Friday, February 22, 2013

जस्टिस काटजू कांग्रेस के पता नहीं किस एहसान तले दबे हैं

जस्टिस काटजू कांग्रेस के पता नहीं किस एहसान तले दबे हैं की अपने ऊट पटांग बयान में मोदी जी पर आक्षेप लगा रहे हैं! आम आदमी तो अनिभिज्ञ हो सकता है पर जब काटजू जैसे लोग जान बूझ कर ऐसे भ्रमित करने वाले बयान देते हैं तो देश और देशवासियों से गद्दारी की बू आती है! इन दंगे फसाद के ऐसे एक तरफा बयान क्यों आते हैं? दंगा हुआ था कोई नरसंहार नहीं! सिख दंगे जो की श्रीमती इंदिरा गाँधी की मृत्यु के बाद हुए थे वह शायद सही अर्थो में नर संहार था! परन्तु उसके बारे में कोई बोलता ही नहीं है! आखिर भारत की गरीब जनता के साथ खड़े रह कर जस्टिस काटजू जैसे बिक़े हुए लोगो को मिल भी क्या सकता है?
एक बात को हमेशा अनदेखा कर दिया जाता है जब भी गोधरा की बात उठती है! काटजू जैसे भ्रष्ट और बिकी हुयी मीडिया भूल जाते हैं एक महत्वपूर्ण शख्स का नाम जिसने शायद गोधरा दंगे की पृष्ठभूमि रची थी! वह थे कांग्रेसी MP "एहसान जाफरी"!!! जिन्होंने साबरमती एक्सप्रेस से लौट रहे कारसेवको के जलने पर नमक छिड़कते हुए मिठाइयाँ बांटी थी! मासूम औरतों और बच्चों के जलने पर संवेदना से भरे शब्द नहीं थे इनके पास बल्कि दुःख से संतप्त परिजनों के गुस्से को भड़काने के लिए जो नहीं करना चाहिए था वह किया! मेरे ख़याल में किसी का भी कोई परिजन ऐसी दुर्घटना से मरे और सामने वाला दिखा दिखा के खुशियाँ मनाये तो शायद किसी का भी अपने गुस्से पर काबू रखना मुश्किल हो जायेगा! आखिर वही हुआ जिसका डर था दुःख से संतप्त भीड़ ने जाफरी साहब को जिंदा जला दिया! और उसके साथ साथ और पता नहीं कितने लोग जला दिए गए! जब इतने मासूम लोगो के जल कर मर जाने पर कोई मिठाई बांटेगा तो क्या उससे दंगे नहीं भड़केंगे? कोई कांग्रेस से भी पूछे की गोधरा काण्ड की इतनी चिंता थी तो सहायता भेजने से मना क्यों कर दिया था?

आज गोधरा काण्ड के लिए मोदी जी को बार बार दोषी ठहराया जाता है परन्तु पूर्व कांग्रेस के MP एहसान जाफरी का नाम कोई नहीं लेता! आखिर क्यों? सिर्फ इसलिए की जो मर गए है उनके खिलाफ हम नहीं बोलते? या फिर मोदी जी को फसा कर कांग्रेस अपने निकम्मेपन को छिपाना चाहती है? कांग्रेस जो काम 66 साल में विदेशियों के तलवे चाट कर नहीं कर पाई वह अपने "देसी मैन" मोदी जी ने 10 सालो में कर दिया! आखिर इससे बेहतर तमाचा कांग्रेस के मुह पर क्या पड़ सकता था? कांग्रेस ने केवल देश को बांटा है कभी प्रान्त के नाम पर, कभी भाषा के नाम पर, कभी धर्म के नाम पर! अब बहुत हो चूका!! अब हमे अपनी देसी पार्टी और अपना देसी प्रधानमंत्री चाहिए!!! यानी की मोदी जी!

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