मूर्ख लोग बिना कुछ जाने समझे इधर उधर की बाते सुनकर इसको बहुत भारी अर्थशास्त्री कहें ।

सोयबीन में जो फ़ैट है वो इतना भारी और खतरनाक है एक बार शरीर के अंदर जाये अंदर ही जमा हो जाता है । और बीमारिया पैदा करता है । सिर्फ़ इसकी खेती भारत में शुरु करवाने के लिये झुठा प्रचार किया गया । कि सोयाबीन में य़े है वो है और पता नही क्या क्या है ।

सोयबीन का तेल कितना खतरनाक है जानने के लिये यहां click करे ।
http://www.youtube.com/watch?v=sQPOAjKpLdM&feature=plcp

मनमोहन सिन्ह के दिमाग मे सुअर का गौबर भरा है जानने के लिये यहां click करे ।
http://www.youtube.com/watch?v=lZOHx8hRJM4

Tuesday, November 12, 2013

नेहरू की भयंकर भूलें

नेहरू की भयंकर भूलें

जब षड्यंत्रों से बातनहीं बनी तो पाकिस्तान ने बल प्रयोगद्वारा कश्मीर को हथियाने की कोशिशकी तथा २२ अक्तूबर, १९४७को सेना के साथ कबाइलियों नेमुजफ्फराबाद की ओर कूच किया। लेकिनकश्मीर के नए प्रधानमंत्री मेहरचन्द्रमहाजन के बार-बार सहायता के अनुरोधपर भी भारत सरकार उदासीन रही।भारत सरकार के गुप्तचर विभाग नेभी इस सन्दर्भ में कोई पूर्वजानकारी नहीं दी। कश्मीर केब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह नेबिना वर्दी के २५० जवानों के साथपाकिस्तान की सेना को रोकनेकी कोशिश की तथा वेसभी वीरगति को प्राप्त हुए। आखिर२४ अक्तूबर को माउन्टबेटन ने"सुरक्षा कमेटी" की बैठक की। परन्तुबैठक में महाराजा को किसी भी प्रकारकी सहायता देने का निर्णयनहीं किया गया।२६ अक्तूबर को पुन:कमेटी की बैठक हुई। अध्यक्ष माउन्टबेटनअब भी महाराजा के हस्ताक्षर सहितविलय प्राप्त न होने तककिसी सहायता के पक्ष में नहीं थे।आखिरकार २६ अक्तूबर को सरदार पटेलने अपने सचिव वी.पी. मेननको महाराजा के हस्ताक्षर युक्त विलयदस्तावेज लाने को कहा। सरदार पटेलस्वयं वापसी में वी.पी. मेनन से मिलनेहवाई अड्डे पहुंचे। विलय पत्र मिलने केबाद २७ अक्तूबर को हवाई जहाजद्वारा श्रीनगर में भारतीयसेना भेजी गई।'दूसरे, जब भारत की विजय-वाहिनी सेनाएं कबाइलियों को खदेड़ रही थीं।सात नवम्बर को बारहमूला कबाइलियों सेखाली करा लिया गया था परन्तु पं. नेहरूने शेख अब्दुल्ला की सलाह पर तुरन्त युद्धविराम कर दिया। परिणामस्वरूपकश्मीर का एक तिहाई भाग जिसमेंमुजफ्फराबाद, पुंछ, मीरपुर, गिलागितआदि क्षेत्र आते हैं, पाकिस्तान के पास रहगए, जो आज भी "आजाद कश्मीर" के नामसे पुकारे जाते हैं।तीसरे, माउन्टबेटन की सलाह पर पं. नेहरूएक जनवरी, १९४८ को कश्मीरका मामला संयुक्त राष्ट्र संघकी सुरक्षा परिषद् में ले गए। सम्भवत:इसके द्वारा वे विश्व के सामनेअपनी ईमानदारी छवि का प्रदर्शनकरना चाहते थे तथा विश्वव्यापी प्रतिष्ठा प्राप्त करना चाहते थे। परयह प्रश्न विश्व पंचायत में युद्धका मुद्दा बन गया।चौथी भयंकर भूल पं. नेहरू ने तबकी जबकि देश के अनेक नेताआें के विरोध केबाद भी, शेख अब्दुल्ला की सलाह परभारतीय संविधान में धारा ३७० जुड़गई। न्यायाधीश डी.डी. बसु ने इसधारा को असंवैधानिक तथा राजनीति सेप्रेरित बतलाया। डा. भीमराव अम्बेडकरने इसका विरोध किया तथा स्वयं इसधारा को जोड़ने से मना कर दिया। इसपर प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने रियासतराज्यमंत्री गोपाल स्वामी आयंगरद्वारा १७ अक्तूबर, १९४९ को यहप्रस्ताव रखवाया। इसमें कश्मीर के लिएअलग संविधान को स्वीकृति दी गई जिसमेंभारत का कोई भी कानूनयहां की विधानसभा द्वारा पारित होनेतक लागू नहीं होगा। दूसरे शब्दों मेंदो संविधान, दो प्रधान तथा दो निशानको मान्यता दी गई। कश्मीर जाने के लिएपरमिट की अनिवार्यता की गई। शेखअब्दुल्ला कश्मीर के प्रधानमंत्री बने।वस्तुत: इस धारा के जोड़ने से बढ़करदूसरी कोई भयंकरगलती हो नहीं सकती थी।पांचवीं भयंकर भूल शेखअब्दुल्ला को कश्मीर का "प्रधानमंत्री"बनाकर की। उसी काल में देश के महानराजनेता डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी नेदो विधान,, दो प्रधान, दो निशान केविरुद्ध देशव्यापी आन्दोलन किया। वेपरमिट व्यवस्था को तोड़कर श्रीनगर गएजहां जेल में उनकी हत्या कर दी गई। पं.नेहरू को अपनी गलती का अहसास हुआ, परबहुत देर से। शेख अब्दुल्ला को कारागार मेंडाल दिया गया लेकिन पं. नेहरू नेअपनी मृत्यु से पूर्व अप्रैल, १९६४ मेंउन्हें पुन: रिहा कर दिया।आओ मेरे देशवासियों मिल कर हमगाँधी और नेहरु के द्वारा की गए उनभूलों को सुधारें....आओ कांग्रेस को देश से लात मार करभगाएं...

