Thursday, January 31, 2013

मुस्लिम राष्ट्र पाने के बाद भी जिन्ना और मुस्लिम लीग चैन से नहीं बैठे ...

पाकिस्तान जैसा मुस्लिम राष्ट्र पाने के बाद भी जिन्ना और मुस्लिम लीग चैन
से नहीं बैठे ...
उन्होंने फिर से मांग की की हमको पश्चिमी पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान जाने
में बहुत समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं l
1. पानी के रास्ते बहुत लम्बा सफर हो जाता है क्योंकि श्री लंका के रस्ते से
... घूम कर जाना पड़ता है..
2. और हवाई जहाज से यात्राएं करने में अभी पाकिस्तान के मुसलमान सक्षम नही हैं
l इसलिए कुछ मांगें रखी गयीं 1. इसलिए हमको भारत के बीचो बीच एक Corridor बना
कर दिया जाए
2. जो लाहोर से ढाका तक जाता हो (NH - 1)
3. जो दिल्ली के पास से जाता हो
4. जिसकी चौड़ाई कम से कम 10 मील की हो (10 Miles = 16 KM)
5. इस पूरे Corridor में केवल मुस्लिम लोग ही रहेंगे l

30 जनवरी को गांधी वध यदि न होता, तो तत्कालीन परिस्थितियों में बच्चा बच्चा
यह जानता था की यदि मोहनदास करमचन्द 3 फरवरी, 1948 को पाकिस्तान पहुँच गया तो
इस मांग को भी मान लिया जायेगा l
तात्कालिक परिस्थितियों के अनुसार तो मोहनदास करमचन्द किसी की बात सुनने की
स्थिति में था न ही समझने में ...और समय भी नहीं था जिसके कारण हुतात्मा
नाथूराम गोडसे जी को गांधी वध जैसा अत्यधिक साहसी और शौर्यतापूर्ण निर्णय लेना
पडा l
हुतात्मा का अर्थ होता है जिस आत्मा ने अपने प्राणों की आहुति दी हो जिसको की
वीरगति को प्राप्त होना भी कहा जाता है l--

संघ आतंकवाद की फैक्ट्री या ..... ?


संघ आतंकवाद की फैक्ट्री या ..... ?

by Akhil Bharat Hindu Mahasabha on Friday, January 25, 2013 at 2:19am ·

Press :- Dt.25 Jan.2013


         हिन्दू महासभा नेताओ ने रा.स्व.संघ की स्थापना पारस्पारिक सहयोग के लिए की थी।सन १९३९ कोलकाता हिन्दू महासभा राष्ट्रिय अधिवेशन में डा.हेडगेवार राष्ट्रिय उपाध्यक्ष पद का चुनाव जीते।गुरु गोलवलकर महामंत्री पद का चुनाव हारे इसका ठीकरा उन्होंने सावरकरजी पर फोड़ा और हिन्दू महासभा का त्याग किया। डा हेडगेवार उन्हें संघ दायित्व देकर शांत कर रहे थे तो सावरकरजी ने संघ का हिन्दू महासभा में विलय कर हिन्दू मिलेशिया नया संघठन बनाने की सलाह दे रहे थे।संघ प्रवर्तक डा मुंजे जी ने भी इस बात का समर्थन किया परन्तु,बात नहीं बनी।डा हेडगेवारजी की अकस्मात मृत्यु के बाद पिंगले जी को सर संघ चालक बनना था परन्तु,गुरूजी ने सरसंघ चालक पद कब्ज़ा किया।सैनिकी शिक्षा विभाग के संचालक जोगदंड को पदच्युत किया।संघ ने सावरकर महिमा रोकने के लिए हिन्दू महासभा के विरुध्द शंखनाद किया।इसलिए रामसेना सं.डा.मुंजे-वर्मा (नागपुर), हिन्दुराष्ट्र सेना डा.परचुरे ग्वालियर ,हिन्दुराष्ट्र दल अमरवीर नथुराम गोडसे पुणे में वैकल्पिक संगठन बनाये गए।

         १९४६ असेम्बलि चुनाव में विघटनवादी मानसिकता ने हिन्दू महासभा को पराजित करने गुरु गोलवलकर के सावरकर विद्वेष का लाभ उठाया।विभाजन का विरोध कर रही हिन्दू महासभा को रोकने नेहरू ने अखंड हिन्दुस्थान का वचन देकर संघ का समर्थन प्राप्त किया।संघ सभा परस्पर सहयोगी थे,संघ के प्रत्याशियों को महासभा ने चुनावी मैदान में उतारा था।गुरूजी ने अंतिम समय कांग्रेस समर्थन की घोषणा करते हुए संघ समर्थको को नामांकन वापस लेने का दबाव बनाया। परिणामतः हिन्दू महासभा १६% मत लेकर पराभूत हुई तो कांग्रेस-मुस्लिम लीग विजयी।कांग्रेस को संघ समर्थन के कारण हिन्दुओ की प्रतिनिधि के रूप में विभाजन करार पर हस्ताक्षर के लिए आमंत्रित किया गया।फिर भी सावरकरजी ने कहा,'संसद में बहुमत से विभाजन रोका जाये !'

       विभाजनोत्तर शरणार्थी हिन्दुओ की घोर उपेक्षा हुई तो पाकिस्तान जा रहे लोगो को रोककर उनके मकान,तबेले में रह रहे शरणार्थी हिन्दुओ को भारी वर्षा और ठण्ड के बिच खुली सड़क पर निराश्रित किया गया।इससे क्रुध्द हिन्दू महासभा के पूर्व राष्ट्रिय महामंत्री अमरवीर पं नथुराम गोडसे जी ने कश्मीर आक्रमण के बाद भी पाकिस्तान और मुस्लिम परस्त मानसिकता के विरोध में गाँधी वध किया। संघ-सभा नेता धरे गए,अभियोग चले। १९४९ अयोध्या आन्दोलन में हिन्दू महासभा को मिली सफलता कुचलने का नेहरू ने भरसक प्रयास किया।यह सफलता राजनितिक जनाधार में न बदले इसलिए, नेहरू-पटेल ने गुरु गोलवलकर पर जिम्मेदारी सौपकर हिन्दू महासभा पक्ष ही तहसनहस कर दिया।उ.भा.संघ चालक बसंतराव ओक ने डा.श्यामाप्रसाद मुखर्जी को साथ लेकर हिन्दू महासभा में सेंध लगायी और भारतीय जनसंघ का निर्माण किया।हिंदुत्व की राजनीती पर यह भितराघात था।व्यक्ति वर्चस्व की राजनीती कहे या विद्वेष ने अखंड हिन्दुस्थान को विभाजन प्रदान किया,हिंदुत्व की राजनीती को च्छेद दिया।
       अखंड हिन्दुस्थान का विभाजन धार्मिक अल्पसंख्या के आधार और जनसंख्या के अनुपात में हुवा। पश्चात् २६ अक्तूबर १९४७ को ६६७ राष्ट्रिय मुसलमानों ने प्रधान मंत्री नेहरू से मिलकर पाकिस्तान समर्थक मुसलमानों को निष्कासित करने की मांग की थी,डॉक्टर आम्बेडकर जी ने लियाकत से समझौता कर जनसँख्या अदला बदली पर सहमती जताई थी।परन्तु,नेहरू ने उसे नकारा।खंडित देश में विभाजनोत्तर आश्रयार्थी मुसलमान धोखादायक बने है। क्यों कि,यह शिक्षा कुराण में ही अंतर्भूत है।विश्व इस्लाम का उद्देश्य है।एल जी वेल्स ने अपनी पुस्तक विश्व इतिहास की रुपरेखा में स्पष्ट लिखा है कि,"जब तक दिव्य ग्रन्थ रहेगा,तब तक अरब राष्ट्र विश्व के सभ्य राष्ट्रों के बिच बैठने के योग्य नहीं होंगे !"और इस कथन की पुष्टि भी मिल रही है जमात ए इस्लाम के संस्थापक मौ.मौदूदी अपनी पुस्तक हिन्दू वल्ड के पृ.24 पर लिखता है कि,"इस्लाम और राष्ट्रीयता की भावना और उद्देश्य एक दुसरे के विपरीत है।जहा राष्ट्रप्रेम की भावना होगी,वहा इस्लाम का विकास नहीं होगा।राष्ट्रीयता को नष्ट करना ही इस्लाम का उद्देश्य है। 
    खंडित हिंदुस्थान के आश्रयार्थी मुसलमानो के पूर्व निर्धारित अखंड पाक के  मनसुबे और अधिक दृढ हुए है।एक कसाब को फांसी देने से या किसी एक आतंकवादी संगठन पर प्रतिबन्ध डालने से कभी आतंकवाद समाप्त होनेवाला नहीं है।इस्लाम की स्थापना पूर्व की शोश्यल इंजीनियरिंग का अध्ययन करने से पता चलेगा कि,विश्व ख्रिश्च्यानिती के विरोध में संगठित हुए शिव लिंग पूजक कबायली काब्बा में श्रध्दा पूर्वक संगठित कैसे हुए।अलिफ़ लाम मीम जिसे हरूफ ए मुक्तआत कहा जाता है वह ॐ है और उसे परम दयालु मान्य किया गया है।

