Wednesday, October 30, 2013

Reaction of Nehru

Reaction of Nehru in 1954 during congress meet after some party member didnt agree with his view

Tuesday, October 29, 2013

कांग्रेस वोटों के लिए कुछ भी कर सकती है

मित्रो, कांग्रेस वोटों के लिए कुछ भी कर सकती है ! भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की ताशकंद (रूस) में दुखद मृत्यु या हत्या के बाद (हत्या इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि शास्त्री जी का पार्थिक शारीर, जब भारत लाया गया तो उनके शारीर पर नीले व् सफ़ेद धब्बे थे, उनकी आँखें व् नाखून नीले पड गये थे ! जो अक्सर जहर के असर के कारण होता है ! शास्त्री जी को जहर देकर उनकी हत्या की गई है, यह आशंका उनकी धर्मपत्नी, श्रीमती ललिता शास्त्री जी ने तत्काल, उनका पार्थिक शरीर देखने के बाद जाता दी थी, और पोस्टमार्टम करवाने की मांग की थी ! यह दुनियां का पहला ऐसा मामला है, जिसमे कि किसी राष्ट के राष्ट्राध्यक्ष की मृत्यु विदेश में हुई हो, और उसका पोस्टमार्टम उस देश में नहीं किया गया हो ! यहाँ तक कि अपने ही देश, भारत में भी, शास्त्री जी की धर्मपत्नी की मांग के बावजूद, उनका पोस्टमार्टम नहीं किया/करवाया गया ! शास्त्री जी की मृत्यु के समय, श्रीमती इन्दिरा गाँधी शास्त्री जी की कैविनेट में विदेश मन्त्री थी ; और उनकी मृत्यु के उपरान्त भारत की प्रधानमंत्री बनी ! इसलिए देशवाशियों का सारा शक इन्दिरा गाँधी पर ही था ! ) जब 1967 में इन्दिरा गाँधी के नेत्रित्व में कांग्रेस चुनाव में उतरी, तो पूरा माहौल कांग्रेस व् इन्दिरा गाँधी के खिलाफ था, कांग्रेस लगभग चुनाव हार चुकी थी, कि अचानक उड़ीसा की एक जनसभा में जाते हुए, कार से उतरते ही, एक पत्थर इन्दिरा गाँधी के नाक पर लगा ! पत्थर मारने वाले व्यक्ति का कुछ पता नहीं चला, और न ही वो पकड़ा गया, और न ही उसे कोई सजा हुई ! अगले दिन सुबह सात बजे, देश के कोने-कोने में, कश्मीर से कन्याकुमारी तक इन्दिरा गाँधी के नाक पर हाथ रखी हुई तस्वीर वाले, बड़े-बड़े पोस्टर और कट-आउट लगे थे ! सहानुभूति की लहर उठी और इन्दिरा गाँधी व् कांग्रेस चुनाव जीत गई ! यहाँ पर एक मूल प्रश्न यह है कि कब और कैसे, ये तस्वीर दिल्ली पहुंची, कब ये पोस्टर डिजाईन हुए और कब लाखों पोस्टर देश के कोने-कोने में पहुँच भी गये ! उस ज़माने में न तो इन्टरनेट था, न मोबाइल फोन थे, न ही SMS या MMS से तस्वीरें भेजी जा सकती थी ! कंप्यूटर प्रिंटिंग भी नहीं थी और न ही सुपरफास्ट राजधानी व् शताब्दी जैसी ट्रेने थी ! इसलिए इस सारे कार्य को पूरा करने में कम से कम एक सप्ताह लगना चाहिए था ! तो फिर अगले ही दिन वो भी सुबह-सुबह, सब जगह ये पोस्टर व् कट-आउट कैसे पहुंचे ! इन पोस्टरों पर दिल्ली के प्रिंटिंग प्रेस का नाम छपा था ! राहुल गाँधी बार-बार अपने पिता, अपनी दादी पर हुए हमले की बात करता है, और साथ ही साथ यह भी कहता है कि मुझ पर भी हमला हो सकता है, कोई मुझे भी मार सकता है ! जो इस बात की तरफ इशारा करता है, कि हो न हो, इन्दिरा गाँधी की नाक टूटने वाली घटना एक बार फिर दोहराई जा सकती है ! हो सकता है सहानुभूति से वोट बटोरने के लिए, कोई विश्वसनीय कांग्रेसी, राहुल पर झूठ-मूठ का हमला करे, और इसको इन्दिरा प्रकरण की तरह, सब जगह प्रचारित कर दिया जाए ! पर मित्रो, काठ की हांडी एक ही बार चढ़ती है और उसको इन्दिरा गाँधी पहले ही चढा चुकी है ! फिर भी सावधान व् जागरूक रहने की जरुरत है, क्योंकि कांग्रेसियों के आचार-व्यव्हार व् कायर्कलाप में ऐसे ही कुछ लक्षण दिख रहे हैं, और कांग्रेस का इतिहास काला है ! यह जानकारी अन्य मित्रों तक पहुँचाने के लिए लाइक, शेयर या कमेंट जरुर करें ! जय हिन्द, वन्देमातरम

पप्पू पूरी जिन्दगी लर्निग लाइसेस लेकर ही घूमेगा.



Saturday, October 26, 2013

सेकुलर लोग अल-कांग्रेस के किन कामो पर गर्व करते है

सेकुलर लोग अल-कांग्रेस के किन कामो पर गर्व करते है :-

1- जवाहर लाल नेहरू के कपड़े विदेश में धूल कर आते थे, इस बात पर (भले ही उस समय देश की आधी जनता अर्द्धनंगी घूम रही थी) |

2- मोहनदास करमचंद गांधी के ब्रह्मचार्य के अनूठे प्रयोग की तरकीब पर |

3- जिस तरह से मोहन दास करमचंद गांधी ने अपने रास्ते के रोड़े भगत सिंह , राजगुरु, सुखदेव, चन्द्रशेखर आज़ाद को हटाया उस तरकीब पर |

4- जिस तरह से देश का बंटवारा करवाया गया और 4.5 लाख हिन्दू और 2.6 लाख मुसलमानो को मरवाया गया उस तरकीब पर |

5- मोहनदास करमचंद गांधी के वध के बाद मात्र 28 घंटों में 6200 महाराष्ट्रियन ब्रह्मणों की निर्मम हत्या पर |

6- जिस तरह से इंदिरा गाँधी ने अपने रास्ते के रोड़े लाल बहादुर शास्त्री जी और संजीव उर्फ़ संजय गाँधी को हटाया उस तरकीब पर ||

7- जिस तरह से इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद 11 हज़ार 750 सिखों को बेरहमी से मारा गया , लुटा गया , बलात्कार किया गया उस तरकीब पर |

8- भोपाल गैस काण्ड के बाद 22 हज़ार सरकारी और 35 हज़ार गैरसरकारी मौतों के जिम्मेदार पीटर एंडरसन को जिस तरह से अपने व्यक्तिगत हावाई जाहज से देश से बहार भेजा गया उस तरकीब पर |

9- देश में हुए पहले सेना जीप घोटाले से लेकर वर्तमान में कोयला और थोरियम घोटाले पर |

10- एक विदेश औरत के इशारों पर किस तरह नाचा जाता है इस तरकीब पर |

11- एक 5वि कक्षा के बच्चे के सामन्य ज्ञान के समकक्ष वाले 45 वर्षीय बुजुर्ग को युवा बता कर उसको प्रधानमंत्री पद का दावेदार और मोदी जैसे राजनीति के प्रोद्धा को टक्कर देने वाली बेवकूफी भरी बातों पर ||

अब जिसको ये सच जानकार भी अल-कांग्रेस को वोट देना है वो अपने घरों में अपनी कब्र खोद ले क्योकि मुग्लिस्तान की नीव पाकिस्तान की जनक अल-कांग्रेस के द्वारा डाली जा चुकी है ||

हिन्दुओं के दमन हेतु साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निवारण बिल 2011 शीघ्र आ रहा है ||

जागो सेकुलरों क्योकि मुल्लों और अल-कांग्रेसियों के लिए तुम हिन्दू ही हो......