आखिर क्यों गांधी ने सरदार पटेल को नहीं बनने दिया था देश का प्रधानमंत्री?

आखिर क्यों गांधी ने सरदार पटेल को नहीं बनने दिया था देश का प्रधानमंत्री?

भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री और लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल, आजादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन वे नहीं बन सके। सरदार पटेल यहां असफल नहीं हुए थे बल्कि गांधी जी की इच्छा के लिए उन्होंने खुद ही अपना नाम वापस ले लिया था।

उस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष को ही यह पद दिया जाना था और छः साल के अंतराल के बाद अध्यक्ष का चुनाव होने जा रहा था। इतिहास में दर्ज है कि कांग्रेस की जिन 15 समितियों द्वारा अध्यक्ष का चुनाव किया जाना था, उनमें से 12 सरदार पटेल के पक्ष में थीं और नेहरू जी के पक्ष में एक भी नहीं। फिर ऐसा क्या हुआ कि सरदार पटेल को अपना नाम वापस लेना पड़ गया,

१९४६: भारत के पहले प्रधानमंत्री का चुनाव किया जाना था और यह भी तय था कांग्रेस अध्यक्ष को ही प्रधानमंत्री बनाना था। चूंकि दूसरे विश्व युद्ध के कारण छः साल तक यह चुनाव नहीं हए और मौलाना आजाद उस वक़्त कांग्रेस के अध्यक्ष थे।

अब कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए तीन नाम सबसे बड़े दावेदार था। सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना आज़ाद और पं. जवाहर लाल नेहरू।

कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए नामांकन दाखिल हुए। उस समय कांग्रेस की 15 समितियों के प्रमुखों द्वारा अध्यक्ष का चुनाव होना था। महात्मा गांधी ने पं. नेहरू की ओर अपना झुकाव दिखाया।
उस दौरान 15 में से 12 समितियां सरदार पटेल के पक्ष में थीं, जबकि नेहरू जी के पक्ष में कोई भी नहीं। 15 में से 3 समितियां जो सरदार पटेल के पक्ष में नहीं थीं, उन्हें भी नेहरू जी स्वीकार नहीं थे।

गांधी जी जिद पर अड़ गए कि नेहरू जी को अध्यक्ष बनाया जाए। इसके लिए उन्होंने जेबी कृपलानी से संपर्क किया और कहा कि वे नेहरू जी के पक्ष में माहौल बनाएं। अब यहां नेहरू जी के पक्ष में उन नेताओं के हस्ताक्षर जुटाए गए, जिनकी अध्यक्ष के चुनाव में कोई भूमिका नहीं थी।

हालांकि, अध्यक्ष का चुनाव 15 समितियों के प्रमुखों को करना था, लेकिन गांधी जी के कारण नेहरू के समर्थन में हुए उन हस्ताक्षरों के खिलाफ किसी ने आवाज नहीं उठाई। इसके बाद गांधी जी के कहने पर सरदार पटेल ने अपना नामांकन वापस ले लिया।

सरदार पटेल द्वारा अपना नामांकन वापस लेने के बाद गांधी जी ने यह बात पं. नेहरू को बताई, लेकिन उन्होंने इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मौलाना आजाद ने जब यह देखा कि गांधी जी की इच्छा नेहरू जी को अध्यक्ष बनाने की है तो वे भी पीछे हट गए।

इतिहास के अनुसार इस पूरे मामले पर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की नाराजगी साफ तौर से देखी जा सकती थी। वे इसलिए नाराज नहीं थे कि पं. नेहरू को रेस में सबसे आगे किया जा रहा था, बल्कि वे इसलिए नाराज थे कि सरदार पटेल को जबरदस्ती अपना नामांकन वापस लेना पड़ा।

सरदार पटेल के पास पूर्ण बहुमत था और वे देश के पहले प्रधानमंत्री होते, लेकिन उन्होंने अपना नामांकन वापस लिया तो सिर्फ इसलिए कि वे गांधी जी की इच्छाओं का सम्मान करते थे। वे यह भी नहीं चाहते थे कि देश की एकता टूट जाए और जिन्ना अपने मकसद में कामयाब हो जाएं।

सरदार पटेल के विचार:
"शत्रु का लोहा भले ही गर्म हो जाए, पर हथौडा तो ठंडा रहकर ही काम दे सकता है।"

"आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आंखों को क्रोध से लाल होने दीजिए और अन्याय का मजबूत हाथों से सामना कीजिए।"

http://www.bhaskar.com/article-hf/CEL-why-could-not-become-prime-minister-sardar-patel-4420593-PHO.html?seq=1

हम कांग्रेस का विरोध क्यों न करे?