       परन्तु,इस्लाम के उत्तराधिकारियों ने ग्रन्थ में प्रचलित प्रथाओ को धर्मज्ञा समझकर तथा अपनी आवश्यकता (अरबी साम्राज्यवाद) के अनुसार कुछ वचनों (आयत) को अंतर्भूत किया।उनके अनुसार अरबी साम्राज्यवाद का आन्दोलन अब विश्व इस्लाम का स्वरुप ले चूका है। ९/११ अमेरिका पर हमले करनेवाले मुसलमानों की, तथा २६/११ के पश्चात् मुस्लिम ब्रदरहुड की योजना यह है की,देश तोडना,सरकार गिराना। अरबी-इस्लामी राष्ट्रों में हो रहे राजनितिक आन्दोलन और सत्तांतरण तथा हत्या उस ही का परिणाम है।पाकिस्तान हो या अफ़गानिस्तान पूर्व हिन्दू आपसी वर्चस्व में लड़ रहे है क्यों की उनपर इस्लामी धर्मशिक्षा का प्रभाव है। विभाजन के पश्चात् भी आश्रयार्थी मुसलमानों की अखंड पाकिस्तान की मानसिकता राजनितिक प्रश्रय से दृढ़ हुई है। हिन्दू जाती-पंथ-भाषा भेद में विघटित होकर आपस में लड़ रहे है।उसके लिए आरक्षण समस्या बनी है।
            लाहोर से प्रकाशित होनेवाला इस्लामी पत्र "लिजट" में अलिगढ यूनिवर्सिटी के प्रा.कमरुद्दीन खान का लिखा हुवा पत्र पुणे के 'मराठा' व देहली के 'ऑर्गनायझर' में २१ अगस्ट १९४७ को प्रकाशित हुवा था।उसमे विभाजनोत्तर खंडित हिंदुस्थान को हजम करने के लिए मुसलमानो की 'गिध्ददृष्टी' का खुलासा हुवा है।कमरुद्दीन लिखता है ,"५ करोड मुसलमानो को पाकिस्तान निर्मिती के बाद भी हिंदुस्थान में रहने के लिए विवश किया है .उन्हें अपनी आझादी की दुसरी लढाई लढनी होगी और जब यह दुसरा संघर्ष आरंभ होगा तब हिंदुस्थान के पूर्व और पश्चिम सीमा प्रांत में पाकिस्तान की भौगोलिक तथा राजनीतिक स्थिती हमारे भारी हित की होगी इसमें कोई संदेह नहीं. कि,इस उद्देश्य के लिए दुनिया के सभी मुसलमानो का सहकार्य हमें प्राप्त होगा." इस उद्देश्य की पुर्ती के लिए उसने ४ उपाय बताये थे।
     * १)हिंदूंओ की वर्ण व्यवस्था में कमी का लाभ उठाकर ५ करोड अछुतोंको हजम कर (धर्मांतरित कर) मुसलमानो की जनसंख्या बढ़ाना. (जो एक से अधिक विवाह, लव जिहाद,धर्मान्तरण,परिवार नियोजन का विरोध कर वृध्दि हो गयी है. विस्तार से निचे लिखा है.)   * २)हिंदू  प्रांत के राजनीतिक महत्व के स्थानोंपर लक्ष केंद्रित करना.उदाहरणार्थ संयुक्त प्रांत (उ.प्र.) में मुसलमानो को पश्चिम क्षेत्र (पश्चिमी उ.प्र.) अधिक संख्या में आकर मुस्लीम बहुल क्षेत्र बनाना.बिहार के मुसलमानोने पूर्णिया में संगठित रूप से बसना और पूर्व पाकिस्तान से जुड़ जाना. (१९४७ पूर्व से मुंबई प्रान्त को मुस्लिम बहुल बनाने का षड्यंत्र इसलिए हो रहा है की सिंध से जोड़ा जाये परन्तु,विभाजनोत्तर भी यह षड्यंत्र जारी होने के प्रमाण ११/८/२०१२ आझाद मैदान,मुंबई रझा अकादमी के दंगे से स्पष्ट हुवा है.) * ३)पाकिस्तान से निकटतम संपर्क बनाकर रखना और उनके निर्देशोंका पालन करना. (जो हर गाव-शहर-प्रान्त में बसे स्लीपर सेल कहे जाते है.)  * ४)अलिगढ युनिवर्सिटी जैसी मुस्लीम संस्थाओ को दुनियाभर के मुसलमानों के लिए केंद्र बनाना।
* दिनांक १८ ऑक्टोबर १९४७ के नव भारत में एक लेख प्रकाशित हुवा था.विभाजनोत्तर पाकिस्तान सरकार व उसके हस्तक खंडित हिंदुस्थान के लोकतंत्र को दुर्बल बनाकर छोटे छोटे असंख्य पाकिस्तान खड़े करने का षड्यंत्र कैसे किया जा रहा है उसपर प्रकाश डालकर निझाम ने छह सप्ताह में एक लक्ष मुसलमानो को पाकिस्तान से लाकर कैसे लाकर बसाया उसपर दृष्टीक्षेप डाला है।
* 'हिंदुस्थान हेरॉल्ड' नुसार निझाम ने २ लक्ष रुपये खर्च कर वहा के अछुतोंको धर्मांतरित करने  आंदोलन खड़े करने के लिए हिंदूंओ को भगाने का षड्यंत्र आरम्भ किया था,को उजागर किया।( इस वार्ता के पश्चात् डॉ.बाबासाहेब ने निझाम को धमकी देकर बलात धर्मांतरण ना करने का इशारा मक्रणपूर चालिसगाव की महार परिषद में दिया. आंबेडकर अनुयायी इराप्पा ने निझाम का वध करने का असफल प्रयत्न किया.)
 *श्री.शंकर शरण जी ने  दैनिक जागरण २३ फरवरी २००३ में लिखे लेख पर एक पत्रक हिंदू महासभा के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय श्री.जगदीश प्रसाद गुप्ता,खुर्शेद बाग,विष्णु नगर,लक्ष्मणपुरी (लखनौ) ने प्रकाशित किया था। १८९१ ब्रिटीश हिंदुस्थान जनगणना आयुक्त ओ.डोनेल नुसार ६२० वर्ष में हिंदू जनसंख्या विश्व से नष्ट होगी. १९०९ में कर्नल यु.एन.मुखर्जी ने १८८१ से १९०१, ३ जनगणना नुसार ४२० वर्ष में हिंदू नष्ट होंगे ऐसा भविष्य व्यक्त किया था।१९९३ में  एन.भंडारे,एल.फर्नांडीस,एम.जैन ने ३१६ वर्ष में खंडित हिंदुस्थान में हिंदू अल्पसंख्यक होंगे ऐसा भविष्य बताया गया है।१९९५ रफिक झकेरिया ने अपनी पुस्तक द वाईडेनिंग डीवाईड में ३६५ वर्ष में हिंदू अल्पसंख्यांक होंगे ऐसा कहा है। परंतु,कुछ मुस्लीम नेताओ के कथाना नुसार १८ वर्ष में (अर्थात २००३+१८=२०२१ में ?) हिंदू (पूर्व अछूत-दलित-सिक्ख-जैन-बुध्द  भी)अल्प संख्यांक होंगे।अभी हिन्दुओ ने संविधानिक समान नागरिकता का स्वीकार कर विषमता नष्ट नहीं की तो आनेवाली पीढ़िया हमें कोसेंगी।

