Thursday, February 28, 2013

देश का विकास --कांग्रेस का समूल नाश


सांप काटे तो इंसान का मरना सांप के जहर पर निर्भर करता है ---लेकिन कांग्रेस के काटे का कोई इलाज़ नहीं --इन्सांन न तो मर पाता है ,और न ही जी पाता है --
" देश का विकास --कांग्रेस का समूल नाश "






वो नक्शा जो तथाकथित राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी 3 फरवरी को

ये है वो नक्शा जो तथाकथित राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी 3 फरवरी को पाकिस्तान की यात्रा पर मंजूर करने वाले थे, उससे पहले ही गोडसे जी ने उसको ठांय ठांय करके उसके अल्लाह के पास भेज दिया|
देख ले अंध भक्तो, सेकुलरो

कांग्रेस ने मोदी का आइडिया चुरा लिया



गुजरात में पहले से ही बसों तक में वाई-फाई लगा हुआ है.....यहाँ भी कांग्रेस ने मोदी का आइडिया चुरा लिया

GOI Planning to give WI-FI in the trains But in Gujarat it is available in Buses. Wo alg baat hai ki Modi ji Choti Moti baato ka jikar nahi karte hai...........Jai Ho Modiraj


कश्मीर का सच




कश्मीर का सच :जब षड्यंत्रों से बात नहीं बनी तो पाकिस्तान ने बल प्रयोग
द्वारा कश्मीर को हथियाने की कोशिश की तथा २२ अक्तूबर, १९४७ को सेना के साथ कबाइलियों
ने मुजफ्फराबाद की ओर कूच किया। लेकिन कश्मीर के नए प्रधानमंत्री
मेहरचन्द्र महाजन के बार-बार सहायता के अनुरोध पर भी भारत सरकार उदासीन
रही। भारत सरकार के गुप्तचर विभाग ने भी इस सन्दर्भ में कोई पूर्व
जानकारी नहीं दी। कश्मीर के ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह ने बिना वर्दी के
२५० जवानों के साथ पाकिस्तान की सेना को रोकने की कोशिश की तथा वे सभी
वीरगति को प्राप्त हुए। आखिर २४ अक्तूबर को माउन्टबेटन ने "सुरक्षा
कमेटी" की बैठक की। परन्तु बैठक में महाराजा को किसी भी प्रकार की सहायता
देने का निर्णय नहीं किया गया। २६ अक्तूबर को पुन: कमेटी की बैठक हुई।
अध्यक्ष माउन्टबेटन अब भी महाराजा के हस्ताक्षर सहित विलय प्राप्त न होने
तक किसी सहायता के पक्ष में नहीं थे। आखिरकार २६ अक्तूबर को सरदार पटेल
ने अपने सचिव वी.पी. मेनन को महाराजा के हस्ताक्षर युक्त विलय दस्तावेज
लाने को कहा। सरदार पटेल स्वयं वापसी में वी.पी. मेनन से मिलने हवाई
अड्डे पहुंचे। विलय पत्र मिलने के बाद २७ अक्तूबर को हवाई जहाज द्वारा
श्रीनगर में भारतीय सेना भेजी गई।

'दूसरे, जब भारत की विजय-वाहिनी सेनाएं कबाइलियों को खदेड़ रही थीं। सात
नवम्बर को बारहमूला कबाइलियों से खाली करा लिया गया था परन्तु पं. नेहरू
ने शेख अब्दुल्ला की सलाह पर तुरन्त युद्ध विराम कर दिया। परिणामस्वरूप
कश्मीर का एक तिहाई भाग जिसमें मुजफ्फराबाद, पुंछ, मीरपुर, गिलागित आदि
क्षेत्र आते हैं, पाकिस्तान के पास रह गए, जो आज भी "आजाद कश्मीर" के नाम
से पुकारे जाते हैं।

तीसरे, माउन्टबेटन की सलाह पर पं. नेहरू एक जनवरी, १९४८ को कश्मीर का
मामला संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् में ले गए। सम्भवत: इसके
द्वारा वे विश्व के सामने अपनी ईमानदारी छवि का प्रदर्शन करना चाहते थे
तथा विश्वव्यापी प्रतिष्ठा प्राप्त करना चाहते थे। पर यह प्रश्न विश्व
पंचायत में युद्ध का मुद्दा बन गया।

