Monday, February 4, 2013

1984 के दंगे....दंगों की रूपरेखा....भिंदरावालन का अतीत...


1984 के दंगे....दंगों की रूपरेखा....भिंदरावालन का अतीत....शिवसेना का पंजाब में उदय....खालिस्तान की मांग....कांग्रेस का समर्थन.... स्वर्ण मंदिर (हरी मंदिर साहब) में 6 स्याह दिन ....आक्रोश का दमन....इंदिरा गाँधी की मौत....****

लेख सिख अथवा बाल्मीकि समाज की भावनाओं को आहात करने के उद्देश्य से नहीं लिखा गया है....

12 फरवरी 1947 को जन्मे जरनैल सिंह भिंदरावालन का जन्म पंजाब के मोगा प्रान्त में हुआ था...घर में माता पिता के अनुशासन में बचपन से शाकाहारी रहे भिंदरावालन को जल्दी ही धार्मिक शिक्षा के लिए "धम्दानी टकसाल" में भेज दिया गया...निसंदेह गुरु के अनुशासन तहत एक सच्चे सिख का निर्माण हो रहा था... जल्दी ही भिंदरावालन धार्मिक रूप से पूर्ण सिख के निर्माण की और अग्रसर थे....गुरु करतार सिंह की असामयिक मौत के बाद जरनैल सिंह भिंदरावालन को 25 अगस्त 1977 को उनका उत्तराधिकारी घोषित किया गया....जिस तरह एक सच्चा सिख कभी नशे की और नहीं बढेगा... उसी तरफ भिंदरावालन ने भी कदम बडाये एवं सिख समाज को नशे से दूर हो कर सच्चा सिख होने को प्रेरित किया...इस बात ने भिंदरावालन को सच्चे सिख के रूप में प्रचारित कर दिया....समर्थक बड़ते जा रहे थे.....
दौर था 1977 का ....
खालसा पथ को मानने वाले बड़ते जा रहे थे....
अब अगर अतीत को चलें तो याद करते हैं 1971 का दौर... जब पाकिस्तान से बांग्लादेश अलग हो कर नया राष्ट्र बना था.....जनरल परवेज़ मुशर्रफ...भी उस दौर में पाकिस्तानी सेना में थे..... ये मुशर्रफ जैसे पाकिस्तानी हुक्मरानों का विचार था की यदि पाकिस्तान से बांग्लादेश अलग हुआ है तो भारत से भी कुछ अलग होना ज़रूरी है...नतीज़न साजिश रची गयी की खालसा पंथ वालों को समर्थन दिया जाये..... इसी विचार से बड़ी संख्या में धन जुटाया गया... अब ज़रुरत थी ऐसे आदमी की...जो इस काम को मूर्त रूप दे सके...
आर्थिक सहायता के लिए जगजीत सिंह चौहान ने 1971 में अमेरिका की यात्रा की एवं वहां से अरबों रुपये चंदे में एकत्रित किये... पाकिस्तान ने 1971 में हार के बाद से ही खालिस्तान को हवा देनी शुरू कर दी थी...काम करने के लिए मोहरा बना भिंदरावालन....
उधर इंदिरा गाँधी की सरकार की निगाह थी.. हरिमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर ) के खजाने पर...अकाल तख़्त के समर्थन में शिरोमणि अकाली दल की स्थापना हो चुकी थी....प्रकाश सिंह बदल उस समय के मुख्यमंत्री थे एवं खालिस्तान की मांग को समर्थन नहीं करने का फैसला किया था....
अब दौर शुरू हुआ था हिन्दुओं के पतन का जब संपूर्ण पंजाब से हिन्दुओं की भागने के वक़्त था... हिंदी के स्थान पर पंजाबी बोलने वाले को तरजीह दी गयी... खालिस्तान की अपनी खुद की मुद्रा छापी जाने लगी.... जगह जगह हिन्दुओं को मारा गया..... लाला जगत नारायण ने पंजाब केसरी के माध्यम से हिन्दू सिख एकता के लिए बहुत काम किया...उनकी अपील काम भी आई...एवं अधिकांश सिखों ने खालिस्तान की मांग एवं हिन्दुओं के प्रति हिंसा से खुद को दूर रखा....लेकिन ये भिन्दरावाला के अनुसार नहीं था....लोंगोंवल...अमृत सिंह को भी ये फैसला पसंद नहीं आया.....
