Tuesday, October 29, 2013

कांग्रेस वोटों के लिए कुछ भी कर सकती है

मित्रो, कांग्रेस वोटों के लिए कुछ भी कर सकती है ! भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की ताशकंद (रूस) में दुखद मृत्यु या हत्या के बाद (हत्या इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि शास्त्री जी का पार्थिक शारीर, जब भारत लाया गया तो उनके शारीर पर नीले व् सफ़ेद धब्बे थे, उनकी आँखें व् नाखून नीले पड गये थे ! जो अक्सर जहर के असर के कारण होता है ! शास्त्री जी को जहर देकर उनकी हत्या की गई है, यह आशंका उनकी धर्मपत्नी, श्रीमती ललिता शास्त्री जी ने तत्काल, उनका पार्थिक शरीर देखने के बाद जाता दी थी, और पोस्टमार्टम करवाने की मांग की थी ! यह दुनियां का पहला ऐसा मामला है, जिसमे कि किसी राष्ट के राष्ट्राध्यक्ष की मृत्यु विदेश में हुई हो, और उसका पोस्टमार्टम उस देश में नहीं किया गया हो ! यहाँ तक कि अपने ही देश, भारत में भी, शास्त्री जी की धर्मपत्नी की मांग के बावजूद, उनका पोस्टमार्टम नहीं किया/करवाया गया ! शास्त्री जी की मृत्यु के समय, श्रीमती इन्दिरा गाँधी शास्त्री जी की कैविनेट में विदेश मन्त्री थी ; और उनकी मृत्यु के उपरान्त भारत की प्रधानमंत्री बनी ! इसलिए देशवाशियों का सारा शक इन्दिरा गाँधी पर ही था ! ) जब 1967 में इन्दिरा गाँधी के नेत्रित्व में कांग्रेस चुनाव में उतरी, तो पूरा माहौल कांग्रेस व् इन्दिरा गाँधी के खिलाफ था, कांग्रेस लगभग चुनाव हार चुकी थी, कि अचानक उड़ीसा की एक जनसभा में जाते हुए, कार से उतरते ही, एक पत्थर इन्दिरा गाँधी के नाक पर लगा ! पत्थर मारने वाले व्यक्ति का कुछ पता नहीं चला, और न ही वो पकड़ा गया, और न ही उसे कोई सजा हुई ! अगले दिन सुबह सात बजे, देश के कोने-कोने में, कश्मीर से कन्याकुमारी तक इन्दिरा गाँधी के नाक पर हाथ रखी हुई तस्वीर वाले, बड़े-बड़े पोस्टर और कट-आउट लगे थे ! सहानुभूति की लहर उठी और इन्दिरा गाँधी व् कांग्रेस चुनाव जीत गई ! यहाँ पर एक मूल प्रश्न यह है कि कब और कैसे, ये तस्वीर दिल्ली पहुंची, कब ये पोस्टर डिजाईन हुए और कब लाखों पोस्टर देश के कोने-कोने में पहुँच भी गये ! उस ज़माने में न तो इन्टरनेट था, न मोबाइल फोन थे, न ही SMS या MMS से तस्वीरें भेजी जा सकती थी ! कंप्यूटर प्रिंटिंग भी नहीं थी और न ही सुपरफास्ट राजधानी व् शताब्दी जैसी ट्रेने थी ! इसलिए इस सारे कार्य को पूरा करने में कम से कम एक सप्ताह लगना चाहिए था ! तो फिर अगले ही दिन वो भी सुबह-सुबह, सब जगह ये पोस्टर व् कट-आउट कैसे पहुंचे ! इन पोस्टरों पर दिल्ली के प्रिंटिंग प्रेस का नाम छपा था ! राहुल गाँधी बार-बार अपने पिता, अपनी दादी पर हुए हमले की बात करता है, और साथ ही साथ यह भी कहता है कि मुझ पर भी हमला हो सकता है, कोई मुझे भी मार सकता है ! जो इस बात की तरफ इशारा करता है, कि हो न हो, इन्दिरा गाँधी की नाक टूटने वाली घटना एक बार फिर दोहराई जा सकती है ! हो सकता है सहानुभूति से वोट बटोरने के लिए, कोई विश्वसनीय कांग्रेसी, राहुल पर झूठ-मूठ का हमला करे, और इसको इन्दिरा प्रकरण की तरह, सब जगह प्रचारित कर दिया जाए ! पर मित्रो, काठ की हांडी एक ही बार चढ़ती है और उसको इन्दिरा गाँधी पहले ही चढा चुकी है ! फिर भी सावधान व् जागरूक रहने की जरुरत है, क्योंकि कांग्रेसियों के आचार-व्यव्हार व् कायर्कलाप में ऐसे ही कुछ लक्षण दिख रहे हैं, और कांग्रेस का इतिहास काला है ! यह जानकारी अन्य मित्रों तक पहुँचाने के लिए लाइक, शेयर या कमेंट जरुर करें ! जय हिन्द, वन्देमातरम

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