जय जय सियाराम,, जय जय महाकाल ,, जय जय माँ भारती ,, जय जय माँ भारती के लाल ||

Thursday, October 24, 2013

2. हिंदुद्रोही ‘सांप्रदायिक और लक्ष्यित हिंसा अधिनियम, २०११’ का विरोध करे !

क्या हिंदूओ अब भी तुम किसी चमत्कार की उम्मीद करोगे या शिवाजी की की राह पर चलने को तैयार होगे ?

धर्मनिरपेक्ष शासनकी ओरसे ‘सांप्रदायिक और लक्ष्यित हिंसा (न्याय तक पहुंच और क्षतिपूर्ती) अधिनियम, २०११’ इस हिंदूद्वेषी कानूनका प्रारूप सिद्ध !

हिंदूओ, इस हिंदूद्रोही प्रारूपकी गंभीरता पहचानें ! आपका मानसिक छल करनेवाला, आपका धर्माभिमान जागृत न हो, आपके शरीरमें राष्ट्र तथा धर्माभिमानका रक्त न खौले, आपपर किसी भी प्रकारका अन्याय, अत्याचार हुआ, तो वो आपको चुपचाप सहना ही होगा, यदि आपने अन्यायके विरुद्ध कोई भी कानूनी प्रतिकार किया, तो आपको अधिक गंभीर सजा होगी और आपका जीवन उद्धवस्त होगा,  इस प्रकार नियोजनबद्ध हिंदूओंका दमन करनेवाले इस हिंदूद्रोही कानूनका तथा हिंदूद्रोही निधर्मी शासनका सर्व स्तरोंपर तीव्र निषेध करें ! - संपादक
हिंदूओ, जागो ! यह कानुनके विषयमे आपकी राय/मत लिखके उसे wgcvb@nac.nic.in यह ईमेलपे भेज दीजिये । समितिके जालास्थानके कमेंट्स सुविधाका उपयोग करके आप आपकी राय तुरंत शासनको भेज सकते है । उस लिए कृपया यह क्लिक करे !

गुजरात-दंगोंके उपरांत नाममात्र धर्मनिरपेक्षतावादियों द्वारा दिए समर्थनके कारण हिंदूद्रोही केंद्रशासन आज सहिष्णु हिंदूओंपर घोर अन्याय करनेवाला तथा दंगा करनेवाले शैतानोंकी चापलूसी करनेवाला नया महाभयंकर कानून ला रहा है । क्या शासनद्वारा हिंदूओंको आजतक दिए कष्ट अल्प थे कि उसने  ‘सांप्रदायिक और लक्ष्यित हिंसा (न्याय तक पहुंच और क्षतिपूर्र्ति) अधिनियम, २०११’, नामक अंग्रेजोंको भी लज्जा आए, ऐसे भयानक कानूनका प्रारूप सिद्ध किया  ?

अत्यंत अल्प समयमें यह विधेयक बनाया गया है । इस विधेयककी प्रारूपण समितिमें तिस्ता सेटलवाड, फराह नकवी, हर्ष मंदेर, नजमी वजीरी, माजा दारुवाला, गोपाल सुब्रमण्यम जैसे लोग  है । इससे क्या और वैâसा कानून बनेगा, यह हम समझ सकते हैं । इस कानूनकी सलाहकार समितिमें भूतपूर्व न्यायमूर्ती सुरेश होस्पेट, अबुसालेह शरीफ, असगर अली इंजिनिअर, जॉन दयाल, कमाल फारुकी, मौलाना नियाज फारुकी, राम पुनियानी, शबनम हाशमी, सिस्टर मारिया स्कारिया, सय्यद शहाबुद्दीन, रूपरेखा वर्मा, गगन सेठी जैसे लोग हैं ।

इस प्रारूपकी कुछ आसुरी धाराओंकी सूचना तथा उसकी गंभीरताकी ओर ध्यान दिलानेके लिए कोष्ठकमें उसके गंभीर परिणामोंका संक्षिप्त विश्लेषण दिया है -
१. यह कानून केवल धार्मिक या भाषिक दृष्टिसे अल्पसंख्यक अथवा अनुसूचित जाति तथा जनजातिके ‘गुट’पर बहुसंख्यकोंकी ओरसे होनेवाले अत्याचारपर कार्रवाई करने हेतु है, ऐसा दिखाई देता है । (अल्पसंख्यक ही बहाना बनाकर दंगा करें तो क्या उन्हें कानून द्वारा सजा होगी ?)
२. इस कानूनके अनुसार उपरोक्त गुटपर अत्याचार करनेवाले अपराधी ही है, क्या यह मान लिया जाएगा ? नाममात्र अपराधियोद्वारा उनका निर्दोषत्व सिद्ध करनेपर ही उनका छुटकारा होगा, यह इस प्रारूपसे दिखाई देता है ।
३. इस कानूनकी धारा ८, १८ और अन्य धाराएं बहुसंख्यकोंकी अभिव्यक्ति स्वतंत्रतापर सीधा संकट लानेवाली हैं । इस कानूनके अनुसार अल्पसंख्यकोंके विरुद्ध वक्तव्य करना ‘विद्वेषी प्रचार’ (हेट प्रपोगंडा) नामसे जाना जाएगा । (इसलिए अल्पसंख्यकोंकी चापलूसीके विषयमें  हिंदुत्ववादियों द्वारा बोलना अपराध माना जाएगा ।)
४. जब दंगा न हो रहा हो, उस वातावरणमें भी इस कानूनका डंडा हिंदूओंके लिए घातक है । (इस कानूनके कारण शांतिकालमें भी बोलनेसे दंगोंके लिए पोषक वातावरण निर्माण हुआ है, ऐसा कहा जा सकता है और राय व्यक्त करनेवालोंपर कार्रवाई की जा सकती है । )
५. इस कानूनके अपराध संज्ञेय एवं गैर-जमानती हैं । (भारतीय दंड विधानमें इसमेंसे कुछ अपराध असंज्ञेय एवं जमानती स्वरूपमें हैं ।)
६. स्वयं कार्रवाई करनेमें टालमटोल करने अथवा कनिष्ठ अधिकारियोंद्वारा किए अपराध अथवा टालमटोलकी सजा वरिष्ठों अधिकारियोंकी ही है । उसी प्रकार ज्येष्ठ अधिकारियोंके आदेश मानकर कुछ कृत्य किया, तो कनिष्ठ अधिकारी द्वारा किया गया वह कृत्य अपराध समझा जाएगा । ऐसे आदेशकी पूर्तता कानूनके अनुसार अपराध माना जाएगा ।(इसलिए स्वयंकी खाल बचानेके उद्देश्यसे दंगाफसाद जैसी स्थितिमें पुलिस दल बडी मात्रामें सद्सद् विवेकबुद्धिसे आचरण न कर इस कानूनकी धाराओंसे डरकर अल्पसंख्यकोंके पक्षमें झुकनेकी अधिक संभावना है ।)
७. सांप्रदायिक शांति, न्याय तथा क्षतिपूर्तिके लिए एक राष्ट्रीय आयोग इस कानून द्वारा निर्माण किया जाएगा । इस आयोगके पास अनेक बडे अधिकार होंगे । सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकार यह है कि आयोगद्वारा दी सूचनाएं केंद्र एवं राज्य शासन, पुलिसको बंधनकारक होंगी । (शासन, लोकसभा तथा राज्यसभाके अधिकार आयोगको दिए गए हैं, ऐसा दिखाई देता है ।) आयोगद्वारा सूचना देनेपर निश्चित कालावधिमें सूचनाएं कार्यांवित की गई, ऐसा ब्योरा आयोगको देना इन सबके लिए बंधनकारक है ।
८. आयोग स्वयं ही जांच-पडताल कर सकता है । इसके लिए आयोगको दीवानी न्यायालयका स्तर दिया गया है । ऐसी अनेक धाराएं इस कानूनमें हैं ।