           यु.एस.न्यूज एंड वल्ड रिपोर्ट या अमेरिकन साप्ताहिक के संपादक मोर्टीमर बी.झुकर्मेन ने २६/११ मुंबई हमले के पश्चात् जॉर्डन के अम्मान में मुस्लीम ब्रदरहूड संगठन के कट्टरवादी ७ नेताओ की बैठक सम्पन्न होने तथा पत्रकार परिषद का वृतांत प्रकाशित किया था।ब्रिटीश व अमेरिकन पत्रकारो ने उनकी भेट की और आनेवाले दिनों में उनकी क्या योजना है ? जानने का प्रयास किया। 'उनका लक्ष केवल बॉम्ब विस्फोट तक सिमित नहीं है, उन्हें उस देश की सरकार गिराना , अस्थिरता-अराजकता पैदा करना प्रमुख लक्ष है।' झुकरमेन आगे लिखते है ,' अभी इस्त्रायल और फिलिस्तीनी युध्द्जन्य स्थिति है। कुछ वर्ष पूर्व मुस्लीम नेता फिलीस्तीन का समर्थन कर इस्त्रायल के विरुध्द आग उगलते थे।अब कहते है हमें केवल यहुदियोंसे लड़ना नहीं अपितु, दुनिया की वह सर्व भूमी स्पेन-हिन्दुस्थान समेत पुनः प्राप्त करनी है,जो कभी मुसलमानो के कब्जे में थी।' पत्रकारो ने पूछा कैसे ? ' धीरज रखिये हमारा निशाना चूंक न जाये ! हमें एकेक कदम आगे बढ़ाना है। हम उन सभी शक्तियोंसे लड़ने के लिए तयार है जो हमारे रस्ते में रोड़ा बने है !' ९/११ संदर्भ के प्रश्न को हसकर टाल दिया.परन्तु, 'बॉम्ब ब्लास्ट को सामान्य घटना कहते हुए इस्लामी बॉम्ब का  धमाका होगा तब दुनिया हमारी ताकद को पहचानेगी. ' कहा. झुकरमेन के अनुसार," २६/११ मुंबई हमले के पीछे ९/११ के ही सूत्रधार कार्यरत थे।चेहरे भले ही भिन्न होंगे परंतु, वह सभी उस शृंखला के एकेक मणी है।" इनको सरकार ने भी सेफ पैसेज दिया है।
         हिंदुस्थान सरकार तथा सभी दलोंको केवल मत पेटी की राजनीती छोड़कर राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टीसे देखकर पाकिस्तान देने के पश्चात् भी पीछे छूटे आश्रयार्थी राष्ट्रिय एकात्मता,संविधान तथा संविधानिक समान नागरिकता का विरोध करनेवाले राष्ट्रद्रोहियो की नागरिकता समाप्त करनी चाहिए। अराष्ट्रीय धर्मान्तरण,घुसपैठ,लव्ह जिहाद और जनसँख्या वृध्दि के कारण आतंरिक सुरक्षा के लिए मुसलमान विश्व में धोखादायक बने है। इसे आतंक कहा जाना चाहिए। ३१ जुलाई १९८६ मेट्रो पोलिटिन कोर्ट देहली ने विघातक मानी २४ आयत पर तत्काल प्रतिबन्ध लगाना चाहिए,सुरक्षा क्षेत्र में किसी भी मुस्लिम को प्रवेश वर्जित हो।ऐसे सुरक्षात्मक पग नहीं उठाये तो घर में बैठा आस्तीन के सांप को,राजाश्रय से अखंड पाक बनाने में समय नहीं लगेगा। विघटनवाद-विदेशी धार्मिक-आर्थिक आतंकवाद को कुचलने के लिए मुलायम नहीं कठोर निर्णय लेकर संविधान की राष्ट्रद्रोह की धारा १२४ ए को और अधिक कठोर बनाये तथा राष्ट्रीय धर्म संस्कृति और जनता की रक्षा करे।खंडित हिन्दुस्थान में निःशस्त्र-विघटित हिन्दुओ को स्वरक्षा के लिए प्रतिकार के कारण बलि का बकरा बनाकर हिन्दू आतंकवाद का रंग न दिया जाये।देखिये इस्लाम की शिक्षा क्या है ?
कुराण  की चौबीस आयतें और उन पर मेट्रो पोलीटिन कोर्ट, देहली का निर्णय 
श्री इन्द्रसेन शर्मा (तत्कालीन राष्ट्रिय उपाध्यक्ष अ.भा.हिन्दू महासभा ) और राजकुमार आर्य जी ने कुरान मजीद (अनु. मौहम्मद फारुख खां, प्रकाशक मक्तबा अल हस्नात, रामपुर उ.प्र. १९६६) की कुछ निम्नलिखित आयतों का एक पोस्टर छपवाया जिसके कारण इन दोनों पर इण्डियन पीनल कोड की धारा १५३ए और २६५ए के अन्तर्गत (एफ.आई.आर. २३७/८३यू/एस, २३५ए, १ पीसी होजकाजी, पुलिस स्टेशन दिल्ली) न्यायालयीन विवाद चलाया गया।पढ़े !
१ -“फिर, जब हराम के महीने बीत जाऐं, तो ‘मुश्रिको’ को जहाँ-कहीं पाओ कत्ल करो, और पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो। फिर यदि वे ‘तौबा’ कर लें ‘नमाज’ कायम करें और, जकात दें तो उनका मार्ग छोड़ दो। निःसंदेह अल्लाह बड़ा क्षमाशील और दया करने वाला है।” (पा० १०, सूरा. ९, आयत ५,२ख पृ. ३६८)
२ - “हे ‘ईमान’ लाने वालो! ‘मुश्रिक’ (मूर्तिपूजक) नापाक हैं।” (१०.९.२८ पृ. ३७१)
३ - “निःसंदेह ‘काफिर तुम्हारे खुले दुश्मन हैं।” (५.४.१०१. पृ. २३९)
४ - “हे ‘ईमान’ लाने वालों! (मुसलमानों) उन ‘काफिरों’ से लड़ो जो तुम्हारे आस पास हैं, और चाहिए कि वे तुममें सखती पायें।” (११.९.१२३ पृ. ३९१)
५ - “जिन लोगों ने हमारी “आयतों” का इन्कार किया, उन्हें हम जल्द अग्नि में झोंक देंगे। जब उनकी खालें पक जाएंगी तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रसास्वादन कर लें। निःसन्देह अल्लाह प्रभुत्वशाली तत्वदर्शी हैं” (५.४.५६ पृ. २३१)
६ - “हे ‘ईमान’ लाने वालों! (मुसलमानों) अपने बापों और भाईयों को अपना मित्र मत बनाओ यदि वे ईमान की अपेक्षा ‘कुफ्र’ को पसन्द करें। और तुम में से जो कोई उनसे मित्रता का नाता जोड़ेगा, तो ऐसे ही लोग जालिम होंगे” (१०.९.२३ पृ. ३७०)
७ - “अल्लाह ‘काफिर’ लोगों को मार्ग नहीं दिखाता” (१०.९.३७ पृ. ३७४)
८ - “हे ‘ईमान’ लाने वालो! उन्हें (किताब वालों) और काफिरों को अपना मित्र बनाओ। अल्ला से डरते रहो यदि तुम ‘ईमान’ वाले हो।” (६.५.५७ पृ. २६८)
९ - “फिटकारे हुए, (मुनाफिक) जहां कही पाए जाऐंगे पकड़े जाएंगे और बुरी तरह कत्ल किए जाएंगे।” (२२.३३.६१ पृ. ७५९)
१० - “(कहा जाऐगा): निश्चय ही तुम और वह जिसे तुम अल्लाह के सिवा पूजते थे ‘जहन्नम’ का ईधन हो। तुम अवश्य उसके घाट उतरोगे।”
११ - “और उस से बढ़कर जालिम कौन होगा जिसे उसके ‘रब’ की आयतों के द्वारा चेताया जाये और फिर वह उनसे मुँह फेर ले। निश्चय ही हमें ऐसे अपराधियों से बदला लेना है।” (२१.३२.२२ पृ. ७३६)
१२ - “अल्लाह ने तुमसे बहुत सी ‘गनीमतों’ का वादा किया है जो तुम्हारे हाथ आयेंगी,” (२६.४८.२० पृ. ९४३)
१३ - “तो जो कुछ गनीमत (का माल) तुमने हासिल किया है उसे हलाल व पाक समझ कर खाओ” (१०.८.६९. पृ. ३५९)
१४ - “हे नबी! ‘काफिरों’ और ‘मुनाफिकों’ के साथ जिहाद करो, और उन पर सखती करो और उनका ठिकाना ‘जहन्नम’ है, और बुरी जगह है जहाँ पहुँचे” (२८.६६.९. पृ. १०५५)
१५ - “तो अवश्य हम ‘कुफ्र’ करने वालों को यातना का मजा चखायेंगे, और अवश्य ही हम उन्हें सबसे बुरा बदला देंगे उस कर्म का जो वे करते थे।” (२४.४१.२७ पृ. ८६५)
१६ - “यह बदला है अल्लाह के शत्रुओं का (‘जहन्नम’ की) आग। इसी में उनका सदा का घर है, इसके बदले में कि हमारी ‘आयतों’ का इन्कार करते थे।” (२४.४१.२८ पृ. ८६५)
१७ - “निःसंदेह अल्लाह ने ‘ईमानवालों’ (मुसलमानों) से उनके प्राणों और उनके मालों को इसके बदले में खरीद लिया है कि उनके लिए ‘जन्नत’ हैः वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते हैं तो मारते भी हैं और मारे भी जाते हैं।” (११.९.१११ पृ. ३८८)
१८ - “अल्लाह ने इन ‘मुनाफिक’ (कपटाचारी) पुरुषों और मुनाफिक स्त्रियों और काफिरों से ‘जहन्नम’ की आग का वादा किया है जिसमें वे सदा रहेंगे। यही उन्हें बस है। अल्लाह ने उन्हें लानत की और उनके लिए स्थायी यातना है।” (१०.९.६८ पृ. ३७९)
१९ - “हे नबी! ‘ईमान वालों’ (मुसलमानों) को लड़ाई पर उभारो। यदि तुम में बीस जमे रहने वाले होंगे तो वे दो सौ पर प्रभुत्व प्राप्त करेंगे, और यदि तुम में सौ हो तो एक हजार काफिरों पर भारी रहेंगे, क्योंकि वे ऐसे लोग हैं जो समझबूझ नहीं रखते।” (१०.८.६५ पृ. ३५८)
२० - “हे ‘ईमान’ लाने वालों! तुम यहूदियों और ईसाईयों को मित्र न बनाओ। ये आपस में एक दूसरे के मित्र हैं। और जो कोई तुम में से उनको मित्र बनायेगा, वह उन्हीं में से होगा। निःसन्देह अल्लाह जुल्म करने वालों को मार्ग नहीं दिखाता।” (६.५.५१ पृ. २६७)
२१ - “किताब वाले” जो न अल्लाह पर ईमान लाते हैं न अन्तिम दिन पर, न उसे ‘हराम’ करते हैं जिसे अल्लाह और उसके रसूल ने हराम ठहराया है, और न सच्चे दीन को अपना ‘दीन’ बनाते हैं उनकसे लड़ो यहाँ तक कि वे अप्रतिष्ठित (अपमानित) होकर अपने हाथों से ‘जिजया’ देने लगे।” (१०.९.२९. पृ. ३७२)
२२ - “…….फिर हमने उनके बीच कियामत के दिन तक के लिये वैमनस्य और द्वेष की आग भड़का दी, और अल्लाह जल्द उन्हें बता देगा जो कुछ वे करते रहे हैं। (६.५.१४ पृ. २६०)
२३ - वे चाहते हैं कि जिस तरह से वे काफिर हुए हैं उसी तरह से तुम भी ‘काफिर’ हो जाओ, फिर तुम एक जैसे हो जाओः तो उनमें से किसी को अपना साथी न बनाना जब तक वे अल्लाह की राह में हिजरत न करें, और यदि वे इससे फिर जावें तो उन्हें जहाँ कहीं पाओं पकड़ों और उनका वध (कत्ल) करो। और उनमें से किसी को साथी और सहायक मत बनाना।” (५.४.८९ पृ. २३७)
२४ - उन (काफिरों) से लड़ों! अल्लाह तुम्हारे हाथों उन्हें यातना देगा, और उन्हें रुसवा करेगा और उनके मुकाबले में तुम्हारी सहायता करेगा, और ‘ईमान’ वालों लोगों के दिल ठंडे करेगा” (१०.९.१४. पृ. ३६९)
माननीय न्यायालय ने माना,"उपरोक्त आयतों से स्पष्ट है कि इनमें ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, कपट, लड़ाई-झगड़ा, लूटमार और हत्या करने के आदेश मिलते हैं। इन्हीं कारणों से देश व विश्व में मुस्लिमों व गैर मुस्लिमों के बीच दंगे हुआ करते हैं।" मैट्रोपोलिटिन मजिस्ट्रेट श्री जेड़ एस. लोहाट ने ३१ जुलाई १९८६ को फैसला सुनाते हुए लिखाः ”मैंने सभी आयतों को कुरान मजीद से मिलान किया और पाया कि सभी अधिकांशतः आयतें वैसे ही उधृत की गई हैं जैसी कि कुरान में हैं। लेखकों का सुझाव मात्र है कि यदि ऐसी आयतें न हटाईं गईं तो साम्प्रदायिक दंगे रोकना मुश्किल हो जाऐगा। मैं ए.पी.पी. की इस बात से सहमत नहीं हूँ कि आयतें २,५,९,११ और २२ कुरान में नहीं है या उन्हें विकृत करके प्रस्तुत किया गया है।” तथा उक्त दोनों महानुभावों को बरी करते हुए निर्णय दिया कि- “कुरान मजीद” की पवित्र पुस्तक के प्रति आदर रखते हुए उक्त आयतों के सूक्ष्म अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि ये आयतें बहुत हानिकारक हैं और घृणा की शिक्षा देती हैं, जिनसे एक तरफ मुसलमानों और दूसरी ओर देश के शेष समुदायों के बीच मतभेदों की पैदा होने की सम्भावना है।”
                             (ह. जेड. एस. लोहाट, मेट्रोपोलिटिन मजिस्ट्रेट दिल्ली ३१.७.१९८६)
इन आयातों को हटाये बिना मुस्लिम विश्व में और गैर मुस्लिम विश्व में भी शांति जिसे अमन कहते है,प्रस्थापित नहीं होगी।सभी धर्म-पंथ के धर्माचार्यो-सरकार को इस पर गंभीरता से अध्ययन करने की आवश्यकता है।संघ आतंकवादी है या हिन्दुघाती यह देश का हिन्दू तय करेगा। २६/११ हमले में मुस्लिम आतंकवाद-आक्रमण को प्रोत्साहन देनेवाले, श्री.नारायण राणे को न्यायालय में साक्ष देने को जाने से रोकते है।अगस्त में आझाद मैदान में हमले के आरोपियों को मुक्त करती है। यह सरकार आतंकवादियों को प्रोत्साहन देकर लक्षित सांप्रदायिक हिंसा कानून (विधि विधान ) लाकर हिन्दुओ को प्रतिकार से भी रोकना चाहती है ऐसी सरकार आतंकवाद को पोषित करती है और संघ को आतंकवाद की फैक्ट्री कहकर आनेवाले लोकसभा चुनाव के लिए समर्थन देने के लिए बाध्य करती है तो उसका परिणाम अखंड पाकिस्तान ही होगा। हिन्दू बंटा,देश टुटा !
जनता जनार्दन तय करे सर्व दलीय हिन्दू संसद एकमात्र विकल्प है !
संस्थापक-हिन्दू पार्लियामेंट्री बोर्ड,सेन्ट्रल हाल,हिन्दू महासभा भवन,मंदिर मार्ग,नई देहली-११० ००१

