Friday, February 22, 2013

कांग्रेसी राज में हुए बम धमाको के आकडे



जरा इन आँकड़ों पर भी ध्यान दें::::

२००९ लोक सभा चुनावों से पहले के धमाके::::

२९ अक्टूबर, २००५: दिल्ली के बाजारों में तीन जोरदार धमाकों में ६६ लोगों की
मौत।
७ मार्च, २००६: बनारस में तीन बम धमाकों में १५ लोगों की मौत ६० घायल।
११ जुलाई, २००६: मुंबई के रेलवे स्टेशनों और लोकल ट्रेनों में ७ बम धमाकों में
१८० से अधिक लोगों की मौत।
८ सितंबर, २००६: मुंबई से २६० किलोमीटर दूर मालेगाँव में एक मस्जिद के निकट एक
के बाद एक धमाकों में ३२ लोगों की मौत।
१९ फरवरी, २००७: भारत से पाकिस्तान जा रही समझौता एक्सप्रेस में दो बम फटे, ६६
से अधिक मौतें, मरने वाले अधिकतर पाकिस्तानी थे।
१८ मई, २००७: हैदराबाद में जुमे की नमाज के समय मस्जिद में बम फटा, ११ लोगों
की मौत।
२५ अगस्त, २००७: हैदराबाद में ही एक मनोरंजन पार्क और सड़क किनारे के ढाबे में
चंद मिनटों के अंतराल पर तीन धमाके, ४० की मौत।
१३ मई, २००८: जयपुर में एक के बाद एक ७ धमाके, ६३ लोगों की मौत।
२५ जुलाई, २००८: बेंगलुरु में ७ धमाकों में एक व्यक्ति की मौत, १५ घायल।
२६ जुलाई, २००८: अहमदाबाद में ७० मिनट के अंदर २१ बम धमाकों में ५६ लोगों की
मौत और २०० घायल।
१३ सितंबर, २००८: राजधानी दिल्ली के महत्वपूर्ण बाजारों में सीरियल धमाकों में
२६ लोगों की मौत।
२८ सितंबर, २००८: दिल्ली के महरौली इलाके में धमाका, ३ की मौत।
२९ सितंबर, २००८: गुजरात के मोदासा और महाराष्ट्र के मालेगाँव में धमाके,
मालेगाँव में ५ लोग मरे।
२१ अक्टूबर, २००८: मणिपुर पुलिस कमांडो काम्प्लेक्स के निकट बम धमाके में १७
लोग मारे गए।
३० अक्टूबर, २००८: असम के अलग-अलग इलाकों में १८ आतंकवादी हमलों में कम से कम
४५ लोगों की मौत और १०० से अधिक घायल।
२६ नवम्बर, २००८: मुम्बई में आतंकी हमला १६० लोगों की मौत, २५० से ज्यादा लोग
घायल

अब जरा २००९-२००१३ के बम ब्लास्ट पर भी एक नजर::::::

१३ फरवरी, २०१०: पूणे जर्मन बेकरी ब्लास्ट में १७ की मौत, १३ घायल
७ दिसंबर, २०१०: बनारस के घाट पर धमाकों में १ की मौत २५ घायल
१३ जुलाई, २०११: मुम्बई झावेरी बाजार धमाकों में २१ मौत, १५० से ज्यादा घायल
१ अगस्त, २०११: मणिपुर धमाके में ५ की मौत, २० घायल
१७ सितंबर,२०११: आगरा हाॅस्पिटल में धमाका
३ अगस्त, २०१२: पूणे में ४ सिरियल धमाके
७ सितंबर, २०१२: दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर धमाकें में १३ लोगों की मौत
२१ फरवरी, २०१३: हैदराबाद दिलसुखनगर धमाके, २२ मौत, १२० से ज्यादा घायल

अब ये तो बस बानगी भर है, आप खुद समझ सकते हैं, २००९ में चुनावों से ठीक पहले
धड़ाधड़ धमाके हुये और चुनावों के बाद के चार सालों में बस गिने चुने
धमाके।।।। क्यों?

अब फिर से धमाकों का दौर चलने वाला है, क्योंकि चुनावी साल में प्रवेश कर रहें
हैं सब, तो सबका ध्यान अपने काले कारनामों से हटाने के लिये कांग्रेसी कोई ना
कोई चाल तो चलेंगे ना।।।।।

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