मित्रो कांग्रेस ने अब लोगोँ को बेवकूफ बनाने के लिए 1 और पैँतरा चला है। दरअसल पिछले 3-4 साल मेँ जितने भी घपले-घोटाले , अव्यवस्था और अराजकता का तांडव चला है उसका ठीकरा राष्ट्रीय रोबोट मनमोहन सिँह उर्फ सन्नाटा सिँह के सिर फोङने की पूरी जमीन तैयार हो चुकी है।
रेल घूस कांड मेँ पवन बंसल के इस्तीफे के मामले मेँ भी बिकाऊ और दलाल मीडिया के माध्यम से यही प्रचारित करने की कोशिश की गई की मंदमोहन और सोनिया गाँधी के बीच तनाव है और अब सोनिया गाँधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद(NAC) की सबसे प्रमुख सदस्या और वामपंथी अरुणा रॉय ने अपना कार्यकाल खत्म होने के ठीक 2 दिन पहले ये कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि मनमोहन सिँह कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी की कोई बात नहीँ मानता और इसी कारण से मजदूरोँ को न्यूनतम मजदूरी देने की बात भी लागू नहीँ हो पाई और अब तक हुए सब गडबङ घोटालोँ के लिए केवल मनमोहन सिँह ही जिम्मेदार है।
वैसे अरुणा रॉय जी को ये बात अपना कार्यकाल खत्म होने के 2 दिन पहले ही कैसे समझ आई। जब वह पिछले कई सालोँ से NAC मेँ सोनिया गाँधी की चापलूसी करके माल गटक रही थी तब उसे क्योँ ये सब समझ नहीँ आया।
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सुन लो ऐ हुक्मरानो और उनके चमचोँ ये जनता अब और ज्यादा समय तक गुमराह नहीँ होने वाली, अब ये जान चुके हैँ कि मनमोहन तो केवल उस बंदर की तरह है जो चाबी भर देने के बाद तालियाँ बजाता रहता है। असली फसाद और अव्यवस्था की जङ तो ताङका/विषकन्या और उसका मंदबुद्धि लौँडा है।
रेल घूस कांड मेँ पवन बंसल के इस्तीफे के मामले मेँ भी बिकाऊ और दलाल मीडिया के माध्यम से यही प्रचारित करने की कोशिश की गई की मंदमोहन और सोनिया गाँधी के बीच तनाव है और अब सोनिया गाँधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद(NAC) की सबसे प्रमुख सदस्या और वामपंथी अरुणा रॉय ने अपना कार्यकाल खत्म होने के ठीक 2 दिन पहले ये कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि मनमोहन सिँह कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी की कोई बात नहीँ मानता और इसी कारण से मजदूरोँ को न्यूनतम मजदूरी देने की बात भी लागू नहीँ हो पाई और अब तक हुए सब गडबङ घोटालोँ के लिए केवल मनमोहन सिँह ही जिम्मेदार है।
वैसे अरुणा रॉय जी को ये बात अपना कार्यकाल खत्म होने के 2 दिन पहले ही कैसे समझ आई। जब वह पिछले कई सालोँ से NAC मेँ सोनिया गाँधी की चापलूसी करके माल गटक रही थी तब उसे क्योँ ये सब समझ नहीँ आया।
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सुन लो ऐ हुक्मरानो और उनके चमचोँ ये जनता अब और ज्यादा समय तक गुमराह नहीँ होने वाली, अब ये जान चुके हैँ कि मनमोहन तो केवल उस बंदर की तरह है जो चाबी भर देने के बाद तालियाँ बजाता रहता है। असली फसाद और अव्यवस्था की जङ तो ताङका/विषकन्या और उसका मंदबुद्धि लौँडा है।
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