चौथी भयंकर भूल पं. नेहरू ने तब की जबकि देश के अनेक नेताआें के विरोध के
बाद भी, शेख अब्दुल्ला की सलाह पर भारतीय संविधान में धारा ३७० जुड़ गई।
न्यायाधीश डी.डी. बसु ने इस धारा को असंवैधानिक तथा राजनीति से प्रेरित
बतलाया। डा. भीमराव अम्बेडकर ने इसका विरोध किया तथा स्वयं इस धारा को
जोड़ने से मना कर दिया। इस पर प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने रियासत
राज्यमंत्री गोपाल स्वामी आयंगर द्वारा १७ अक्तूबर, १९४९ को यह प्रस्ताव
रखवाया। इसमें कश्मीर के लिए अलग संविधान को स्वीकृति दी गई जिसमें भारत
का कोई भी कानून यहां की विधानसभा द्वारा पारित होने तक लागू नहीं होगा।
दूसरे शब्दों में दो संविधान, दो प्रधान तथा दो निशान को मान्यता दी गई।
कश्मीर जाने के लिए परमिट की अनिवार्यता की गई। शेख अब्दुल्ला कश्मीर के
प्रधानमंत्री बने। वस्तुत: इस धारा के जोड़ने से बढ़कर दूसरी कोई भयंकर
गलती हो नहीं सकती थी।

पांचवीं भयंकर भूल शेख अब्दुल्ला को कश्मीर का "प्रधानमंत्री" बनाकर की।
उसी काल में देश के महान राजनेता डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने दो
विधान,, दो प्रधान, दो निशान के विरुद्ध देशव्यापी आन्दोलन किया। वे
परमिट व्यवस्था को तोड़कर श्रीनगर गए जहां जेल में उनकी हत्या कर दी गई।
पं. नेहरू को अपनी गलती का अहसास हुआ, पर बहुत देर से। शेख अब्दुल्ला को
कारागार में डाल दिया गया लेकिन पं. नेहरू ने अपनी मृत्यु से पूर्व
अप्रैल, १९६४ में उन्हें पुन: रिहा कर दिया।
 

कांग्रेस का भारत की जनता को मारने का प्लान

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कांग्रेस का भारत की जनता को मारने का प्लान

क्या पूरी दुनिया में सिर्फ भारत के लोग ही मिले है एक्सपेरिमेंट करने के लिए लिए?? मित्रो, आज एक ऐसा मुद्दा उठा रहा हूँ जो भारत की जनता के स्वस्थ्य को तै करेगा |

जेनेटिक-मॉडिफाइड फसल हमारे देश में बेचने की पूरी साजिश रची जा चुकी है और MNC लॉबी यह कहकर देश की जनता को गुमराह कर रही है की इसके कोई भी नुक्सान नहीं है |

अगर इस फसल का कोई भी नुक्सान नहीं है तोह क्यूँ Europe में GM(Genetic Modify) खाद्य पदार्थ बंद है ? क्यूँ अमेरिका में बंद है ?

जेनेटिक मॉडिफाइड वो फल सब्जी या अनाज होता है जिका DNA बदल दिया जाता है ताकि ज्यादा से ज्यादा फसल हो सके |

DNA वो पदार्थ होता है जो इंसान को इंसान बनता है और पशु को पशु . पशुओ और इंसानों में मुश्किल से 5% DNA का फर्क होता है |

आज हमें नहीं पता की DNA बदले जाने पर अनाज किस प्रकार का उगा है और लम्बे समय तक उसका मानव जाती पर क्या प्रभाव पड़ेगा | इसिलए यह सभी विदेशी लोग अपने लालच के चक्कर में सारा अनाज भारत को बेचने में लगे है और भारत की चोर लुटेरी कांग्रेस सरकार भी इनका साथ दे रही है |

