Thursday, January 10, 2013

जनता और मीडिया, दोनों की याददाश्त बहुत कमज़ोर होती है


चलो... पहले अनशन हुआ... फिर जनलोकपाल हुआ... फिर ममता-मुलायम नौटंकी हो गई... इसके बाद आया गैंगरेप... अब पाकिस्तान चल रहा है... देखते-देखते डेढ-दो साल निकल ही गए...

ऐसे ही टाइम पास करते-करते २०१४ भी आ ही जाएगा... उसका सामना करने के लिए "खाद्य सुरक्षा बिल", "कैश सब्सिडी", "अल्पसंख्यक सुरक्षा अधिनियम" और "धर्मनिरपेक्षता" नामक तुरुप इक्के रखे हुए हैं...

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जनता और मीडिया, दोनों की याददाश्त बहुत कमज़ोर होती है...

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