हिंदू और हिंदुस्तान विरोधी है कांग्रेस




भारत विरोधी UPA सरकार

भारत विरोधी भारत सरकार

जब से इस हिन्दुविरोधी मुस्लिम जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह की सरकार सत्ता में आई है तब से इसका एक ही चेहरा उभर कर सामने आता है पहले दिन से लेकर आज तक इस सरकार का एक-एक काम चीख-चीख कर कह रहा है कि इस सरकार का एक मात्र मकसद येनकेन प्रकारेण भारतीय संस्कृति और सभ्यता को तबाहकर हिन्दुओं को मरवाकर मुस्लिम जिहादियों और धर्मांतरण के ठेकेदारों का सहयोग लेकर देश को एक ऐसी दिशा देना है। जिसका एकमात्र परिणाम गृहयुद्ध है।

गृहयुद्ध में विदेशी सहायता लेकर हिन्दुओं का नामोनिशान मिटाकर इस एंटोनिया माइनो मारियो को देशभक्त हिन्दुओं द्वारा प्रधानमन्त्री न बनने देने का बदला लेकर व भारत विरोधी ताकतों के षड्यन्त्र को पूरा कर देश में मुस्लिम जिहादियों व धर्मांतरण के ठेकेदारों का आदमखोर राक्षसी राज्य स्थापित करना है अगर आपको इस बारे में कोई शंका है तो अगले कुछ पन्नें जिन पर हम इस सरकार के सिर्फ पिछले 4⅔ वर्ष के सांप्रदायिक निर्णय लिखेँगे जो न केवल आपका भ्रम दूर कर देंगे बल्कि आपको यह भी स्पष्ट कर देंगे कि ये हिन्दूविरोधियों का गिरोह जो सैकुलर होने का दावा करता है वो इस देश का अति सांप्रदायिक गिरोह है।

ये देश की पहली सरकार है जिसके सभी बड़े पदों पर खुद को भारतीय के बजाए अल्पसंख्यक कहने में गर्व महसूस करने वाले बैठे हैं इस गिरोह की प्रमुख एंटोनियो माइनोमारियो विदेशी अंग्रेज ईसाई जिसके पी ए के रूप में प्रधानमंत्री नियुक्त हुआ है और गुलामी में देशविरोधी काम करने को मजबूर है एंटोनियो के कोर ग्रुप में या तो ईसाई हैं या मुसलमान । सरकार का एक महत्वपूर्ण पद रक्षा मंत्रालय हिन्दू प्रणव मुखर्जी जी के पास था जिसे छीन कर ईसाई ए के एंटनी के पास दे दिया। रही गृह मंत्रालय की बात तो उसके बारे में सारे देश को विश्वास हो चुका है कि उसे स्वांय एंटोनिया चला रही हैं ।

कुल मिलाकर इस सरकार को हम देश की पहली अल्पसंख्यक सरकार कह सकते हैं जिसके द्वारा बहुसंख्यक देश के असली मालिक हिन्दुओं पर किए जा रहे हमलों को देख कर कलेजा मुँह को आता है इस देशद्रोही अल्पसंख्यक सरकार ने हिन्दुओं व हिन्दू संगठनों को आतंकवादी सिद्ध करने के जो प्रयत्न किए सो किए इसने तो भारतीय सेना तक को न बख्शा ।

आज तक किसी देशभक्त सरकार ने सेना में मुसलमानों या ईसाईयों की संख्या धटाने की कोशिश तो दूर बात तक नहीं की जो कि जिहादियों द्वारा सेना व हिन्दुओं पर किए जा रहे हमलों की एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया हो सकती थी । लेकिन इस सरकार ने सेना में हिन्दुओं की संख्या घटाने का दुस्साहस किया जो कि सेना ने ठुकराकर देश को इस हिन्दुविरोधी देशविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह के विनाशकारी षड्यन्त्र से बचा लिया। जिसकी वजह से आज लैफ्टीनैंट कर्नल श्रीकाँत पुरोहित जी को काल्पनिक घटनाओं में फंसाकर सेना को कटघरे में खड़ा करने का दुस्साहस किया जा रहा है।

ये बात यहीं पर खत्म नहीं हो जाती सोचने वाला विषय यह है कि सरकार को देशभक्त हिन्दुओं से डर क्यों लगा ? क्यों सरकार को ऐसा लगा कि देश की रक्षा करने वाली सेना उसके लिए खतरा है ।क्योंकि किसी भी देश की सेना तो उस देश की देशभक्त सरकार की रीढ़ की हड्डी होती है लेकिन किसी भी देशद्रोही सरकार के लिए खतरा !

· सरकार ने सत्ता मे आते ही देशभक्त हिन्दुओं व सुरक्षाबलों के खून के प्यासे जिहादी आतंकवादियों को कानून के शिकंजे से बचाने के लिए आतंकवाद विरोधी कठोर कानून हटा दिया।आज इस सरकार के पांच साल पूरे होने वाले हैं देश में आतंकवाद अपने चरम पर है पर सुरक्षाबलों के पास आज भी कोई कारगर कानून नहीं है। जिसकी वजह से एक तो आतंकवादी अपनी इच्छा अनुसार हमला कर रहे हैं और उनके सहयोगी व ये सेकुलर गिरोह आतंकवादियों द्वारा मारे गये हिन्दुओं को जायज ठहराने के लिए कभी कह रहे हैं ये मुसलमान गरीब हैं कभी कह रहे हैं ये अनपढ हैं कभी कह रहे हैं ये हिन्दुओं द्वारा सताए हुए हैं।

पोटा हटाने के लिए भी यही तर्क दिया गया कि ये हम मुसलमानों को बचाने के लिए कर रहे हैं। ये सब तर्क ये धारणा बनाते हैं कि सब के सब मुसलमान जिहादी आतंकवादी हैं बेशक सरकार मानती हो कि सच्चाई यही है फिर भी हमें समझना चाहिए कि बेशक सारे के सारे जिहादी आतंकवादी मुसलमान हैं पर सारे मुसलमान जिहादी आतंकवादी नहीं हैं। क्योंकि मुसलमान अल्लाह को मानते हैं भारत को अपनी मातृभूमि मानते हैं नमकहलाल होते हैं जबकि जिहादी आतंकवादी आदमखोर जिहादी अल्लाह को मानते हैं औरंगजेब बाबर के समर्थक गद्दार और नमकहराम हैं । जो कि न अनपढ हैं न गरीब हैं क्योंकि ये जिहादी कोई डाक्टर है तो कोई इंजिनियर ।

अब रही बात मुसलमानों को हिन्दुओं द्वारा सताए जाने की तो एक तो जिहादी आतंकवादियों द्वारा किए गये हमलों में मारे जाने वाले 95% हिन्दू हैं क्योंकि योजनाबद्ध ये सारे हमले हिन्दुबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों में किए जाते हैं दूसरा ये जिहादी इस्लाम के नाम पर देश के तीन-तीन टुकड़े करवा कर उन पर कब्जा कर चुके हैं अब अखण्ड भारत का छोटा सा हिस्सा सिर्फ भारत ही हिन्दुओं के लिए है अब इसमें भी इस्लामी राज्य बनाने के लिए ये जिहादी कत्लोगारद मचा रहे हैं ऐसे में आप खुद फैसला करें कि कौन किसका सत्ताया हुआ है ।

ये तो बिल्कुल वैसा ही है कि किसी के घर में घुसकर उस पर हमला करना मारकाट मचाना उसके द्वारा प्रतिरोध करने पर शोर मचा देना कि घर का मालिक हमें सत्ता रहा है इसे घर से बाहर निकालकर सजा दो।

जब हिन्दू राष्ट्र भारत में ये स्थिति है तो जरा चिंतन करें कि हिन्दू दुनिया में कहां सुरक्षित है ?