1. हिंदुद्रोही ‘सांप्रदायिक और लक्ष्यित हिंसा अधिनियम, २०११’

जिस बिल का बिरोध बीजेपी इतने सालो से करती आई है और बीजेपी की बजह से जो आज तक पास नहीं हो पाया है इस बार कांग्रेस शीतकालीन सत्र में हिन्दू बिरोधी बिल को पास करवाने जा रही है ..

क्या हत्यारे, दंगाई और हिंसक प्रवृति के हैं हिंदू ?

सोनिया गाँधी के अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने सांप्रदायिक हिंसा विधेयक का टाडा से भी खतरनाक कानून का मसौदा तैयार कर लिया है, जिसका नाम सांप्रदायिक एवं लक्ष्य केंद्रित हिंसा निवारण (न्याय प्राप्ति एवं क्षतिपूर्ति) विधेयक २०११ है, जिसने निम्न बिंदु है :

१. बहुसंख्यक [हिंदू] हत्यारे, हिंसक और दंगाई प्रवृति के होते है ।

२. दंगो और सांप्रदायिक हिंसा के दौरान यौन अपराधों को तभी दंडनीय मानने की बात कही गई है । अगर वह अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों के साथ हो, यानि अगर किसी हिंदू महिला के साथ दंगे के दौरान कोई मुस्लमान बलात्कार करता है तो ये दंडनीय नहीं होगा ।

[सोनिया जी क्या आप हर हिंदू महिला को अपनी बेटी प्रियंका गाँधी की तरह SPG सुरक्षादेंगी ?]

३. यदि दंगे में कोई अल्पसंख्यक [मुस्लमान] घृणा और वैमनस्य फैलता है तो वे कोई अपराध नहीं माना जायेगा, किन्तु अगर कोई बहुसंख्यक [हिंदू] घृणा और वैमनस्य फैलता है तो उसे कठोर सजा दी जायेगी ।

४. इस बिल में केवल अल्पसंख्यक समूहों की रक्षा की ही बात की गई है सांप्रदायिक हिंसा के मामले में यह बिल बहुसंख्यकों की सुरक्षा के प्रति मौन है । इसका अर्थ साफ है कि बिल का मसौदा बनाने वाली एनएसी की टीम भी यह मानती है कि दंगों और सांप्रदायिक हिंसा में सुरक्षा की जरुरत केवल अल्पसंख्यक समूहों को ही है ।
[मतलब साफ है की कांग्रेस पार्टी को हिंदू वोट की कोई जरुरत नहीं है ।]

५. इस काले कानून के तहत सिर्फ और सिर्फ हिंदूओ के ही खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है । कोई भी अप्ल्संख्यक [मुस्लमान और ईसाई] किस काले कानून के दायरे से बाहर होंगे ।

६. दंगो की समस्त जबाबदारी हिंदूओ की ही होगी क्योंकि हिंदूओ की प्रवृति हमेशा से दंगे भडकाने की होती है । और हिंदू आक्रामक प्रवृति के होते है ।

७. अगर किसी भी राज्य में दंगा भडकता है और मुसलमानों को कोई नुकसान होता है तो केंद्र सरकार उस राज्य के सरकार को तुरंत बर्खास्त कर सकती है ।

[सोनिया के आँख में गुजरात की मोदी सरकार और कर्णाटक की यदुरप्पा सरकार जिस तरह से चुभ रही है उसे देखते हुए यही लगता है की अब बीजेपी की सरकारों को बर्खास्त करने के लिए सोनिया को किसी पालतू राज्यपाल की जरुरत नहीं पड़ेगी । बस भाड़े के गुंडों से दंगो करवाओ और बीजेपी सरकारों को बर्खास्त करो ।]
८. दंगो के दौरान होने वाले किसी भी तरह के जान और माल के नुकसान पर मुवावजे के हक़दार सिर्फ अल्पसंख्यक ही होंगे । कोई भी हिंदू दंगे में होने वाले किसी भी तरह के नुकसान पर मुवावजा का हक़दार नहीं होगा ।

मित्रों यह विधेयक बन कर तैयार है । अब तक सिर्फ बीजेपी ने ही इसका बिरोध किया है । बाकि सभी पार्टिया खामोश है, क्योंकि सबको सिर्फ मुस्लिम वोट बैंक की ही चिंता है ।

मित्रों ऐसा काला कानून औरंगजेब और अंग्रेजो के भी ज़माने में नहीं था । और तो और सउदी अरब जैसे देश जहा पर शरिया कानून है उस देश में भी कानून की परिभाषा में सिर्फ "अभियुक्त" और वादी और प्रतिवादी ही होते है वहा का कानून भी मुसलमानों को कोई विशेषाधिकार नहीं देता ।

अब जानिए कौन कौन “काबिल” लोग इस कानून के बंनाने में शामिल है

सैयद शहबुदीन,

हर्ष मंदर,

अनु आगा,

माजा दारूवाला ,फरह नकवी

अबुसलेह शरिफ्फ़

असगर अली इंजिनियर

नाजमी वजीरी

पी आई जोसे

तीस्ता जावेद सेतलवाड

एच .एस फुल्का

जॉन दयाल

जस्टिस होस्बेट सुरेश

कमल फारुखी

मंज़ूर आलम

मौलाना निअज़ फारुखी

राम पुनियानी

रूपरेखा वर्मा

समर सिंह

सौमया उमा

शबनम हाश्मी

सिस्टर मारी स्कारिया

सुखदो थोरात

सैयद शहाबुद्दीन

क्या हिंदूओ अब भी तुम किसी चमत्कार की उम्मीद करोगे या शिवाजी की की राह पर चलने को तैयार होगे ?