हम कांग्रेस का विरोध क्यों न करे????कांग्रेस एक साजिस के तहत भारत में पढ़े लिखे महत्वकांक्षी युवाओं की बेरोजगार फ़ौज खडी कर रही है जिससे भारत में हताशा, निराशा और छिना-झपटी का माहौल बनाकर “सिविल वार” की स्थिति उत्पन्न किया जा सके और कार्यवाही के बहाने भारत से हिन्दुओ को ख़तम किया जा सके. जबकि भारत में 20,000 लाख करोड़ की भूसंपदा के सही और न्यायपूर्ण दोहन से 30 करोड़ लोगो को नया रोजगार दिया जा सकता है.१- कांग्रेस ने मैक्समूलर , हिन्दू विरोधी कम्यूनिस्टो, अन्य अंग्रेजो तथा भारत विरोधियो द्वारा लिखे गए इतिहास को हमें पढ़वाया और हमारे पूर्वजो को नीचा दिखाकर हमारे स्वाभिमान को ही खतम किया, पूरे समाज में कड़वाहट घोली, हमारे वास्तविक सपूतो का इतिहास में सही तरीके पेश नहीं किया....युवाओं को सही जानकारी नहीं दिया. ,२- कांग्रेस ने जातिवाद को बढ़ावा दिया और जातिवाद की एक परंपरा हर जगह कायम करवाई, हिंदुत्व का विनाश किया, हिंदुत्व के गौअरव शाली इतिहास को छुपाया, धर्मं परिवर्तन को बढ़ावा दिया.३-कांग्रेस ने अंग्रेजो द्वारा बनायीं गयी उन व्यवस्थाओ को हमारे महान देश में लागु किया जो की हमारी इस हमारी सांस्कृतिक धरोहर को रोज के रोज विकृत कराती जा रही है,४-कांग्रेस ने उस देश को गाय का मांस निर्यातक देश बना दिया, जहा पर की गाय हत्या पाप है और गाय को पूज्य माता का दर्जा दिया जाता है, और 5000 विदेशी कंपनियों से भारत को बाज़ार बनाकर लुटवा रहे हैं , यहाँ पर हर प्रकार का उत्पादन इकाई लगाना रोक रखा है.५-कांग्रेस ने हिन्दुओ को क्रिस्चियन बनाने के लिए धर्म परिवर्तन की व्यवस्थाओ को बढ़ावा दिया और उनको पोसा खासकर जब से सोनिया मैनो के हाथ में सत्ता की ताकत आयी है,६- कांग्रेस के ज़माने में नए नए गाय काटने के केंद्र बनाये जा रहे है, जो एकदम अस्वीकार्य है, हम तो गोवध पर पाबंदी की माग कर रहे है.७-कांग्रेस ने भ्रष्टाचार को को राजनैतिक विशेषाधिकार बना दिया और सभी भारतीयों को भ्रष्टाचार से त्रस्त कर दिया है, लोग अपना सही काम कराने के लिए घूस देने के लिए मजबूर किये जाते हैं. जिसके 1000/- व् 500/- की नोट भी छपाया.८-कांग्रेस ने जानबूझ कर महगाई को बढाया है ताकि जनता का ध्यान परेशानी से बाहर आकर कांग्रेस के भ्रष्टाचार पर न टिक जाये, लोग घर देखे की देश के बारे में सोचे..९- कांग्रेस ने हिन्दुओ को आतंकवादियों की कतार में खड़ा कर दिया जब की हिंदुत्व टिका ही है अहिंसा के सिद्धांत पर, जब हिन्दुओ के मेधावी बच्चे आतंकवादी हो जायेंगे समझो उसी दिन से दुनिया अपने आप समाप्त हो जाएगी.१०- कांग्रेस ने आयुर्वेद को कुचला और अंग्रेजी दवाओ को आगे बढाया. पतंजलि आयुर्वेद केंद्र को बंद कराने की हर कोशिश किया.११- कांग्रेस ने हमेशा ही हिन्दू और मुसलमानों को आपस में लड़ाया जो की खून से वास्तव में सगे भाई ही है, और इस आड़ में अंग्रेजो के धर्म ईसाई धर्म को खूब छुट देकर पाला पोसा और हर जगह विदेशी पैसो से मिशनरी खुलवा दिया. भारत के 3 राज्य इसाई बहुल बन चुके हैं.