Sunday, June 9, 2013

आप सीताराम केसरी वाला प्रकरण भूल गयी क्या ?

भा . ज. पा में बुजुर्गो को ही बेइज्जत किया जा रहा हे ,ये तो ट्रेलर हे पूरा सिनेमा अभी बाकी हे :- रेणुका चोधरी

विशेष योग्यता प्राप्त रेणुका काकी जी कांग्रेस में बुजुर्गो का कितना सम्मान किया जाता हे

उस पर तो कई एवरग्रीन मूवीज बनी हुई हे @ आप सीताराम केसरी वाला प्रकरण भूल गयी क्या ?

१३ मार्च १९९८ को चाचा केसरी को हटाने के लिए जितेंद्र प्रसाद ने कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों के लिए भोज आयोजित किया। इस भोज में कार्यसमिति के २० में से १३ सदस्य उपस्थित हुए जिसमें प्रणव मुखर्जी ने दो प्रस्तावों का प्रारूप लिखा। पहला प्रस्ताव था कि केसरी ने इस्तीपेâ की पेशकश कर कांग्रेस पार्टी को नेतृत्वविहीन कर दिया है सो उन्हें पहले पार्टी को अनिश्चय से उबारने के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक आहुत करनी चाहिए और दूसरा प्रस्ताव था कि केसरी को मार्ग प्रशस्त कर सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनने देना चाहिए। दूसरे दिन २४, अकबर रोड में जब कार्यसमिति की बैठक में सीताराम केसरी पहुंचे तो उनके स्वागत में तारिक अनवर के अलावा कोई खड़ा तक नहीं हुआ। बैठक में आने के पहले अधिकांश सदस्य प्रणव मुखर्जी के घर जाकर नए अध्यक्ष के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर चुके थे। जैसे ही केसरी बैठे प्रणव मुखर्जी ने कांग्रेस के संविधान की धारा १९ (जे) के तहत उनकी सेवाओं के लिए आभार प्रदर्शन का प्रस्ताव पढ़ना शुरू कर दिया। केसरी ने इस कदम को असंवैधानिक करार दिया तो सबने उन्हें डांट कर चुप करा दिया। वे तैश में उठ कर खड़े हुए तो किसी ने उनकी धोती खींच दी। वह बाहर आए तो पाया कि उनकी केबिन से उनका नामपट हटाया जा चुका था और वहां सोनिया गांधी का नामपट लग चुका था। जिन लोगों को चाचा केसरी अपना समझ रहे थे उनमें केवल तारिक अनवर बाहर तक उनके साथ आए। नाराज केसरी पुराना किला स्थित अपने निवास लौट आए। सोनिया गांधी के जीवनीकार राशिद किदवई के अनुसार उस दिन जब केसरी अपना गुस्सा किसी और पर नहीं उतार पाए थे तो घर में उनका नित्य पूंछ हिलाकर जीभ निकाल कर स्वागत करने वाली अपनी प्रिय पामेरियन कुतिया रुचि को तो उन्होंने लातो से पीटा था।

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