इंग्लिश में बिल के बारे मे जानकारी के लिए इस लिंक को खोले ---open this link for information about anti hindu comunal violance bill-----

http://www.hindujagruti.org/activities/campaigns/religious/communal-violence-bill/

news link----

http://indiatoday.intoday.in/story/communal-violence-bill-winter-session-parliament-congress/1/317234.html

हिंदी में जाने इस बिल के बारे में निचे दिए लिंक को खोलके ---

http://www.hindujagruti.org/hindi/news/97.html

वोट देने के पहले कुछ महान नेताओं के बयानों को जरुर याद रखे..

 वोट देने के पहले कुछ महान नेताओं के बयानों को जरुर याद रखे..

1-बोफोर्स की ही तरह कोयला घोटल भी जनता भूल जायेगी - सुशील शिंदे

2. पुलिस और सेना के लोग मरने के लिए ही होते हैं - भीम सिंह

3. हमारे सैनिकों को पाकिस्तान की सेना ने नहीं, बल्कि उनकी वर्दियों में आतंकवादियों ने मारा है- एके एंटनी


4. पीने के लिए पानी नहीं है तो क्या बांधों में मूतकर के पानी ला दूं - अजित पवार

6. महंगाई ज्यादा सोना खरीदने की वजह से बढ़ रही है - पी चिदंबरम

7. पैसे पेड़ पर नहीं लगते – मनमोहन सिंह

8. हमारे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है जिससे महंगाई पर काबू किया जाये - मनमोहन सिंह

9. गायों को काटने से देश को कोई नुकसान नहीं. अगर नहीं काटेंगे तो बूड्डी होकर देश पर आफत बनेगी - शरद पँवार

10. सोनिया जी कहे तो मैं झाडू पोछा भी लगाउँगा - चरणों वाला चरण दास !

11.ईस्ट इंडिया कंपनी 400 साल भारत को लूटने आई थी मैं आपको फिर निमंत्रण देने आया हूँ. अगले 200 के लिए आप फिर भारत चले आयें. तेरे विल बे ह्यूज रिवॉर्ड फॉर यौ. पी चिदम्बरम (1996 लंदन


12.भारत माता डायन है - आजम खान

13. 5 रुपए मे लोग पेट भर खाना खा सकते हैं - राज बब्बर
14. अगर हम गाय की रक्षा करने लगे तो दुनिया कहेगी. हम भारत को 15 वी शताब्दी मे ले जा रहे हैं - नेहरू 1952 (मतलब गाय काटने से देश 21 वीं शताब्दी मे जाएगा)

16. महंगाई के लिए गरीब जिम्मेदार - मनमोहन सिंह 17. इस देश को इस्लामिक नही, बल्कि हिन्दू आतंकियों से ज्यादा खतरा है - राहुल गाँधी उर्फ़ पप्पू पेजर

18. वन्दे मातरम नहीं बोलूँगा : हमीद अंसारी

19. बाटला हाउस में आतंकवादियों के मरने पर सोनिया जी बहुत रोयीं थीं - सलमान खुर्शीद

20. जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो आसपास की जमीन हिल जाती है (4500 सिख भाइयो के कत्लेआम के बाद) - राजीव गांधी

21. लोग ज्यादा ज्यादा खाना खाते हे, इसीलिए महंगाई ज्यादा बढती हे - चिदंबरम (फाइनेंस मिनिस्टर)
22 देस में गरीव बल्कि कोई चीज नही हे, ये सब लोगोकी मानसिक बीमारी हे - राहुल गाँधी
23. जब बीबी पुरानी हो जाती है तो वो मजा नही देती - कोयला मंत्री श्री प्रकाश जैसवाल

24. विमान के इकोनोमिक क्लास को कैटल क्लास कहना चाहिए. क्योकि इकोनोमिक क्लास में सफर करने वाले गरीब जाहिल और जानवर होते है - shashi tharur

25. नरेंद्र मोदी मौत का सौदागर है - सोनिया गाँधी

26. मै जब चाहू तब सांसद बन सकता हूँ. मेरे लिए ये छोटी बात है - राबर्ट बढेरा

27. यूपी वाले भिखारी है ये पंजाब और गुजरात में जाकर भीख मांगते है - राहुल गाँधी

28. पंजाबी लोग नशेड़ी होते है - राहुल गाँधी

और किसी को याद हो तो निचे ऐड कर देना .......

जो हमारे लिए विदेश है ..वह उनके लिए स्वदेश है


सवाल भारत के संसाधन लूटने का नहीं है ...सवाल सिर्फ और सिर्फ भारत पर शासन करते रहने का है

इसीलिए इतनी मात्र में धन का भण्डार भरा गया है

वर्ना .व्यक्रिगत इच्छाओं की पूर्ति के लिए 50 - 100 करोड़ ही काफी थे

हाजारो लाखों करोड़ इसीलिए लुटे जाते है ..और विदेशों में भी तभी जमा किये जाते है .....ताकि हारने पर भी सत्ता का चाबुक बाहर से चलाया जा सके ...और उसी लुटे हुए पैसे के बल पर दुबारा सत्ता हासिल ही जा सके .........यह तरीका विदेशी आक्रान्ताओं का ही हो सकता है ... स्वदेशी शासको का कदापि नहीं .......इसीलिए धन - बल को विदेशों में सहेज कर रखा जाता है .........जो हमारे लिए विदेश है ..वह उनके लिए स्वदेश है ........

पप्पू उर्फ़ राहुल गाँधी

अब जब पप्पू उर्फ़ राहुल गाँधी की सरकार केंद्र में पिछले १० सालो से लगातार है तो उन्हें केंद्र सरकार के द्वारा किये गये कामो को जनता के बीच में बताना चाहिए ...लेकिन उसके बजाय ये पप्पू पेजर दादी और पापा की हत्या की बात करके सहानुभूति पैदा करना चाह रहे है |

यानी पप्पू के पास जनता के बीच अपनी उपलब्धिया बताने को कुछ भी नही है .. और बताये भी तो क्या ?? टू जी, कामनवेल्थ, कोलगेट, रेलगेट आदि कितने घोटालो की हारमाला पहनकर ये जर्सी बैल आखिर जनता के बीच बोले भी तो क्या बोले ??

फिर जब कुछ बोलने को नही तो पप्पू ने अपनी दादी और पापा के हत्या की बात करन शुरू कर दिया

पप्पू अगर हत्या की बात करनी है तो अपनी दीदी के ससुरालवालो की हत्या की बात क्यों नही करते ?

ज़्यादातर मंत्री हिन्दू है फिर भी हिन्दुओ पर अत्याचार क्यों

कभी आपने सोचा है की सरकार मे ज़्यादातर मंत्री हिन्दू है फिर भी हिन्दुओ पर अत्याचार क्यों होता है, नहीं पता चलिये मैं आपको बताता हूँ क्यों ?

क्योंकि कांग्रेस के 80% मंत्री धर्मपरिवर्तित ईसाई या मुसलमान है बस धोखे देने को नाम ही हिन्दू की तरह है हिन्दू वोटरो को लुभाने के लिए….