१२- एक तरफ तो कांग्रेस भारतीय हिन्दू संतानो के चढ़ावे के पैसो को सरकार का पैसा बताती है और अपने पास रख लेती है तो दूसरी तरफ इसाइयों को विदेश से पैसा दिलवाती है, भारत में हर कानून सिर्फ हिन्दुओ के लिए बनाया.१३-भारत की जनता की गाढ़ी कमायी को विदेश में काले धन के रूप में जमा किया है उस पर पिछले ६५ साल में कोई कार्यवाही नहीं किया, क्या सरकार के बिना जानकारी के इतना पैसा विदेश में जमा किया जा सकता है, कांग्रेस ने विदेशी सौदों में कमीशन को जायज बनाया और हद तो तब हो गयी जब खुद प्रधानमंत्री कमीशन लेने लगे.१४- कांग्रेस के ज़माने में मिडिया सिर्फ सरकार और ईसाई धर्म के लिए काम करती है, जनता और देश हित से उसका कोई सरोकार नहीं है, नीरा राडिया जो एक विदेशी है, उसने क्या किया सरकार क्यों नहीं आम जन को बताती है. मीडिया को हिंदुत्व के दुष्प्रचार के लिए लगा रखा है.१५-कांग्रेस इन्टरनेट से सारी जानकारी जो की कांग्रेस के विरोध में है, हटवा रही है और कांग्रेस विरोधियो का ईमेल आई दी ब्लाक करवा रही है, यही सोसल मिडिया ही सही जानकारी युवाओं को दे पा रही बाकि भांड मिडिया क्रिकेट के परचार और हिंदुत्व को नीचा दिखने में व्यस्त है.१६-कांग्रेस हमेशा से हिन्दुओ को मुसलमानों के खिलाफ एक हौव्वा के रूप में खड़ा किया, जब की सत्य तो यह है की जो लोग ज्यादा धार्मिक होते है, वह जायदा अच्छे इंसान होते है, जो अपने धर्म को समझता है वह दुसरे धर्म की भी इज्जत करता है, कांग्रेस ने हमेशा ही मुसंमानो को सिर्फ वोट समझा, भारतीय नहीं,१७-कांग्रेस का इतिहास रहा है, जब जब उस पर ख़राब समाया आया है, भारत में हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए है और सरकार ने खूब बयानबाजी की है,१८- कांग्रेस ने कभी किसी राष्ट्रवादी विचारधारा को पनपने ही नहीं दिया, जिसने राष्ट्रवाद का नारा दिया, वह पृष्ठभूमि से ही गायब होता चला गया,१९- भारत में कोई भी व्यक्ति आतंकवादी नहीं है, बम फोड़ना आतंकवाद नहीं है, हमारी सेना तो रोज हजारो बम फोड़ती है, आतंकवाद किसे के हक़ को जबरिया दबाने पर निकला हुआ प्रतिकार है, यदि भ्रष्टाचार पूरी तरह से समाप्त हो जाय तो जितने गलतवाद है, सब समाप्त हो जायेंगे, यह तो गारंटी है,२०-कांग्रेस ने सदा ही हमारी पुरातन सामाजिक मान्यताओ को ह्रास किया है और सब चीजो को पूँजीवाद से जोड़ दिया,२१- इटली और स्विट्जर्लैंड के १२ बैंको को भारत में क्यों खुलवाया गया है, इसमे किसका पैसा जमा होता, मिडिया में यह समाचार क्यों नहीं आता है.२२- कत्रोच्ची के बेटे को अंदमान द्वीप पर तेल की खुदाई का ठेका २००५ में किसने दिया जब की कत्रोच्ची इस महान भारत देश का विदेशी अपराधी है,इसे ही अग्रेषित करते रहे.जय भारत