· इस सरकार ने सत्ता में आते ही आतंकवादियों से संघर्ष में शहीद होने वाले अर्धसैनिक बलों के परिवारों को मिलने वाली विशेष आर्थिक सहायता ये कहकर बंद कर दी कि सरकार के पास पैसे की कमी है और सुरक्षाबलों द्वारा मारे गये जिहादी आतंकवादियों के परिवारों को आर्थिक सहायता देना शुरू कर दी तब पैसा कहां से आया । वास्तव में कमी पैसे की नहीं, नीयत में खोट है सरकार की नीयत जिहादी आतंकवाद को बढ़ावादेने की है। न तो नीयत साफ है न नीति ।

· सरकार ने मुसलमानों और ईसाईयों द्वारा चलाए जाने वाले शिक्षा संस्थानों को कानून के नियन्त्रण से बाहर कर उन्हें देशविरोधी हिन्दुविरोधी एजंडे को लागू करने की खुली छूट दे दी।

· सरकार ने सांप्रदायिक आधार पर मुसलमानों और ईसाईयों के बच्चों के लिए छात्रवृतियां देने की शुरूआत की जो कि हिन्दुओं के बच्चों के साथ अन्याय है क्या इन बच्चों का कसूर ये है कि ये हिन्दू हैं ? जरा सोचो सांप्रदायिक आधार छात्रवृतियों से वंचित ये बच्चे जब बड़े हो जांयेगे तो इनकी मानसिकता क्या होगी ?

· सरकार द्वरा घोषणा की गई कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। भारत के बाकी तीन हिस्सों अफगानिस्तान,पाकिस्तान,बांगलादेश में भी पहला अधिकार मुसलमानों का ही है तो फिर हिन्दुओं का पहला अधिकार कहां है ? हिन्द महांसागर में डूब मरने का या जिहादी राक्षसों के हाथों हलाल होने का कश्मीरघाटी की तरह!

· सरकार द्वारा ये भी कार्यक्रम बनाया गया कि मुस्लिम बहुल जिलों का प्राथमिकता के आधार पर विकास किया जाएगा तो क्या ये माना जाये कि हिन्दुबहुल जिलों का पूरी तरह विकास हो चुका है और इतने अधिक विकास की वजह से हिन्दू किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हैं या फिर यह माना जाए कि हिन्दुओं ने परिवारनियोजन को राष्ट्रहित में अपनाकर अपराध किया है ?

· माननीय उच्च न्यायालय द्वरा हजयात्रा के लिए सरकार द्वारा दिए जाने वाले अनुदान को गैर कानूनी घोषित किए जाने पर सरकार का तिलमिलाना व माननीय सर्वोच्च न्यायलय में अपील कर इस सांप्रदायिक अनुदान को जारी रखने की अपील को क्यों भेदभाव करने वाला कदम न माना जाए ।

क्या सरकार हिन्दुओं को चारधाम की यात्रा के लिये 50000रूपये प्रतिव्यक्ति अनुदान देती है ? क्या सिखों को स्वरणमन्दिर की यात्रा के लिए अनुदान देती है ? वैसे भी हिन्दुओं द्वरा टैक्स के रूप में दिए गये अपनी खूनपसीने की कमाई को इस तरह बरबाद करना वो भी जिहादी मानसिकता के विकासके लिए और आमरनाथ यात्रा पर जाने वाले यात्रियों से पंजीकरण शुल्क व जम्मूकश्मीर सीमा पर टैक्स वसूलना हिन्दुविरोधी मानसिकता नहीं तो और क्या है ? अगर आपको भरोसा नहीं तो सी.ए.जी. की रिपोर्ट पढ़ो।

New Delhi: The Comptroller and Auditor General of India has come down heavily on the Ministry of External Affairs for sending extravagant, cumbersome goodwill delegation to Saudi Arabia every year . The CAG says this spending is in "disregard for economy in public expenditure."

· The Centre sends a Haj goodwill delegation of more than 30 people for 18-20 days to Saudi Arabia every year to promote goodwill between the two countries.

इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि साउदीअरब आज भारत विरोधी सब जिहादी आतंकवादियों की शरणस्थली बना हुआ है और भारत में हिन्दुओं व सुरक्षाबलों का खून बहाने वाले जिहादी आतंकवादियों व उनके समर्थकों को अधिक से अधिक धन उपलब्ध करवाकर भारत में आदमखोर जिहादी अल्लाह का सम्राज्य बनाने के लिए प्रयासरत है।जिस सांप्रदायिक देश में चर्च या मन्दिर बनाने तक की इजाजत नहीं क्या उस देश में हिन्दूराष्ट्र भारत जैसे देश, जहाँ किसी पूजा के स्थान को बनाने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं, के नागरिकों को वो भी हिन्दुओं के पैसे से भेजकर जिहादी कट्टरता आयात करना व भारतीयों के जानमाल को खतरे में डालना उचित है ?

· "The Ministry has not established the goodwill functions to be performed by the members of the delegation through which the fulfilment of the intended objectives is ensured," the CAG said in his report.

महानिदेशक जी ये क्या कह रहे हैं, क्या आपको नहीं पता इस देश से हिन्दुओं का नामोनिशान मिटाना ही एकमात्र गुडविल फंक्शन है अगर आपको बता दिया और हिन्दुओं को पता लग गया तो भेद खुल जाएगा और अगर भेद खुल गया तो इन मुस्लिमप्रस्तों की खैर नहीं !

· It also said the component-wise analysis of the total expenditure of Rs 2.39 crore incurred on one of the goodwill delegations (Haj-2006 II) disclosed that while the airfare accounted for Rs 12.85 lakh and the daily subsistence allowance to the members was Rs 12.12 lakh , other local expenditure aggregated Rs 2.14 crore.

· The CAG report also said examination of the documents in the MEA and in the Mission at Jeddah disclosed that the leader of the delegation holds a few meetings with the local dignitaries and officials.

· "Only two-three other members of the goodwill delegation are associated with these meetings and the dinner. Other members have no role in promotion of goodwill," it said.

· The total expenditure on Haj delegation 2006-II was Rs 2.39 crore and at this rate, the expenditure on each member of the delegation works out to a massive Rs 8.85 lakh for Haj 2006-II.

ये 9,00,000 रूपये प्रति व्यक्ति तो सिर्फ यात्रा का प्रबन्ध करने के लिए जाने वाले सरकारी अमले का खर्चा है असली खर्चा लगभग 50000रू प्रति व्यक्ति यात्रा के दौरान किया जाना है ।

जागो ! हिन्दू जागो !

हिन्दू जानना चाहता है कि कितने ईसाई या मुस्लिम देशों में हिन्दुओं को वहां पर अल्पसंख्यक होने के नाते वो सब सुविधायें मिलती हैं जो भारत में हिन्दुओं को उनके मूल अधिकारों से वंचित कर इन ईसाईयों और मुसलमानों को दी जाती हैं?

सरकार क्या बताएगी संसार के अधिकतर देशों में हिन्दुओं को दोयम दर्जे के नागरिक की तरह रखा जाता है उन्हें मन्दिर तक नहीं बनाने दिये जाते, कई देशों में उन्हें मृत्यु के बाद अपने परिजनों तक को जलाने तक की इजाजत नहीं।

अब आप ही बताओ कि सब जगह हिन्दू ही क्यों भेदभाव सहे कम से कम हिन्दुस्थान में तो ये भेदभाव नहीं होना चाहिए । हम भारत के हिन्दू सिर्फ इतनी मांग कर रहे हैं कि हमें बेशक विशेषाधिकार न दिये जाँए पर कम से कम हमें हमारे बच्चों को इस आधार पर अपने अधिकारों से तो न वंचित किया जाए कि हम हिन्दू हैं भारत में तो कम से कम ये सब नहीं होना चाहिए ।

हमारी ये बात मानना तो दूर हमारे अधिकारों के लिए माँग उठाने वाले देशभक्त हिन्दूसंगठनों को ये गिरोह साँप्रदायिक, आतंकवादी, फासिस्ट कहकर सारी दुनिया में बदनाम कर रहा है और कातिल जिहादियों को अपना भाई । हमारी मौत तक को ये गठबन्दन जायज ठहरा रहा है । अब आप ही बताओ इन सब हालात मे हमें अपना हक दिलवाने के लिए व इन जिहादियों व धर्मांतरण के ठेकेदारों से रक्षा करने के लिए कोई हिन्दू हथियार उठा ले तो फिर हम सब हिन्दू उसका साथ क्यों न दें ?

