Tuesday, June 25, 2013

राहत का सामान उतरवा खुद उड़ गए हरक सिंह

शर्मनाक: राहत का सामान उतरवा खुद उड़ गए हरक सिंह

Updated on: Tue, 25 Jun 2013 03:06 AM (IST)
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शर्मनाक: राहत का सामान उतरवा खुद उड़ गए हरक सिंह
देहरादून, [सुमन सेमवाल]। नेताजी ये क्या, केदारघाटी में कुदरत के कहर से कराह रहे लोगों के लिए जा रही राहत सामग्री उतरवाकर खुद हेलीकॉप्टर से सैर पर निकल पड़े। जनाब यह भी भूल गए कि इस वक्त पीड़ितों को उनकी हवाई नेतागीरी से ज्यादा राहत की जरूरत है। सोमवार को उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने ऐसी ही नेतागीरी का नमूना पेश किया। उनसे पहले एक कैबिनेट मंत्री और विधायक भी ऐसा कर चुके हैं।
राहत उपायों में लापरवाही को लेकर बदनामी झेल रही उत्तराखंड सरकार के माथे पर सरकार के एक और मंत्री ने काला टीका लगाया है। सोमवार को केदारघाटी में फंसे लोगों के लिए राहत सामग्री ले जाने के लिए मौसम में सुधार का इंतजार किया जा रहा था। सुबह से राहत सामग्री लेकर सहस्त्रधारा हेलीपैड पर तैयार खड़े हेलीकॉप्टर को शाम करीब पौने चार बजे उड़ाने की हल्की सी संभावना नजर आई। पायलट ने पीड़ित लोगों की जरूरत देखकर खतरा उठाने का जज्बा दिखाया। लेकिन तभी वहां पहुंचे मंत्री हरक सिंह की नेतागीरी चमकाने की उत्कंठा जाग उठी। उन्होंने आव न देखा ताव। उन्होंने आपदा राहत का पूरा सामान नीचे उतरवाया और हेलीकॉप्टर में खुद सवार होकर निकल पड़े। इसकी वजह से देहरादून से केदारघाटी में राहत जा ही नहीं पाई। रावत के साथ विधायक सुबोध उनियाल भी गए हैं। इसका पता तब चला जब शाम को पानी बरसने लगा और दोनों नेता केदारनाथ में ही फंस गए। रात में दोनों के वहीं पर रहने की सूचना है।
काबिलगौर है कि जनप्रतिनिधियों का इस तरह का रवैया पहले भी सामने आ चुका है। एक रोज पहले प्रदेश के परिवहन मंत्री सुरेंद्र राकेश अपने निजी सहायक के साथ हेलीकॉप्टर में चल पड़े थे। इसके एक दिन पहले केदारनाथ की विधायक शैलारानी रावत ने देहरादून से केदारनाथ के लिए उड़ान भरी, लेकिन रास्ते में उन्हें याद आया कि उनका बैग हेलीपैड पर छूट गया है। विधायक ने इस बैग को लाने के लिए हेलीकॉप्टर आधे रास्ते से वापस देहरादून के लिए मोड़ा गया। ऐसे मौके पर जबकि आपदा पीड़ित पल-पल मौत से लड़ रहे हैं, नेताओं का इस तरह का रवैया सवाल खडे़ कर रहा है।
पीड़ितों के परिजनों से मिले बिना निकल गए अजीत पवार
प्रियंका देशपांडे (मिड डे), मुंबई। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड जाना और गुजरात के तीर्थयात्रियों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित कराने की चर्चा हर राजनीतिक मंच पर हुई। उत्तराखंड में बाढ़ में विभिन्न जगहों पर फंसे महाराष्ट्र के तीर्थयात्रियों को बचाने के लिए कोई ठोस कदम उठाने के मुद्दे पर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार एक नए विवाद में फंस गए हैं। छह घंटे से उनसे मिलने का इंतजार कर रहे उत्तराखंड में फंसे लोगों के परिजनों से वह मिले बिना चले गए।
पवार उनकी शिकायत सुनने के बजाय उनकी ओर देखे बिना जब सरकारी भवन से निकल गए तो 27 लापता तीर्थयात्रियों के परिजनों ने वहां राकांपा के कार्यकताओं का घेराव कर दिया। हंगामा होने के बाद अजीत पवार उनसे पांच मिनट मिलने को तैयार हुए लेकिन वहां नहीं बल्कि वहां से पांच किलोमीटर दूर किसी दूसरी जगह पर। वैसे महाराष्ट्र सरकार ने उत्तराखंड के पीड़ितों के लिए दस करोड़ रुपये की सहायता की घोषणा की है।

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