Monday, November 11, 2013

कितने दोगले होते है ये कांग्रेसी

आखिर कितने दोगले होते है ये कांग्रेसी ... एक तरफ कांग्रेस ने अन्धविश्वास निवारण बिल पास किया जिसमे पूजा पाठ आदि को अन्धविश्वास माना गया है |

दुसरे तरफ कर्नाटक का मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी कुर्सी को नीबू से टच करता है फिर अपने ऑफिस में नजर उतारने वाले तन्त्रमन्त्र करता है फिर कुर्सी पर बैठता है ||

अरे कांग्रेसियो अंधविश्वास निवारण कानून के तहत सबसे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को जेल भेजो

ये कैसा सिकुलारिस्म ???

Sunday, November 10, 2013

"राजनैतिक हत्याओं में माहिr

पटना में हुए बम ब्लास्ट महज संयोग अथवा आतंकवादी घटना नहीं थी... 
लगता है कि "राजनैतिक हत्याओं में माहिर" हो चुकी काँग्रेस, अब नरेन्द्र मोदी को खत्म करके ही दम लेगी... 

लगता है कि अब नरेन्द्र मोदी से जीतने का और कोई उपाय नहीं बचा काँग्रेस के पास... गोवा में सम्पन्न एक कांफ्रेंस में तालिबान के संस्थापक मुल्ला जईफ के साथ चिदम्बरम की मुलाक़ात बहुत कुछ कहती है... 

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हो सकता है कि सरकार ये कह दे कि उसे पता ही नहीं कि मुल्ला जईफ गोवा कैसे पहुँचा??? खैर... जो सरकार सौ-पचास फाईलें ही ठीक से नहीं संभाल सकती, उसकी औकात भी क्या है...

प्रमोद क्रिस्चियन……. (प्रमोद कृष्नन) अभिषेक मनु सिंघवी के करिबि…।

प्रमोद क्रिस्चियन……. (प्रमोद कृष्नन) अभिषेक मनु सिंघवी के करिबि…। 
देखने में हिन्दू साधु…….

आसाराम बापू के पीछे हाथ धोके पड़ा है…… 

मगर आजकल TV चेनलो में आनंद प्रमोद करता नजर आता है…।
देखने में हिन्दू साधु……. आसाराम बापू के पीछे हाथ धोके पड़ा है……

मगर आजकल TV चेनलो में आनंद प्रमोद करता नजर आता है…।







प्रमोद क्रिश्चियन ने कैसी गालिया बकी....? सुननेके लिए वीडियो (१ मिनट) मे देखे.... --- by-विश्व गुरु भारत

https://www.facebook.com/photo.php?v=474264496009924&set=vb.100002791327420&type=3&theater

पूरी ११ गालिया दी... इसने संत श्री आसारामजी बापुके किसी समर्थक को.... बिना किसी वजह...
गालियो की सूची:
1. लुच्चे...... .
2. लफंगे......
3. जेब कतरे.....
4. दो पैसे की औकात नहीं......
5. राक्षस.....
6. क्षुद्र.......
7. अपने बाप् की औलाद नहीं...
8. हरामखोर...
9. जलील ब्राह्मण नहीं है तू......
10. बलात्कारी है तू......
11. नालायक......

अब आप प्रमोद क्रिश्चियन के बारे में क्या कहना पसंद करेगे .... ???

Sunday, November 3, 2013

कौन है असली ज़िम्मेदार?

18 लाख साल पहले भारत में एसी तकनीक थी जब समुद्र पर पुल और मन कि गति से चलने वाले पुष्पक विमान हम बना सकते है। स्त्रोत- रामायण(राम सेतु पुल)
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5000 साल पहले हमारे पास एसी तकनिक होती है कि न्यूक्लिय विस्फ़ोट हम तीर के माध्यम से कर सकते है और - स्त्रोत महाभारत युद्ध, प्रमाणित
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1000 साल पहले आर्य भट्ट नौ ग्रह, सात दिन , पृथ्वी कि गति, धुरी , दिन रात और अंतरिक्ष विज्ञान कि खोज करते है। भष्कराचार्य, लीलावति पूरे विश्व को गणित से अवगत कराते है।
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100 से 200 साल पहले विवेकानंद जी भारत को विश्वगुरू साबित करते है और पूरी दुनीया भारत को फ़ौलो करती है।
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महज 50 साल में कोंग्रेस के देश में आते ही देश भ्रष्टाचारी, आतंक का घर, गरीब, कमजोर, विदेशीकरण को अपनाने वाला अपनी सभ्यता को गाली देने वाला, और धर्म जो परम विज्ञान है उसे पाखंड बताने वाला बन जाता है।

कौन है असली ज़िम्मेदार?

जिस सरकार का कीमत पर जोर नहीं;उसको देश चलानेका अधिकार नहीं -श्रीमती इंदिरा गाँधी 1980 में



.जिस सरकार का कीमत पर जोर नहीं;उसको देश चलानेका अधिकार नहीं -श्रीमती इंदिरा गाँधी 1980 में।अब आपका क्या कहना है राहुल जी। आपअपनी दादी के कहे अनुसार देश की सत्ता छोड़ क्यों नहीं देते।