· आज स्वामी रामदेव जी ने योग व आयुर्वेद को हर देशभक्त भारतीय के जीवन का अभिन्न अंग बनाकर उनके जीवन स्तर में वो सुधार ला दिया है जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था । स्वामी रामदेव जी का यह अभियान अमीर-गरीब सबके लिए आशा की नई किरण बनकर उभरा है और हर देशभक्त भारतीय के अन्दर राष्ट्रभक्ति की वो ज्वाला पैदा कर रहा है जो गद्दारी व भ्रष्टाचार को जलाकर राख कर देने की ताकत रखती है ।आगे चलकर स्वामी रामदेव जी सब देशभक्त संगठनों के प्ररणा स्रोत वनने वाले हैं ।

स्वामी रामदेव जी द्वारा भारतीय सभ्यता और संस्कृति के प्रचार-प्रसार से तंग आकर इस देशविरोधी हिन्दुविरोधी जिहादी आतंकवाद व धर्मांतरण समर्थक सरकार ने स्वामी रामदेव जी के देशहित में किए जा रहे कार्यों को रोकने के लिए उनके ऊपर वृंदा करात के नेतृत्व में हमला बोल दिया ।

ये वृंदा करात वहीं हैं जो उस वांमपंथी विचारधारा से सबन्ध रखती हैं जो अफगानिस्तान व अन्य देशों मे ईसाई अमेरिका द्वारा मुस्लिम जिहादियों को कतलोगारद से रोकने के लिए किए जा रहे प्रयत्नों का विरोध करती है। वाममार्गी विचारधारा सारे भारत में राष्ट्रबाद व भारतीय-संस्कृति और सभ्यता का हर स्तर पर विरोध करती है, हर बक्त अपने भारत के विरूद्ध लड़ती रहती है। हमें हैरानी होती होती कि जो विचारघारा चीन में हर तरह से अपने राष्ट्र को सर्वोपरि मानती है वही विचारधारा भारत में देशद्रोह का मार्ग कैसे अपना लेती है ?

हम तो कहते हैं इन भारतीय वामपंथियों को वाममार्गी विचारधारा का सही ज्ञान ही नहीं । भारत में ये बात तो वामपंथ की करते हैं इनका असली काम भारतीयों को भाषा,क्षेत्र, जाति और हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर लड़वाने का है जिसका जवलंत उदाहरण सिंगूर में इनके द्वारा गरीब किसानों की भूमि पर गोली के बल पर गुंडागरदी द्वारा किया गया कब्जा है। उन किसानों पर मार्कशवादी गुण्डों ने क्या-क्या अत्याचार नहीं किए । तभी तो आज भारत में नक्सलवादी व माओवादी हिंसा का केंन्द्र इनके द्वारा शासित प्रदेशों के आस-पास ही नजर आता है।

इसी हिंसा के समर्थक होने की वजह से नेपाल में कातिल माओवादियों को सत्ता में बिठाने के लिए ये मध्यस्ता करते हुए पकड़े जाते हैं हमें हैरानी होती है उन माता-पिता जी की प्रतिक्रिया के बारे में सोचकर जिन्होंने अपने पुत्र का नाम सीता-राम रखा होगा कितने आस्तिक होंगे वो माता-पिता । क्या-क्या उमीदें लगाई होंगी उन्होंने अपने इस हिन्दूपुत्र से जो आगे चलकर उसी मर्यादापुर्षोत्तम भगवान श्रीराम के अस्तित्व को नकारने वालों के साथ खड़ा नजर आया और मानवता के शत्रु जिहादियों का पक्ष लेने वाले देशद्रोही गिरोह का हिस्सा बना । पिछले दिनों इसी विचारधारा के अनजान ने हिन्दू साधु-सन्तों के बारे में ऐसी टिप्पणी की कि अगर वहां पर कोई अपने जैसा हिन्दू बैठा होता तो वहीं पर खत्म कर देता ऐसे दुष्ट हिन्दुविरोधी गद्दार को ।

खैर स्वामी रामदेव जी ठहरे घोर राष्ट्रवादी व कौमनष्ट ठहरे पक्के राष्ट्रविरोधी दोनों का मेल कैसे हो सकता है ? शायद अपने इसी राष्ट्रविरोधी वोटबैंक को पक्का करने के लिए स्वामी जी पर हमला बोला गया । हर तरह के मनघड़ंत आरोप लगाने शुरू कर दिए गये । उनको बदनाम करने के लिए सरकारी तन्त्र का दुरूपयोग कर कई षड्यन्त्र रचे गये। ये स्वामी रामदेव जी के प्रति देशभक्त जनता का अटूट विश्वास व भगवान की अपार कृपा थी जिसके कारण इन राक्षसों का कोई षड्यन्त्र सफल न हो पाया । धर्मप्रचार के काम में लगे स्वामी जी पर इस देशद्रोही गिरोह का ये हमला हमें जिहादियों द्वारा हिन्दुओं पर किए जा रहे बम्ब हमलों का बौधिक स्वरूप दिखाई देता है।

· बापू आशा राम के विरूद्ध रचे गए षड्यन्त्र की भी निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए क्योंकि बापू आशा राम जी का काम भी धर्मांतरण के दलालों को अपने रास्ते में रूकावट की तरह खटता है हो न हो उनको बदनाम करने में इस हिन्दुविरोधी धर्मांतरण समर्थक गिरोह का हाथ जरूर निकलेगा।

· समय-समय पर सांई राम के बारे में भी इसी हिन्दुविरोधी गिरोह का एक वर्ग अफवाहें फैलाता रहता है ।

· हाल ही में श्री-श्री रविशंकर जी को भी विवादों में घसीटने की कोशिश की गई ।

· इस सरकार द्वारा हिन्दू साधु सन्तों पर हमला करना व उनको बदनाम करना कोई नयी बात नहीं है आपको याद होगा कि कुछ वर्ष पहले हिन्दुओं को चिड़ाने के लिए दीवाली के शुभ अवसर पर इस सरकार ने स्वामी जयेन्दर सरस्वती जी को गिरफ्तार किया जिन्हें बाद में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर छोड़ना पड़ा।

ये वो सरकार है जो मर्यादापुर्षोत्तम भगवान श्री राम के अस्तित्व को तो नकारती है पर पोप के मरने पर राष्ट्रीय शोक घोषित करती है।

· भारत तो भारत इस भारत विरोधी सरकार ने विदेशों में भी हिन्दुविरोधी षड्यन्त्र रचे। जिसका ताजा और स्पष्ट उदाहरण नेपाल है । इस सरकार के सत्ता में आते ही नेपाल में धर्मपरायण हिन्दुओं पर चीन समर्थित माओवादियों के हमले तेज हो गये । हिन्दूराष्ट्र नेपाल ने इस हिन्दुविरोधी हिंसा से निपटने के लिए हथियारों की मांग की जो इससे पहले की सरकारें देती रहीं थीं ।

लेकिन इस सरकार ने देशहित को दरकिनार कर हिन्दूविरोध को सर्वोपरि मानकर हिन्दूराष्ट्र नेपाल को हथियार देने से मना कर दिया। परिणामस्वरूप संसार के मानचित्र से दुनिया का एकमात्र हिन्दूराष्ट्र गायब हो गया और इसकी जगह हजारों हिन्दुओं के खून के दोषी माओवादियों के नेतृत्व में माओवादी नेपाल ने ले ली । जिसे इस हिन्दुविरोधी देशविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह ने अपनी विजय के रूप में प्रचारित किया।

· ये वही सरकार है जो अपने हिन्दुविरोधी ऐजंडे को धर्मनिर्पेक्षता की आड़ में आगे बढ़ाने में विश्वास रखती है जिसकी पोल तब खुल जाती है जब हिन्दुविरोधी हर लेखक को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के बहाने समर्थन देने वाली व पुरस्कृत करने वाली यह सरकार इस्लाम की सच्चाई को उजागर करने वाली लेखिका तसलीमा नसरीन को पहले तो भारत में ही बंदी बना लेती है, जिहादियों के हमलों से नहीं बचाती है और अंत में उसे भारत से बाहर निकाल देती है !

· ये देश के विभाजन के बाद पहली सरकार है जिसने बजट को भी संप्रदाय के आधार पर बनाया मतलब मुसलमानों के लिए अलग बजट और हिन्दुओं के लिए अलग बजट । ऐसा सांप्रदायिक बजट 1947 में बनाया गया था जिसके बाद देश का सांप्रदायिक आधार पर विभाजन हो गया था।

जागो ! हिन्दू जागो !

· भारत के संविधान में सांप्रदायिक आधार पर आरक्षण वर्जित है। क्योंकि सांप्रदायिक आधार पर आरक्षण भी सांप्रदायिक आधार पर देश के विभाजन का प्रमुख कारण था। लेकिन इस देशद्रोही सरकार ने संविधान का उल्लंघन कर मुसलमानों के लिए सांप्रदायिक आधार पर आरक्षण दिया। जिसे माननीय न्यायालय ने रोकने का हर संभव प्रयास किया पर सब बेकार क्योंकि ये सरकार हिन्दूराष्ट्र भारत की हर चीज को सांप्रदायिक आधार पर बांटकर देश को तबाह करने की कसम जो उठा चुकी है ।

ये सरकार सच्चर कमेटी के आधार पर कुतर्क देती है कि मुसलमानों को नौकरियां कम हैं हिन्दू जानना चाहते हैं कि भारत पाक बांगलादेश सब अखण्ड भारत के हिस्से हैं जिस पर सबका अधिकार था जब पाक व बांगलादेश में हिन्दुओं का अधिकार नहीं फिर भारत में मुसलमानों को विशेषाधिकार देने का तर्क क्यों ?