अगर भारत में ऐसा ही चलता रहा तोह भविष्य में वो वक्त भी भारत देख सकता है जब पूरा देश बीमारियों से ग्रसित होगा और इलाज मिलने से पहले पूरे देश की जनता बिमारी के कारण सब कुछ खो दे अपने प्राण भी |

DNA के साथ खेलना प्रकृति का काम है इंसानों का नहीं | अगर इंसान प्रकृति के काम में ऊँगली करेगा तोह इसके परिणाम बहुत भयानक होंगे , इतने भयानक की इंसान कल्पना भी नहीं कर सकता

सेकुलर मूर्खों को तो "नरसंहार" और "दंगा" शब्द के बीच अंतर


दिन-रात गुजरात-गुजरात, मोदी-मोदी के नाम पर छाती पीटने और रुदाली गान करने वाले इस तथ्य को साफ़ नज़रअंदाज़ कर देते हैं कि २००२ के गुजरात दंगों में सर्वाधिक मुसलमान मारे जाने अथवा मारे गए मुसलमानों का प्रतिशत सर्वाधिक होने संबंधी ख़बरें गलत हैं...

प्रस्तुत आँकड़ों में साफ़ देखा जा सकता है कि नेल्ली (असम) के दंगों में १००% मुसलमान मारे गए थे और संख्या थी 2191 (सरकार थी कांग्रेस की) तथा भागलपुर में मारे गए मुस्लिम थे 876 (81% प्रतिशत मुसलमान) यहाँ भी कांग्रेस की सरकार...

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इन सेकुलर मूर्खों को तो "नरसंहार" और "दंगा" शब्द के बीच अंतर करने की भी तमीज नहीं है... (जब एक ही समुदाय के लोग मारे जाते हैं तो उसे "नरसंहार" कहते हैं - जैसे कश्मीरी पंडित, 1984 के सिख, नेल्ली के मुसलमान इत्यादि). लेकिन देश के "शेख-उलर" बुद्धिजीवियों और बिकाऊ मीडिया की सुई सिर्फ और सिर्फ २००२ गुजरात पर ही अटकी हुई है, जहाँ 150 से अधिक हिन्दू तो पुलिस की गोली से ही मारे गए थे... (यदि प्रशासन पक्षपाती होता, तो यह कैसे संभव होता?)

शुभरात्रि मित्रों...
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 — with Jitendra Pratap SinghSyed Rafiq Limdawala,Jitendra Pratap Singh and 35 others.
  • Suresh Chiplunkar सारे आँकड़े सरकारी आयोगों की रिपोर्ट से दिए गए हैं... और केन्द्र की कांग्रेस सरकार आयोगों को कैसे "मैनेज" करती है यह तो सभी जानते हैं... 
  • Bhaarat Tak Kal Mullaa Mulaayem BJP per dorey
    daalte nazar aaye... Agar BJP lapete
    main aa gayi tou such maaniye UP
    main nahi uske prabhaav se aur Stats
    main bhi BJP ki itni mattee paleed hogi
    ki usko koi sunghne walaa bhi nahi milegaa....
  • Ankit Kumar हम सभी से विनती करते हैं कि 

    "रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने का अध्यादेश संसद मेँ लाया जाय"

    ये मेसेज अपने सांसद आदि जनसेवकों को भेँजेँ और अपने
    वाल नोट, ब्लॉग आदि पर पोस्ट करें ताकि जनता को प्रमाण मिले और दूसरे नागरिक भी ऐसा करने के लिए प्रेरित हों

    सांसद के मोबाइल नंबर आप इस लिंक से प्राप्त कर सकते हैं -

    http://164.100.47.132/LssNew/Members/statelist.aspx
  • Hari Semalty chiplukar jee . To congress ke liye kam se kam aassam me satta me rahne ke liye subhkamnayen
  • Abhishek Saraswat गुजरात का दंगा कोई बड़ा या विशेष दंगा नहीं था, सबको पता है कि दंगा किस ने शुरू किया था, ख़ैर शुरू किसी ने भी किया हो, मगर शायद आजतक उस दंगे को और दंगो की तरह भुला दिया गया होता, मगर महानीच कांग्रेस हर बार अपनी दलाल मीडिया के साथ मिलकर उन दंगो को भुनाने के कोशिश करती है कि शायद इस बार मोदी पर पार पा सकें, मगर गुजरात के मुस्लिम्स भी शायद अब समझाने लगे हैं कि उन दंगो को यदि कांग्रेस चाहती तो पडोसी राज्यों से मदद भेजकर रुकवा सकती थी, मगर कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया, 