इंदिरा गाँधी की सरकार अभी तक आँख मूँद कर के हिन्दुओं के पतन को आँख बंद कर के देख रही थी...क्यूंकि भिन्दरंवाला ही एकमात्र आदमी था को अकाल तख़्त की आमदनी तक सरकार को पहुंचा सकता था... खालिस्तान की मांग को और तेज़ एवं हिंसक रूप देने को खालिस्तान लिब्रतिओन फ़ोर्स एवं बब्बर खालसा नमक उग्रवादी संगठन का निर्माण किया गया .....हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा के वत पर शिव सेना ने पंजाब में अपनी जमीन पकड़ी जब बड़े पैमाने पर बाल्मीकि समाज ने शिव सेना की सदस्यता ग्रहण की...एवं इस हिंसा का जवाब देना शुरू किया....
होशियारपुर जैसे इलाकों में तो हिंसा जल्दी ही ठंडी हो गयी परन्तु अमृतसर...तरनतारन जैसे इलाकों में दंगे भड़कते जा रहे थे....
अब तक कभी भी भिन्दरंवाला ने खालिस्तान की मांग न तो अपने मुह से की थी...परन्तु अपनी सभाओं में साफ़ कहता था की यदि ऐसा होगा तो वो ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार करेगा... लेकिन दूसरी तरफ हिन्दुओं के खिलाफ सिख समाज को भड़काने का काम वो निरंतर कर रहा था... एवं सधे हुए शब्दों में प्रथक खालिस्तान की मांग भी निरंतर जारी थी...
पाकिस्तान ने इसी मौके का इंतज़ार किया था..अब ज़रुरत थी हिंसा के लिए बड़े पैमाने पर हथियारों की जिसको पाकिस्तान की सेना ने तुरंत पूरा किया था...
कई मौके पर इंदिरा गाँधी ने हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा के सुबूत होने पर भी भिन्दरंवालन को गिरफ्तार नहीं होने दिया था. 13 लोगों की मौत के जिम्मेदार निरंकारी बाबा के 24 अप्रैल 1980 की मौत के बाद खुलेआम इस हिंसा का समर्थन किया था....अधिकांश संदिग्ध लोगों के भिन्दरंवाला से सम्बन्ध पाए गए...
9 अप्रैल 1981 को लाला जगत नारायण (प्रधान संपादक : पंजाब केसरी ) की हत्या के बाद शक की सुई एक बार फिर भिन्दरंवाला पर घूम चुकी थी...यही वो वक़्त था जब सबसे पहले भिन्दरंवाला पर वारेंट जारी हुआ था... भिन्दरंवाला ने सामूहिक घोषणा के बाद 20 सितम्बर 1981 को सरेंडर किया ... सरेंडर के वक़्त गुरुद्वारा गुरुदर्शन प्रकश में एक बहुत बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया.... राजतंत्र की संलिप्तता का एक और उदहारण तब देखने को मिला जब देश के तत्कालीन गृह राज्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने संसद में घोषणा की की भिन्दरावाला के खिलाफ कोई सुबूत नहीं मिला...एवं 15 अक्टूबर को उसको रिहा कर दिया गया.. रिहाई हुई एक रहनुमा के रूप में...
सरकार की विफलता ... पाकिस्तान की संलिप्तता ...भिन्दरंवाला की बदती ताकत...जुलाई 1982 में लोंगोवाल ने भिन्दरंवाला को स्वर्ण मंदिर में रहने को आमंत्रित किया...जिसको भिन्दरंवाला ने सहर्ष स्वीकार किया था परन्तु बाद में बड़ते भक्त समूह के कारन भिन्दरंवाला ने स्वर्ण मंदिर को छोड़ कर दूसरी जगह रहना प्रारंभ किया एवं अकाली दल को समर्थन देना शुरू किया...इस समय तक भिन्दरंवाला की छवि एक बाहुबली की थी जो किसी भी आदमी की कोई भी समस्या सुलझा सकता था ...
दिसंबर 1983 तक भिन्दरंवाला का खौफ तो था परन्तु विरोधी भी बहुत हो चुके थे....अंततः भिन्दरंवाला अकाल तख़्त पहुंचा था शरण के लिए..साथ पहुंची थी... स्वचालित गन एवं असलह... ये अब तयारी थी पंजाब को हिंदुस्तान से अलग करने के आखरी प्रहार की... आखरी वक़्त में इंदिरा गाँधी ने सही कदम उठाते हुए... जनरल कुलदीप सिंह बरार को समस्त समस्या के हल के लिए पंजाब भेज.... ऑपरेशन का नाम था " ब्लू स्टार" ... वक़्त थे 1 जून 1984 . सेना ने कठोर कदम उठाते हुए स्वर्ण मंदिर में प्रवेश किया एवं समस्त आतंकवादियों को ख़तम कर के पंजाब में शांति बहाली की ओर मील के पत्थर की स्थापना की...
बाद में सिखों ने इसी अपमान एवं स्वर्ण मंदिर में सेना प्रवेश की विरोध में इंदिरा गाँधी का क़त्ल किया था...