वैसे भी इस वक्त इन सब देशों में कुल नौकरियों का जो हिस्सा मुसलमानों के पास है वो कम नहीं बहुत ज्यादा है बाकी गिनती तो आप करो जो आँकड़े हमारे पास उपलब्ध हैं वो हिन्दुओं के लिए खतरे की घंटी है इस वक्त अखण्ड भारत की तीन क्रिकेट टीमें हैं जिनमें 33 खिलाड़ी खेलते हैं उनमें से 22- 25 मुसलमान हैं यानिके 75% से ज्यादा जबकि 8-11 हिन्दू सिख ईसाई जैन बौध पारसी यानिके 27% से कम। और मुसलमानों की कुल आबादी हिन्दुओं की आबादी से आधी ।

ये भी मुसलमानों को आरक्षण देकर छीनने पर तुले हो बेशर्मों ,कुछ तो शर्म करो ,अगर तुम्हें मुसलमानों की इतनी ही चिन्ता सत्ता रही है तो इन सब को साथ लेकर पाकिस्तान या बांगलादेश क्यों नहीं चले जाते फिर देखो तुम्हें ये कितना सम्मान देते हैं।

क्यों तुम हिन्दुओं के बच्चों को बेरोजगार कर भूखा मारने पर तुले हो ? क्यों तुम हिन्दुओं की जान लेने पर तुले हो एक तरफ जिहादियों से मरबा रहे हो दुसरी तरफ खुद हिन्दुओं के मुंह का निवाला छीन रहे हो ? एक साथ जहर क्यों नहीं दे देते ?

कभी कहते हो भगवान राम हुए ही नहीं फिर कहते हो राम सेतु भगवान राम ने ही तोड़ दिया इतनी गद्दारी से मन नहीं भरता तो एक तरफ हिन्दुओं को हलाल करने वालों को बचाने के लिए पोटा हटाते हो और माननीय सर्वोच्चन्यायलय से सजा प्राप्त जिहादी को फाँसी देने के बजाए पालते हो लोकतन्त्र के मन्दिर पर हमला करवाने वाले जिहादी प्रोफैसर को बचाने के लिए गद्दार परजीवी लेखकों व देशद्रोही मानवाधिकार संगठनों के द्वारा मोमबती जलाओ अभियान चलाते हो ।

दूसरी तरफ हिन्दुओं के जानमाल की रक्षा के लिए संघर्षरत हिन्दू संगठनों, भारतीय सभ्यता संस्कृति की रक्षा में लगे साधु-सन्तो को आतंकवादी सिद्ध करने के लिए षड्यन्त्र रचाते हो और इस गद्दारी की दौड़ में तुम देश की सुरक्षा की गारंटी सेना पर भी कीचड़ उछालते हो इस सब में तुम देशभक्तों के हाथों लिखी अपनी मौत को क्यों भूल जाते हो ?

हिन्दूओ तुम कब तक मार खाओगे ? कब तक पिटते रहोगे ? कब तक धोखा खाते रहोगे इन हिन्दूविरोधियों से ? कब तक गिड़गड़ाओगे इन जिहादियों व धर्मांतरण के ठेकेदारों के आगे ? कब तक देश के टुकड़े होने दोगे ? कब तक इन गद्दारों के झूठ पर भरोसा कर अपने लिए शहीद होने वाले बलिदानियों के साथ खड़े न होकर चुपचाप उनके बलिदान होने का तमाशा देखोगे ?

कब तक अपने क्राँतिकारियों के शहीद होने पर सिर्फ नारे लगाकर किनारे पर खड़े रहोगे, कब तक अपनी मां को अपमानित करने वालों का साथ देते रहोगे ? कब तक भागते रहोगे ? कहां तक भागोगे ?

इन गद्दारों ने जिहादियों के साथ मिलकर अफगानिस्तान बनवा दिया आप भागकर भारत आ गये । इन सेकुलर गद्दारों ने आदमखोर अल्लाह के सैतानों के साथ मिलकर पाकिस्तान बांगलादेश बनवा दिए, आप भागकर भारत आ गये ,अब जब भारत ही नहीं बचेगा तो कहां जाओगे ?

अभी तो गैर हिन्दुओं की अवादी 25% से कम है। तब इस गद्दारों के गिरोह का हिन्दुओं पर इतना जोरदार हमला है। जब ज्यादा हो जाएगी तो ये गिरोह मुस्लिम जिहादियों व धर्मांतरण के ठेकेदारों के साथ मिलकर हिन्दुओं व उनकी संस्कृति का ठीक उसी तरह सफाया कर देंगे जिस तरह इन्होंने कश्मीर घाटी व उतर-पूर्व के कई राज्यों में किया और आसाम व देश के कई अन्य हिस्सों में कर रहे हैं !

कायरों की तरह तिल-तिल कर मरने से एक बार बहादुरों की तरह लड़कर मरना आत्मा को शांति देता है । मेरे प्यारे शांतिप्रिय हिन्दूओ अभी वक्त है कूद पड़ो जंगे मैदान में मिटा डालो इन मानवता के शत्रुओं को वरना हाथ मलते रह जाओगे ।

अगर हालात और बिगड़ते हैं तो वो गलती न करना जो आपने 9वीं व 20वीं शताब्दी में की थी । इस बार जो युद्ध हम भारतीयों पर इन गद्दारों के गिरोह द्वारा थोपा गया है, अगर आगे बढ़ता है ,जिसकी पूरी सम्भावना है तो ये युद्ध निर्णायक व अन्तिम होना चाहिए एक भी गद्दार देशद्रोही आतंकवादी या उसका समर्थक जिन्दा नहीं बचना चाहिए। ताकि भविष्य में कोई आदमखोर जिहादी अल्लाह या उसका वंशज हिन्दुओं की ओर आँख न उठा सके व न ही कोई जयचन्द उसका साथ देने का दुस्साहस कर सके।

· इस सरकार ने माननीय सर्वोच्चन्यायालय में लिख कर दिया कि भगवान राम हुए ही नहीं हैं वो काल्पनिक हैं क्योंकि इस सरकार ने उन्हें नहीं देखा है।

हम इस सरकार व सरकार के इस विचार का समर्थन करने वालों से पूछना चाहते हैं कि क्या उन्होंने दादा के दादा को देखा है अगर नहीं देखा है तो इसका अर्थ ये हुआ कि इनके दादा के दादा हुए ही नहीं मतलब इनके दादा के पिता का कोई बाप ही नहीं …आगे ये खुद सोचें ये क्या कह रहे हैं अपने बाप के बारे में ? हम नहीं लिख सकते !

जब हिन्दुओं व उनके संगठनों ने भगवान राम के अस्तित्व को नकारने का कड़ा विरोध किया तो इस सरकार ने माननीय सर्वोच्चन्यायालय में लिख कर दिया कि भगवान राम ने रामसेतु को खुद ही तोड़ दिया था अब कोई इस सरकार से पूछे कि इन दोनों हल्फनामों को मिलाकर देखो सत्य अपने आप सामने आ जाएगा। किसी ने क्या खूब कहा है कि एक झूठ को छुपाने के लिए कई झूठ बोलने पड़ते हैं !

जो सरकार हिन्दुओं की भावनाओं की परवाह न करते हुए ऐसे हल्फनामे माननीय सर्वोच्चन्यायालय में दे सकती है उसे तो खुल कर डैनिस पत्रकार के उस कार्टून का समर्थन करना चाहिए था जिसमें हजरत मुहम्मद को जिहादी आतंकवाद का प्रेरणा सत्रोत बताते हुए बम्ब फोड़ते हुए दिखाया था पर उसका तो इस जिहाद समर्थक सरकार ने विरोध किया वो भी जिहादियों के साथ मिलकर ! वाह क्या धर्मनिर्पेक्षता है ?

· श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को आवंटित 800 कनाल भूमि का कश्मीर घाटी में जिहादियों द्वारा यह कह कर विरोध किया कि ये जमीन आवंटित होने से घाटी में फिर से हिन्दू वापिस आ जांयेगे जिन्हे 15 वर्ष जिहाद चलाकर मारा व निकाला गया । विरोध प्रदशर्नों के दौरान तीर्थ यात्रियों पर हमले किए गये, तिरंगा जलाया गया,पाकिस्तानी झंडा फैराया गया। सरकार ने जिहादी आतंकवादियों की इस देशद्रोही जंग को सफल बनाते हुए सिर्फ तीन दिन में ये भूमि आवंटन रद्द कर दिया।

सरकार के इस हिन्दुविरोधी-देशविरोधी निर्णय के विरूद्ध भूमि आवंटन को रद्द न करने के लिए देशभक्त संगठनों, सारे देश के हिन्दुओं द्वारा जम्मू के देशभक्त भारतीयों के नेतृत्व में अंदोलन चलाया गया । जिसमें देशभक्त मुसलमान भी शामिल हुए । इस अंदोलन में भारत माता की जय, वंदेमातरम् के नारे लगाये गये, सारे अंदोलन को तिरंगे के सम्मान में चलाया गया । सरकार ने हर तरह का बल प्रयोग कर व षड्यन्त्र रच कर इस अंदोलन को कुचलने का प्रयत्न किया । शहीद कुलदीप जी जैसे अनेकों लोगों ने बलिदान दिया ।लेकिन सरकार के कानों तक देशभक्ति से ओतप्रोत अंदोलन की आवाज नहीं पहुंची। कुल मिलाकर इस अंदोलन के थमने के बजाए और ताकतवर होता देख सरकार ने 70 दिनों को बाद घुटने टेके।

ये होता है मानसिकता का असर। क्योंकि ये सरकार हिन्दुविरोधी देशद्रोहियों की है इस लिए गद्दारों की हिन्दुविरोधी-देशविरोधी बात मानने में 3 दिन लगे और राष्ट्रवादियों की बात 70 दिन तक सुनाई ही नहीं दी !