    और गुजरात के मुस्लिम्स आज अपनी हालत को देश के बाकी मुस्लिम्स की हालत से तुलना करते हैं तो अपने को काफी बेहतर पाते हैं, शायद यही वजह है कि गुजरात के मुस्लिम्स आज पूरे मन से मोदीराज के साथ जुड चुके हैं, 
  • Suresh Chiplunkar यदि मीडिया आपकी जेब में हो तो सच को झूठ और झूठ को सच बनाने का खेल लंबे समय तक खेला जा सकता है... सच-सच बताना कितने मित्रों ने "नेल्ली नरसंहार" के बारे में कितने कार्यक्रम देखे हैं??? सच-सच बताना कि कश्मीर से पंडित "क्यों" मार भगाए गए, उसके कारणों का "सेकुलर विश्लेषण" कितनी बार सुना-पढ़ा है??
  • Arvind Aryan नेल्ली, भागलपुर, कश्मीर जैसी 'मूंग की दाल' से सिकुलरी पेटों में दस्त लग जाते हैं, उनका हाजमा तो सिर्फ 2002 की 'चाट-पकौड़ी' से ही दुरुस्त रहता है, बशर्ते उसमें 2002 का ही गोधरा का कंकड़ न पड़ा हुआ हो!  
    57 minutes ago · Like · 6
  • Ajay Babbi hum to congresi voters ko badhai dete hai ki tab tab congresi kutte netaon ko vote karte rehna jab tak ye neta is desh ko bura barbaad karke itli ka gulam nahi bana dete fir dekhte hai apne voter ka kitna khayal rakhte hai ye italian
  • Rajeet Raj ye to bahut important news hai......
    44 minutes ago · Like · 1
  • Sandeep Sharma Hame to pata hi nahi tha
  • Nawal S Singal What's cooking up? Yesterday, it was Mulayam indicating possibility of proximity to BJP, today, Sharad Pawar says no difference in Cong & BJP, his close aide Prafful patel siding with Arun Jaitley in a Times Now debate. Kehte hai jagaj jab doobta hai...See More
  • Bharat Yadav dont get fooled by mulayam singh statement

Monday, February 25, 2013

AAP यह भी बहुत नौटंकी बाज पार्टी है.

SP , BSP , RJD , AIDMK ,MIM .......................................... यह सब पार्टिया किसी न किसी बड़े आन्दोलन के बाद बनी है. तो आज इन पार्टियों को देख लो यह क्या करती है देश के लिए सब अपना उल्लू सीधा करती है और कांग्रेस के आगे पीछे घुमती है. सब की सब यह पार्टिया कांग्रेस के खिलाफ ही इलेक्सन लडती है और आखिर में कांग्रेस की गोद में ही जा कर बैठती है.

ऐसी ही ताज़ी-ताज़ी नव निर्मित पार्टी है AAP यह भी बहुत नौटंकी बाज पार्टी है. इसके संस्थापक केजरीवाल सब पर आरोप लगाते फिरते है पर किस्सी पर केस नहीं डालते है. बस सड़क किनारे दूकान लगा कर बैठ जाते है. मीडिया वाले घराहक आते है उन्हें अपना सामान बेच के फिर पीछे मुड़ के नहीं देखते. यह भी कांग्रेस की बड़ी निंदा करते है पर अंत में यह कांग्रेस का ही फायदा करेंगे. और अंत में में कांग्रेस की गोद में ही बैठेंगे जा कर.

