Sunday, December 22, 2013

कांग्रेस की डिवाइड & रूल पोलिसी

कांग्रेस की डिवाइड & रूल पोलिसी



1. 2008 के महारास्त्र के इलेक्शन में राज ठाकरे को अपने मीडिया पॉवर से हीरो बनाया। कांग्रेस विरोधी वोट शिव सेना + बीजेपी vs मनस (MNS) में बट गए। सरकार कांग्रेस की बनी। कांग्रेस ने डिवाइड और रूल अपनाया क्योकि 2008 के मुंबई हमलो के बाद कांग्रेस की अपने बलबूते जीतने की सम्भावन बहुत कम थी।

2. 2012 के गुजरात के इलेक्शन में केशु भाई पटेल को अपनी मीडिया पॉवर से हीरो बनाया। कांग्रेस विरोधी वोट बीजेपी और गुजरात विकास पार्टी के बीच बट गए। कांग्रेस को 2 सीट ज्यादा मिले, बीजेपी को 2 सीते कम और कांग्रेस को नेट फायदा हुआ लेकिन सरकार कांग्रेस की नहीं बन पाई। कांग्रेस ने डिवाइड और रूल अपनाया क्योकि नरेन्द्र मोदी के विकास कार्यो के कारन गुजरात में कांग्रेस के जीतने की संभावना बहुत कम थी।

3. 2014 के लोकसभा इलेक्शन के लिए अरविन्द केजरीवाल को अपनी मीडिया पॉवर से हीरो बनाया। कांग्रेस विरोधी वोट बट रही है "बीजेपी" और "आम आदमी पार्टी" के बीच। कांग्रेस को बहुत ज्यादा फायदा होने की उम्मीद बताई जा रही है। अरविन्द केजरीवाल के सहयोग से 2014 में कांग्रेस की सरकार बंनने के बहुत ज्यादा संभावना है। कांग्रेस फिर से डिवाइड और रुल अपना रही है क्योकि कांग्रेस पार्टी के घोटालो, महंगाई, अत्याचारों इत्यादि के कारन कांग्रेस के जीतने की सम्भावना बहुत कम दिख रही है।

दिल्ली मे चल रहे रायशुमारी के इस तमाशे को देखकर खुश होने वाले लोग शायद ये नहीं जानते कि रायशुमारी का यही नाटक एक दिन कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और अटक से लेकर कटक तक कितने ही अलगाववादियों के हाथों का औज़ार बन हमें ही लहुलुहान करेगा और तब आम आदमी पार्टी की इस नौटंकी को सर पर चढा चुका ये देश ये कहने की स्थिति में भी नहीं होगा कि नहीं, हम ऐसे जनमत संग्रहों को किसी कीमत पर नहीं मानते| यकीन जानिये, दिल्ली की नौटंकी तो धुर भारतविरोधी ताकतों के लिये केवल एक टेस्टिंग ग्राउंड है, इनका असल खेल तो उन जगहों पर खेला जाएगा, जहाँ देश का सत्तातंत्र कमजोर और समानान्तर सत्तातंत्र मजबूत है| तब बहुत कुछ ऐसा होगा जो शायद उनमें से भी बहुतों को पसन्द नही आयेगा जो आज इस नौटंकी को बढ़चढ़ कर समर्थन दे रहे हैं पर तब ये लोग कुछ करने की स्थिति में ही नही होंगे| पर हां, इस तरह के किसी भी सम्भावित कुचक्रों के लिये जिम्मेदार आप ही होंगे| आप यानी केवल दिल्ली में नौटंकी कर रहे 'आप' नही बल्कि आप भी जिन्होने इन भारतविरोधी ताकतों को अपना मसीहा समझ कर देश का दिल ही सौंप दिया|

कामरेड केजरीवाल सरकार बनाएँ या नहीं, इससे उनक बारे में मेरे आकलन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा - उनका सबसे पहला उद्देश्य है 2014 में मोदी को रोकना.

सरकार बनाने में उनकी दुविधा क्या है?
- अगर सरकार नहीं बनाते तो लोग उन्हें एक विकल्प के रूप में सीरियसली देखना बन्द कर देंगे.
और अगर दिल्ली का मुख्यमंत्री बन कर रह जाते हैं, तो 2014 में मोदी को रोकने के अपने अभियान के लिए ज्यादा समय नहीं निकाल पाएँगे. और उनकी लुच्चा विधायक मंडली के दो-चार घोटाले भी निकल आएँगे.
ज्यादा संभावना है, AAP सरकार बनाएगी, पर मुख्यमंत्री कोई और बनेगा.. और केजरीवाल पूरे देश में निकल पड़ेंगे अपने मोदी विरोध के अभियान पर.साथ ही मीडिया उनके त्याग के किस्से हमें बेचेगी, जैसे एक समय सोनिया के किस्से बेचा करती थी. आखिर किसी ने कामरेड केजरीवाल पर अरबों उन्हें सिर्फ दिल्ली का CM बनाने के लिए नहीं invest किए हैं...

कांग्रेसी मीडिया के दिखावे पर मत जाओ, अपनी अकल लगाओ!

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