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ये थे परदे के सामने का खेल...
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खालिस्तान की मांग... एवं इस खुनी खेल के पीछे का सच.....
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* भिन्दरंवाला को खड़ा करने के पीछे इंदिरा गाँधी का हाथ था...ताकि अकाल तख़्त के खजाने पर सरकारी शिकंजा कस जा सके...
* भिन्दरावाला के हिन्दू के खिलाफ खड़ा होने के वक़्त सरकार ने कुछ भी नहीं किया... अपितु जो भी मदद मिली थी वो शिव सेना एवं तत्कालीन बाल्मीकि समाज ने खुद एकजुट हो कर मोर्चा लिया....
* इस समूचे वक़्त में बब्बर खालसा को हथियार की पूरी पाकिस्तानी सेना के स्वर होती रही परन्तु सरकार ने उस दिशा में कभी कोई कदम नहीं उठाये.
* सिखों ने भिन्दरंवाला को संत की उपाधि दी.. जबकि यही भिन्दरंवाला ने आखरी वक़्त में अकाल तख़्त के पास मल मूत्र तक त्यागा था जिसकी तस्दीक खुद सेना ने की थी....
* भिन्दरंवाला के स्वर्ण मंदिर में पनाह लेने के उपरांत वहां आसपास के गाँव से लड़कियों को अगवा कर के नग्न कर के अय्याशी के लिए रखा गया था....
* हर एक खालिस्तानी का एक ही मकसद था आखरी दिनों में ..एक हिंदुस्तानी सैनिक को मारों एवं एक लड़की के साथ मज़े लो....
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अब सवाल जो सरकार की तरफ ऊँगली उठाते हैं....

* इंदिरा गाँधी ने सारे मामले की जानकारी होते हुए भी कभी भिन्दरंवाला पर कठोर कदम नहीं उठाने दिए ( अंत तक)
* खालिस्तान की मांग तो 10 साल से सर उठा रही थी.... सरकार ने वक़्त रहते इसको क्यूँ नहीं रोका ...
* अधिकांश लोगों को नहीं मालूम की इस मामले में सरकार ने देश की सभी खुफिया एजेंसी के रिपोर्टों को दरकिनार कर दिया था... अंतिम वक़्त में सरकार को रूस से ये सूचना मिली थी की २ दिन में कुछ नहीं किया तो हिंदुस्तान के टुकड़े अब निश्चित हैं....
* बब्बर खालसा के लोगों के खिलाफ सही ढंग से मुक़दमे क्यूँ नहीं चलाये गए...
* सरकार के पास ये सूचना थी की सरहद पार से हथियारों की तस्करी हो रही है परन्तु सरकार ने कभी इस दिशा में कठोर कदम नहीं उठाये...
* क्या कारन थे की सरकार ने भिन्दरंवाला को जमानत देने के लिए गृह मंत्री से संसद में बयान दिलवाया...
* भिन्दरंवाला की सच्चे सिख की छवि के पीछे भी सरकार थी... ताकि उसको अकाल तख़्त तक पहुँचाया जा सके...

यदपि लोकतंत्र में सरकार की जिमेदारी होती है की वो देश में शांति की स्थापना करे जिसके लिए इंदिरा गाँधी की सरकार पूरी तरह विफल रही वहीँ दूसरी ओर अंत में यही कहना चाहूँगा की " जैसी करनी वैसी भरनी " .....
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https://www.youtube.com/watch?v=Rr0RnaQJ_Cc

https://www.youtube.com/watch?v=BtpiNha_AQM

https://www.youtube.com/watch?v=gAcaPF5IHxw

https://www.youtube.com/watch?v=qCtIX9JjE5Y

https://www.youtube.com/watch?v=kDC6qqBCRBs

https://www.youtube.com/watch?v=Eropdw49esg

http://www.panthkhalsa.org/raj/raj_june84report.php

http://en.wikipedia.org/wiki/Khalistan_movement

http://www.dnaindia.com/mumbai/interview_govt-must-stop-khalistan-movement-from-raising-its-ugly-head-says-brar_1751582

http://articles.timesofindia.indiatimes.com/keyword/khalistan-movement

http://www.youtube.com/channel/HC3HIDiSK0IIQ —
 — with Ek Bharatiy and 56 others.

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