Thursday, January 3, 2013

एक तरीका था भारतवासियों पर अत्याचार करने का


जब अंग्रेजों की सरकार चल रही थी तो उनका एक तरीका था भारतवासियों पर अत्याचार करने का, तो वो किसी किसान पर अत्याचार करते थे लगान वसूल करने के लिए | किसानों से लगान वसूल किया जाता था और वो उनके कुल उपज का नब्बे प्रतिशत होता था और जो किसान लगान दे देते थे उनको अंग्रेज छोड़ देते थे लेकिन जो किसान लगान नहीं देते थे उनपर अत्याचार किया करते थे | अत्याचार में पहला काम होता था किसानों को कोड़े से पीटने का, 100-100 कोड़े किसानों को मारे जाते थे, 100 कोड़े खाते-खाते किसान मर जाते थे, फिर अंग्रेज वहीँ तक नहीं रुकते थे, वे उसके बाद उस किसान के परिवार की माँ, बहन और बेटियों का शीलहरण करते थे | माँ, बहन और बेटियों के कपडे उतारे जाते थे, पुरे गाँव में उनको नंगा घुमाया जाता था, फिर अंग्रेज अधिकारी उनका सबके सामने शीलभंग करते थे, बलात्कार करते थे और सारे अंग्रेज अधिकारी इसमें शामिल होते थे | इससे अंग्रेज अधिकारियों को अपनी वासना शांत करने का रास्ता तो खुलता ही था, उनको अत्याचार करने और हैवानियत दिखाने का भी रास्ता खुलता था |

परिणाम क्या होता था ? किसानों के घर से शिकायत आती थी इन बलात्कार की घटनाओं की | अंग्रेज अधिकारियों की समस्या ये होती थी की अपने ही सहयोगियों के खिलाफ वो कार्यवाही क्या करे ? मान लीजिये, एक अंग्रेज उच्च अधिकारी है, उसके पास किसी किसान ने ये शिकायत की कि उसके नीचे के अधिकारी ने उस किसान के माँ, बहन या बेटियों से बलात्कार किया तो वो ऊपर वाला अधिकारी अपने नीचे वाले अधिकारी को बचाने में लग जाता था और उसको बचाने के लिए फिर अंग्रेजों ने एक रास्ता निकाला और उस रास्ते को कानून में बदल दिया | बलात्कार के खिलाफ अंग्रेजों ने कानून बनाया सबसे पहला, इसमें उन्होंने एक हिस्सा जोड़ा, इसका नाम था Reversal of Burden of Proof | और उस कानून में ये व्यवस्था की कि "जिस माँ, बहन या बेटी के साथ बलात्कार होगा, उस माँ, बहन या बेटी को अंग्रेजों की अदालत में आकर सिद्ध करना पड़ेगा कि उसके साथ बलात्कार हुआ है, जिस अंग्रेज ने बलात्कार किया है उसको कुछ भी सिद्ध नहीं करना पड़ेगा और जब तक सिद्ध नहीं होगा तब तक वो अंग्रेज अभियुक्त नहीं माना जाएगा, पापी नहीं माना जायेगा, अपराधी नहीं माना जाएगा, ये कानून बना दिया अंग्रेजों ने | ये कानून बनते ही इस देश में बलात्कार की बाढ़ आ गयी | हर गाँव में, हर शहर में माँ, बहन और बेटियों की इज्जत से अंग्रेजों ने खेलना शुरू किया, क्योंकि अंग्रेजों को ये मालूम था कि कोई भी माँ, बहन या बेटी अदालत में ये सिद्ध कर ही नहीं सकती कि उसके साथ बलात्कार हुआ है | कानून के गलियां ऐसी टेढ़ी-मेढ़ी बनाई गयी कि किसी भी माँ, बहन या बेटी को ये सिद्ध करना एकदम असम्भव हो जाए कि उसके साथ बलात्कार हुआ है |

आप देखिये कि इससे बड़ा दुनिया में क्या अत्याचार हो सकता है कि जिसके ऊपर अत्याचार हुआ, उसे सिद्ध करना है कि उसके ऊपर अत्याचार हुआ, जिसने अत्याचार किया उसको कुछ भी सिद्ध नहीं करना है कि इसने अत्याचार किया | परिणाम ये होता था कि 100 अंग्रेज बलात्कार करते थे भारत की माँ, बहन या बेटियों से तो उसमे से दो-तीन अंग्रेजों के खिलाफ ये साबित हो पाता था और उनको ही सजा हो पाती थी, 97-98 अंग्रेज बाइज्जत बरी हो जाते थे और फिर वो दुबारा यही काम करते थे | हमारे पास दस्तावेज हैं कई अंग्रेज अधिकारियों के, जिन्होंने अपनी पर्सनल डायरी में ये लिखा है | एक अंग्रेज अधिकारी था, कर्नल नील, उसकी डायरी के कुछ पन्ने हैं फोटो कॉपी के रूप में, उसकी नियुक्ति भारत के कई स्थानों पर हुई थी, वाराणसी में वो रहा, इलाहाबाद में वो रहा, बरेली में वो रहा, दिल्ली में वो रहा, बदायूँ में वो रहा, वो अपनी डायरी में लिख रहा है कि "कोई भी दिन ऐसा बाकी नहीं रहा जब मैंने किसी भारतीय औरत के शीलहरण नहीं किया", ये नील की डायरी में उसके लिखे हुए शब्द हैं | आप सोचिये के कितने हैवान थे वो अंग्रेज और ध्यान दीजिये कि ये सब उन्होंने किया कानून की मदद से | एक बात और, बलात्कार के केस में पीडिता से कोर्ट में ऐसे भद्दे-भद्दे और बेहुदे प्रश्न किये जाते हैं कि सुनने वाला लजा जाए, आपकी गर्दन शर्म से झुक जाए, आप सोचिये की पीडिता का क्या हाल होता होगा, यही कारण है कि बलात्कार के 100 मामलों में 95 में तो कोई केस ही दर्ज नहीं होता और जो 5 केस दर्ज भी होते हैं तो उसमे पीडिता को न्याय मिलता ही नहीं है |

मुझे ये कहते हुए बहुत दुःख और अफ़सोस है कि आजादी के दिन यानि 15 अगस्त 1947 को जिस कानून को जला देना चाहिए था, ख़त्म कर देना चाहिए था, वो कानून आजादी के 65 साल बाद भी चल रहा है और आज भी इस देश में माँ, बहन और बेटियों के साथ बलात्कार हो रहे हैं और माँ, बहन और बेटियों को अदालत में सिद्ध करना पड़ रहा है कि उनके खिलाफ अत्याचार हो रहा है, अत्याचार करने वाले को कुछ भी सिद्ध नहीं करना पड़ता | आप जानते हैं कि किसी भी माँ, बहन या बेटी से खुले-आम, सरेआम ऐसे सवाल पूछे कि "उसके साथ बलात्कार हुआ या नहीं हुआ", वो अगर सभ्य है, थोड़ी भी सुसंस्कृत है तो जवाब नहीं दे सकती और उसके मौन का फायदा उठाकर ये कानून हमारे देश की करोड़ों माँ, बहन, बेटियों से खिलवाड़ करता है |

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