"अमेरिका के साथ परमाणु डील सर्वोत्तम क्षण..."
बिलकुल सर जी... आप तो ऐसा कहेंगे ही... जीवन भर जिसके लिए काम किया, उसे खुश करने के लिए सरकार दाँव पर लगा दी, सांसद खरीदे... तो क्या आप खुश न होंगे? ये बात और है कि इतना सब कुछ होने के बावजूद अमेरिका ने देवयानी जैसे मामले उठाकर भारत को उसकी औकात दिखाने से गुरेज़ नहीं किया.
खैर आपको क्या फर्क पड़ता है, दस साल तक हमारी छाती पर मूंग दलने के बाद आपको विश्व बैंक या IMF (अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष) में कहीं न कहीं "सलाहकार" की नौकरी और मोटी पेंशन तो मिलना तय है ही...
बिलकुल सर जी... आप तो ऐसा कहेंगे ही... जीवन भर जिसके लिए काम किया, उसे खुश करने के लिए सरकार दाँव पर लगा दी, सांसद खरीदे... तो क्या आप खुश न होंगे? ये बात और है कि इतना सब कुछ होने के बावजूद अमेरिका ने देवयानी जैसे मामले उठाकर भारत को उसकी औकात दिखाने से गुरेज़ नहीं किया.
खैर आपको क्या फर्क पड़ता है, दस साल तक हमारी छाती पर मूंग दलने के बाद आपको विश्व बैंक या IMF (अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष) में कहीं न कहीं "सलाहकार" की नौकरी और मोटी पेंशन तो मिलना तय है ही...

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