अगर कोई इनके खिलाफ कुछ बोले तो उनका जवाब नहीं देते और उन्ही से उलझ जाते है. अभी थोड़े दिन पहले की बात है अग्नि वेश ने केजरीवाल पर अर्रोप लगाया था की वो अन्ना जी को मारना चाहते थे. इस पर केजरीवाल ने कहा की वो झूट बोल रहे है. तो उन्हें दीपक चौरसिया ने केजरीवाल ने बहस के लिए जंतर मंतर पर बुलाया था. तो अग्नि वेश ने चैलेंज करके कहा की वो LIE DETECTIVE TEST करवा ले अगर में झूट बोल रहा हु और अपना भी करवा ले अगर तुम सच बोल रहे हो. तो इस पर केजरीवाल जंतर मंतर पर खुली बहस के लिए ही नहीं गए तो LIE DETECTIVE TEST की बात तो दूर की रही.




















साफ़ कहो और सुखी रहो !!!
केजरीवाल ने आन्दोलन को तोडा है ....अन्ना को छोड़ा है......देश के साथ धोखा किया है....देश की भावनाओं के साथ खेला है.....चलो मान लिया !!! इसको फांसी पे चढ़ा देना चाहिए...!!! ठीक है चलो ये भी मान लिया ......
वो फांसी पे चढ़ने के लिए तैयार है....और हम उसको सजा और फिर फांसी भी दिलवा देंगे.....? देश सही हो जायगा भ्रष्टाचार खत्म हो जायगा जनलोकपाल बिल बन जायगा....! गरीबो को इन्साफ मिलने लगेगा क्या !

लेकिन सवाल ये उठता है की 'अगर इतनी सी बात के लिए अरविन्द केजरीवाल को फांसी दे देनी चाहिए ' तो उन तथाकथित कांग्रेस-बीजेपी के दल्लों जो रोज़ पकड़-पकड़ के तुम्हारी पेंट खोलकर "पिटवाते " भी हैं और डंडे मार-मारकर सुजाते भी हैं .....उनको क्या सजा दोगे तुम ????.....सजा क्या दोगे "गरीब की जोरू सबकी भाभी "

हिंदुस्‍तान में तीन गुना बढ़ी टेरर फंडिंग

बड़ा खुलासा : हिंदुस्‍तान में तीन गुना बढ़ी टेरर फंडिंग, धमाकों में आतंकी फरहतुल्लाह शामिल

खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले वित्त वर्ष में संदिग्ध लेन-देन के 1,444 से ज्यादा मामलों की सूचनाएं दी हैं। यह पिछले साल के मुकाबले तीन गुना है। एजेंसियों को शक है कि यह पैसा आतंकवाद में इस्तेमाल हो सकता है। वित्त मंत्रालय की फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट (एफआईयू) की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। 2010-11 में खुफिया ब्यूरो, रॉ और आयकर व सीमा शुल्क विभागों की खुफिया इकाइयों से संदिग्ध मनी ट्रांसफर की 428 सूचनाएं मिली थीं।

उधर, हैदराबाद धमाकों में आतंकी फरहतुल्लाह घोरी का हाथ होने का पता चला है। घोरी बेंगलुरू की जेल में बंद इंडियन मुजाहिदीन आतंकी ओबेदुर्रहमान का चाचा है। मामले की जांच कर रही एनआईए ने ओबेदुर्रहमान से पूछताछ की है।
खुफिया एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक ओबेदुर्रहमान और घोरी दोनों हैदराबाद के ही रहने वाले हैं। घोरी भारत से भागकर पाकिस्तान के कराची और सऊदी अरब में ठिकाना बना चुका है। वह अल बशीर कैंप से भी जुड़ा है। हैदराबाद का होने के कारण घोरी को संपर्क साधने में आसानी रही। उसने हमले के लिए इंडियन मुजाहिदीन और हूजी के स्लीपर सेल को एकजुट किया। यह भी जानकारी मिली है कि धमाके से पहले और उसके बाद पाकिस्तान, खाड़ी देश और पीओके में कई जगहों पर भारत से कॉल किए गए थे। साथ ही घोरी पल-पल की जानकारी जेहाद काउंसिल को दे रहा था। जांच एजेंसी ने इस बीच तिहाड़ जेल में बंद आतंकी मकबूल से भी पूछताछ की है। इसमें भी ओबेदुर और घोरी के बीच आतंकी साठगांठ का पता चला है। घोरी पाकिस्तान में लश्कर के संपर्क में काम कर रहा है।

