सोनिया गाँधी के हिंदू गुलामों! देखो तुम्हारी अम्मा ने तुम्हारा खून चूसने और तुम्हारे बहन बेटियों को....करने के लिए कैसी तयारी कर रखी है.
सोनिया गाँधी के नेतृत्व में “प्रिवेंशन ऑफ कम्युनल एंड टारगेटेड वायलेंस बिल-२०११” बनाया गया है. जिस प्रकार पाकिस्तान की इश निंदा कानून के तहत वहाँ अल्संख्यकों की हालत भिखारियों जैसी बना दी गयी है, यह बिल वही हालत हिंदुस्तान में बहुसंख्यकों की बना देगी. यह कानून देश में साम्प्रदायिकता और नफरत का अंतहीन विषवेल वो देगी. यह देश के नागरिकों को शत्रुतापूर्ण भाव रखनेवाले दो वर्गों में विभाजित करता है. इस कानून के तहत सिर्फ अल्पसंख्यकों के जान माल की क्षति को सांप्रदायिक हिंसा माना गया है. अगर हिंदुओं को अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा जान-माल को क्षति पहुंचाई जाती है तो उसे सांप्रदायिक नहीं माना जायेगा. कोई हिंदू मर जाता है, घायल होता है, उसकी सम्पत्ति नष्ट हो जाती है, वह अपमानित होता है तो यह कनून उसे पीड़ित नहीं मानेगा. अगर हिंदू महिला किसी अल्पसंख्यक की हवस का शिकार होती है तो वह कानून उसे बलात्कार नहीं मानेगा. परन्तु हिंदुओं द्वारा अल्पसंख्यकों पर बलात्कार की स्थिति में उसे लैंगिक अपराध का दोषी माना जायेगा. अल्पसंख्यकों के साथ घटी घटना की जानकारी रखनेवाला ही गवाह होगा. बहुसंख्यकों के सम्बन्ध में जानकारी रखनेवाला गवाह नहीं माना जायेगा. इनकी धर्मनिरपेक्षता को उजागर करने के लिए ये झलक पर्याप्त है और भी पूरा पढ़ें...(साभार पंजाब केसरी, journalistarjun@gmail.com)
सोनिया गाँधी के नेतृत्व में “प्रिवेंशन ऑफ कम्युनल एंड टारगेटेड वायलेंस बिल-२०११” बनाया गया है. जिस प्रकार पाकिस्तान की इश निंदा कानून के तहत वहाँ अल्संख्यकों की हालत भिखारियों जैसी बना दी गयी है, यह बिल वही हालत हिंदुस्तान में बहुसंख्यकों की बना देगी. यह कानून देश में साम्प्रदायिकता और नफरत का अंतहीन विषवेल वो देगी. यह देश के नागरिकों को शत्रुतापूर्ण भाव रखनेवाले दो वर्गों में विभाजित करता है. इस कानून के तहत सिर्फ अल्पसंख्यकों के जान माल की क्षति को सांप्रदायिक हिंसा माना गया है. अगर हिंदुओं को अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा जान-माल को क्षति पहुंचाई जाती है तो उसे सांप्रदायिक नहीं माना जायेगा. कोई हिंदू मर जाता है, घायल होता है, उसकी सम्पत्ति नष्ट हो जाती है, वह अपमानित होता है तो यह कनून उसे पीड़ित नहीं मानेगा. अगर हिंदू महिला किसी अल्पसंख्यक की हवस का शिकार होती है तो वह कानून उसे बलात्कार नहीं मानेगा. परन्तु हिंदुओं द्वारा अल्पसंख्यकों पर बलात्कार की स्थिति में उसे लैंगिक अपराध का दोषी माना जायेगा. अल्पसंख्यकों के साथ घटी घटना की जानकारी रखनेवाला ही गवाह होगा. बहुसंख्यकों के सम्बन्ध में जानकारी रखनेवाला गवाह नहीं माना जायेगा. इनकी धर्मनिरपेक्षता को उजागर करने के लिए ये झलक पर्याप्त है और भी पूरा पढ़ें...(साभार पंजाब केसरी, journalistarjun@gmail.com)

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