· यह वही सरकार है जिसने भारत माता व हिन्दूदेवी देवताओं का अपमान करने वाले एम एफ हुसैन को सजा देने के बजाए उसे पुरस्कृत किया।

· यह वही सरकार है जिसने सारे भारत में एक साथ एक ही दिन वन्देमातरम् गाये जाने का आदेश दिया । लेकिन अलगाववादी आतंकवादियों द्वारा वन्देमातरम् का विरोध करने पर उन गद्दारों को फाँसी पर लटकाने की बजाए अपना आदेश ही वापिस ले लिया और गद्दारों के विरोध को जायज ठहराने का अपराध किया ।

· आज वही सरकार वन्देमातरम् का समर्थन व देशद्रोहियों का विरोध करने वाले सैनिकों, तपस्वियों, हिन्दुओं व हिन्दुओं के संगठनों के कार्यकर्ताओं को देशभक्ति के जुर्म में जेलों में बन्द कर उनके ऊपर अत्याचार कर रही है। ईसाई व मुस्लिम देशों से मिलने वाले पैसों के बदले हिन्दुओं व उनके संगठनों पर डंके की चोट पर कुत्तों की तरह भौंकने वाले टी वी चैनल इन क्राँतिकारियों के बारे में अपशब्दों का प्रयोग किसी भी कीमत पर चाँद की ओर मुँह कर थूकने जैसा प्रयास कर रहें हैं । इस बात से बेखबर कि थूक खुद इनके अपने मुँह पर गिर रहा है सब देशभक्त जनता समझती है कि ये गद्दार टी.वी चैनल किसके टुकड़ों पर पलते हैं ।

· यह वही सरकार है जिसने आंध्रप्रदेश में हिन्दुबहुल क्षेत्रों में बम्बविस्फोट करने के आरोप मे पकड़े गये मुसलमानों को छोड़ते वक्त एक-एक आटो भेंट किया।

· यब वही सरकार है जिसने मध्यप्रदेश व अन्य प्रदेशों की सरकारों द्वारा सिमी उर्फ इंडियन मुज्जाहीदीन के आतंकवादियों को पकड़ने के लिए चलाए गये अभियान को रूकवाने के लिए ये कहकर दबाव डाला कि ये निर्दोष मुसलमान हैं। बाद में उसी सिमी ने बंगलौर से लेकर हैदराबाद तक सैंकड़ो विस्फोट कर हजारों हिन्दुओं के घर उजाड़ कर अपने निर्दोष होने का प्रमाण केन्द्र सरकार को दे दिया !

· यह उसी गिरोह की सरकार है जिसने 15 फरवरी 2008 को कोयम्बटूर बम्ब हमले में मारे गये 58 लोगों के कत्ल के दोषी अब्दुल मदनी को पहले जेल में हर तरह की सुविधायें दी और बाद में उसे छुड़वा दिया।

आज उसी गिरोह की केन्द्र सरकार बिना किसी प्रमाण के निर्दोष हिन्दुओं को जेल में डाल कर टैस्ट पर टैस्ट करवाये जा रही है और हर तरह से फंसाने का प्रयत्न कर रही है।

हिन्दुओं को सरकार के षड्यन्त्र का पता न लग जाए इसके लिए सूचनांयें लीक करवाकर हिन्दुविरोधी मीडिया का दुरूपयोग कर हिन्दुओं व साधु- सन्तो को बदनाम कर रही है ।

· ये वही सरकार है जिसने माननीय सर्वोच्चन्यायालय द्वारा नियुक्त किए गए सेवानिवृत न्यायाधीश नानावती जी के द्वारा जारी जांच प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए एक दागी सेवानिवृत न्यायाधीश यु सी बैनर्जी को जांच पर लगाया सिर्फ यह सिद्ध करने के लिए कि 2000 जिहादी मुसलमानों की जिस भीड़ ने ट्रेन में सफर कर रहे हिन्दुओं को जलाने के लिए गोधरा में ट्रेन रोककर आग लगाई वो भीड़ निर्दोष है और जो हिन्दू ट्रेन में सफर कर रहे थे और इस आग में जलकर राख हो गये वो दोषी। क्या आपने कभी ऐसी कमीनी नीच हिन्दुविरोधी किसी और सरकार के बारे में सुना है ?

· यह वही सरकार है जो आरक्षण के बहाने हिन्दुओं को लड़वाने का प्रयत्न करती है। जिसे माननीय सर्वोच्चन्यायालय रोकने का प्रयत्न करता है। लेकिन ये सरकार अपनी फूट डालो और राज करो की नीति को वोटों में बदलने के लिए कानून बनाती है कि प्रतिवर्ष 4,50,000 रूपये यानि कि हर महीने 37000 रू कमाने वाला व्यक्ति पिछड़ा हुआ है ।

अब आप सोचो जिसकी एक वर्ष की पूरी कमाई ही 37000 रूपये या इससे कम हो उसे क्या कहेंगे ?

जिन लोगों की वार्षिक आय 4,50,000 रूपये से कम है उनसे सरकार टैक्स क्यों लेती है ?

जिन लोगों को ये भ्रम है कि आरक्षण गरीबों की सहायता करने की व्यवस्था है उनकी आंखें अब खुल जानी चाहिए। हम तो सब हिन्दुओं से यही कहेंगे कि इन विषयों पर आपस में न लड़ें क्योंकि इस देशद्रोही गिरोह की यही मनसा है कि हिन्दुओं को किसी भी तरह आपस मे लड़वाया जाए ।

गरीब कोई भी है उसकी आपस में मिलकर सहायता करें ताकि हम सब हिन्दू इस देशद्रोही गिरोह के विघटनकारी षड्यन्त्रों को असफल कर सकें।

· यह वही सरकार है जो झूठे आरोपों में फंसाये गये हिन्दुओं के विरूद्ध कोई प्रमाण न मिलने पर उनके विरूद्ध मकोका लगाती है अन्य प्रदेश सरकारों द्वारा बनाए गये ऐसे ही कानूनों से जिहादियों को बचाने के लिए उन कानूनों को मंजूरी नहीं देती है ।

गुजकोका को तो ये जिहाद समर्थक सेकुलर सरकार गुजरात सरकार द्वारा बार-बार आग्रह करने पर भी रोके रखती है । अब आप ही सोचो कि क्यों न कहें कि इस हिन्दुविरोधी सरकार का मकसद जिहादियों की रक्षा कर देश को बार-बार लहूलुहान करवाना है।

इस चार वर्ष के कार्यकाल में इस देशद्रोही सरकार ने वो कर दिखाया है जिसका सार ही इस सरकार व इसका समर्थन करने वाले गिरोह को माननीय सर्वोच्चन्यायालय में देशद्रोही, सांप्रदायिक, हिन्दुविरोधी व गद्दार साबित करने के लिए काफी है इसके सारे कुकर्म देखने पर तो इस गिरोह को संबोधित करने के लिए मानवता का शत्रु दानव या शैतान जैसे शब्द भी छोटे पड़ते हैं।

आप ही बताओः-

· जो सरकार हर चीज को सांप्रदायिक आधार पर बांटे जैसे कि संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का,छात्रवृतियां मुसलमानों के लिए, विकास मुस्लिमबहुल जिलों का,यहां तक कि बजट को भी … उसे सांप्रदायिक नहीं तो क्या कहेंगे ?

· जो सरकार संविधान व माननीय सर्वोच्चन्यायालय के आदेशों का पालन न करे जैसे कि अफजल को फाँसी व धर्म आधारित आरक्षण… वो देशद्रोही नहीं तो और क्या है?

जो सरकार मर्यादा पुर्षोत्तम भगवान राम के अस्तित्व को नकारे उनकी निशानियों को मिटाने का प्रयत्न करे साधु सन्तों का अपमान करे हिन्दुओं को बदनाम करे… वो हिन्दुविरोधी नहीं तो और क्या है ?

अन्त में जो सरकार एक विदेशी एंटोनियो माइनो मारियो की गुलाम होकर भारतीय सेना में धर्म के आधार पर फूट डालने का प्रयास करे, देशभक्त सैनिकों को गिरफ्तार करे,शहीदों का अपमान करे,जिहादियों के विरूद्ध काम करने वाले साधु-सन्तों सैनिकों साध्वियों व हिन्दुओं को आतंकवादी कहे व जिहादी आतंकवादियों को अपना भाई वो सरकार गद्दारों की नहीं तो किसकी है ?

आशा है आपको ये बात स्पष्ट हो गई होगी कि इस गिरोह को समस्त देशभक्त व धर्मपरायण लोग हिन्दुविरोधी देशद्रोही जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह क्यों कह रहे हैं व इस सरकार को सेना से डर क्यों लगा ?

हमने इस सैकुलर बोले तो शैतानी गिरोह को आज से 20 वर्ष पहले(18 वर्ष की आयु में) जब भारतीय राजनीति में देखा तो हमने भी बाकी लोगों की तरह यही माना कि ये लोग राजनीति कर रहे हैं सत्ता में आने पर कोई देशद्रोही या हिन्दुविरोधी काम नहीं करेंगे ।

फिर कुछ वर्ष बाद युनाइटेड फ्रंट सरकार के कामों को देखकर ये भ्रम टूटा और लगा कि ये गिरोह तो अल्पसंख्यकवाद व धर्मनिर्पेक्षता की आड़ में देशद्रोह के मार्ग पर अग्रसर है पर हमनें सोचा कि हो सकता है हम तत्कालिक कारणों व जवानी के जोश से प्रभावित होकर ऐसा महसूस कर रहे हैं।

लेकिन आज नवम्बर 2008 में इनके विपक्ष में रहते किए गये मिथ्या प्रचार को छोड़ भी दें तो भी सिर्फ पिछले 4⅔ वर्ष के षड्यन्त्रों व कुकर्मों को देखकर कोई भी जागरूक व्यक्ति इसी निष्कर्ष पर पहुँचेगा कि यह राजनीति नहीं -गद्दारी है, धर्मनिर्पेक्षता नहीं- देशद्रोह है।, अल्पसंख्यकवाद नहीं हिन्दूविरोध- बोले तो- मानवता का विरोध है।।

ये गिरोह हिन्दुविरोधी देशद्रोही जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गद्दारों का गिरोह है ।
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