• सबसे पहले सोनिया गांधी असली नाम एंटोनिया माइनो कट्टर कैथोलिक ईसाई
• राहुल गांधी असली नाम राउल विंची
• प्रियंका गांधी का पति राबर्ट वाड्रा कट्टर ईसाई
• प्रियंका के दो बच्चे रेहना और मिराया
• दिग्विजय सिंह ईसाई धर्म अपना चुका है
• छतीसगढ़ के पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री अजित जोगी और उनका पूरा परिवार ईसाई धर्म
अपना चुका है
• कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदम्बरम ईसाई बन चुके है और उनकी पत्नी नलिनी 167 ईसाई
मिशनरी एनजीओ की मालकिन है

• पूर्व चुनाव आयुक्त नवीन चावला, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस केजी बालाकृषडन भी ईसाई धर्म अपना चुके है

• 2जी घोटाले का आरोपी ए राजा ईसाई है

• द्रमुक प्रमुख एम के करुणानिधि व उनका पूराखानदान ईसाई बन चुका है

• वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रणव मुखर्जी, सुबोध कान्त सहाय, कपिल सिब्बल, सत्यव्रत चतुर्वेदी, अंबिका सोनी,पीवी थामस, ए के एन्टोनी, जनार्दन दिवेदी, मनीष तिवारी ये सभी ईसाई
धर्म अपना चुके है

• धर्म को अफीम मनाने वाले कम्युनिस्ट सीताराम येचूरी, प्रकाश करात, विनायक सेन ईसाई है

• अरुंधति राय, स्वामी अग्निवेस, सारे कांग्रेसी पत्रकार ईसाई हो चुके है

• आंध्र प्रदेश के 150 से ज्यादा मंत्री ईसाई बन चुके है इसलिए आंध्र प्रदेश मे सारे मंदिरो को तोड़ा जा चुका है ,

• बाकी बचे नेता मुस्लिम है जैसे सलमान खुर्सीद, अहमद पटेल इत्यादि ।

• आंध्र प्रदेश के वाईएसआर रेड्डी ईसाई है और उसका बेटा अनिल जो की ईसाई मिशनरी समाज का सबसे बड़ा माफिया है,इसी अनिल पर यह भी आरोप है की धर्म परिवर्तन के लिए जो कमीशन बाहर से आता है उसके लेनदेन संबंधी बँटवारे को लेकर अनिल ने वाईएसआर केआई हत्या का षड्यंत्र रचा था । इसी अनिल ने पूरे भारत के जनमानस
को ईसाई बनाने का ठेका लिया है । इसके पास 21 निजी हेलीकाप्टर है व खरबो रुपये की संपति है इसनेकेवल हैदराबाद मे ही 100 से ज्यादा conversion workshops लगा रखी है धर्म परिवर्तन के लिए । इसका ढांचा किसी बहुत बड़ी एमएनसी कंपनी द्वारा बनाया गय जिसमे सीईओ से लेकर मार्केटिंग professionals तक भर्ती किए जाते है । प्रत्येक ईसाई मिशनरी को टार्गेट दिया जाता है की प्रति सप्ताह 10 हिन्दुओ को ईसाई बनानेका और कमीशन
दिया जाता है । औसतन 200 हिन्दुओ को ईसाई धर्म परिवर्तन न करने के कारण जला दिया जाता है । यह सरकारी आंकड़ा है असली संख्या इससे ज्यादा हो सकती है

(( सारे आंकड़े विकिपीडिया और विभिन्न ब्लॉगर के माध्यम से एकत्रित किये गए है ))

Tuesday, October 22, 2013

शोभन सरकार के शिष्य ओम बाबा का कांग्रेस से रहा है नाता

शोभन सरकार के शिष्य ओम बाबा का कांग्रेस से रहा है नाता

om-baba
ओम बाबा
नई दिल्ली।। डौंडियाखेड़ा के 'ड्रामे' में सियासत का रंग और गहरा होता जा रहा है। इस मामले में एक नया तथ्य सामने आया है। संत शोभन सरकार की आवाज बनकर उभरे उनके शिष्य ओम बाबा की कांग्रेस की पृष्ठभूमि सामने आई है। ओम बाबा के पुराने साथियों ने बताया कि उनका असली नाम ओम अवस्थी है और इंदिरा गांधी के जमाने में वह कांग्रेस में थे। पुराने साथियों के मुताबिक, ओम बाबा मेरठ जिला में यूथ कांग्रेस के महामंत्री तक रह चुके हैं। खुद ओम बाबा ने भी अतीत में कांग्रेस से जुड़े होने की बात मानी है। उन्होंने कहा कि हर शख्स का एक अतीत होता है।

शोभन सरकार की तरफ से नरेंद्र मोदी को लिखी गई चिट्टी की भाषा पर बीजेपी के कई नेता पहले ही सवाल उठा चुके हैं। बीजेपी का आरोप था कि चिट्ठी की भाषा कांग्रेस की है। अब नए तथ्य सामने आने के बाद बीजेपी इस मामले में और आक्रामक हो सकती है।

ओम बाबा के दोस्त होने का दावा करने वाले मेरठ के वकील ओमप्रकाश शर्मा ने उन्हें टीवी पर देखकर पहचाना। ओमप्रकाश शर्मा का कहना है, 'ओम जी उर्फ ओम अवस्थी की इंदिरा गांधी में गहरी आस्था थी और इमरजेंसी के बाद जब कांग्रेस की पार्टी की हार हुई तो ओम अवस्थी ने यहां तक कहा कि अब वह दोबारा कांग्रेस की सरकार बनने तक आधे कपड़े में रहेंगे। इसके बाद वह सांसारिक जीवन से कटते चले गए और मेरठ से भी चले गए लेकिन कांग्रेस में उनकी आस्था बनी रही।'

मेरठ से कांग्रेस के विधायक रह चुके जयनारायण शर्मा ने भी ओमप्रकाश के दावों की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि 1972 में ओम अवस्थी कांग्रेस से जुड़े और इसके बाद उनका ज्यादा समय कांग्रेस के दफ्तर में ही गुजरता था। उनके मुताबिक पिता की मौत के बाद ओम जी ने सामाजिक जीवन त्याग दिया और बाद में शोभन बाबा के संपर्क में आ गए।

गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी ने एक साधु के सपने पर खजाने के लिए खुदाई करवाने के मुद्दे केंद्र सरकार की खिंचाई की थी। जिसके बाद सोमवार को शोभन सरकार ने उन्हें चिट्ठी लिखकर बिना तथ्यों के बयान देने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने मोदी को इस मुद्दे पर शास्त्रार्थ की चुनौती दी है। शोभन बाबा की इस चिट्ठी के बाद मोदी बैकफुट पर आ गए और शोभन बाबा से एक तरह से माफी मांग ली। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'संत शोभन सरकार के प्रति अनेक वर्षों से लाखों लोगों की श्रद्धा जुड़ी हुई है, मैं उनकी तपस्या और त्याग को प्रणाम करता हूं।'

Sunday, October 20, 2013

हिन्दू आतंकवाद या सरकारी साजिश?