कांग्रेस के बयान


१. गौ-माँस का सेवन सेहत के लिए बहुत लाभ-प्रद है !
२. राम सेतु से हिन्दू धर्म का कोई लेना-देना नहीं है !
३. श्री राम तो मात्र एक काल्पनिक पात्र है ! (अच्छा! फिर मुहम्मद क्यों नहीं?)
४. ईस्ट इंडिया कम्पनी का"शासन-तंत्र"हम भारतीयों से ज्यादा बेहतर था!
५. राम मंदिर के मामले में हिन्दुओ को न्यायलय के निर्णय को मानना चाहिए ! फिर शाहबानो और समान नागरिक संहिता के मामले में क्यों नहीं?)
६. कश्मीर सबका है ! (तो इस"सबका"में कश्मीरी पंडित क्यों नहीं है?)
७. वैसे तो देश"धर्मनिरपेक्ष"है लेकिन धर्म के नाम पर आरक्षण उचित है!
८. आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, फिर भी"भगवा आतंकवादी"होते है

नेहरु की पीढ़ी -


जो लोग नेहरू गांधी परिवार को मुस्लिम मानने से इंकार करते है उनके लिए प्रश्न
नेहरू से पहले ....नेहरू की पीढ़ी इस प्रकार है ....
1. गंगाधर नेहरु
2. राज कुमार नेहरु
3. विद्याधर नेहरु
4. मोतीलाल नेहरु
5. जवाहर लाल नेहरु गंगाधर नेहरु (Nehru) उर्फ़ GAYAS - UD - DIN SHAH जिसे GAZI की उपाधि दी गई थी....
GAZI जिसका मतलब होता है (KAFIR - KILLER)



इस गयासुद्दीन गाजी ने ही मुसलमानों को खबर (मुखबिरी ) दी थी की गुरु गोबिंद सिंह जी नांदेड में आये हुए हैं , इसकीमुखबिरी और पक्की खबर के कारणही सिखों के दशम गुरु गोबिंद सिंह जी के ऊपर हमला बोला गया,जिसमे उन्हें चोट पहुंची और कुछ दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई थी.
और आज नांदेड में सिक्खों का बहुत बड़ा तीर्थ-स्थान बना हुआ है. जब गयासुद्दीन को हिन्दू और सिक्ख मिलकर चारों और ढूँढने लगे तो उसने अपना नाम बदल लिया और गंगाधर राव बन गया, और उसे इससे पहले मुसलमानों ने पुरस्कार के रूप में अलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में इशरत मंजिल नामक महल/हवेली दिया, जिसका नाम आजआनंद भवन है ....आनंद भवन को आज अलाहाबाद में kangress का मुख्यालय बनाया हुआ है इशरत मंजिल के बगल से एक नहर गुजरा करती थी, जिसके कारण लोग गंगाधर को नहर के पास वाला, नहर किनारे वाला, नहर वाला, neharua , आदि बोलते थे जो बाद में गंगाधर नेहरु अपना लिखने लगा इस प्रकार से एक नया उपनाम अस्तित्व में आया नेहरु और आज समय ऐसा है की एक दिन अरुण नेहरु को छोड़कर कोईनेहरु नहीं बचा ...
अपने आप को कश्मीरी पंडित कह कर रह रहा था गंगाधर क्यूंकि अफगानी था और लोग आसानी से विश्वास कर लेते थे क्यूंकि कश्मीरी पंडित भी ऐसे ही लगतेथे.
अपने आप को पंडित साबित करने के लिए सबने नाम के आगे पंडित लगाना शुरू कर दिया
1. गंगाधर नेहरु
2. राज कुमार नेहरु
3. विद्याधर नेहरु
4. मोतीलाल नेहरु
5. जवाहर लाल नेहरु लिखा .. और यही नाम व्यवहार में लाते गए ...
पंडित जवाहर लाल नेहरु अगर कश्मीर का था तो आज कहाँ गया कश्मीर में वो घर आज तो वो कश्मीर में कांग्रेस का मुख्यालय होना चाहिए जिस प्रकार आनंद भवन कांग्रेस का मुख्यालय बना हुआ है इलाहाबाद में....
ये कहानी इतनी पुरानी भी नहींहै की इसके तथ्य कश्मीर में मिल न सकें ....
आज हर पुरानी चीज़ मिल रही है....
चित्रकूट में भगवन श्री राम के पैरों के निशान मिले,
लंका में रावन की लंका मिली, उसके हवाई अड्डे, अशोक वाटिका, संजीवनी बूटी वाले पहाड़ आदि बहुत कुछ....
समुद्र में भगवान श्री कृष्ण भगवान् द्वारा बसाई गई द्वारिका नगरी मिली ,
करोड़ों वर्ष पूर्व की DINOSAUR के अवशेष मिले तो 150 वर्ष पुराना कश्मीर में नकली नेहरू का अस्तित्व ढूंढना क्या कठिन है ?????
दुश्मन बहुत होशिआर है हमें आजादी के धोखे में रखा हुआ है, इस से उभरने के लिए इनको इन सबसे भी बड़ी चुस्की पिलानी पड़ेगी जो की मेरे विचार से धर्मान्धता ही हो सकती है जैसे गणेश को दूध पिलाया था अन्यथा किसी डिक्टेटर को आना पड़ेगा या सिविल वार अनिवार्य हो जायेगा
तो क्या सोचा हम नेहरू को कौनसे नाम से पुकारे ? जवाहरुद्दीन या चाचा नेहरू ?
जो नेहरू नेहरू कहते है उनसे पूछिये की इस खानदान के अलावाभारत मे और कोई नेहरू क्यूँ नहीं हुआ ?
अगर यह वास्तव मे ब्राह्मण थातो ब्राह्मनों मे नेहरू नाम की गोत्र अवश्य होनी चाहिए थी? क्यूँ नहीं है
क्यों देश मे और कोई नेहरू नहीं मिलता ?
क्या ये जवाहर लाल के परिवार वाले आसमान से टपके थे ?
जय श्री राम
जय भारत जय हो

