अभी पिछले साल की ही बात है, शायद आपको याद होगी.
जनरल वी.के. सिंह, जो कि अपनी कर्तव्यनिष्ठ एवं साफ़ छवि के लिए जाने जाते हैं, उनके कुछ कांग्रेस विरोधी कदमों के कारण सरकार ने उन्हें एक वर्ष पहले ही उनके पद से सेवानिवृत्त कर दिया. उनकी १०वी की अंकसूची को भी उन्होंने सही न मानकर उन्हें झूठा साबित कर दिया.
इसके लिए माननीय जनरल साहब को अदालत तक जाना पड़ा और अंततोगत्वा उन्होंने इतनी बेईज्ज़ती के बाद सेवानिवृत्ति ले ली.
अब आज के परिपेक्ष्य में आते हैं, दिल्ली के बहुचर्चित सामूहिक बलात्कार कांड का एक आरोपी है मुहम्मद अफरोज; ये वही व्यक्ति है, जिसने दामिनी को मौत के मुंह में पहुंचाने में अपना सबसे महत्वपूर्ण एवं घिनौना योगदान दिया. इसे इसकी १०वी की अंकसूची के हिसाब से नाबालिग घोषित कर दिया गया है और इसे अपने उस जघन्य कृत्य के लिए सिर्फ ३ साल की सजा होगी.
सुब्रमण्यम स्वामी ने उस बलात्कारी के लिए भी मौत की सजा हेतु जुवेनाइल बोर्ड में जो अर्जी दी थी, वो भी खारिज कर दी गई है.
अब अंक सूची भी वही है, न्याय व्यवस्था भी वही है, सरकार भी वही है; बदला क्या है?
एक तरफ कांग्रेस-विरोधी राष्ट्रवादी जनरल वी.के.सिंह थे और दूसरी ओर एक बलात्कारी है, वो भी 'वोटबैंक' वाला...!!
जो केंद्र सरकार उम्र के मामले में जनरल वीके सिंह के स्कुल की सर्टिफिकेट को उम्र का सुबूत मानने से इंकार कर दिया था ...
वही केंद्र सरकार दिल्ली गैंगरेप केस में दामिनी पर सबसे ज्यादा अत्याचार करने वाले मोहम्मद अफरोज जिसने दो बार दामिनी का बलात्कार किया था और सरिया डालकर उसकी आंते बहार निकाल ली जी जिससे दामिनी की मौत हुई उसके स्कुल के बर्थ सर्टिफिकेट को नाबालिक होने का सुबूत मान लिया |
सवाल वोट बैंक का है ..बलात्कारी और हत्यारा मोहम्मद अफरोज को तीन साल बाल सुधार गृह में बिताने होंगे फिर उसके बाद वो किसी दूसरी दामिनी का बलात्कार करेगा |
हिन्दू इस देश में वोट बैंक थोड़े ही है की दामिनी को न्याय दिलाने के लिए कानून में संसोधन कर लिया जाए |
मित्रो, याद कीजिये शाहबानो केस .... आज तक संसद पूरी रात सिर्फ उसी समय चली थी क्योकि मामला मुस्लिम वोट बैंक से जुड़ा था .. रातोरात राजीव गाँधी ने सुप्रीमकोर्ट के आदेश को संसद में कानून बनाकर निरस्त कर दिया और मुसलमानों के लिए अलग से मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की मंजूरी दे दी |
जनरल वी.के. सिंह, जो कि अपनी कर्तव्यनिष्ठ एवं साफ़ छवि के लिए जाने जाते हैं, उनके कुछ कांग्रेस विरोधी कदमों के कारण सरकार ने उन्हें एक वर्ष पहले ही उनके पद से सेवानिवृत्त कर दिया. उनकी १०वी की अंकसूची को भी उन्होंने सही न मानकर उन्हें झूठा साबित कर दिया.
इसके लिए माननीय जनरल साहब को अदालत तक जाना पड़ा और अंततोगत्वा उन्होंने इतनी बेईज्ज़ती के बाद सेवानिवृत्ति ले ली.
अब आज के परिपेक्ष्य में आते हैं, दिल्ली के बहुचर्चित सामूहिक बलात्कार कांड का एक आरोपी है मुहम्मद अफरोज; ये वही व्यक्ति है, जिसने दामिनी को मौत के मुंह में पहुंचाने में अपना सबसे महत्वपूर्ण एवं घिनौना योगदान दिया. इसे इसकी १०वी की अंकसूची के हिसाब से नाबालिग घोषित कर दिया गया है और इसे अपने उस जघन्य कृत्य के लिए सिर्फ ३ साल की सजा होगी.
सुब्रमण्यम स्वामी ने उस बलात्कारी के लिए भी मौत की सजा हेतु जुवेनाइल बोर्ड में जो अर्जी दी थी, वो भी खारिज कर दी गई है.
अब अंक सूची भी वही है, न्याय व्यवस्था भी वही है, सरकार भी वही है; बदला क्या है?
एक तरफ कांग्रेस-विरोधी राष्ट्रवादी जनरल वी.के.सिंह थे और दूसरी ओर एक बलात्कारी है, वो भी 'वोटबैंक' वाला...!!
जो केंद्र सरकार उम्र के मामले में जनरल वीके सिंह के स्कुल की सर्टिफिकेट को उम्र का सुबूत मानने से इंकार कर दिया था ...
वही केंद्र सरकार दिल्ली गैंगरेप केस में दामिनी पर सबसे ज्यादा अत्याचार करने वाले मोहम्मद अफरोज जिसने दो बार दामिनी का बलात्कार किया था और सरिया डालकर उसकी आंते बहार निकाल ली जी जिससे दामिनी की मौत हुई उसके स्कुल के बर्थ सर्टिफिकेट को नाबालिक होने का सुबूत मान लिया |
सवाल वोट बैंक का है ..बलात्कारी और हत्यारा मोहम्मद अफरोज को तीन साल बाल सुधार गृह में बिताने होंगे फिर उसके बाद वो किसी दूसरी दामिनी का बलात्कार करेगा |
हिन्दू इस देश में वोट बैंक थोड़े ही है की दामिनी को न्याय दिलाने के लिए कानून में संसोधन कर लिया जाए |
मित्रो, याद कीजिये शाहबानो केस .... आज तक संसद पूरी रात सिर्फ उसी समय चली थी क्योकि मामला मुस्लिम वोट बैंक से जुड़ा था .. रातोरात राजीव गाँधी ने सुप्रीमकोर्ट के आदेश को संसद में कानून बनाकर निरस्त कर दिया और मुसलमानों के लिए अलग से मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की मंजूरी दे दी |
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