हिन्दू आतंकवाद या सरकारी साजिश? [लेखक :- डा कुलदीप चन्द्र अग्निहोत्री ..साभार - विस्फोट डॉट कॉम ]



देश में हिन्दू आतंकवाद को स्थापित करने की असफल कोशिशों के बीच भवेश पटेल की चिट्ठी सरकार का सारा चिट्ठा खोल देती है जो उन्होंने हाल में ही राष्ट्रीय जांच अभिकरण (एनआईए) के विशेष न्यायालय को लिखी है। अपनी चिट्ठी में भवेश पटेल ने कहा है कि सोनिया कांग्रेस के सिपाहसलारों दिग्विजय सिंह, केन्द्रीय मंत्रियों सुशील कुमार शिन्दे और प्रकाश जायसवाल और आरपीएन सिंह ने मुझे लाखों रुपयों की पेशकश की थी ताकि मैं अजमेर दरगाह विस्फोट मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मोहन भागवत और इन्द्रेश कुमार की संलिप्तता की बात अपने बयान में दर्ज करवा दूँ। पटेल के इस चौंकाने वाले रहस्योदघाटन के बाद देखें कि यह भवेश पटेल कौन है और इस षड्यंत्र के अन्य पात्र कौन कौन से हैं और उनकी इस राष्ट्रविरोधी षड्यंत्र में क्या भूमिका रही है?
भवेश पटेल का नाम पुलिस ने अजमेर दरगाह विस्फोट मामले में दर्ज की गई प्राथमिक सूचना रपट में दर्ज किया था। पुलिस ने कहा कि पटेल को गिरफ़्तार करने का वह प्रयास कर रही है, लेकिन वह पकड़ में नहीं आ रहा। लेकिन भवेश पटेल तो मुरादाबाद में प्रमोद त्यागी के आश्रम में ही रह रहा था। और पटेल का कहना है कि त्यागी के इसी आश्रम में उसकी भेंट एन.आई.ए के आईजी से हुई थी। त्यागी के पास पटेल १८ महीने रहा। ताज्जुब है पुलिस उसे फिर भी न जानने का दावा करती रही।
अब यह नया फ़ंडा। आख़िर यह प्रमोद त्यागी कौन है? प्रमोद त्यागी बहुत देर तक युवा कांग्रेस में सक्रिय रहा। सोनिया कांग्रेस की ओर से उत्तर प्रदेश में चुनावों में भी उछल कूद करता रहा। यह अलग बात है कि त्यागी चुनाव जीत नहीं सका। तब शायद पार्टी ने इस कार्यकर्ता के लिये नई भूमिका चुनी। पुराणों में कल्कि अवतार के आने की बात लिखी हुई है। त्यागी ने समझ लिया यह पद अभी ख़ाली पड़ा है, अत: पद पर तो क़ब्ज़ा किया ही जा सकता है। किसी को एतराज़ भी नहीं हो सकता। आखिर इस पद के लिये तो लोकसभा के लिये चुनाव नहीं होगा। अत: त्यागी ने अपने आप को विधिवत कल्कि घोषित कर दिया और पद की गरिमा के अनुरुप अपना नाम भी त्यागी हटा कर कृष्णन कर लिया। प्रमोद कृष्णन। मुरादाबाद के अपने गाँव अचोडा कम्बोह में कल्किधाम का निर्माण किया। वहाँ कल्कि महोत्सव शुरु किया। सोनिया कांग्रेस के इस नये कल्कि के आश्रम में कपिल सिब्बल से लेकर श्रीप्रकाश जायसवाल, राजीव शुक्ला, दिग्विजय सिंह तक सभी आते हैं। सोनिया कांग्रेस का यह कल्कि अवतार बीच बीच में नरेन्द्र मोदी और बाबा रामदेव के खिलाफ भी ज़हर उगलता रहता है।
भवेश पटेल के माता पिता प्रमोद त्यागी को सचमुच नया कल्कि मान कर उसके उपासक हुये। उसी हैसियत में पटेल आश्रम में रहता था। पटेल का कहना है कि इसी त्यागी ने उसकी सोनिया कांग्रेस के प्रमुख नेताओं यथा गृहमंत्री शिन्दे और महासचिव दिग्विजय सिंह से मुलाक़ात करवाई। एन.आई.ए के अधिकारी भी पटेल से इसी त्यागी के तथाकथित आश्रम में मिलते थे। पटेल का कहना है कि दिग्विजय सिंह ने उसे आश्वासन दिया था कि तुम इस कांड में संघ प्रमुख मोहन भागवत एवं कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार का नाम ले देना, तो तुम्हें गिरफ़्तारी के महीने बाद ही ज़मानत पर छुड़ा दिया जायेगा। इस काम के लिये उसे पैसे का आश्वासन भी दिया गया। शायद इसी समझौते के तहत मार्च में भवेश पटेल का आत्मसमर्पण हुआ। न्यायालय ने पटेल को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इसके बाद का पटेल का वक्तव्य चौंकाने वाला है। उसके अनुसार जयपुर जेल से ही अपने मोबाईल फ़ोन पर जाँच अधिकारी विशाल गर्ग ने उसकी एन.आई.ए के आई.जी संजीव कुमार सिंह और प्रमोद त्यागी से बात करवाई, जिसमें उन्होंने भागवत और इन्द्रेश का नाम लेने के लिये फिर दबाव और लालच दिया।

२३ मार्च को पटेल ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा १६४ के तहत बयान दर्ज करवाया लेकिन उसने मोहन भागवत और इन्द्रेश कुमार का नाम नहीं लिया। तब जांच अधिकारी उसे फिर जयपुर जेल में मिला और कहा कि तुमने हमारा काम नहीं किया इसलिये अब तुम्हारी कोई सहायता नहीं की जायेगी। इसके बाद बिना न्यायालय की अनुमति के पटेल को जयपुर जेल से अलवर जेल भेज दिया गया जबकि अजमेर कांड के बाक़ी सब अभियुक्त जयपुर जेल में रखे गये थे। यहीं बस नहीं, जाँच अधिकारी, पटेल के अनुसार एक बार फिर उससे अलवर जेल में मिला और उससे वायदा माफ़ गवाह बनने के लिये कहा। एन.आई.ए पूरा ज़ोर लगा रही थी कि किसी तरह इस केस में भागवत और इन्द्रेश का नाम डाला जाये। अब यह रहस्योदघाटन भी हुआ है कि पटेल को बिना अधिकार के अलवर स्थानान्तरित करने की योजना भी एनआईए के डीजी की थी। पटेल ने न्यायालय से गुहार लगाई है कि उसे जान का ख़तरा है। कांग्रेस ने अपने राजनैतिक हितों के लिये उसका दुरुपयोग किया है। यह पूरी घटना अनेक सवालों को जन्म देती हैं। जाँच ऐजंसियां किसके इशारे पर संघ को इस मामले से जोड़ना चाहती है? एजेंसियों का इस मामले में अपना तो कोई स्वार्थ हो नहीं सकता। उच्चतम न्यायालय ने जैसा कहा है कि सरकारी जाँच एजेंसी सीबीआई सरकार का तोता बन गई है। ज़ाहिर है कि अन्य जाँच ऐजंसियों की स्थिति उससे भी बदतर है।