जो लोग नेहरू गांधी परिवारको मुस्लिम मानने से इंकारकरते है उनके लिए प्रश्न
# देश मे सोलंकी, अग्रवाल, माथुर, सिंह, कुशवाहा, शर्मा, चौहान, शिंदे, कुलकर्णी, व्यास, ठाकरे आदि उपनाम हजारो, लाखो करोड़ो की संख्यामे मिलेंगे लेकिन "नेहरू" सेकड़ों भी नहीं है क्यूँ ?
# कश्मीरी हमेशा अपने नाम के पीछे पंडित लगाते है
लेकिन जवाहर लाल के नाम के आगे पंडित कैसे ? गंगाधर के पहले का इतिहास क्यूँ नहीं है?
# नेहरू ने ऐसा क्यूँ कहा "I AM HINDU BY AN ACCIDENT"
क्या ये प्रश्न आपके मन मे उठे कभी ? ? ? ? इस कोंग्रेसी वामपंथी
इस कोंग्रेसी महिमामंडित गांधी नेहरू इतिहास ने कभी मौका ही नहीं दिया ? ? ?
ऐसे ही मासूम विद्यार्थियों के भेजे मे यह गांधी नेहरू परिवार
की गंदगी भरी जा रही है देश केलाखो स्कूलो मे...
इस गांधी नेहरू नाम के इतिहासके सामने राम कृष्ण, राणा, शिवाजी आदि हजारो महावीरों सपूतो के किस्से इतिहास भी नगण्य किए जाते है ...
इतिहासकारो और इतिहासिक संस्थानो पर कॉंग्रेस और वामपंथियों का कब्जा है कैसे देश की पीढ़ी वीर बनेगी ? ? ??
इस परिवार ने देश के अन्य वीर शहीदो की शहीदी को भू फीका कर दिया अपने महिमामंडित इतिहाससे हर पन्ने पर इनका नाम नजर आता है ...
हमें तो अब चाहिए पूर्ण आजादी...
राम कृष्ण राणा शिवाजी के देशमे
गंदी नेहरू नाम के पिशाच नहींचाहिए