प्रमोद त्यागी जैसे दलालों की भूमिका की भी गहराई से जाँच करवाने की ज़रुरत है। आख़िर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को इस प्रकार के षड्यंत्रों के माध्यम से घेरने के पीछे कौन सी शक्तियाँ हैं? आख़िर भारत में राष्ट्रवादी शक्तियों के आगे बढ़ने से किनकों ख़तरा है? वे कौन सी देशी विदेशी ताक़तें हैं जो भारत को कमज़ोर करना चाहती हैं? पटेल का रहस्योदघाटन कई आशंकाओं को जन्म देता है। क्या भारत में जो लोग राष्ट्रवादी शक्तियों को कमज़ोर कर रहे हैं वे केवल किसी विदेशी शक्ति के मोहरे भर तो नहीं? ये ऐसे प्रश्न हैं जो साँप की तरह फन तान कर खड़े हो गये हैं। लेकिन इनका उत्तर कौन तलाशेगा? जिन पर उत्तर तलाशने की ज़िम्मेदारी थी, भवेश पटेल की न्यायालय को लिखी चिट्ठी में तो वही अन्धेरे में रेंगते नज़र आ रहे हैं। दिन के उजाले से छिप कर अन्धेरे में रेंगते वाले यही लोग सबसे ज़्यादा ख़तरनाक होते हैं। लगता है इस बार उत्तर जनता को ख़ुद ही तलाशना होगा ताकि अन्धेरे में रेंगते वाले ये जीव अपने कल्कि के आश्रम में बैठ कर देश का और नुक़सान न कर सकें।

नीच और दोगले कांग्रेसियो के दिमाग में भरा हुआ है



मित्रो, मैंने केरल में देखा था की हाथी को नहलाने के बाद महावत उसे रस्सी से एक प्लास्टिक की कुर्सी से बांध दिया था ... जब मैंने पूछा की इस हाथी के लिए इस प्लास्टिक की कुर्सी क्या चीज है तो महावत ने बहुत जोरदार जबाब दिया था ..

महावत ने कहा की सदियों से हाथी को हम ऐसे ही बांधते आ रहे है और उसे लगता है की वो इस बंधन को तोड़ नही पायेगा और न ही भाग पायेगा इसलिए वो इस बंधन से आज़ाद होने की कोशिस भी नही करता क्योकि आप हाथी को चाहे किसी मजबूत खूंटे से बांधो या प्लास्टिक की कुर्सी से उसे कोई फर्क नही पड़ेगा क्योकि उसके दिमाग में गुलामी करनी भरी हुई है |

ठीक यही इन नीच और दोगले कांग्रेसियो के दिमाग में भरा हुआ है ... इनके परदादा मोतीलाल नेहरु के तलवे चाटते थे ... इनकी दादी नेहरु का बिस्तर गर्म करती थी ... इनका बाप राजीव का तलवा चाटता था .. तो इनके मनमष्तिष्क में ये भरा हुआ है की इन्हें राहुल और प्रियंका का तलवा और पता नही क्या क्या चाटना है .... और चूँकि राहुल गाँधी शादी नही कर रहे है इसलिए इनके बच्चे प्रियंका के बच्चो को अपना मालिक मान चुके है ..


ये मै इसलिए लिख रहा हूँ क्योकि इलाहबाद में कांग्रेसी नेताओ ने जगह जगह होर्डिग लगाया की प्रियंका जी ही अब कांग्रेस का उद्धार कर सकती है ..जैसे ये कांग्रेसी नेता सिर्फ इस खानदान की गुलामी करने के लिए ही पैदा हुए है ...

कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चौधरी

देखिये ये कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चौधरी क्या कह रही है ... ये कह रही है की सेक्स हम महिलाओ का अधिकार है हम अपनी मर्जी से चाहे किसी के साथ सेक्स करे ..कोर्ट कौन होता है दखल देने वाला ..और सबसे मजे की बात ये की ये रेणुका एक जवान कुंवारी [अविवाहित] बेटी की बाप सॉरी माँ है


Monday, October 14, 2013

हम कुछ नहीं कहेगे .....सब तस्वीर कह रही है !!!

डॉ सुब्रमनियन स्वामी

1. डॉ सुब्रमनियन स्वामी ने कहा है
की राहुल गाँधी बुद्धू है और वो ड्रग्स
लेता है। अगर है किसी कांग्रेसी में दम है
तो डॉ स्वामीपर कोर्ट केस करके दिखाए।
2. क्या आप जानते हैं एक बार
कांग्रेसियों ने भारत के बाहर दुसरे देश
डॉ स्वामी पर सोनिया के विरोध में
मानहानि का दावा किया। तय तारीख
पर स्वामी जी कोर्ट में पहुंचे.
कार्यवाही शुरू होते ही स्वामीजी ने जज
से कहा की मैं सोनिया गाँधी से cross
questioning करना चाहता हूँ,
कृपया उन्हें कटघरे में बुलाया जाए। ये सुनते
ही कांग्रेसियों के पसीने छूट गए और
उन्होंने वो केस तुरंत ही वापस ले लिया।
3.उसके बाद, एक बार
स्वामीजी को परेशान करने के लिए उनपर
करीबन १०० मानहानि के केस कर दिए
ताकि वे उलझे रहें और कांग्रेस की पोल
खोलना बंद कर दे। आप हैरान हो जायेंगे
की स्वामीजी ने वे सारे १०० के १०० केस
केवल एक ही दिन में खारिज करवा लिए ।
उसके बाद कांग्रेसियों की कभी हिम्मत
नहीं हुई की स्वामीजी को कुछ कह सकें
या उनके रास्ते में आयें। मीडिया को सख्त
हिदायत दे दी गयी की इस इंसान
को कभी भी कवरेज न दे। यही कारण है
की स्वामी जी के
कार्यों की जानकारी आप सबको केवल
सोशल मीडिया व् इन्टरनेट पर
ही मिलती है, बिकाऊ मीडिया मे नही.

नीच कांग्रेस रेलवे की बाजीगरी

नीच कांग्रेस रेलवे की बाजीगरी, 66% तक ज्यादा किराया देना होगा.. जबकि सरकार कह रही है की सिर्फ २% ही रेल किराया बढ़ा है 

मित्रो.. रेलवे में किराये को लेकर एक नियम है जिसे "राउंड ऑफ़" नियम कहते है .. इसके अनुसार रेल किराया चाहे वो मेल एक्सप्रेस का हो या पैसेंजर का वो सिर्फ 5 के गुणांक में ही होना चाहिए .. और यदि रेलवे अमुक प्रतिशत किराया बढाती है तो उसे 5 के गुणांक में कर दिया जाता है .. और वो रकम यदि 3 तक हो तो उसे उसके नीचे वाली संख्या में कर दिया जाता है और यदि वो रकम 4 से ज्यादा हो तो उसे बढ़ाकर उसके आगे वाली 5 के गुणाक में कर दिया जाता है |

मसलन यदि रेल किराया 142 रूपये हुआ तो उसे २ रूपये कम करके 140 रूपये कर दिया जायेगा और यदि रेल किराया 144 रूपये हुआ तो उसे बढाकर 145 रूपये कर दिया जायेगा |

लेकिन कांग्रेस के हाथ में रेल मंत्रालय आते ही इस नियम में चुपचाप बदलाव कर दिया गया है .. अब रेल किराया को 5 के गुणांक में करने के लिए उसे घटाया नही जायेगा बल्कि सिर्फ बढ़ाया ही जायेगा .. यानी अब यदि रेल किराया 141 रूपये हुआ तो उसे राउंड ऑफ़ करने के लिए 145 रूपये कर दिया जायेगा |
तो मित्रो अभी जो रेलवे ने फुएल सरचार्ज के नाम पर २% किराया बढ़ाया है वो असल में 66% तक बढ़ा है |


जरा समझे

Thursday, October 10, 2013

पेट्रोलियम मंत्री ने बयाचा 14 रूपये 40 पैसे का पेट्रोल

दो लाख रूपये का विज्ञापन खर्च करके मेट्रो से ऑफिस आने का एलान करके पेट्रोलियम मंत्री ने बयाचा 14 रूपये 40 पैसे का पेट्रोल

केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली की बहुप्रचारित तेल बचाओ परियोजना के तहत उन्होंने आज अपनी मंत्री वाली कार को छोड़कर मंत्रालय जाने के लिए दिल्ली मेट्रो की सवारी की। हालांकि वीरप्पा मोइली ने ऐसा पेट्रोल बचाकर देश की मुद्रा को मजबूत करने के लिए किया लेकिन ऐसे प्रयास टोटकों से अधिक कुछ नहीं हुआ करते। पेट्रोल बचाओ महापरियोजना के तहत उन्होंने मेट्रो के जरिए उन्होंने जो दूरी पूरी की वह महज दो किलोमीटर की थी। रेसकोर्स रोड के मेट्रो पर सवार हुए तो केन्द्रीय सचिवालय पर जाकर उतर गये। तो उन्होंने इस दो किलोमीटर की एकदिवसीय मेट्रो यात्रा से कितना पेट्रोल बचा लिया?

मंत्री महोदय को मिली कार के माइलेज के लिहाज से हिसाब लगायें तो उन्होंने पचास ग्राम पेट्रोल की बचत कर ली। बीते कुछ समय से केन्द्र सरकार कैबिनेट मंत्रियों को तेल पीनेवाली एम्बेसडर देने की बजाय मारुति की एसएक्स-4 या ऐसी ही दूसरी गाड़िया चलने के लिए प्रदान करती है। एक एसएक्स-4 पेट्रोल मॉडल जेडएक्सआई कार एक लीटर में 12.1 किलोमीटर का माइलेज देती है। इस माइलेज को अगर पेट्रोलियम मंत्री द्वारा मेट्रो से तय की गई दो किलोमीटर की दूरी से बांट दें तो उन्होंने अधिकतम 200 मिलीलीटर पेट्रोल की बचत की। पेट्रोल का यह खर्च तब होगा जब पेट्रोलियम मंत्री इस दो किलोमीटर के दौरान एकाध सिग्नल पर खड़े भी हों। नहीं तो पेट्रोल का खर्च इससे कम भी हो सकता है।

दिल्ली में इस वक्त 72 रूपये लीटर पेट्रोल बिक रहा है। दिल्ली में पेट्रोल की कीमत के अनुसार 200 मिलीलीटर (0.2 लीटर) पेट्रोल की कीमत हुई 14 रूपये 40 पैसे। अब इस 14 रूपये चालीस पैसे की बचत पेट्रोलियम मंत्री हर बुधवार को किया करेंगे और मेट्रो की सवारी करेंगे। पेट्रोलियम मंत्री मोइली इस पहल की तीन महीने बाद समीक्षा करवाएंगे और पता लगवाएंगे कि उन्होंने 25 अरब डॉलर की महाबचत के लिए जो महाअभियान शुरू किया है उसका क्या परिणाम निकला है।

Tuesday, October 8, 2013

हो रहा भारत निर्माण... हो रहा भारत निर्माण...

एक छोटे ओहदे का सैनिक भी बता सकता है कि ३०-४० घुसपैठियों को भगाने या मारने के लिए १२-१४ दिन नहीं लगते... कश्मीर के कीरन सेक्टर में जो चल रहा है वह सिर्फ घुसपैठ नहीं है. 

यह साफ़ तौर पर पाकिस्तानी सेना द्वारा किया गया हमला है, लेकिन चूंकि मनमोहन और नवाज़ के बीच जारी "अमन अली की आशा देवी" नामक फिल्म में विघ्न न पड़ जाए इस हेतु सेना के प्रवक्ताओं को इसे घुसपैठ बताना पड़ रहा है. 

जब-जब संयुक्त राष्ट्र की कोई बैठक होने वाली होती है, तब-तब पाकिस्तानी सेना ये हरकत जरूर करती है, ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह मामला गरम रहे... दिक्कत तो हमारी तरफ से है, हमें ही जानबूझकर मक्ख़ी निगलने की आदत पड़ी हुई है. 

केरन मुद्दे पर सेना और केंद्र सरकार देशवासियो को अँधेरे में रख रहे है | केंद्र सरकार और सेना इसे मामूली घटना बता रही है ..लेकिन यदि ये मामूली घटना होती तो फिर सेना प्रमुख का अमरीकी दौरा सरकार ने रद्द क्यों कर दिया ?? दो बार सेना के तीनो अंगो के प्रमुख इस मुद्दे पर प्रधानमन्त्री से क्यों मिले ??? क्या मामूली घुसपैठ पर सेना प्रमुख का विदेश का दौरा रद्द होता है ?? क्या मामूली घुसपैठ पर सेना के तीनो अंगो के चीफ प्रधानमन्त्री से मिलते है ??? मित्रो, सच्चाई ये है की पाकिस्तानी सेना ने केरन सेक्टर में बड़ी घुसपैठ की है और भारत के कुछ गाँवो पर कब्जा भी किया है .. चुनावी वर्ष होने के कारण सरकार अपनी नाकामी देश से छुपाना चाहती है। 

हो रहा भारत निर्माण... हो रहा भारत निर्माण... 

Thursday, October 3, 2013

ये कांग्रेसी कितने बड़े मक्कार होते है

सोचिये ये कांग्रेसी कितने बड़े मक्कार होते है ... जिस दिन कैबिनेट से दागियो को बचाने वाला आध्यादेश पास हुआ था उस दिन केबिनेट मीटिंग से बाहर आकर मनीष तिवारी इस अध्यादेश के पक्ष में बड़ी बड़ी दलीले दे रहा था |

जगह वही ... लोग वही .. मीटिंग वही ..

कल उसी कैबिनेट में उसी जगह वही सारे मक्कार और भ्रष्ट फिर जूटे और मीटिंग का मसौदा था इस अध्यादेश को वापस लेना .. 

फिर उसी केबिनेट की बैठक से बाहर आकर ये खानदानी मक्कार मनीष तिवारी उसी विधेयक की कमियाँ बता रहा था और कह रहा था की जनता की आवाज पर ये विधेयक वापस लिया जा रहा है |

दोगलई का इससे बड़ा उदाहरन किसी ने आज तक अपने जीवन में नही देखा होगा